7.10.08

अब मिलिए जबलपुर रामलीला में भरत शत्रुधन बनने वाले पात्रो से

जबलपुर शहर में इन दिनों रामलीला की धूम मची हुई है बर्तमान में इस शहर में नौ रामलीला समितियां सक्रिय है . इन रामलीला समितियों में एक से बढ़कर एक कलाकार अपनी अभिनय प्रतिभा की दम पर जनमानस का मन मोह लेते है . पिछली पोस्टो में इन रामलीलाओ में रावण पात्र के रूप में अभिनय करने वाले कलाकारों के बारे में और हनुमान पात्र का अभिनय करने वाले कलाकारों के बारे सचित्र जानकारी दी थी . विविध भारती मुंबई के ब्लॉगर युनूस खान जी की फरमाईस पर गोविन्दगंज रामलीला समिति में भरत और शत्रुधन के पात्रो का अभिनय करने वाले कलाकारों के बारे में फोटो सहित जानकारी दे रहा हूँ . गोविन्दगंज जबलपुर शहर की रामलीला १६५ वर्ष पुरानी है और इसका एतिहासिक महत्त्व है .

भरतहि धरम धुरंधर ज्ञानी
निज सेवक तन मानस बानी
||

सुधि पाठको आज इन कलाकारों के पारंगत अभिनय के क्षेत्र धुरंधर कलाकारों के बारे में जानकारी दे रहा हूँ . अवधपुरी के चारो भाइओ में से राम लखन सीता के साथ वनागम करने गए . श्री राम के वनवास पर जाने से अयोध्या नगरी विचलित हो गई . भरत और शत्रुधन दोनों भाई प्राणों से प्रिय अपने भाई राम लक्ष्मण और जानकी सीता के वनवास पर जाने के साथ राजपाट संभालने का कार्य कैकयी सुत भरत के कंधे पर आ पड़ा. भरत ने श्री राम की पादुकाओं कों सिंघासन पर रखकर राजसुख होने के बाबजूद १४ वर्षो तक रघुवंश के सिंघासन पर रखा और तपस्वी सा जीवन जिया .
चित्रकूट में भरत श्रीराम से मिलाप मुलाकात करने के लिए दौड़ पड़े थे . भरत मिलाप का अदभुत प्रसंग है . चलिए मिलते है कलाकारों से.

श्री गोविन्द गंज रामलीला जबलपुर





भरत का रोल १३ वर्षीय आदित्य दुबे कर रहे है . वे कक्षा आठवीं के छात्र है . वे कहते है की इस पात्र कों निभा कर उन्होंने बडो का आदर करना सीखा .







शत्रुघ्न का अभिनय कक्षा सातवीं के छात्र अंकित मिश्रा कर रहे है . उनका कहना है कि वे अपने भाई की प्रेरणा से अभिनय के क्षेत्र में आए है .


गोकलपुर रामलीला समिति ९९ वर्षो से है इसका अपना ऐतिहासिक महत्त्व है .


१६ वर्ष के राहुल शर्मा भरत के पात्र का अभिनय कर रहे है . यह रामलीला सफल मंचन और सशक्त अभिव्यक्ति के लिए जानी जाती है . राहुल कों बचपन से ही अभिनय का शौक है .



१२ वी कक्षा के छात्र अनुराग पांडे शत्रुधन का अभिनय कर रहे है और बताते है कि उन्होंने अभिनय कला अपने पिता और ताऊ से सीखी है . वे रामलीला समिति में सभी पात्रो का अभिनय कर चुके है .


सत्य पर विजय का प्रतीक है दशहरा









शहर जबलपुर संत बिनोबा द्वारा संबोधित " संस्कारधानी " के नन्हे मुन्नों ने असत्य के प्रतीक रावण का दहन किया और विजयौल्लास मनाया . इस समय शहर कि धार्मिक फिजां एक श्रद्धा की लहर बस देखते ही बनती है . यह सब देखकर बस कहते ही बनता है कि जबलपुर संस्कारो और कलाकारों का गढ़ है जहाँ एक से एक बढ़कर नए कलाकार पनपते है .


जय श्री राम
जय अम्बे माँ रानी भवानी जगदम्बे
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यह कड़ी दशहरा तक जारी रहेगी ......

6.10.08

हमें फ़िर से उन्हें गुनगुनाने में मजा आने लगा.

एक आशियाना सजाने में मेरी हस्ती मिट गई
उन्हें हालेगम सुनाने में तमाम उम्र गुजर गई
देखिये वो..एक पल में फ़िर से बेगाने हो गए
कई कई बरस लग गए उन्हें अपना बनाने में.

मेरे दिले गम पर कहकहे लगाए थे सभी ने
हमें सारे ज़माने में मुझे एक भी हमदर्द न मिला
गीत गजल.. जब मेरे अश्को पर ढल गए यारा
हमें फ़िर से उन्हें गुनगुनाने में मजा आने लगा.

कोई तो अपनी है जो मुझे अपने पास बुलाती है
यूँ बुलाती है मुझे वो मेरी प्यारी अपनी तो है
यारब उनका रहमो करम कैसे दिल से भुला दूँ
जो मुझे अपने आगोश में गहरी नींद सुलाती है.

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5.10.08

आइये अब मिलिए इन जबलपुरिया हनुमानों से जो अपनी अभिनय कला से जनमानस का मन मोह लेते है .

सप्त चिरजीवितो में से एक हनुमान जी रामलीला के मुख्यनायक श्री राम के अनन्य प्रिय पात्र है . श्री हनुमान स्वामी भक्ति की अप्रतिम मिसाल है . केसरीनंदन की क्रपा से बढ़कर कलयुग में दूसरा कोई आधार नही है . हनुमान के वगैर रामायण अधूरी रहती पर रामायण में केसरीनंदन की उपस्थिति रामायण कथा को और भी रोचक बना देती है . पिचले अंक में मैंने जबलपुर संस्कारधानी में चल रही रामलीलाओं में रावण की भूमिका निभाने वाले पत्रों के सम्बन्ध में जानकारी दी थी आज मै संस्कारधानी में रामलीलाओं में हनुमान के पात्र का दायित्व निभाने वाले कलाकारों की फोटो सहित जानकारी प्रस्तुत कर रहा हूँ . आइये अब मिलिए इन जबलपुरिया हनुमानों से जो अपनी अभिनय कला से जनमानस का मन मोह लेते है .


श्री राम और वानर सेना लक्ष्मण सहित



राजेश तिवारी श्री गोविन्दगंज रामलीला में हनुमान के पात्र का अभिनय निभा रहे है.



श्री गोविन्दगंज रामलीला समिति जबलपुर

राजेश तिवारी चार वर्षो से इस समिति में हनुमान का अभिनय कर रहे है. उनका कहना है की हनुमान भक्ति से सब कुछ आसान हो जाता है . आप बी.सी.ए. द्वतीय वर्ष के छात्र है . गत वर्ष उनके पिता पैरालाइसिस से पीड़ित हो गए थे तो उन्होंने हनुमान जी से प्राथना की तो उनके पिता अच्छे हो गए. . पढ़ाई के साथ मंचन करना पड़ता है जो श्री राम की कृपा से पूरी हो जाती है . इस रामलीला समिति की स्थापना १६५ वर्षो पूर्व की गई थी . संस्कार धानी की सबसे एतिहासिक पुरानी रामलीला समिति मणि जाती है .



श्री धनुष यज्ञ रामलीला समिति सदर जबलपुर हनुमान का अभिनय श्री अग्निहोत्री जी
श्री रामलीला समिति सदर जबलपुरयहाँ का अग्निहोत्री परिवार के सदस्य दो पीढियो से हनुमान के पात्र का निर्वहन कर रहे है . यह परिवार इसीलिए भी प्रसिद्द है कि पिता हनुमान का और बेटा राम की भूमिका निभा रहे है .



श्री रामलीला समिति अधारताल जबलपुर




हे रावण तू राम का दास बनेगा तो अप्सराएँ निरखेगी...अन्यथा मरेगा मधांत तेरी लाश पर मख्खियाँ भिनकेगी .
रावण को समझाईश के लिए बोले गए हनुमान के इस संवाद से मंच पर सन्नाटा खिच जाता है . हनुमान का रोल श्री मनमोहन पांडे निभा रहे है वे पिछले २० वर्षो से इस रामलीला समिति में परसुराम सहित कई पत्रों का अभिनय कर चुके है . आप पेशे से उच्च न्यायलय में अधिवक्ता है .



श्री गिरिजाशंकर रामलीला समिति धमापुर में हनुमान के पात्र के रूप में श्री शिवमणि मिश्रा जी
श्री गिरिजाशंकर मन्दिर रामलीला समिति धमापुर जबलपुर

इस समिति में हनुमान की भूमिका श्री शिवमणि मिश्रा निभाते है . आप पेशे से शिक्षक है . श्री मिश्रा दस वर्षो से परसुराम और श्री हनुमान के पात्र का अभिनय कर रहे है . आपकी भगवान में आस्था है . व्यस्तता के बावजूद वे इस काम को भगवान का काम समझकर समय निकाल लेते है . आपकी बचपन से रामलीला में रूचि है. प्रभु श्री राम का गुणगान करते हुए कहते है " प्रभु रघुनाथ है दयानिधि वे अपनों को अपनाते है जो उनके शरणागत हो उसे गले लगाते है . उनसे मिलने की राह यही विश्वासी हो जाओ भइया . मंत्रो से जैसे सिन्धु आ जाते है कलश में है . भावना जो निर्मल हो तो भगवान भी भक्त के वश में आ जाते है "


श्री रामलीला समिति गोकलपुर जबलपुर हनुमान के पात्र का अभिनय करते भाई मगन लाल
श्री हरिहर रामलीला समाज गोकलपुर जबलपुर
श्री मगन लाल यादव इस समिति में अच्छी कद काठी के कारण हनुमान के पात्र का अभिनय कर रहे है वे बीस वर्ष से रामलीला समिति से जुड़े है . यह रामलीला समिति ९९ वर्षो पूर्व से स्थापित है .







श्री रामलीला समिति जबलिपुरम में हनुमान की भूमिका में श्री अभिषेक
श्री रामलीला समिति गढा जाबलिपुरम जबलपुर
पंडित अभिषेक शर्मा दरअसल पांडित्य के जरिये अपनी जीविका चलाते है . हनुमान के रूप में वे सातवी बार अपनी कला का प्रदर्शन करने जा रहे है . बताते है कि वे चार साल की उम्र में बजरंग बलि बने थे. उछलने कूदने के कारण उनके पैर में फैक्चर हो गया था . डाक्टरों ने बेडरेस्ट कि सलाह दी थी . पर उन्होंने श्री हनुमान जी के सामने एक नारियल रखकर प्राथना कि थी तो चमत्कारिक रूप से तत्काल उनके पैर से दर्द गायब हो गया फ़िर वे हनुमान बनकर मंच पर जमकर उछले कूदे . उनकी कद काठी हनुमान के पात्र के अनुरूप है . चाहे संजीवनी बूटी का प्रसंग हो या अहिरावन की कैद से राम लक्ष्मण को छुडाने का द्रश्य हो वे राम और लक्ष्मण इन दोनों पात्रो को अपने कंधे पर बैठाकर मंच पर अदभुत सम्मोहन पैदा कर देते है .

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4.10.08

तेरे चेहरे पर मेरी झलक कोई न देख ले, कसम है तेरे अश्को को शंकर बन पी लूँगा.

मेरा शहर है पत्थरो का फरियाद न कर
यार मेरे समय को तू बरबाद न कर.

यार बहुत बेहतर तन्हा दिल है.. मेरा
नाशाद हो जाएगा प्यार में दिल..मेरा.

मै मर जाऊंगा अपनी निगाहें न फेरो
किधर जायेंगे गर तुम साथ छोड़ दोगे.

तेरी जुल्फों का साया रहे मेरे चेहरे पर
गर जिंदगी मेरी फ़िर से संवर जायेगी.

गर किनारा न मिले भटकती कश्ती को
सब कुछ मिला पर तेरा साथ नही मिला.

मेरे कदम अब शोहरत की बुलंदी पर है
पर मेरी बांहों को तेरा सहारा न मिला.

तुम हमेशा खुश नसीब रहो दुआ है मेरी
यार जी लूँगा मै हंसकर तेरी जुदाई में.

तेरे चेहरे पर मेरी झलक कोई न देख ले
कसम है तेरे अश्को को शंकर बन पी लूँगा.

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3.10.08

रामलीला : अब मिलिए संस्कारधानी जबलपुर शहर के रावणों से

अब मिलिए संस्कारधानी जबलपुर शहर के रावणों से दशकंधर की लोकप्रियता निर्विवाद है . दक्षिण में उसे शिव आराधक व पांडित्यगत विशिष्ट गुणों की वजह से विशिष्ट पूज्य स्थान प्राप्त है . उत्तरभारत में वह अच्छा पात्र नही माना जाता है . इन सबके बावजूद जहाँ तक रामलीला का प्रश्न है आसुरी प्रवृति अंहकार और क्रोध के प्रतीक रावण के बिना दैवीय सदगुणों का महत्त्व स्थापित करना संम्भव नही है . किसी भी कहानी में या कथा में जबतक नकारात्मक चरित्र न हो तो दर्शक रोमांचित नही होते है .



मुझसा योद्धा मुझसा पंडित त्रिलोक में न कोई दूजा है
अपने शीशो को काट - काट मैंने शंकर को पूजा है


अब मिलिए संस्कारधानी जबलपुर शहर के रावणों से


हिन्दी नेट पर आप बहुत कुछ पढ़ते देखते है पर आस्था से जुड़े किस्से प्रसंग बहुत कम देख पढ़ पाते होंगे. नवरात्र के पर्व के साथ देश में रामलीला मंचन की धूम शुरू हो गई है . हर कथा कहानी या अन्य नाटको के मंचन को जनसमुदाय काफी पसंद करता है . मैंने भी सोचा कि मै अपने ब्लॉगर भाई बहिनों को जबलपुर रामलीला के रावणों और उनके पात्रो से परिचित करा दूँ . इस समय इन रावणों की बड़ी धूम चल रही है देखिये



श्री रामलीला समिति गोविन्दगंज - रावण के किरदार का रोल निभा रहे है श्री प्रमोद बाजपेयी

भगवान ने बचाया ब्रेन हेमरेज से

संस्कारधनि जबलपुर में गोविन्द गंज रामलीला का मंचन सन १८६५ से किया जा रहा है . इस समिति में रावण का किरदार निभा रहे खमरिया फेक्टरी में नौकरी करते है . सन २००६ में उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया था और उनका कहना है कि ईश्वर के आशीर्वाद से वे अच्छे हो गए . जबलपुर त्रिमूर्ति नगर निवासी श्री बाजपेई २३ वर्षो से इस रामलीला समिति से जुड़े है . राम का मंच पर असल विरोधी होने पर भी श्री बाजपेई असल जिंदगी में राम के अनन्य भक्त है . रामलीला की सम्रद्ध परम्परा में रावण का किरदार सबसे सशक्त माना जाता है .

श्री रामलीला समिति गढा जबलिपुरम - रावण के चरित्र को निभाते है श्रीकृष्ण शुक्ला
इस समिति से श्री शुक्ला जी २० वर्षो से जुड़े है . गढा निवासी श्री शुक्ला जी रोअगार कार्यालय में कार्यरत है . उनकी कद काठी दशानन के पात्र के लिए उपयुक्त है . रंगमंच जबलपुर के माध्यम से अपनी अभिनय कला के जलवे बिखेर रहे है . आप एक अच्छे रंगमंच कलाकार है .





श्री राघवेन्द्र रामलीला समिति झंडा चौक पुरवा - रावण के पात्र का निर्वहन कर रहे है श्री देवशंकर अवस्थी
श्री अवस्थी इस रामलीला समिति से गत ३२ सालो से जुड़े है और रावण के किरदार का रोल पिछले २४ सालो से बखूबी निभा रहे है . जव वे मंच पर जाते है उनकी रौबोली आवाज के मध्य दर्शको में श्वशारोधक वातावरण स्पष्ट देखा जा सकता है . उनके संवाद की एक झलक ........
अब अच्छा अवसर मिला है मै उनकी सारी नारियां चुराऊंगा और नर है तो उनसे अपना बदला ले लूँगा .
दमदार आवाज के कारण वे इस रोल को बखूबी से निभा रहे है .


श्री झंडा चौक रामलीला समिति पुरवा जबलपुर में रावण के पात्र का निभाने वाले श्री देवशंकर अवस्थी ने विगत वर्ष मानवहित में नेत्रदान करने का सराहनीय संकल्प लिया .







श्री गिरिजाशंकर मन्दिर रामलीला धमापुर - रावण का किरदार श्री महेंद्र शुक्ला निभाते है
रावण बनने वाले श्री शुक्ला जी कहते है कि बार वे रामलीला में सीता का हरण कर ले जा रहा था कि मंचन के दौरान उनकी नकली दाढी सीता की साडी के पल्लू में फंसकर फौरन निकल गई थी . दर्शको ने भी खूब ठहाके लगाये थे . उसके बाद से रामलीला का मंचन शुरू होने के छह माह पहले से शुक्ला जी अपनी असली दाढ़ी बढ़ाना शुरू कर देते है . वे बाई के बगीचा घमापुर रामलीला में गत पन्द्रह सालो से रावण के पात्र का अभिनय कर रहे है .



श्री धनुष यज्ञ रामलीला समिति सदर - रावण के पात्र का अभिनय करते है श्री सीता राम कुरचानिया
श्री कुरचानियाँ मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल के सेवानिवृत कर्मचारी है . वे अपनी बुलंद आवाज के लिए जाने जाते है और प्रदेशस्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुके है . वे सन १९८२ से इस रामलीला समिति से जुड़े है .



जबलपुर अधारताल रामलीला समिति के रावण श्री अजीत केवट.

1.10.08

जोग टाइम : मस्ती भरे ठिलठिले .....

जोग टाइम : मस्ती भरे ठिलठिले .....

एक टीचर अपने छात्रों को पढ़ा रहा था उसी बीच एक छात्र ने पूछा
सर आदमियो की मूंछे क्यो होती है ?
मास्साब बड़े चक्कर और उलझन में पड़ गए कि अब क्या जबाब दे
बोले यह प्रकृति का नियम है कि आदमी की मूंछे होती है . तब छात्र
बोला सर मै बताता हूँ कि आदमी की मूंछे क्यो होती है .
जिस प्रकार हम लिखते है और कोई महत्वपूर्ण चीज को अंडर लाइन
कर देते है . ठीक उसी प्रकार आदमी की नाक बड़ी महत्वपूर्ण होती है
इसीलिए भगवान ने मूंछे बनाकर नाक को अंडर लाइन कर दिया है .
....................

पुत्र माँ से - दे ख माँ जब मै पैदा न हुआ था तब तू ने मुझे देखा नही
था .
माँ - हाँ बेटा
पुत्र - तब तुमने मुझे पहचाना कैसे ?
..............

पुत्र - पिताजी एक मूंछो वाला व्यक्ति बाहर खड़ा है .
पिता - जाकर उससे कह दो हमें मूंछो की जरुरत नही है .
..............

टीचर - दो शादी करने के क्या परिणाम होते है ?
छात्र - एक समय में दो मालिको के आदेश माने नही जा सकते है .

................

29.9.08

उड़ने वाली दुर्लभ गिलहरी (पंखविलाब) के बारे में जाने.

एक ख़बर के मुताबिक स्तनधारी उड़ने वाली गिलहरी (पंख बिलाब) उमरिया जिले में लोगो के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है . बांधवगढ़ के दक्षिण में मैकल पठार के जंगलो में इस स्तनधारी दुर्लभ गिलहरी को देखने के लिए भारी संख्या में पक्षी प्रेमी जा रहे है . यह चमगादड़ की माफिक उड़ती है . वन्य जीव प्रेमियो के अनुसार यह दुर्लभ पक्षी सिर्फ़ मध्यभारत में पाया जाता है . देशभर में उड़ने वाले स्तनधारी पक्षियो की संख्या कम है . डिन्डोरी और उमरिया में इनकी मौजूदगी से सभी उत्साहित है . गिलहरी जैसे आकार का यह पक्षी चमगादड़ जैसे पंख लिए हुए है और इसे पंखविलाब भी कहा जाता है . .







यह सूर्यास्त के समय हलकी रोशनी हो तब निकलती है . दिन और रात में यह पेडो की डाली पर छिपाकर बैठी रहती है . एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर उड़कर जाती है . इसके तेज नुकीले दंत शिकार में मदद करते है . वन्यजीव विशेषज्ञों ने जानकारी दी है कि यह उत्तर भारत में दूसरी प्रजाति है . जबलपुर के जूलाजी म्युजिंयम में इसकी प्रतिकृति (अवशेष) मौजूद है . देखने में सुंदर यह उड़ने वाली गिलहरी १५०० फीट तक उडान भर सकती है . मध्यप्रदेश में यह प्रजाति बालाघाट और बांधवगढ़ में पाई जाती है .


फोटो अखबार से साभार-

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28.9.08

आज विश्व ह्रदय दिवस पर सचित्र कुछ शायरियां

मेरा दिल खुदा करे उनके दिल से न जाए
इसी दिल के बहाने मुलाकात होती रहेंगी .


सुबह नही शाम नहीमेरे इस दिल को आराम नही
लव पे तेरा नाम अमर है और किसी का नाम नही

कुछ खटकता तो है मेरे पहलू में रह रह
अब खुदा जाने तेरी याद है है या दिल मेरा .




हार्ट जब तक धड़कता रहेगा तब तक आपका जीवन सुरक्षित रहेगा इसे सुरक्षित रखे.



नोट करे.
(फोटो गूगल से साभार)
.........

23.9.08

इंसान प्यार में शायर क्यो बन जाता है ?

इंसान प्यार में शायर क्यो बन जाता है ? इसको लेकर लोगो ने तरह तरह के विचार व्यक्त किए है . विचार व्यक्त करने वालो के नाम न देकर देकर उनके नाम के बदले में अ ब स दे रहा हूँ . २० वर्ष से लेकर ७५ साल तक की आयु के लोगो ने इस मसले पर अपनी अपनी भावनाए जोरदार ढंग से व्यक्त की है . उनके विचार जाने और इन विचारो के साथ आपके क्या विचार है जरुर लिखे. इस पोस्ट के साथ साथ आपकी टीप पढ़कर भी पाठक गण जिसको पढ़कर लुफ्त उठा सके .

अ.प्यार में इंसान शायर बनकर अपनी प्रेमिका की तारीफ करता है ताकि उसकी प्रेमिका खुश रहे.

ब.भावनात्मक, अनुभूति,और अंतर्मन की अभिव्यक्ति का नाम ही शायरी है . इसी के बल पर इंसान प्यार को पाने की कोशिश करता है .

स.शायर यदि शायरी नही करेगा तो क्या काम करेगा .

ड. जब इंसान प्यार में डूबा होता है उसे शायरी का ध्यान नही रहता उसे अपनी चंदा का ध्यान रहता है.

इ प्यार अँधा होता है . प्यार को अमर बनाने के लिए इंसान शब्दों के ख्यालो में डूब जाता है तो वह शायर बन जाता है .

य. प्यार में कल्पना की उडान भरते भरते इंसान शायर बन जाता है .

ज. गुस्से में फायर और प्यार में शायर ही बन सकते है जनरल डायर नही बन सकते है.

प. प्यार में इंसान के मन मन्दिर में एक छबी बन जाती है उससे उसके मुखारविंद से शायरी के स्वर अपने आप फूटने लगते है .

फ. दिल में लगी आग या दिल का दर्द शब्दों के रूप में बाहर निकलने लगते है.

त. प्यार में इन्सान शायर बनाने के साथ साथ कायर बन जाता है उसे हरदम डर ही लगा रहता है.

ट. आपने शायद यह गाना सुना होगा " मै शायर तो नही " वरना ऐसा सवाल न पूछते.
. शायर बने बिना पता ही नही चलता कि इंसान प्रेम रोग से ग्रसित है.

मै शायर बदनाम मै तो चला.......प्यार में इंसान पपीहा बन कुछ भी करने को तैयार हो जाता है तो लोग कहते है बेचारा दीवाना हो गया प्यार में पागल हो गया तो शायर क्यो नही बन सकता .

22.9.08

खलबले बुलबुले चुटकुले

एक पहलवान को अपने भारी भरकम शरीर पर बड़ा नाज था वह
हमेशा सोचा करता था की कोई भी उसके भरी भरकम शरीर को
देखकर उसके शरीर को तो क्या उसके समान को भी कोई छू भी
नही सकता है . एक दिन वह शेरे पंजाब होटल गया . होटल के
पास में एक अखाडा था तो पहलवान की इच्छा हो गई चलो
अखाडे चल कर दडे बैठके मार ली जाए . उन्होंने होटल शेरे
पंजाब में एक खूटी पर अपना कोट उतार कर टांग दिया . और उस
कोट पर एक पर्ची लिखकर टांग दी कि इस कोट को कोई ले जाने
का प्रयास न करे - बहुत बड़ा भारी भरकम पहलवान .
अखाडे जे जब वह पहलवान दडे बैठके मार के जब वापिस लौटा तो
उसने देखा कि वह कोट गायब है और वहां बहुत बड़े अक्षरो में लिखा
था कि यह कोट मै ले जा रहा हूँ कोई पीछा करने का प्रयास न करे
- बहुत तेज धावक
...................

बच्चा अपने पिता से आज मै स्कूल नही जाऊंगा
पिता - क्यो बेटे ?
बच्चा - पिताजी कल हमारी स्कूल में मेरा वजन तौला गया था .
पिता - सिर्फ़ वजन ही तो तौला था कोई बड़ी बात नही है
बच्चा - कल मुझे तौला था आज वे मुझे बेच देंगे .

...................

21.9.08

सूचना अधिकार की उड़ रही धज्जियाँ : जानकारी मांगी किसी ने और भेज दी किसी और को : महिला एवं बाल विकास संचालनालय भोपाल का कारनामा ? देखे ब्लॉग प्रहार में,

सूचना अधिकार की उड़ रही धज्जियाँ : जानकारी मांगी किसी ने और भेज दी किसी और को : महिला एवं बाल विकास संचालनालय भोपाल का कारनामा ? देखे हिन्दी ब्लॉग प्रहार में
लिंक देखे और हिट करे
http://prhaar1.blogspot.com

पितरो का तर्पण जरुरी : नही तो रुष्ट हो जाते है

पितरो का तर्पण जरुरी : नही तो रुष्ट हो जाते है

शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक मनुष्य देवश्रण श्रषीश्रण और पितृश्रण से ग्रसित होता है . यज्ञवक्य आदि श्रशियो के अनुसार मनुष्य को इन तीनो लोको से मुक्ति का प्रयास करना चाहिए . शास्त्रों में इनके सरल उपाय भी बताये गए है . इसी कारण से तर्पण किया जाता है . पूर्व दिशा में देवताओ को उत्तर में मुनियो को (श्रषियो को) पच्छिम में महापुरुषों को और दक्षिण में पितरो को जल अर्पित किया जाता है . ज्योतिष के अनुसार पितृश्रण इन सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना गया है क्योकि पितरो के पुण्य कर्म और पुण्य अंश से हमारे उत्पत्ति हुई है और हमें संसार में स्थान दिया है जिनके कारण हम संसार की खुली हवा में साँस ले रहे है अतः हमारा पुनीत कर्तव्य है कि हम उनका स्मरण कर श्रद्धापूर्वक श्राध्द करे . जो पितरो का श्रध्दापूर्वक ध्यान स्मरण, तर्पण, श्राध्द नही करते उनसे पितृगण रुष्ट हो जाते है . जिस कारण से पारिवारिक कलह संकट दुःख दरिद्रता आशांति पीड़ा का सामना कारण पड़ता है .

जन्मकुंडली में सूर्य पिता और वृहस्पति संतान परिवार बड़े बुजुर्गो का कारक होता है . दोनों ग्रहों का नीच अल्प बलि पाप ग्रहों से ग्रसित होता है जो पितृ दोष का सूचक है जो पूर्व जन्म के पितृ श्रण के कारण इस जन्म को प्रभावित करते है . इस समय माँ नर्मदा के पवित्र तट पर हजारो की संख्या में लोग तर्पण करने पहुँच रहे है .

इस समय जबलपुर के किनारे माँ नर्मदा के तट पर हजारो की संख्या में गाँवो से दूरदराज के क्षेत्रो से लोगो का हुजूम एकत्रित हो रहा है जो पितृपर्व में पितरो के प्रति लोगो के श्रध्दा भावः को दर्शाता है . पितृपक्ष में पितरो के प्रति श्रध्दा भाव रखने और उन्हें जल तर्पण करने का सिलसिला हमारी भारतीय संस्कृति में सनातनकाल से चला आ रहा है .

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19.9.08

पुर्तगाली भाषा की कविता का हिन्दी भाषा में अनुवाद : खूबसूरत मित्रता

मेरी मित्र क्रिस्टीना डुग ब्राजील ने मुझे दो दिन पहले पुर्तगाली भाषा में कविता प्रेषित की है जिसका अनुवाद हिन्दी भाषा में आपके समक्ष प्रस्तुत है . कविता का नाम है "ख़ूबसूरत मित्रता" और "सुबह" जिसके लेखक अज्ञात है .

खूबसूरत मित्रता

इस दिन इस बिंदु मैं तुम से मिला नहीं था
लेकिन उस दिन मैं तुम्हारे साथ साँझा करने के लिए विद्वान
मेरी खुशी और गम.
जब मैं मुझ में पैदा हुई दोस्ती की भावना.

मुझे लगता है कि हमारे बीच में पैदा हुआ था
देख सकता था
एक खूबसूरत दोस्ती का एक सपना.
शब्द, जटिल है
वे क्या मतलब जानते है लेकिन जो
यह जो सिर्फ सत्ता की क्षमता है
अपनी ग़लतियाँ और गुणों का मूल्यांकन.

सच्ची दोस्ती है कि नहीं
यह अनन्त उद्देश्य है एक भावना है.
तुम्हारे साथ मेरी दोस्ती इतनी खास है
मुझे लगता है कि इसे महज शब्दों में समझा नहीं पाता हूँ .

जब भी मैं कहना चाहता हूँ
दोस्ती करने के लिए आप पसंद और महत्वपूर्ण दोस्त हैं .
आज तुम मेरे जीवन का हिस्सा हो,
दोस्ती के लिए भगवान का शुक्रिया
और तुम सच के साथ दोस्ती की खोज की.

एक बात है,मुझे कहना है कि मेरी दोस्ती है,
एक शुरुआत,मध्य और कभी खत्म नहीं होगी .
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सुबह

आपकी सुबह इतनी क्या जादुई है
सब परियों के जादू के रूप में ...
अपनी नाराज़गी इतना छोटी है
सबसे छोटी बूंद के रूप में ...

उनके पथ के रूप में स्पष्ट कर रहे हैं
इस नदी के जल में अधिक सपने देखे ...

उनकी वेशभूषा बहुत अच्छी हैं
सबसे महंगी ज्वेल के इच्छा के रूप में ...

उसकी अधीनता इतनी संवेदनशील है
सबसे अधिक प्राकृतिक शहद के रूप में ...

उसकी क्षमता को इसलिए मंजूरी दे दी है
आत्मा और अधिक आबादी वाले के रूप में ...

और हमारे स्नेह तो सच है
हमारी दोस्ती के रूप में है ...

लेखक-अज्ञात
अनुवाद - महेंद्र मिश्रा,जबलपुर.

कहानी : सीखने की पहली शर्त है पर्याप्त समय और धैर्यता

आज अखबार में एक बड़ी सुंदर कहानी पढ़ी जोकि काफी रोचक और प्रेरक है उसका साराश प्रस्तुत कर रहा हूँ .

एक युवक किसी भी कार्य को सीखने में हमेशा हडबडी करता था और इस हडबडी का परिणाम यह हुआ कि वह कोई भी काम पूरी तरह से सीख नही पता था . एक दिन वह सीखने की मंशा के साथ एक जौहरी के पास काम मँगाने गया और उसने जौहरी से कहा कि मै रत्न परखने का काम सीखना चाहता हूँ तो जौहरी ने उसे समझाया कि भाई तुम कोई दूसरा काम सीख लो रत्न परखने के काम को सीखने में काफी समय लगेगा . युवक ने उससे कहा कि वह इस काम सीखने कि इच्छा रखता हूँ और इस काम को सीखने में मै अपना पूरा समय दूंगा .

दूसरे दिन से युवक ने काम शुरू किया . जौहरी ने उसे एक पत्थर दिया और कहा इस पत्थर को तुम रख लो जब मै शाम को आऊंगा तुम इसे मुझे वापिस कर देना . शाम को जौहरी ने वह पत्थर उस युवक से वापिस ले लिया . इस तरह से जौहरी रोज सुबह उस युवक को इक पत्थर देता और शाम को आकार वह पत्थर उस युवक से वापिस ले लेता . इस तरह से कई दिन गुजर गए आखिरकार एक दिन वह युबक झल्ला गया कि सेठ रोज मुझे एक पत्थर देता है और वापिस ले लेता है बस मै दिन भर पत्थर संभाले रख रहता हूँ पर आखिर मै कुछ भी नही सीख रहा हूँ और अभी तक मुझे एक भी पत्थर की पहचान भी नही हुई है . वह युवक हताश होने लगा .

एक दिन वह तय कर दूकान पहुँचा और उसने दुकानदार को कहा कि सिखाना है तो तरीके से सिखाओ मै तुम्हारा पत्थर हाथ में लेकर .लिये दिनभर बैठा नही रहूँगा . अब मै कोई दूसरा काम सीखूंगा . जौहरी ने उसके हाथ में कुछ देना चाहा तो युवक ने लेने से इनकार कर दिया मुझे काम करना है . जौहरी ने मुस्कुराते हुए कहा कि तुम्हे काम ही दे रहा हूँ कहते हुए उस युवक के हाथ में एक हीरा तराशने के लिये रख दिया . जौहरी ने उस युवक से कहा कि भी काम को सीखने के लिये अब तुम में पर्याप्त धैर्य आ गया है . किसी भी कार्य को सीखने के लिये पर्याप्त समय देना सबसे जादा जरुरी है और साथ ही पर्याप्त धैर्यता और लगन का होना भी नितांत आवश्यक है . कोई भी कार्य सीखने में हडबडी नही करना चाहिए .

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18.9.08

शराबी कितने प्रकार के होते है ये भी जान ले

शराब पीने वाले को शराबी या दारुखोर कहा जाता है पर शायद किसी ने यह भी न सोचा होगा की शराबियो की कितने प्रकार की किस्म होती है . अब शराबी और दारुखोर के सन्दर्भ में अब जनाब आप अपनी धारणा बदल ले . ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियो ने शराबियो की नौ किस्मे खोज निकाली है कि कितने प्रकार के दारुखोर या शराबी होते है . आपको विदित हो कि ब्रिटेन में प्रतिवर्ष में शराब से हुई बीमारियो से निपटने के लिए २.७ अरब पाउंड खर्च करना पड़ते है . शराब कि लत से छुटकारा दिलाने के लिए वहां एक अभियान भी चलाया जा रहा है . शराबियो को लेकर शोध किया गया और शराबियो की नौ किस्मे खोज निकली है जिनका विवरण निम्नानुसार है -



सामाजिक और मनोव्यज्ञानिक पक्षों का अध्ययन करने के बाद पाया गया की ब्रिटेन में महिलाये ३५ यूनिट प्रति सप्ताह और पुरूष ५० यूनिट प्रति सप्ताह शराब पीते है .

१- मध्यम वर्गीय महिलाये और पुरूष ख़ुद को शांत करने के लिए शराब पीते है .

२- इसे नौकरीपेशा लोग जिनकी उम्र ४५ से ५९ के बीच होती है और शराब उनकी जीवन शैली में शामिल होती है .

३-ऐसे लोग जो समय कटाने के लिए शराब पीते है .

४- ऐसे लोग जो अन्य लोगो से मुलाकात करने और बातचीत करने के लिए शराब का सहारा लेते है .

५-निम्न मध्यम वर्गीय लोग जो समूहों में शराब पीना पसंद करते है .

६- कुछ लोग अत्यधिक तनाव के कारण शराब पीते है .

७- तलाकशुदा लोग जो चिन्ताओ से मुक्ति पाने शराब का सेवन करते है .

८-शराबखानों (पब) में अधिक समय बिताने वाले लोग .

९- ऐसे लोग जो शराबखानों को अपना घर समझ लेते है .

भाई ये तो रही किस्म अब यह पता नही है उनमे से कौन किस प्रकार का है . कृपया बुरा न माने . क्षमाप्राथी हूँ ये तो कलम की एक दरकार है कि भाई इससे...... बच लो,

चुलबुले चुटकुले आह वाह

राम दौड़ते हुए अपनी माँ के पास पहुँचा बोला माँ मै भी काम करूँगा
माँ - बेटा अभी तेरी काम करने की उम्र नही है अभी तू चौथी पड़ता
है .क्या काम करेगा .
राम - मै तीसरी कक्षा के बच्चो को पढाऊंगा
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ज़ज चोर से - क्या बात है तुम हमेशा मुन्नू के घर क्यो चोरी करते हो
चोर - जी मै उनका फैमिली चोर हूँ .
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शिक्षक- स्वर और व्यंजन में अन्तर बताओ
लल्लू - स्वर मुंह से बाहर निकाला जाता है जबकि व्यंजन एक बार मुंह
के अन्दर जाता है तो फ़िर बाहर नही निकालता .
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एक बार पंडित जी ने हवन कर बच्चे को लड्डू दिया और कहा बेटा
इसे हवनकुंड में डालते हुए बोलो स्वाहा
बच्चे ने मुंह में लड्डू डालकर कहा आहा .
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नदी के किनारे तीन अध्यापक (अलग अलग विषय के गणित भौतिकी
और रसायन के) एक साथ बैठे थे .
गणित का अध्यापक - मै इस नदी की गहराई नाप कर आता हूँ ऐसा
कहकर वह नदी में कूंद गया.
भौतिकी का अध्यापक - मै इस नदी का घनत्व नाप कर आता हूँ
कहकर वह नदी में कूद जाता है .
बड़ी देर का दोनों अध्यापक वापस नही लौटते है
तो रसायनशास्त्र का अध्यापक गुनगुनाते हुए कहता है लगता है दोनों
धुलनशील है .

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शिक्षक - मैंने चोरी की है इसका भविष्यकाल बताओ ?
छात्र - आप जेल जावेंगे सर

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17.9.08

आज उनकी ही तस्वीर मेरे दिल में ही बसेगी .

उनकी ही तकदीर दिल की कलम से लिखेंगे
आज उनकी ही तस्वीर मेरे दिल में ही बसेगी .

अब किसी से न मिलेंगे हमने दिल में ऐसा ठाना
पर क्या करे हम जी से लाचार हो जनाब हम.

इस दिल को आराम नही सुबह नही शाम नही
लबो पे तेरा नाम लिखा है और किसी का नही.