वादाखिलाफी की हद अगर .... दिल में है
अपने दिल में.. हिसाब तुम लगा कर देखो.
oooooooo
रफ्ता रफ्ता....क़यामत के दिन आ गए है
बदलते बदलते...मुलाकात के दिन आये है
अपने दिल में.. हिसाब तुम लगा कर देखो.
oooooooo
रफ्ता रफ्ता....क़यामत के दिन आ गए है
बदलते बदलते...मुलाकात के दिन आये है
12 टिप्पणियां:
बदलते-बदलते ही बहार के दिन आते हैं,
कड़ी धूप के बाद कजरारे मेघा छाते हैं,
बूंद पाकर ही धरती की कोख होगी हरी,
रफ्ता-रफ्ता मुलाकात की आएगी घड़ी।
"बदलते-बदलते ही बहार के दिन आते हैं,
कड़ी धूप के बाद कजरारे मेघा छाते हैं,
बूंद पाकर ही धरती की कोख होगी हरी,
रफ्ता-रफ्ता मुलाकात की आएगी घड़ी"
गुस्ताख जी
आपकी कवितामय टीप पढ़कर तबियत खुश हो गई है बहुत सुन्दर इरशाद .आभार
रफ्ता रफ्ता....क़यामत के दिन आ गए है
बदलते बदलते...मुलाकात के दिन आये है ..
वाह गुरुवर वाह.
भई, गुस्ताख जी की टिप्पणी ने तो चार चाँद लगा दिये.
bahut hi sundar ..........khubsorat hai
bahut hi sundar ..........khubsorat hai
महेंद्र जी के साथ गुस्ताख जी की जुगलबंदी ने fiza को रसमय bana दिया. आभार.
बहुत अच्छी रचना.
रामराम
वाह क्या बात है उपर से गुस्ताख़ की ्जुगलबंदी.
बहुत खुब.
धन्यवाद
आप ने महेंद्र जी कमाल किया गुस्ताख जी ने उसको मालामाल किया वाह।
क़यामत की मुलाकात.
रफ्ता रफ्ता....क़यामत के दिन आ गए है
बदलते बदलते...मुलाकात के दिन आये है...
adbhoot virodhabaas !!
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