4.5.20

लगातार संघर्ष करने से सफलता अर्जित होती है ....

महाभारत में भीषण युद्ध चल रहा था । युद्द भूमि में गुरु और शिष्य आमने सामने थे । दुर्योधन की तरफ से द्रोणाचार्य और पांडवों की ओर से अर्जुन युध्द के मैदान में खड़े थे । अर्जुन को द्रोणाचार्य ने धनुष विद्या सिखाई थी और द्रोणाचार्य अर्जुन के समक्ष युध्द के मैदान में असहाय दिख रहे थे ।

कौरवों ने अपने गुरु द्रोणाचार्य से कहा - आप तो अर्जुन से युद्द हार रहे हैं और आपका शिष्य जीत रहा है तो द्रोणाचार्य ने कहा - मुझे राजसुख भोगते हुए कई वर्ष गुजर गए हैं और अर्जुन जीवन भर लगातार संघर्ष करता रहा है और निरंतर अनेकों कठिनाइयों से जूझता रहा है । जो राजसुख भोगता है और जिसे हर तरह की सुविधा मिलती रहती है वह अपनी शक्ति और सामर्थ्य खो बैठता है और लगातार संघर्ष करने वाले को निरंतर शक्ति और नित नई ऊर्जा प्राप्त होती रहती है ।

इतिहास इस बात का साक्षी है कि कठिनाइयों के कीचड में ही सफलता का कमल खिलता है इसी तरह का हाल अर्जुन का भी है । जिसका जीवन प्रतिरोधों और चुनौतियों से घिरा रहता है वह लगातार प्रखर होता जाता है । जिस दिन व्यक्ति की प्रतिकूलताएँ समाप्त हो जाती हैं और वह प्रमाद ग्रस्त होने लगता है । महर्षि अरविंद जी कहते थे कि दुःख भगवान के हाथों का हथौड़ा है उसी के माध्यम से मनुष्य का जीवन संवरता है । जितना आप जीवन में लगातार संघर्ष करेंगें उतनी ही ज्यादा आपको सफलता मिलेगी इसमें कोई संदेह नहीं है ।  

26.4.20

सच्चे संत/महात्मा वैभव का नहीं निर्मल भावनाओं का सम्मान करते हैं ...

एक गाँव में एक करोड़पति व्यापारी था उसे अपने धन पर काफी घमंड था और वह हमेशा गरीब लोगों का शोषण करता था और उन्हें खूब सताता था । एक बार व्यापारी के गांव में एक बड़े संत महात्मा आयें और वे एक गरीब की कुटिया में जाकर ठहर गये ।

जब व्यापारी ने सुना कि उसके गाँव में एक संत महात्मा आयें हैं तो वह उनके दर्शन करने गया और वहाँ जाकर उसने देखा कि महात्मा जी गरीब के घर में रूखी सूखी रोटी खा रहे हैं । यह देख व्यापारी ने महात्मा जी से कहा कि आप यहाँ रुखा सूखा भोजन कर रहे हैं मेरे गांव में जो भी संत महात्मा आते हैं वे मेरे ही घर में रुकते हैं और मेरे घर में किसी भी तरह की कमी नहीं हैं और आपसे निवेदन हैं कि आप मेरे यहाँ ठहरें और विश्राम करें ।

महात्मा जी ने कहा - यह भोजन अत्यंत रुचिकर है और मैं तो मेहनत की कमाई से कमाया गया अमृत खा रहा हूँ और जो आनंद इस रूखे सूखे भोजन करने में मुझे मिल रहा है वह स्वादिष्ट पकवानों में भी नहीं मिलेगा । महात्मा जी के वचनों को सुन कर व्यापारी को यह ज्ञान हो गया कि सच्चा संत महात्मा वे ही होते हैं जो वैभव का नहीं व्यक्ति की निर्मल भावनाओं का सम्मान करते हैं ।

कोरोना वायरस से बचाव हेतु आवश्यक सावधानी

कोरोना वायरस चीन के बुहान शहर से निकल कर सारे विश्व में फ़ैल गया है और इस संक्रामक वायरस से लाखों लोग पीड़ित हैं । कई देश इसके आगे घुटने टेक चुके हैं और हजारों लोगों काल के गाल में समा गए हैं । सुपर पावर कहे जाने वाले अमेरिका शक्तिशाली देश भी इसके आगे घुटने टेक चुके हैं । यह वायरस हमारे देश में तेजी से फ़ैल रहा है और हजारों लोगबाग पीड़ित हैं और इससे कई लोगों की मृत्यु हो गई है । कोरोना वायरस से बचाव हेतु कुछ आवश्यक सावधानी रखना बहुत जरुरी है ।

1. बाहर जाने पर मास्क का उपयोग करना बहुत जरुरी है ।
2. बाहर से आने के पश्चात अपने कपड़े धो लें या इन्हें धूप में रख दें जिससे इसके वायरस नष्ट हो जाते हैं ।
3. अपने हाथों को साबुन से दिन में कम से कम धोते रहें ।
4. बाहरी व्यक्ति से आवश्यक सामग्री और सब्जी न लें और अपने परिचित व्यक्ति या दुकानदार से सामग्री / सब्जी वगैरा खरीदें ।
5. सर्दी खाँसी वाले व्यक्ति से दूरी बनाकर रहें और डिस्टेंसिंग का पालन करें ।
6. सर्दी या कफ हो तो गुनगुने पानी में नमक डाल कर गरारे करें ।
7. एक चम्मच हल्दी दूध या पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करें ।
8. इम्युनिटी बढ़ाने के लिए हल्दी, कालीमिर्च, अदरक, लौंग, अजवाईन, तुलसी का काढ़ा तैयार कर नियमित सेवन करें इससे किसी भी तरह के वायरस से आपका बचाव होगा और आप स्वस्थ रहेंगें । बीमार वृद्ध व्यक्तियों को कमजोर रहने पर रहने पर कोरोना और अन्य तरह के वायरस आपको बीमार कर सकते है.

26.6.10

महफ़िल प्यार की याद आती है....

महफ़िल सितारों की... देख कर,

महफ़िल प्यार की याद आती है.

फलक में प्यारे चाँद को देख कर,

इस दिल को उनकी याद आती है.
 
000

21.6.10

माइक्रो पोस्ट - सफलता का मूलमंत्र है....

माइक्रो पोस्ट - सफलता का मूलमंत्र है कठोर परिश्रम करना और वगैर वैसखियो के सहारे आगे बढ़ना और सफलता अर्जित करना ...

18.6.10

माइक्रो सदवचन -

माइक्रो सदवचन -


* मनुष्य का जन्म लेना सहज होता है पर मनुष्य को मनुष्यता कठिन प्रयत्न करने से ही हासिल होती है .

* संकटों और दुखों से तभी मुक्ति मिल सकती है जब उनसे मुक्ति पाने हेतु सच्चे दिल से प्रयास किये जाए .

* जिसने जीवन में स्नेह - सौजन्य का समुचित समावेश कर लिया सचमुच वही सबसे बड़ा कलाकार है .

29.5.10

जोग और कुछ यहाँ वहां की...

एक बार एक व्यक्ति ने फौजासिंह को एक पत्र भेजा जिसमे लिखा था की "" भेजने वाला महान और पढ़ने वाला गधा"" . उस व्यक्ति को फौजासिंह ने उत्तर भेजा इस तरह से ""भेजने वाला गधा और पढ़ने वाला महान""
०००००

ताउजी ने अपने पडोसी के लडके से पूछा - बेटा तुम्हें कैसी बहू चाहिए ?
लडके ने कहा - मुझे इसी बहू चाहिए जो रात को चाँद की तरह आये और सुबह चली जाए .
०००००

प्रेमी - मेरे पास कार वालों के रिश्ते आ रहे है यदि तुम्हारें पिता मुझे कार दे सकें तो मै शादी करने के लिए तैयार हूँ .
प्रेमिका - मेरे पिता तुम्हें रेलगाड़ी दे सकते है पहले तुम पटरियां बिछवाने का प्रबंध तो कर लो .
०००००

पत्रकार - अच्छी बीबी और खराब बीबी में क्या अंतर है ?
ताउजी - बीबीयाँ क्या अच्छी होती है .
००००००

और अंत में कुछ कहीं से -

हम आपको इसकदर चाहते हैं

की दुनिया वाले उसे देखकर जल जाते हैं

यूं तो आप सभी को उल्लू बनाते हैं

लेकिन आप यूं ही जल्दी बन जाते हैं.


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24.5.10

चुटकुले हंसो और हंसाओ ....

एक युवक बड़ा शर्मीला था और वह एक सुन्दर लड़की से विवाह करना चाहता था पर वह अपने दिल की बात शर्मीलेपन के कारण कह नहीं पाता था . डरते डरते एक दिन लड़की के सामने अपने विवाह का प्रस्ताव कुछ इस तरह से व्यक्त किया .
क्या तुम मेरे लडके के हाथों या मेरे हाथो अपनी चिता को आग लगवाना चाहोगी ?
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परिवार नियोजन का एक अधिकारी आम जनता को जागरुक करने के उद्देश्य से जोर शोर से भाषण दे रहा था . हमारे देश की जनसंख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है हमारें उसे रोकने के लिए कुछ सार्थक पहल करनी होगी . हमारे देश में औ रतें प्रति मिनिट एक बच्चे को जन्म दे रही है .... उसे रोकने के लिए हमें क्या करना पड़ेगा क्या आप बता सकते हैं ?... तभी भीड़ में से एक आवाज आई सबसे पहले हमें उस औरत को खोजना चाहिए .
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रेल के डिब्बे में एक मोटा आदमी बैठा था इतने में उस डिब्बे में एक पतला आदमी आया और कहने लगा क्या यह डिब्बा हाथिओं के लिए रिजर्व है . मोटा आदमी बोला नहीं भाई यहाँ गधा भी बैठ सकता है .
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बस इतना राम राम...

20.5.10

तेरी यादों, उजाले के सहारे संग संग चल हैं प्यारे...

तेरी यादों, उजाले के सहारे संग संग चल हैं प्यारे
गिरकर संभलते हुए लम्हें लम्हें गुजार रहा हूँ प्यारे.
तेरा नाम भी मतलब की दुनिया में शामिल है प्यारे
कभी नाम पा रहा था, तेरे कारण बदनाम है प्यारे.
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14.4.10

माइक्रो पोस्ट - मनुष्य पुरुषार्थ का पुतला है और उसकी सामर्थ्य और शक्ति का अंत नहीं है

माइक्रो पोस्ट - मनुष्य पुरुषार्थ का पुतला है और उसकी सामर्थ्य और शक्ति का अंत नहीं है . वह बड़े से बड़े संकटों से लड़ सकता है और असंभव के बीच संभव की अभिनव किरणें उत्पन्न कर सकता है . शर्त यहीं है की वह अपने को समझे और अपनी सामर्थ्य को मूर्त रूप देने के लिए साहस को कार्यान्वित करें .

9.4.10

मेरे प्यार को तू झूठी तोहमत न लगा

तेरे दिल में जब वफ़ा का नाम नहीं है
फिर तुझे गैरो से वफ़ा क्यों मिलेगी.

मित्र की नादान दोस्ती को ठुकरा कर
तुझे फिर दिलों से भी दुआ न मिलेगी.

क्या खता हुई मुझसे मुंह मोड़ लेते हो
खुशियाँ देने आये बदले में गम मिले.

मेरे प्यार को तू झूठी तोहमत न लगा
मेरे जैसा यार तुझे जन्नत में न मिलेगा.

2.4.10

बचपन की यादे : तुम्हारी बऊ खौं ....

आज सुबह सुबह जब टहलने निकला जैसे ही एम.आर. सड़क पर पहुंचा उसी समय बचपन के चार मित्र का अचानक आमना सामना हो गया . बीच सड़क पर खड़े होकर काफी देर यहाँ वहां की बाते की और एक दूसरे के हाल चाल जाने . फिर हम पांचो मित्र सड़क के किनारे बनी पुलिया पर बैठ गए . फिर इस बात पर चर्चा छिड़ गई की कभी कभी किसी को अधिक मजाक करना पसंद नहीं होता है पहले तो वह निरंतर किये जा रहे मजाक का विरोध करता है फिर धीरे धीरे वह मजाक सहते सहते सहनशील हो जाता है और वही मजाक उसको भी पसंद आने लगता है . इसी बात को लेकर हमने अपने बचपन की यादें तरोताजा की और एन्जॉय किया .

फोटो गूगल से साभार.

बचपन में हम सभी मित्र दीक्षितपुरा बर्तमान में उपरैनगंज वार्ड में रहते थे . वहां मिश्रबंधु भवन के समीप एक मकान के समाने काफी बड़ी पट्टी बनी है जिस पर हम सब मित्र बैठकर खूब गपियाते थे और हास परिहास का दौर चलता था . करीब चालीस पैतालीस साल पहले मंजू तेली की गली में एक बड़े सर वाले पंडित जी रहा करते थे वे उस समय नियमित पैदल जाकर एक मंदिर में पूजा पाठ करने जाया करते थे .

उनका सिर (Big Head) असामान्य रूप से एक सामान्य व्यक्ति के सिर से काफी बड़ा था और उन्हें हम सभी मित्र बड़ी मूंड कहकर चिढाते थे और यह बात उन पंडित जी को बहुत अखरती थी और वे बीच सड़क पर खड़े होकर पुरजोर विरोध करते हुए चिल्ला कर यह कहते हुए " तुम्हारी माँ खौं ..... बच्चो को खदेड़ते थे और इसी भागम भाग में कोई लड़का पीछे जाकर उनकी परदानियाँ (कान्छ लगी धोती) खोल देता था फिर सड़क पर राहगीर खड़े होकर खूब हंगामा देखते थे . पंडितजी का नियमित रूप से निकलना और लड़कों की शरारते बढ़ जाती थी यह प्रतिदिन का क्रम बन गया था .

एक दिन मोहल्ले के बड़े बुजुर्गो ने हम सभी मित्रो को समझाया की इन महाराज से छेड़ छाड़ करना बंद करो इन्हें मत छेड़ो . अपने बुजुर्गो की बातो का हम सभी मित्रो ने पालन करना शुरू कर दिया . अगले दिन महाराज जी फिर वहां से सड़क से निकले और हम सभी मित्र वहां पट्टी पर बैठे थे उन्हें देखकर हम सभी चुपचाप रहे .

उस दिन हां मित्रो ने महाराज से पंगा नहीं लिया बल्कि हम मित्रो को शांत बैठे देखकर महाराज ने उलटे हम मित्रो से पंगा लेते हुए जोर से कहा - आज क्या बात है आज क्या सब माद र..चो.. मर गए हैं . उस दिन हम मित्रो के दिलो पर महाराज के शब्द सुनकर सांप लोट गया . उस दिन हम लोगो ने उनसे छेड़ छाड़ नहीं की तो उन्होंने अंदाज में गाली देकर कहा की आज क्या सब मर गए है .... इससे ये भी लगा की महाराज जी से हम लोगो द्वारा जो छेड़ छाड़ की जाती है वो उन्हें रास आने लगी है जैसे कह रहे हों की छेड़ो और मुझे छेड़ो .. मरो नहीं जिन्दा होकर मुझसे छेड़ छाड़ करो ..... आज वो पंडित जी इस दुनिया में नहीं है नहीं तो उनकी फोटो इस ब्लॉग में जरुर देता . बचपन की यादें तरोताजा कर ऐसा प्रतीत हुआ की हम फिर से बचपने की और लौट गए है .

रिमार्क - पोस्ट में मुझे अपने भावों को पूर्ण रूप से अभिव्यक्त करने के लिए कुछ लोकल असंसदीय शब्दों का प्रयोग करना पड़ा है जिसके लिए मै आप सभी से क्षमाप्राथी हूँ . यदि मै इस पोस्ट में स्थानीय शब्दों का प्रयोग नहीं करता हूँ तो मेरे नजरिये से पोस्ट की रोचकता नहीं रहेगी.

महेंद्र मिश्र
जबलपुर.