26.1.09

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ देश प्रेम भक्ति से जुड़े कुछ गीत



आज के दिन हमारे देश का संविधान बनाया गया था यह बात दुहराने की नही है सभी को विदित है . आज के समय में बदलते घटनाक्रमों के परिपेक्ष्य में हम सभी भारत वासियो को यह सोचना चाहिए कि क्या हमारा देश और हमारा गणतंत्र सुरक्षित है . सभी को देश की आन बान शान के लिए मातृभूमि को सर्वस्य निछावर और बलिदान करने का संकल्प लेना चाहिए . हम अपनी मातृभूमि के श्रणी है जिसने हमको जन्म दिया यह नही भूलना चाहिए .

मेरी खुशी इस पर्व पर दुगनी हो जाती है गणतंत्र दिवस के दिन मेरे छोटे भाई की बच्ची आयुषी "मिनी" का 7 वां जन्मदिन है . बहुत ही तेज नन्ही सी डांस से पढ़ाई लिखाई तक हमेशा शील्ड पुरस्कारों से नवाजी जाती है जो मुझे दादा संबोधित करती है . बचपन से ही उसे जन्मदिन के अवसर मै एक राष्ट्रीय तिरंगा झंडा उपहारों के साथ देता हूँ .इस पुनीत पर्व के पावन अवसर पर कुछ लोकप्रिय गीत जिन्हें सुनकर पढ़कर देशप्रेम का जज्बा पैदा होता है और नसों में खून दौड़ने लगता है . आप सभी को बाँट रहा हूँ .




जागेगा इंसान जमाना देखेगा
नवयुग का निर्माण जमाना देखेगा
देवता बनेगे मेरे धरती के प्यारे
हम सुधरे तो जग को सुधारे
चमकेगा देश हमारा मेरे साथी रे
आँखों में कल का नजारा मेरे साथी रे
धरती पे भगवान ज़माना देखेगा
जागेगा इंसान ज़माना देखेगा

मिल जुल के होंगे सारे खुशियों के मेले
कोई न रो पायेगा देख में अकेले
जागेगा देश हमारा मेरे साथी रे
आँखों में कल का नजारा मेरे साथी रे
कल का हिन्दुस्तान जमाना देखेगा
जागेगा इंसान ज़माना देखेगा
*


वह शक्ति दो हमें दयानिधि कर्तव्य मार्ग पर चढ़ जावे
पर सेवा का उपकार में हम निज जीवन सफल बना जाए

हम दीन दुखी निबलो विकलो के सेवक बन संताप हरे
जो हों भूले भटके बिछुडे उनको सारे ख़ुद तर जावें

चल द्वैष दंभ पाखंड झूठ अन्याय से निशदिन दूर रहे
जीवन हों शुद्ध सरल अपना शुची प्रेम सुधा रस बरसायें

निज आन मान मर्यादा का प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे
जिस देश जाति में जन्म लिया बलिदान उसी पर हों जायें
*

हम बदलेंगे युग बदलेगा यह संदेश सुनाता चल
आगे कदम बढाता चल बढ़ता चल बढाता चल

अन्धकार का वक्ष चीरकर फूटे नव प्रकाश निर्झर
प्राण प्राण में गूंजे शाश्वत सामगान का नूतन स्वर

तुम्हे शपथ है हृदय हृदय में स्वर्णिम दीप सजाता चल
स्नेह सुमन बिखराता चल तू आगे कदम बढाता चल

पूर्व दिशा में नूतन युग का हुआ प्रभामय सूर्य उदय
देवदूत आया धरती पर लेकर सुधा पात्र अक्षय

भर ले सुधापात्र तू अपना सबको सुधा पिलाता चल
शत शत कमल खिलाता चल तू आगे कदम बढाता चल

ओ नवयुग के सूत्रधार अविराम सतत बढ़ते जाओ
हिमगिरी के ऊँचे शिखरों पर स्वर्णिम केतन फहराओ

मंजिल तुझे अवश्य मिलेगी गीत विजय के गाता चल
नव चेतना जगाता चल तू आगे कदम बढाता चल
*
गणतंत्र दिवस के अवसर पर आप सभी ब्लॉगर भाई बहिनों को मेरी अनेकानेक शुभकामनाये और बधाई.

महेन्द्र मिश्र
जबलपुर.

22.1.09

तीसरी आँख से - * वन मैन शो *

यदि किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व और कृतित्व असाधारण होता है तो सभी उसका नेतृत्व स्वीकार कर लेते है और उस व्यक्ति के हर आदेश को स्वीकार कर लेते है ऐसे व्यक्ति के कार्य को * वन मैन शो * कहा जा सकता है.

परन्तु इसके विपरीत कुछ विशेष वर्ग में इस तरह के आदमी पाये जाते है जो उस वर्ग के सदस्यों से आपस में परामर्श किए वगैर अपनी मनमर्जी करता है और अपनी अहमियत साबित करने के लिए कुछ भी कार्य करता है जबकि वह समझता है कि उस वर्ग समुदाय के लोग उसकी बात मानेगे और उसके हर कार्य में सहमति देंगे और उसे वाहवाही मिल जावेगी परन्तु जो कार्य वह अपनी मनमर्जी से कर रहा होता है उससे वर्ग समुदाय के लोग खुश नही रहते है और उसे दिल से वाहवाही नही देते है .. .. ऐसे व्यक्ति का कार्य * वन मैन शो * नही कहा जा सकता है और भविष्य में आदर के पात्र नही होते है ...
इस बारे में हर आदमी के अलग अलग विचार हो सकते है ...

18.1.09

अपने गेसुओ के साए में गुलो की छाँव को दिल से बनाए रखना



महफ़िल सितारों की देखकर प्यार के महफ़िल की याद आती है
फलक में उस चाँद को देखकर महबूबा की दिल से याद आती है.

*

अपनी वफ़ा को सीने में लगाकर हम यह ठिकाना छोड़ चले है
न मंजिल की ख़बर और न राहो की ख़बर फ़िर भी मुसाफिर है.

*

अपने गेसुओ के साए में गुलो की छाँव को दिल से बनाए रखना
अमानत दी है मैंने तुझे तुम अपने दिल में दिल से संजोये रखना.

*

महेंद्र "निरंतर"

15.1.09

व्यंग्य मच्छर नामा : मेरी कर्णप्रिय भुनुर भुनुर आवाज सुनो.

मै हूँ मच्छर जैसा आप सभी को मालूम है कि मै गलियो कूंचों या सीधे ये कहे कि मै सभी जगह का बेताज बादशाह हूँ . अभी तक नेट पर अपने तरह तरह की मेरे बारे में कविताएं व्यंग्य पढ़े पर मै आज आपको अपनी आवाज की गति के बारे में जानकारी दे रहा हूँ . मेटिंग के पहले आपको आपके कान के पास में मै और मेरी मादा (पत्नी) भुनुर भुनुर मधुररम गीत जो आपके कानो को अप्रिय लगते है ...... सुनाया करते है .





आप क्या भुनुर भुनुर गीत के बारे में जानते है असल में यह मच्छरों का प्रेम गीत है . जब मै और मेरी मादा एक साथ इकठ्ठे होते है तब हम दोनों मिलकर प्रेम गीत गाते है इसी को भुनुर भुनुर गीत कहते है . जब हम दोनों कुछ ही सेंटीमीटर की दूरी पर होते है तो एक दूसरे को पटाने के लिए कर्णप्रिय संगीत भुनुर भुनुर कर पैदा करते है और एक दूसरे से बातचीत करते है . यदि मै भुनुर भुनुर न करूँ तो रानी पटेगी कैसे ?



मेरी मैडम मच्छर के पंख फडफडाने से जितनी ध्वनि होती है उससे भी तेज गति की आवाज अपने कंठ से प्रेम विरह में पीड़ित होकर निकलती है . मेरी मैडम मच्छर एक सेकेण्ड में ४०० हर्टज की गति से आवाज निकालती है और मै एक सेकेण्ड में ६०० हर्ट्स की गति से आवाज निकालता हूँ . अब मेरे सुनने वाले अंगो में विशेष प्रकार के भाई लोगो ने यंत्र फिट कर दिए है और मेरी भुनुर भुनुर आवाज विशेष माइक्रोफोन से सुनी गई है .

अंत में दो टूक

यदि आप जल्दी जल्दी खाते है और इंतजार करते करते जल्दी उदास हो जाते है . हर काम के लिए सदा हडबडी करते है तो सावधान आपको हाई ब्लड प्रेसर या दिल का दौरा पड़ सकता है . अपनी आदतों में सुधार लाये और अपनी जीवन की दिनचर्या में परिवर्तन करे जो आपको रोगों से दवाओं से निजाद दिला सकती है .

हरी ॐ

12.1.09

कुछ अंदाज़ आपके लिए



आज सोचा कि जबाब क्या भेजू
आप जैसे दोस्त को ख़िताब क्या भेजू
कोई फूल हो तो नही मालूम
जो ख़ुद गुलाब हो उसे गुलाब क्या भेजू
महक इश्क़ की कम नही होती
ज़िंदगी से उसकी ख़ुशबू कम नही होती
साथ अगर हो आप जैसा दोस्त
तो ज़िंदगी जन्नत से कम नही होती
कुछ लोग बहुत ख़ास होते है
हर पल दिल के पास होते है
ख़ुशी हो या ग़म वे सदा साथ रहते है
लोग उन्हे दोस्त हम उन्हे आप कहते है.
आपके ख़्यालो से फ़ुरसत नही मिलती
हमे एक पल राहत नही मिलती
मिल तो जाता सब कुछ
पर आपकी झलक नही मिलती
सुना है कि आपकी एक स्माईल
पर सभी फ़िदा हो जाते है
सो कीप स्माईलिंग
रिड्यूस दा पापुलेशन
रिश्ता एक ऐसा होना चाहिए
जो हमे अपना जान सके
हर दर्द को जान सके
चल रहे तेज़ बारिश मे साथ हम
फिर भी वो पानी मे हमारे
हर आँसू को पहचान सके.

लेखक-अनाम(मालूम नही)

9.1.09

एक हम है जो रास्ते भूल जाते है



हमें रास्ते चलने की सीख देते है
एक हम है जो रास्ते भूल जाते है.
रास्ते हमें मंजिल तक पहुंचाते है
रास्तो को पीछे हम छोड़ आते है.

******

वादा खिलाफी की कोई हद है
हिसाब दिल में लगा कर देखो.
अगर मेरा ही दिल तोड़ना था
मुझसे प्यार- इजहार न करते
**********

6.1.09

मेरे बाद जमाना क्या पूछेगा कभी उसको

दोनों की किस्मतो का आज फैसला होगा
एक तरफ़ जमाना है एक तरफ़ मोहब्बत.

तुम अक्सर उलझी जुल्फों को सुलझाती हो
कभी तुमसे उलझी हुई किस्मत सुलझेगी.

किस्मत कहाँ.. मै उड़कर पहुँचू बहारो तक
कभी दिल में कभी गुलिस्ता को झांकता हूँ.

अपनी धुन में आज दुआ को भी भूल गया
नामे खुदा भूल गया वो जब करीब मेरे आये.

मेरे बाद जमाना क्या पूछेगा कभी उसको
उसकी दुनिया मै अपने साथ ले जा रहा हूँ.

4.1.09

व्यंग्य : आओ ब्लॉगर भाइओ : पजामा गेम की तर्ज पर पेंट चड्डी बनियान गेम खेले

आज सुबह सुबह अखबार पढ़ रहा था तो नजरे ठिठक गई . लेडीज काँलम में लिखा था ऑनली फार लेडीज . यह पढ़कर मेरी तीसरी इन्द्री सक्रिय हो गई सोचा जरुर की फंडे वाली चीज होगी वैसे आदमियो का मन महिलाओं के बारे में क्या खास लिखा है पढ़ने को उत्सुक हो जाता है .
अपुन ने भाई कुनकुनी धुप का आनंद लेते हुए पढ़ना शुरू किया जो पढ़ा सो आपकी नजरे इनायत कर रहा हूँ और आप सभी को पढ़ा हुआ बाँट रहा हूँ.
पाजामा पार्टी

पाजामा पार्टी की थीम दूसरी पार्टियो से कुछ हटकर होती है . इसमे उपस्थित महिलाओं को यह लगे कि जिंदगी ख़ूबसूरत है और बहारो से लदी फदी है . पाजामा पार्टी के बारे में आप यह समझ रहे होंगे कि इस पार्टी में बेहूदी हरकत होती होगी . इस पार्टी में पाज्मे नही पहिने जाते . पाजामा कही का आदि आदी .... क्योकि हमारे देश भारत में पजामे को पजामे की संज्ञा दी जाती है .
इस पार्टी की शुरुआत अमेरिका में हुई . इस पार्टी का चलन अमेरिका में काफी पुराना है . ये पार्टियाँ होटल रिसोर्ट आदी में आयोजित की जाती है . इन पार्टियो का माहौल बिंदास होता है . इन पार्टियो में महिलाओं को न रोटी ठोकने की दिक्कत और न घर की झंझट एक प्रकार से कोई टेंशन नही होता है . इन पार्टियो में गेम्स नाच गाना किटी पार्टी सैर सपाटा और खाने पीने का भरपूर इंतजाम रहता है .
खाने पीने की बात पे मुंह में पानी आ गया वाह साब मै भी सम्मिलित होता .
आगे ......इन पार्टियो में महिलाए सिर्फ़ पर्सनल बातें आपस में बांटती है . खूब खाती पीती है खूब होहल्ला करती है फ़िल्म देखती है . मस्ती करती है यानि की कुल मिलकर हंगामा और मोजा मोजा करती है , अलग अलग आयु वर्ग की महिलाए अलग अलग ग्रुप में पार्टियाँ करती है यानि की कुल मिलाकर जिसकी पटरी जिस से सेट हो जाए ..इसमे सिर्फ़ महिलाये ही शामिल होती है
युवतियां रूटीन वर्क ऑफिस वर्क बोरियत और एकांकीपन दूर करने करने के लिए तनावमुक्त होने की इस तरह की पार्टियाँ करती है . इस प्रकार की पाटियो के बढ़ते हुए चलन अब युवको और बुजुर्गो के लिए कौतुहल साबित हो रहे है .
अब आये मुद्दे की बात पर
ऑनली फार जेंट्स
: आओ ब्लॉगर भाइओ :ऑनली फार जेंट्स : : आओ ब्लॉगर भाइओ : पजामा गेम की तर्ज पर पेंट चड्डी बनियान गेम खेले

ये पढ़कर मेरे मन में एक विचार आया है कि हम ब्लॉगर भाई भी अपने रूटीन वर्क ऑफिस वर्क और कई कामो से लगातार बोर हो जाते है . घर का भार साल भर ढोते ढोते तनावग्रस्त हो जाते है . एसा लगता है कि अब बड्डे भाग लो और कही दूर वनवास चले जाओ.
फ़िर लगता है कि हमें अपने दायित्वों का निर्वहन करना है ......फ़िर टट्टू की तरह जुट जाते है और अति बोरियत महसूस करते है तो अब भागने की जरुरत नही है अपुन ब्लॉगर भाई भी तनाव दूर करने के लिए एकजुट होकर पजामा गेम की तर्ज पर पेंट चड्डी बनियान गेम खेले .
इसमे सिर्फ़ पुरूष शामिल होंगे . नाचेंगे कूदेंगे खायेंगे पियेंगे और ऐश करेंगे क्या . खूब होहल्ला करेंगे . इस गेम में कोई अपनी व्याहता(wife) को साथ लेकर नही आवेगा जिससे ९० परसेंट तक तनाव निश्चित दूर होने की गारंटी रहेगी.रिमार्क - हे भगवान अब दुनिया में क्या देखना बदा है ... हा हा हा.

चलो २0०९ के कुछ रोचक फोटो ..अखबार से साभार



गुरुकुल के छात्र पढ़ाई छोड़कर अब टार्जन बनने का अभ्यास कर रहे है.
२१ वी सदी में भी पानी कुछ इस तरह से मिल रहा है.

समाचार के साथ कुछ अपने विचार जोड़कर व्यंग्य रूप देने का छोटा सा प्रयास किया है.
महेंद्र मिश्रा
जबलपुर.

30.12.08

ओह : ब्लागिंग का नशा : दो वर्ष कट गए पता ही नही चला

इस तरह से मंजिले मकसद तक पहुंचे है
काँटों भरी राह को हमसफ़र समझा है.


एक समय अखबारों में पढ़ा था कि इंटरनेट पर ब्लाक्स के माध्यम से आप अपने विचार स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्त कर सकते है . घर में लगे नेट का फायदा उठाया और स्वयं का ब्लॉग बनाने में जुट गया आखिरकार भारी जद्दोजहद के बाद ब्लॉग बना लिया . मेरे परिजन प्रकाशक थे . सैकडो लाखो किताबे प्रकाशित होती थी . बचपन से लेखन की प्रेरणा मुझे अपने परिवारवालों से मिली है. लिखने का शौकीन मै बचपन से रहा हूँ . अखबारों में लेख कहानी आदि सामायिक समस्या पर अपने विचार रखता रहता था उसके पश्चात मध्यप्रदेश जनहित संरक्षण समिति का संयोजक होने के नाते अखबारों में जमकर विज्ञप्ति बाजी की . विज्ञप्ति बाजी का काम भी आखिरकार बोरियत भरा लगा उससे भी उब गया .

इंटरनेट पर अपना ब्लॉग क्या बना लिया जैसे डूबते को एक तिनके की रोशनी दिखाई दे गई हो. सबसे पहले समयचक्र ब्लॉग बनाया . सबसे पहले मेरे ब्लॉग पर उड़नतश्तरी और उन्मुक्त जी आए और उन्होंने ब्लॉग हिन्दी में लिखने के लिए मेरी हौसलाफजाई की उसके बाद से मै निरंतर हिन्दी भाषा में निस्वार्थ भावः से इस भावना के साथ कि ब्लागलेखन को मुझे व्यवसाय नही बनाना है और न ही ब्लॉग के माध्यम से कोई कमाई करना है. ईश्वर ने मुझे जीवन यापन करने हेतु काफी कुछ दिया है बस उद्देश्य यह कि हिन्दी भाषा का परचम सारी दुनिया में लहराए . सारी दुनिया के लोग हिन्दी भाषा पढ़े और हमारी भाषा का स्थान सर्वोपरि हो . करीब पॉँच हजार लोग हिन्दी भाषा में ब्लॉग लेखन कर रहे है जोकि विश्व में काफी रूचि चाव के साथ पढ़े जाते है .

ब्लॉग लेखन के दो वर्ष पूरे होने के दौरान मैंने अनुभव किया कि ब्लाक्स एक दूसरे को जानने और एक दूसरे के विचारो को जाने के अच्छा माध्यम है . दो वर्षो के दौरान मेरी अनेको ब्लागरो से टेलीफोनिक बात हुई और कई ब्लागरो से मेल मुलाकात भी हुई . कई ब्लागरो से भाई चारा सम्बन्ध भी स्थापित हुए . भाई समीर लाल "उड़नतश्तरी", ज्ञानदत्त जी पांडे, राज भाटिया जी , दीपक भारतदीप जी, अरविन्द मिश्रा जी, रंजू जी, जाकिरअली रजनीश जी, विवेक सिग जी, पी.एन सुब्रमनियम जी, नीरज गोस्वामी, सुनीता शानू जी, कुमार धीरज जी, डाक्टर अनुराग जी, दिनेशराय जी द्विवेदी, परमजीतसिह बाली जी, स्मार्ट इंडियन, नीतेश राज जी, अनिल पुसादकर जी, भाई संजीव तिवारी जी, डाक्टर अमर कुमार जी, सीमा गुप्ता जी, प्रीती वर्थवाल जी, भाई प्रेमेन्द्र प्रताप सिह जी, अभिषेक ओझा जी, कुश जी ,रतन सिह शेखावत, मोनिका दुबे जी (भट्ट),मनुज मेहता जी , धीरु सिह जी, महक, अजय कुमार झा, विनय जी , अर्श जी, संगीतापुरी जी, अशोक "मधुप" जी , योगेन्द्र मौदगिल जी, प्रदीप मनोरिया जी, विष्णु बैरागी जी, अमित जी, सचिन मिश्रा जी, सुनीता शानू जी, रचना जी, राहुल सिद्धार्थ जी, शोभा जी, रंजना (रंजू )भाटिया जी, डाक्टर भावना जी, आशा जोगलेकर जी, रश्मि प्रभा जी, नारद मुनि जी, डाक्टर उदय मणि कौशिक जी, श्रद्धा जैन जी, जितेन्द्र भगत जी, मकरंद जी, एस.बी. सिह ,मानविंदर जी, पारुल जी, डाक्टर चन्द्र कुमार जी जैन जी, घुघूती बासूती जी ,अनूप शुक्ला जी और जबलपुर शहर के स्थानीय ब्लॉगर भाई विजय तिवारी "किसलय" जी, भाई सुशांत दुबे 'लाल और बबाल " जी, राजेश कुमार दुबे जी "डूबेजी",भाई पंकज स्वामी जी "गुलुस" आदि ब्लॉगर समय समय पर मेरे ब्लॉग पर आकर टीप /अभिव्यक्ति प्रदान कर मेरा मानसिक मनोबल बढाते रहते है जिसके फलस्वरूप ब्लॉग लेखन में मेरी निरंतर रूचि बढ़ती ही गई है.

नौकरी के उपरांत मुझे जो समय मिलता है उसका मै भरपूर उपयोग ब्लॉग लेखन में कर लेता हूँ . बर्तमान में मै "समयचक्र" "निरंतर" और प्रहार लिख रहा हूँ और भरसक प्रयास करता हूँ कि अच्छी कविताये, सामायिक लेख, व्यंग्य आदि इन ब्लागों के माध्यम से प्रस्तुत करूँ . ब्लॉग लेखन के दो वर्ष पूर्ण होने पर मै आप सभी का आभारी हूँ कि आपकी उत्साहवर्धक अभिव्यक्ति/विचारो से/ टीप से निरंतर ब्लॉग लेखन में मेरा मानसिक संबल बना रहा है जिसके फलस्वरुप मै दो वर्ष सफलतापूर्वक पूरे कर सका हूँ जिस हेतु आप सभी धन्यवाद् के पात्र है और मै आप अभी का आभारी हूँ और आप सभी से अपेक्षा करता हूँ कि भविष्य में भी आप सभी इसी तरह से उतासहवर्धन और अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करते रहेंगे. ब्लागजगत से जो प्यार और सहयोग मुझे मिला है उसे द्रष्टिगत रखकर मै यही कहना चाहूँगा

जीना यहाँ मरना यहाँ
इसके सिवाय जाना कहाँ
तुम मुझको आवाज दो
हम है यहाँ हम है यहाँ



नववर्ष की हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई और आने वाला वर्ष आपके जीवन में खुशियाँ बरसाए . आपका जीवन वैभवपूर्ण रहे और सुख सम्रद्धि लाये.

महेंद्र मिश्राजबलपुर.