20.5.10

तेरी यादों, उजाले के सहारे संग संग चल हैं प्यारे...

तेरी यादों, उजाले के सहारे संग संग चल हैं प्यारे
गिरकर संभलते हुए लम्हें लम्हें गुजार रहा हूँ प्यारे.
तेरा नाम भी मतलब की दुनिया में शामिल है प्यारे
कभी नाम पा रहा था, तेरे कारण बदनाम है प्यारे.
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13 टिप्‍पणियां:

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

आपको इस विधा मे बहुत कम देखने को मिलता है, जब भी मिला हूँ कुछ नया ही पाया हूँ।

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

बहुत खुब मिश्रा जी....बढ़िया रचना...धन्यवाद

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बढ़िया रहा यह मुक्तक!

दिलीप ने कहा…

waah...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

ऊर्जा बिन बँधे ही प्रवाहित है ।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

प्रवीण जी से सहमत

aarya ने कहा…

सादर वन्दे !
क्या खूब कही !
रत्नेश त्रिपाठी

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत खुब मिश्रा जी....बढ़िया रचना

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर मिश्रा जी.
धन्यवाद

vandana gupta ने कहा…

sundar rachna.

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

वाह गुरुवर.

Urmi ने कहा…

बहुत ही बढ़िया लगा!