8.1.10

बाकी कुछ बचा तो मंहगाई और सरकार मार गई...

जनता ने इन पर विश्वास जताकर इन्हें जिताकर ताज ए तख़्त पर बैठाया और उम्मीद की सरकार से उन्हें राहत मिलेगी क्योकि चुनावों के पूर्व इन नेताओं ने भारी भारी राहत पैकेजों की घोषणा की थी . सरकार बनते ही जिस तरह से मंहगाई ने तांडव नृत्य कर अपना असर दिखाना शुरू किया तो उसने जनता जनार्दन की कमर ही तोड़ कर रख दी . पहले दाल ने अपना असर दिखाया जिससे सबकी दाल पतली हो गई और मंहगी होने के कारण गरीबो के घर में गल नहीं रही है . पिछले साल शक्कर के मूल्य भाव २७ से २८ रुपये प्रति किलोग्राम थे आज अचानक शक्कर के मूल्य ४५ रुपये पचास पैसे हो गए है और सुनने में आया है की शक्कर के भाव पचास रुपये तक करने की साजिशे की जा रही है .

सरकार की त्रुटी पूर्ण नीतियो के कारण पूरा मार्केट बुरी तरह से वायदा बाजार और सटोलियो के चंगुल में फंस गया है . सटोलियो और बिचौलियो द्वारा भरी स्तर पर की जाने वाली कमीशनखोरी के चलते बाजार में आवश्यक वस्तुओ की कीमतों में भारी वृद्धि हो रही है . बढ़ती मंहगाई को नियंत्रित करने में सरकार हर मोर्चे पर असफल साबित हो रही है जिसका खामियाजा जनता जनार्दन को भुगतना पड़ रहा है .

जबलपुर शहर में दूध के रेट एक साल पहले करीब पंद्रह से सोलह रुपये लीटर थे और दूध माफियो के चलते आज जबलपुर शहर में दूध २८ रुपये लीटर बेचा जा रहा है और उसे इस माह से तीस रुपये लीटर बेचे जाने की कोशिशे की जा रही है . दूध जो बच्चो का आवश्यक आहार निवाला है क्या वो भी मंहगा होने के कारण बच्चो को नसीब नहीं होगा . यह सब देखकर दुःख होता है . क्या सरकार ने गांधारी की तरह आँखों में पट्टी बांधकर व्यापारियो को खुली छूट दे दी है की तुम रेट बढाओ हम तुम्हारे साथ है . सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है .

अब समय आ गया है की जब निर्वाचित जनप्रतिनिधियो को जनता के सुख दुःख की परवाह नहीं है तो बढ़ती मंहगाई के खिलाफ जनता जनार्दन को खुद आगे आना होगा वरना इसके परिणाम भुगतने तैयार रहना होगा . मंहगाई एक ऐसा मुद्दा है जिसका असर सब पर पड़ता है इसीलिए हम सभी को इस मसले पर सजग रहना चाहिए और हर हाल में बढ़ती मंहगाई के खिलाफ आन्दोलन करना चाहिए .

आलेख - महेन्द्र मिश्र
जबलपुर

कागज के पुराने टुकड़ो से - औरो को सताने वाले खुद चैन नहीं पाते हैं...

आज पुराने चंद कागज मिले उसमे मेरी खुद की लिखी रचना मिली . यह रचना मेरे द्वारा उस समय लिखी गई थी जब पंजाब और कश्मीर में आतंकवाद चरम सीमा पर था. आपकी सेवा में आज प्रस्तुत कर रहा हूँ.

औरो को सताने वाले खुद चैन नहीं पाते हैं
औरो को जलाने वाले भी खुद जला करते हैं.
गरीबो के घरौदे जलाकर तुम्हे क्या मिलता है
गरीब की आह हर मोड़ पे तुझे बरबाद कर देगी
गुरुर है तो खुद अपना आशियाँ जलाकर देखो.
ऐ मानवता के दरिन्दे महेंद्र तुझे सलाह देता है.
शांति मिलेगी गरीब की कुटिया सजाकर देखो.
तुम औरो को बेवजह जलाकर खुद न जलो
मानवता के पुजारी बन चैन की वंशी बजाओ.

कागज के पुराने टुकड़ो से -
रचनाकार - महेंद्र मिश्र .

5.1.10

पुराने कागज के चंद टुकड़ो से - "उनकी यादो में,अब हम विरह गीत गाने लगे हैं"

उनकी यादो में,अब हम विरह गीत गाने लगे हैं
ख्यालो में और किताबो में, उनको पाने लगे है.

वहां उनका दिल धड़कता है, याद यहाँ आती है
वो परेशान दिखती है,दिल से जान निकलती है.

इस तन्हाई में, कोई दिल को आवाज दे रहा है
किसकी आवाज गूँज रही है, इस सूने अंगना में.

दूर रहकर भी मुझसे वो भी दिल से परेशान है
उनका नाम भी शामिल है, अब मेरी रुसवाई में.

4.1.10

श्री श्री बाबा शठाधीश जी महाराज और लंगोटा नंदजी महाराज का लंगोट गुमने का प्रसंग

श्री श्री बाबा शठाधीश जी महाराज ने कहा ... अलख निरंजन बच्चा !
हमारी लंगोटी कहाँ है ? कितनी सर्दी पड़ रही है ।
लोग अब बाबाओं से ही मजाक करने लगे हैं ।
अलख निरंजन



लंगोटा नंदजी महाराज ने कहा - अरे कोई पहलवान भक्त है तो आओ और इन शठाधीश बाबा को उठाकर सात समंदर पार पटककर आओ, मेरा जीना हराम कर रखा है,
हमारी दुकानदारी को बर्बाद करने की कसम खा रखी है, इन चिलमखोर बाबा ने !

अरे बाबाओं अपनी लंगोटी कहाँ ख़ोज रहे है आप आपके दस मीटर के बड़े लंगोट तो इनने पहिन रखा है . कहो तो इन पहलवानों को आपकी देखरेख के लिए बुलवाया जाय ....


2.1.10

अब नेट के बाबाओं पर स्टिंग आपरेशन.... आज श्री श्री लगोटा नन्द और ताऊ और श्री श्री बाबा शठाधीश जी, बाबा बालकनाथ त्रिकालज्ञ महाराजो, गोदियाल जी और राज भाटिया जी के बीच हुई गरमागरम बहस (टीप) पर एक नजर ....

आज सुबह से मै नेट के बाबाओ की और अपनी सूक्ष्म नजर रखें था . आज इन बाबाओं के बीच जो नेट में संबाद या यौ कहे बहस हुई . उसको पढ़कर बहुत आनंद आया और लगा की नेट भी बाबाओं का एक अखाडा सा बन गया है .... इनके रोचक कमेंट्स पढ़कर तबियत हरी भरी हो जाती है ..... इनके बीच आपस में शालीनतापूर्वक शब्दों में जो कमेंट्स हुए तो लगा की ये बाबा लोग भी हिंदी ब्लागिंग को रोचक बना देंगे . देखिये इनकी रोचक आपस में एक बहस....



लंगोटा नंद ने श्री श्री बाबा शठाधीश जी से कहा - अलख निरंजनबाबा लंगोटानंद जी, आपको क्या पता लंगोटी चोरी होने का दर्द, हम तो ऐसे ही घुम रहे हैं। ठंड इतनी ज्यादा है कि चिलम पीना ही पड़ता है । नही तो....

लंगोटा नंद ने श्री श्री बाबा शठाधीश जी महाराज से कहा - आप हम पर शक न करें, हम तो एक मात्र लंगोट सहित पैदा हुए हैं , ब्लॉग जगत में बहुत से चालू बाबा घूम रहे हैं.....

लंगोटा नंद ने कहा - ताऊ से बच्चा सहेस पुरिया, तुमने हमसे आशा बाँधी है तो हम भी तुम्हे निराशा के दलदल से निकल लेंगे,जल्द ही चमत्कारी भभूत भेजेंगे ! कल्याण हो !

लंगोटा नंद ..से पी.सी.गोदियाल ने कहा - बाबा धीरे बोलो, वो शठाशीश बाबा आप ही को ढूंढ रहे है ! पता है आपको जब दो बाबा लड़ते है तो चिमटे से बजाते है एक दूसरे को.....

लंगोटा नंद ने कहा - बच्चा गोदियाल, क्यों दो बाबाओं की कुश्ती करने पर तुले हो ? कल्याण हो !

लंगोटा नंद से कहा राज भाटिया जी ने लंगोटा नंदजी महाराज जी आप की शकल ओर बाते तो हमारे ताऊ राम पुरिया से मिलती है, ताऊ भी बहुत पहुचा हुं गुरु बाबा है बडो बडो को टोपी पहन देता है ,अब कोई राज भाटिय़ा....

लंगोटा नंद ने कहा - बच्चा राज भाटिया, कल्याण हो! पहले हमारे फोलोवर बनकर हमारी शिष्यता ग्रहण करो,तब भभूत पार्सल करेंगे, रामपुरिया पहले से हमारा परम शिष्य है !

ताऊ डॉट इन ओम में महेंद्र मिश्र ने कहा - पराया माल गटक जा भैरु..गटक गटक भैरु.. अब तो लगोटानन्द भी नेट जगत के मैदान में खासे दौड़ रहे है .सबको भभूति भिजवा रहे है . नेट जगत में अब तो अच्छे खासे बाबाओं की लम्बी जमात खड़ी हो गई

लंगोटा नंद...से पी.सी.गोदियाल ने कहा - श्री श्री बाबा शठाधीश जी महाराज आप सुन रहे है न ? आपके इन लगोट चोर बाबा ने आप पर कितना गंभीर आरोप मडा है , जल्दी जबाब दीजिये वरना मैं भी बाबा लंगोट

लंगोटा नंद ने कहा -बच्चा गोदियाल, हम न तो किसी प्रकार का नशा करते हैं और न ही किसी नशेडी चिलम खोर बाबा से डरते हैं, नशे का जो हुआ शिकार,उतर जायेगा पाखण्ड का बुखार....

लंगोटा नंद से सिद्ध बाबा बालकनाथ त्रिकालज्ञ ..ने कहा - ये क्या हो रहा है बच्चा लोग? हर हर महादेव...

लंगोटा नंद ने कहा - श्री बाबा शठाधीश जी महाराज दूसरों को मोक्ष का मार्ग दिखाने से पहले खुद मदिरा-पान से मोक्ष पा लें ! कल्याण हो !

लंगोटा नंद से श्री श्री बाबा शठाधीश जी ने कहा - लंगोटानंद महाराजआप भी संतों को गलत सलाह दे रहे हैं गाछी, बाछी और दासी । तीनो संतो की फ़ांसी ॥ ये संतो का काम नही है.

ताऊ-भतीजे के चुटकुले खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी में सिद्ध बाबा बालकनाथ त्रिकालज्ञ ने कहा - आयोजक उडनतश्तरी आज कोई दिखाई नही दे रहा है? यही बैठ कर धूणा रमाता हूं. बच्चा लोग आ जावो तो हमारी समाधि खराब मत करना...चुप चाप खेलना...



लंगोटा नंद शठाधीश ताऊ रामपुरिया ने कहा - बाबाजी आपको मालूम है कि नही बाबा शठाधीश महाराज का लंगोट भी डेढ महिने पहले चोरी हुआ था...जरा आपके प्रज्ञा चक्षुओं का इस्तेमाल करें और बताये...

लंगोटा नंद ने कहा - बच्चा गोदियाल! कल्याण हो! देर आये पर दुरूस्त आये..हमारे खेमे में तुम्हारा स्वागत है ! पहले हमारे फोलोवर बनकर हमारी शिष्यता तो ग्रहण करो !

लंगोटा नंद ने श्री बाबा शठाधीश जी से कहा - अलख निरंजनमद्यं,मासं,मीनं,मुद्रं,मैथुनं एव च । ऐते पंच मकार: श्योर्मोक्षदे युगे युगे । यह पंच मकार ही मोक्ष का मार्ग है । इन्हे धारण करने से ही मोक्ष श्री ....

लंगोटा नंद ने कहा - बाबा शठाधीश जी, कल्याण हो ! अगर इतनी ही ठण्ड लगती है तो शादी कर लें , साल के ३६५ दिन इंजन गर्म रहेगा !

लंगोटा नंद से पी.सी.गोदियाल ने कहा - मैंने आज से दल बदल लिया, मैं बामपंथियों (सबसे निठल्ले ) के दल में कदापि नहीं रह सकता, इसलिए आज से मैं लंगोतानंद बाबाजी के खेमे में हूँ ...

हा हा हा अहा हा हा हा

1.1.10

नववर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामना - महेन्द्र मिश्र

आज मै बहुत खुश हूँ इसका कारण यह है कि जब भी नया वर्ष आता है तो नववर्ष के साथ साथ मै अपना जन्मदिन भी मनाता हूँ  तो मेरी ख़ुशी दूनी बढ़ जाती है और मै नववर्ष के साथ आज से मै जीवन के ५३ वर्ष पूर्ण कर ५४ वें वर्ष में प्रवेश कर रहा हूँ . . आज मेरा जन्मदिन है . बचपन में माता-पिता की उपस्थिति में मेरा जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था . सभी मुझे जन्मदिन के साथ नए वर्ष की शुभकामना और बधाई देते थे . जन्मदिन के अवसर पर रामायण पाठ होता था . यह सिलसिला माता पिता के जीवित रहते तक काफी लम्बे अरसे तक चला . समय बदलने के साथ साथ अब परिवार की नैतिक - जिम्मेदारी मेरे कंधो पर है .

अब तो खुद का जन्मदिन उत्सव मनाने की अपेक्षा अब बाल गोपालो का जन्मदिन उत्सव मनाने में असीम प्रसन्नता का अनुभव होता है . सीढी दर सीढी जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है वैसे वैसे जीवन में तमाम अनुभव होते है . मेरी समझ से जीवन में आप जितना सीखेंगे आपको उतने अधिक अनुभव प्राप्त होंगे . जीवन में सीखने और कुछ नया कर गुजरने के लिए उम्र पर कोई पाबन्दी नहीं होती है .

आप जितना सीखेंगे आप उतना सुखी और प्रसन्नचित्त रहेंगे ऐसा मेरा मानना है . आज नव वर्ष के शुभ आगमन पर आप सभी ब्लागर भाई बहिनों को मेरी और से हार्दिक बधाई और ढेरो शुभकामनाये . आपका जीवन मंगलमय हो और आपके जीवन में सुख सम्रद्धि आये .

महेन्द्र मिश्र
जबलपुर.

30.12.09

हंसी के गुलगुले ताउजी के नाम...

साल 2009 अपने जाने की घडियों का इंतज़ार कर रहा है . सन 2010 आने को बेताब है उसके आगमन की ख़ुशी में हम क्यों न थोडा हंस ले मुस्कुरा लें . आज के चुटकुले ताउजी के नाम है .


ताउजी : आपका रेस्टोरेंट बहुत ही क्लीन है
मैनेजर : सर मै आपका बहुत ही आभारी हूँ
ताउजी : हर चीज से साबुन की बू आती है सूप से, चिकिन से, सलाद से, नान से,
*****

ताउजी बच्चो की क्लास ले रहे थे . एक बच्चे से उन्होंने पूछा - ब्यूटीफुल का क्या अर्थ है ?
वह बालक सकपका गया .
फिर ताउजी ने पूछा - ब्यूटी याने ? बालक - सुन्दर
ताउजी - फुल याने ? बालक - भरपूर
ताउजी - "शाबाश" हाँ अब बताओ ब्यूटीफुल का अर्थ ?
बालक - विपाशा बासु
*****

प्रोफ़ेसर ताउजी ने एक नव कलमकार को नसीहत देते हुए कहा - अगर किसी की राइटर की किसी पोस्ट से कोई चीज ले लो तो वह साहित्यक चोरी कहलाती है मगर कई साहित्यकारों की पोस्टो से बहुत कुछ ले लो तो वह रिसर्च
करना कहलाता है .
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प्रोफ़ेसर ताउजी बड़े भुलक्कड़ थे . हमेशा वे अपनी घडी पेंट की बांयी जेब में रखा करते थे . एक बार भूल से उन्होंने अपनी घडी पेंट की दांयी जेब में रख ली और स्कूल चले गए . स्कूल पहुँचाने पर उन्होंने समय देखने के लिए अपनी जेब में हाथ डाला तो घडी नदारत थी वे बड़े हलकान और परेशान हो गए . उन्होंने स्कूल के एक छात्र को बुलाकार कहा जाओ जाकर मेरे घर से घडी ले आओ ? फिर पेंट की दांयी जेब में हाथ डालकर धडी निकली फिर उस छात्र से बोले - अभी दस बजकर बीस मिनिट हुआ है और तुम दस बजकर चालीस मिनिट तक वापस आ जाना .
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ताउजी ने अपने घर आये मेहमान से कहा - आ जाओ इस कुत्ते से डरो नहीं
मेहमान - क्या यह कुत्ता काटता नहीं है ?
ताउजी - अरे भाई यही तो मै परखना चाहता हूँ इसे मै आज ही खरीदकर लाया हूँ .
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एक प्रेमी दया नामक प्रेमिका के घर गया . प्रेमिका के पिता ने पूछा - कहो कैसे हो ?
प्रेमी प्रेमिका के पिता से - जी सब ठीक है बस आपकी दया चाहिए .

सभी ब्लागर भाई बहिनों को नववर्ष की हार्दिक मंगलमय शुभकामनाये.

29.12.09

व्यंग्य - चिटठा नगरिया जहाँ कूकर भौंके घुरके शूकर

ये देश कलमबाजो का देश है जहाँ पुन्य आत्माए जन्म लेती है . भगवान ने इन्हें चिटठा नगरिया में रहने जगह क्या दे दी ये अब कलमबाजो के अघोषित भगवान बन गए है .

यहाँ के हर जीव एक दूसरे को अपनी पोस्टो से जोड़ लेते है .

ये जीव प्रेम प्रसंगों से लेकर घुड़का बाजी तक पोस्ट लिखने में माहिर है और समय समय पर अपनी टीप उलीचकर अपने प्रेम का इजहार करते रहते है .

ये नव कलमकार को घुड़क कर यदा कदा अपना प्रेम उलीचते रहते है और स्नेहिल आशीर्वाद प्रदान करते रहते है ..

इनकी पहचान निम्न पंक्तियों से की जा सकती है .

रांड सांड सीढ़ी सन्यासी इनसे बचे तो सेवे चिटठा नगरी

और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा कुछ इस प्रकार से भी की जा सकती है .

शूकर घुरके भौंके श्वान मारग रोके सांड सुजान

कलियुग कथा कहाँ लोउ बरनो जहँ तहं डोलत है चिटठाकार


उपरोक्त सभी प्रकार के कलमकार या चिटठाकार इस चिटठा नगरी के निवासी है . ये कन....खजूरे टाइप के है . ये प्राय एक समूह में रहते है .

ये अपने प्रेम का इजहार कलम से भौंक कर घुड़क कर करते है और जिस दिन ये चिटठा नगरी छोड़ देंगे उस दिन उनकी कलम की स्याही ख़त्म हो जावेगी और चिटठा नगरी के कलमकार उनकी भौंक और घुरके की आवाज सुनने से वंचित रह जावेंगे.

ये इस नगरी के उज्जवल प्रकाश पुंज है और इनका सीधे एग्रीक्रेटर से सम्बन्ध है इसीलिए वे कलमकारों के पूज्यनीय और वन्दनीय है .

श्वान रूपी चिटठाकार भैरव का शूकर रूपी चिटठाकार बराह अवतार का रूप है जिनकी खीसो पर सारा चिटठाजगत टंगा हुआ है .

एक जगह मैंने पढ़ा है की ""सांड सिंगानिया और मर्द मुछाड़ियाँ""" सांड जिस पर कृपा करें वो कलमकार सीधे स्वर्ग पहुँच जाता है और शूकर जिस पर घुरके वो चिटठालोक ही छोड़ देता है.

क्रमश :व्यंग्य-कल आगे प्रतीक्षा करें...

व्यंग्य भाग -दो- - चिटठा नगरिया जहाँ कूकर भौंके घुरके शूकर

शूकर और श्वान एवं सांड मुछाडिया प्रवृति के ये कलमकार जीव साहित्य समाज में चाहुनोर बखूबी देखे जा सकते है .

चिटठानगरी के कलमकार कुछ सांड मुछाड़ियाँ प्रवृति के होते है जो इस नगरी को अपनी उछल कूद का स्थल बनाए रहते है और समय और असमय अपने नथुने फुलाए रहते है . शूकर श्वान और सांड अपने अपने कर्मो के कारण इस जगत में अपनी अपनी अहमियत बनाए रहते है .

चिटठाकारिता पे शूकर घुरक देता है और अपनी आदत के मुताबिक कलमकारों के क्षेत्र में गन्दगी फैलाता रहता है . श्वान इस पर समय असमय भौंकता रहता है . ये जीव नेट जगत में आवारागर्दी करते रहते है पहले इन पर थोडा प्रतिबन्ध था पर जबसे इस जगत में इनकी भीड़ बढ़ गई है इनकी स्वेच्छा चरिता बढ़ गई है .

जब तक ये दुनिया में रहेंगे इनपर प्रतिबन्ध लगाना मुश्किल दिखता है .

***

26.12.09

हमारे निर्वाचित जनप्रतिनिधि हमारे कितने हितैषी है ?

हमारे देश की चुने हुए जनप्रतिनिधियो की कितनी बड़ी फौज है . विगत दिनों मंहगाई के मुद्दे पर संसद में मात्र ४७ सांसदों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जो इस बात को दर्शाता है की हमारे निर्वाचित जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर गरीबो के कितने हितैषी है . आज के समय निर्वाचित राज नेता सिर्फ दिखावे के लिए गरीबो की झोपड़ी में एक रात बिताते है और दिखाने के लिए उस घर के गरीब सदस्यों के साथ सूखी रोटी खाते है . ये राजनेता यदि गरीबो के बर्तन झांक कर देखे जोकि इस भीषण मंहगाई के कारण खाली दिखेंगे. उन गरीबो के गरीबां में झांककर देखें जो गरीब दिन भर भारी मेहनत कर साठ से अस्सी रुपये मात्र एक दिन में कमाता है वह गरीब अस्सी और रुपये कीमत वाली दाल कैसे खरीद सकता है यदि उसने दाल खरीद भी ली तो उसे और उसके परिवार वालो को सब्जी भाजी खरीदने के लाले पड़ जाते है . इस स्थिति में परिवार का लालन पोषण करना तो छोडिये गरीब खुद का पेट भी पालना मुश्किल हो जाता है . गरीब रहकर जीवित है वे, यही ईश्वर की मेहरबानी है .

इन निर्वाचित जनप्रतिनिधियो को शर्म आना चाहिए यदि पूरी संसद इस मुद्दे पर एकजुट हो जाए तो मंहगाई कम हो सकती है . इन निर्वाचित जनप्रतिनिधियो को यह नहीं भूलना चाहिए की उन्हें जो खाना कपडे जूते और रहने के लिए जो छाया मिल रही है उन सबके पीछे मेहनतकश गरीब जनता का हाथ होता है . शर्म करो हे चुने हुए नेताओं किसी गरीब के घर एक दिन क्या रहते हो असल में हितैषी हो तो किसी गरीब के झोपड़े में साल भर रहो नहीं तो गरीबो का हितैषी होने का ढोंग रचना छोड़ दो .

23.12.09

टूटे दिल की आस : हर साँस चलती है ओ जानम तेरे नाम से

मेरी हर साँस चलती है ओ जानम तेरे नाम से
मेरी हर रात यूं कटती है ओ जानम तेरी याद में.
**
जानम कुर्बान हम तेरी प्यारी सूरत देख कर हो गए
तुमसे मोहब्बत करके जानम हम बदनाम हो गए.
**
तेरा करते करते इंतज़ार सारी जिन्दगी गुजर गई
आपसे एक अर्ज है आशियाँ इस दिल को बना लो.

18.12.09

जोग - ताउजी और महाताउश्री और डाक्टर झटका के कारनामे

प्रसूतिग्रह के डाक्टरों की सभा चल रही थी . सभा में परिचर्चा का मुख्य विषय था " साहित्य और साहित्यक वातावरण का गर्भिणी पर प्रभाव ".
परिचर्चा में चर्चा करते हुए डाक्टर ताऊ महाश्री ने कहा - साहित्य का तो मैंने प्रत्यक्ष प्रभाव देखा है एक बार मैंने एक पेसेंट को " दो बेटी " नामक पुस्तक पढ़ने दी बाद में उस महिला को दो लड़कियाँ पैदा हुई .
डाक्टर ताउजी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा - मै आपकी बातो का समर्थन करता हूँ मैंने भी एक स्त्री को " तीन तिलंगे " नामक पुस्तक पढ़ने दी थी बाद में परिणामस्वरूप उस स्त्री के यहाँ तीन तीन लफंगे उप्रद्रव करने आ टपके .
इसी परिचर्चा के बीच डाक्टर झटका अचानक परिचर्चा छोड़ कर जाने लगे तो डाक्टर ताऊ महाश्री और डाक्टर ताउजी ने पूछा - डाक्टर झटका अचानक आप मीटिंग से क्यों जा रहे है ?
डाक्टर झटका ने उत्तर दिया - ओह बादशाहों मेरी तो मती मारी गई है मेरी बीबी के पाँव भारी है अरे मैं उसे " अलीबाबा चालीस चोर " पुस्तक पढ़ने के लिए देकर आया हूँ .
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एक बार ताउजी एक रेल के डिब्बे में सफ़र कर रहे थे . उस डिब्बे में स्त्रियों की संख्या अधिक थी . आदत के मुताबिक वहां उपस्थित हर महिला अपनी उम्र कम करके बता रही थी .
पचास वर्षीय बिंना ने अपनी उम्र पैतीस वर्ष बतलाई . तो शब्बो जी ने कहा अभी वो पच्चीस की दहलीज पर चल रही है . मैडम झिन्गालैला ने कहा - अभी तो वो बस बीस की ही है . झलकन बाई ने कहा - ये तो सब ठीक है अभी मै सोलह की भी नहीं हुई हूँ.
ताउजी उपरी बर्थ पर लेटे थे और उन स्त्रियों की बातो को बड़े ध्यान से सुन रहे थे . अब उनसे रहा नहीं गया और वे अचानक उपरी बर्थ से नीचे कूद पड़े. नीचे उपस्थित स्त्रियाँ अचकचा गई और ताउजी को डाँटते हुए कहा - अरे तुम कहाँ से आ गए ?
ताउजी ने विनम्र शब्दों में उत्तर दिया - अभी अभी पैदा हुआ हूँ .
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एक बार ताउजी भारत भ्रमण पर निकले और अपने मित्र डाक्टर झटका के साथ मुंबई पहुंचे . ताउजी सर उठाकर एक ऊँची इमारत को देख रहे थे उसी समय वहां एक ठग पहुंचा और ताउजी से बोला - ए क्या देख रहो हो तुम्हे मालूम नहीं है की ये मुंबई है यहाँ हर चीज को देखने के लिए रुपये लगते है .
ताउजी ने कहा - मै उस ईमारत की दूसरी मंजिल देख रहा हूँ . उस ठग ने ताउजी से कहा - अच्छा तो चलो चार रुपये निकालो . ताउजी ने उस ठग को चार रुपये दे दिए . ठग रुपये लेकर चला गया .
ताउजी ने अपने मित्र डाक्टर झटका से कहा - मैंने तो सुना था की मुंबई में बहुत ठग रहते है मगर देखो मैंने उसे कैसे ठग लिया . डाक्टर झटका ने ताऊ जी से पूछा - वो कैसे ?
ताउजी ने उत्तर दिया - असल में मै उस ईमारत की चौथी मंजिल देख रहा था . अगर मै उस व्यक्ति से चौथी मंजिल देखने की बात बताता तो वह आदमी मुझसे आठ रुपये चौथी मंजिल देखने के न ले लेता .
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एक बार ताउजी ने अपने पुलिस अफसर से पूछा - अगर कोई पुलिस वाला अपनी डियूटी अच्छी तरह से नहीं करता है तो आप उसे क्या सजा देते है ?
पुलिस अफसर ने उत्तर दिया - ऐसे पुलिस वालो के हम नाम नोट कर लेते है . जब नगर में कोई कवि सम्मेलन, धरना प्रदर्शन होता है तो ऐसे पुलिस वालो की डियूटी हम वहां लगा देते है .
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एक आदमी कुआ खोद रहा था . काफी गहरा गढ्ढा हो गया था . उस गहरे गढ्ढे में वह आदमी गिर गया . उसने बहुत निकलने की कोशिश की पर निकल नहीं पाया . शाम हो गई अँधेरा हो गया था जोरदार ठण्ड पड़ रही थी . उस आदमी ने जोर जोर से आवाजे लगाना शुरू कर दिया अरे कोई मुझे बचालो.....अरे भाई बचालो ... तभी वहां से डाक्टर झटका निकले - उन्होंने अँधेरे में झांककर देखने की कोशिश की . गढ्ढे के अन्दर से आवाज आ रही थी - खुदा के वास्ते मुझे बाहर निकालो . मै ठण्ड के मारे मरा जा रहा हूँ . डाक्टर झटका ने गढ्ढे में झांककर कहा - ठण्ड तो तुम्हे लगेगी ही भाई . लोग तुम पर मिटटी डालना भूल गए है .

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