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जबसे लिखने बैठे चिठ्ठी हम कलम खुद बा खुद रुक जाती है
दिल की बात लिखते लिखते कलम शर्म से खुद रुक जाती है.
मै तुमको यह चिठ्ठी लिखू मेरी इस चिठ्ठी में मेरी धड़कन है
यह लिखते समय फ़िक्र नहीं है इस चिठ्ठी में तेरी कोरी यादे है.
छोड़ गए जबसे इस दुनिया को तुम चिठ्ठी लिखना भूल गए
तुम्हारे जबाब का इंतजार करते करते मेरी पलकें झपक गई .
प्राइवेट डायरी..से
महेंद्र मिश्र .
दिल की बात लिखते लिखते कलम शर्म से खुद रुक जाती है.
मै तुमको यह चिठ्ठी लिखू मेरी इस चिठ्ठी में मेरी धड़कन है
यह लिखते समय फ़िक्र नहीं है इस चिठ्ठी में तेरी कोरी यादे है.
छोड़ गए जबसे इस दुनिया को तुम चिठ्ठी लिखना भूल गए
तुम्हारे जबाब का इंतजार करते करते मेरी पलकें झपक गई .
प्राइवेट डायरी..से
महेंद्र मिश्र .
13 टिप्पणियां:
उम्दा व लाजवाब रचना।
वहुत खूब!
कॉमेंट्स लिखते-लिखते आपकी कलम को सलाम ........
बहुत सही.
रामराम.
अरे क़लम को ना रोकिएगा साहब। आपकी क़लम तो बहुतों को साँसें दिया करती है। चलने दीजिए।
वाह भाई साहेब............
चिट्ठी का नया तेवर गज़ब का लगा..........
भावुक करने वाली इस रचना को मेरा
शत शत वन्दन !
अरे वाह हाम आप की कलम को सलाम करते है.
badhiya rachna.
बहुत खूब। आपकी निजी डायरी में भी अनमोल मोती बिखरे हैं।
देसी एडीटर
खेती-बाड़ी
मै तुमको यह चिठ्ठी लिखू मेरी इस चिठ्ठी में मेरी धड़कन है
यह लिखते समय फ़िक्र नहीं है इस चिठ्ठी में तेरी कोरी यादे है....
Sir lagta hai bahut purani diary rahi hogi.
bade dino baad apke blog main aaya ,
agar net ne saath diya to lambe samay tak rehne ki iccha hai.
लाजवाब रचना ...... Mjaa aa gaya Mahendr ji ...
वहुत खूब!लाजवाब रचना..
Dil Se Badahyi...
shukria. good thoughts.
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