उनकी याद तुम मुझे न दिलाओ ऐ मस्त बहारो
इस मौसम में तड़फते दिल को और न तड़फाओ.
मेरा राजी-ख़ुशी का पैगाम उनके पास पहुंचा देना
कहना उसे भूला नही हूँ और मुझे भुला न देना.
मेरे इस दिल को ख़ूबसूरत याद जब आती है तेरी
चंद अश्क निकल पड़ते है तब इन आँखों से मेरी.
इस मौसम में तड़फते दिल को और न तड़फाओ.
मेरा राजी-ख़ुशी का पैगाम उनके पास पहुंचा देना
कहना उसे भूला नही हूँ और मुझे भुला न देना.
मेरे इस दिल को ख़ूबसूरत याद जब आती है तेरी
चंद अश्क निकल पड़ते है तब इन आँखों से मेरी.
12 टिप्पणियां:
वाह बहुत खूबसूरत रचना.
रामराम.
ye bahare gahe bagahe yad to dila hi jati hai....kya kare..........behatrin
मेरा राजी-ख़ुशी का पैगाम उनके पास पहुंचा देना
कहना उसे भूला नही हूँ और मुझे भुला न देना
इसके लिए तो बस लाजवाब।
उनकी याद तुम मुझे न दिलाओ ऐ मस्त बहारो
इस मौसम में तड़फते दिल को और न तड़फाओ.
वाह बहुत खूबसूरत.
बहुत ही खूबसूरत गजल । कुछ और शेर होने चाहिये थे । आभार ।
बहुत सही, मिश्र जी..तबीयत गड़बड़ है अतः देर से आया..क्षमा करना!!
अच्छी बात हैं -"मेरे इस दिल को ख़ूबसूरत याद जब आती है तेरी
चंद अश्क निकल पड़ते है तब इन आँखों से मेरी ".......................
मेरे इस दिल को ख़ूबसूरत याद जब आती है तेरी
चंद अश्क निकल पड़ते है तब इन आँखों से मेरी.
बहुत सुन्दर रचना. बधाई.
मेरे इस दिल को ख़ूबसूरत याद जब आती है तेरी
चंद अश्क निकल पड़ते है तब इन आँखों से मेरी.
badiya kya kavita hai..
bahut sundar..badhayi..
'मेरा राजी-ख़ुशी का पैगाम उनके पास पहुंचा देना
कहना उसे भूला नही हूँ और मुझे भुला न देना.'
- सुन्दर
.
बहुत खूबसूरत रचना .
एक टिप्पणी भेजें