जबसे ये कलम उठाई है लफ्ज ही नहीं मिलते है
जिन्हें कागजो में ढूँढा.. वो शख्स नहीं मिलते है.
वो जमाने की तलाश तो....खूब करते फिरते है
पर इस जान के लिए..उन्हें वक्त नहीं मिलता है.
नजरे खूब मिलती है...पर नजारे नहीं मिलते है
कभी बेसहारों को.. तो कही सहारे नहीं मिलते है.
जिन्दगी एक नदी की तरह है..बस तैरते जाना है
डूबते को नदी में तिनके का सहारा नहीं मिलता है.
जिन्हें कागजो में ढूँढा.. वो शख्स नहीं मिलते है.
वो जमाने की तलाश तो....खूब करते फिरते है
पर इस जान के लिए..उन्हें वक्त नहीं मिलता है.
नजरे खूब मिलती है...पर नजारे नहीं मिलते है
कभी बेसहारों को.. तो कही सहारे नहीं मिलते है.
जिन्दगी एक नदी की तरह है..बस तैरते जाना है
डूबते को नदी में तिनके का सहारा नहीं मिलता है.
15 टिप्पणियां:
जबसे ये कलम उठाई है लफ्ज ही नहीं मिलते है
जिन्हें कागजो में ढूँढा.. वो शख्स नहीं मिलते है.
sabse behterin she'r
der tak aah wah karte rahe !!
waah bahut khub
Mishra ji,
khoobsurat rachna aapki..naya nadaaz..acche alfaaz..
जबसे ये कलम उठाई है लफ्ज ही नहीं मिलते है
जिन्हें कागजो में ढूँढा.. वो शख्स नहीं मिलते है.
galat jagah par dhoondh rahe hain na aap...kagaz mein kaun milega bhala ?
जिन्दगी एक नदी की तरह है..बस तैरते जाना है
डूबते को नदी में तिनके का सहारा नहीं मिलता है.
abhi to aap tair rahein hain jab doobne lagenge to wo aajaayenge ..ghabraaiye mat..
bahut acchi abhivyakti..
आज शान में थोड़ी गुस्ताखी कर रहा हूँ, बुरा न मानिएगा। वैसे तो छंद विधा में मेरा दखल नहीं है। फिर भी आप की चार पंक्तियों को अपने अंदाज में पेश कर रहा हूँ ....
वो जमाने की तलाश तो....खूब करते फिरते है
पर इस जान के लिए..उन्हें लमहे नहीं मिलते है.
जिन्दगी एक नदी की तरह है..बस तैरते जाना है
डूबते को नदी में तिनकों के सहारे नहीं मिलते हैं.
आदरणीय दिनेशराय द्विवेदी जी
आपने तो रचना में चार चाँद लगा दिए . मुझे भी कोई विशेष ज्ञान नहीं है पर लिखने की कोशिश करता रहता हूँ . आभार. शुक्रिया
क्या बात है बेहद खूबसूरत रचना।
बहुत बढ़िया
बहुत बढिया रचना.
रामराम.
वाह वाह जी बहुत सुंदर,
धन्यवाद
महेंद्र भाई
आपकी अभिव्यक्ति ने कमाल कर दिया .
क्या लिख है वाह .....
"जिन्दगी एक नदी की तरह है..बस तैरते जाना है"
- विजय
जबसे ये कलम उठाई है लफ्ज ही नहीं मिलते है
जिन्हें कागजो में ढूँढा.. वो शख्स नहीं मिलते है.
--बहुत सही!! मजा आ गया.
जिन्दगी एक नदी की तरह है..बस तैरते जाना है
डूबते को नदी में तिनके का सहारा नहीं मिलता है.
कितनी अच्छी बातें कही आपने...बढ़िया ग़ज़ल..धन्यवाद!!
kya khoob kaha hai.
ytarth , saty kah diya aapne
जबसे ये कलम उठाई है लफ्ज ही नहीं मिलते है
जिन्हें कागजो में ढूँढा.. वो शख्स नहीं मिलते है.
bahut khoob
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