2.3.10

होली के बाद के ब्लागरी चुटकुले ...

* स्वामी भविष्यानंद को गाने गाने का बड़ा शौक था . कभी भी फक्कड़ी मौज में गाना बेसुरी आवाज में गाने लगते थे . एक नया गाना मेहबूबा मेहबूबा होली की ठुर्रस में गाते हुए सीधे चले जा रहे थे और धुन्नस में सीधे नदी में घुस गए . फिर थोड़ी देर बाद नदी में से एक जोर जोर से आवाज आ रही थी मै डूबा मै डूबा .

* चौड़े और गोल शरीर के उड़न तश्तरी कहीं घूमते घूमते जा रहे थे राह में उन्हें एक छोटा नन्हा बच्चा मिला . उड़न तश्तरी ने उसे स्नेह वश गोद में ले लिए और प्यार से पूछा - बेटा तुम कहाँ हो ?

बच्चे ने उत्तर दिया - हिमालय की गोद में .

* ब्लॉगर वकील - जब अपराधी ने चाकू मारा था उस समय तुम कहाँ थे ?

मुजरिम का दोस्त - जी मै उस समय पन्द्रह कदम दूर था .

ब्लॉगर वकील - क्या तुमने फासला कदमो से नापा था ?

मुजरिम का दोस्त - जी हाँ

ब्लॉगर वकील - तुम्हें ऐसा करने क्या जरुरत थी ?

मुजरिम का दोस्त - क्योकि मुझे मालूम था की किसी दिन कोई मूर्ख मुझसे यह प्रश्न जरुर पूछेगा .

*प्रायमरी का मास्टर - तुम्हें अंग्रेजी सुधारने के लिए अंग्रेजी का अखबार जरुर पढ़ना चाहिए

छात्र - जी मै अंग्रेजी अखबार हर शुक्रवार को पढ़ता हूँ .

प्रायमरी का मास्टर - ऐसा क्यों ?

छात्र - जी अंग्रेजी सिनेमा में फिल्म इसी दिन बदलती है .

*एक ब्लेड कंपनी ने अपना विज्ञापन कुछ इस तरह से दिया - हमारे बनाए गए ब्लेड तेज और धारदार हैं . थानों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नब्बे परसेंट पकडे गए जेबकतरों के पास हमारी कंपनी के ब्लेड पाए गए हैं .

*ताउजी महाताऊ श्री से - जैसे जैसे मेरी उम्र बढ़ती जा रही है दिनोदिन मेरी शारीरिक ताकत बढ़ती जा रही है .

महाताऊ श्री - ऐसा क्यों ?

ताउजी - आजसे दस साल पहले मै बीस रुपये में जो शक्कर खरीदता था वह बड़ी मुश्किल से उठाकर लाता था लेकिन अब मै बीस रुपये की शक्कर बड़ी आसानी से उठाकर ले आता हूँ .

* एक दोस्त दूसरे दोस्त से - यार तुम्हारे घर में मख्खियाँ बहुत तंग करती हैं बार बार मेरे ऊपर आकर बैठ जाती हैं .

दूसरा दोस्त - हाँ मै भी बड़ा परेशान हूँ ये जो भी गन्दी चीज देखती हैं तो उस पर जाकर बैठ जाती हैं .


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23.2.10

तेरी दीवानगी ने ही मुझे ये प्यारी जिंदगी दी है ..

तेरी दीवानगी ने ही मुझे ये प्यारी जिंदगी दी है
फूलो ने जैसे चमन में इन बहारो को खुशबू दी है.
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आँखों ने देखा और दिल की इन सांसो से सराहा
बस यह दिल आपका दिल से दीवाना बन गया है.

19.2.10

फाग गीत - नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान

आज एक बहुत करीबी मित्र के यहाँ मै मिलने गया . अच्छा भरा पूरा परिवार है . दादा भी हैं दादी भी हैं . इस परिवार में महिलाओं की अधिकता है और उस परिवार में बड़ा सौहाद्र पूर्ण वातावरण है जब परिवार की चार महिलाए मिलकर साथ बैठती हैं तो खूब गीत लोकगीत भजन आदि गाती हैं . आज मैंने मित्र की दादी से रिक्वेस्ट की वो एक फाग गीत सुना दें . दादीजी ने मेरी रिक्वेस्ट पर त्वरित ध्यान दिया और उन्होंने आज जो फाग का गीत सुनाया उसे मै कागज में कलम से उकेर कर आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ . बसंत के बाद फागुन की मस्ती भी सर चढ़कर बोलती है . फागुन के महीने में फगुनिया गीत सभी के मन को बहुत भाते हैं .

फाग गीत - नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान

कै मन प्यारे ने रंग बनायो
सो के मन के सर धोली
नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान.


नौ रंग प्यारे ने रंग बनायो
सो दस मन के सर धोली
नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान.


भर पिचकारी चंदा सूरज पे डारी
सो रंग गए नौ लख तारे
नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान.

भर पिचकारी महल पे डारी
सो रंग गए महल अटारी
नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान.


उड़त गुलाल लाल भये बादल
भर पिचकारी मेरो सन्मुख डारी
सो रंग गई रेशम साड़ी
नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान.

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16.2.10

जोग मुस्कुराने के लिए ....

वैलेंटाइन के दिन एक प्रेमी अपनी प्रेमिका दया से मिलने उसके घर गया . वहां उसे प्रेमिका के पिता मिले . उन्होंने पूछा - कहो कैसे हो ?
प्रेमी प्रेमिका के पिता से - बस आपकी दया चाहिए .
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ताउजी जी आंख दिखाने आँखों के डाक्टर के पास गए - बोले मुझे एक के दो दिखाई देते हैं .
आँखों का डाक्टर - क्या आप चारो को यही रोग है .
असल में डाक्टर को भी एक के चार दिखाई देते थे .
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एक आदमी दारू की झोंक में एक भैस से टकरा गया और वह बोला - माफ़ करना देवी जी गलती हो गई . तभी किसी ने कहा - तुम जिससे टकरा गए थे वह भैस थी . शराबी बोला भाई अब आगे से ध्यान रखूँगा . दारुखोर फिर आगे बढ़ा तो सड़क पर एक मोटी महिला से टकरा गया तो वह बोला - " लोग न जाने क्यों भैसों को सड़क पर आवारा खुला छोड़ देते है " .
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एक बार एक डाक्टर ने एक मरीज को मृत घोषित कर दिया तभी वह मरीज पलंग से उठाकर बैठ गया और डाक्टर से बोला - अरे मैं जिन्दा हूँ .
" चुप तुम डाक्टर से ज्यादा क्या जानते हो " ? हैड नर्स ने उसकी बात बीच में काटते हुए मरीज को डाँटते हुए कहा .
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एक ज्योतिषी ने अपने मित्र को सलाह देते हुए कहा - सुखी जीवन के लिए यह आवश्यक है की आप पिछली बातो को भूल जाए और अपने भविष्य के बारे में सोचे . तभी मित्र ने कहा यार - परसों तुमने जो सौ रुपये मुझसे उधार लिए थे वह दे देना भूल न जाना .

12.2.10

सभी ब्लॉगर भाई बहिनों को महाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामना


ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधी पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बंधनात मृत्योमुक्षीय मामतात

ॐ शिवजी सदा सहाय करे.
ॐ नमो शिवाय
हर हर महादेव
बमबम भोलेनाथ

सभी ब्लॉगर भाई बहिनों को महाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामना.

फोटो - दमोह जिले के बांदकपुर में स्थित तीर्थ स्थल भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा . यह फोटो मेरे द्वारा ली गई है.

3.2.10

कुछ चुटकुले हँसने के लिए ....

एक रेस्टारेंट के मैनेजर से एक ग्राहक ने शिकायत की तुम्हारे यहाँ के नौकर बड़े बदतमीज हैं बार बार आवाज देकर बुलाने पर भी नहीं आते हैं .
रेस्टारेंट के मैनेजर ने ग्राहक से खेद प्रगट करते हुए नौकरों को उसके सामने इन शब्दों में कुछ इस तरह से फटकार लगे - गधे पाजी नामाकूल साहब कब से कुत्ते की तरह भौक रहे हैं और तू है की सुनता नहीं . अगर यही हाल सर्विस का रहा तो कौन उल्लू का पट्ठा यहाँ दोबारा आयेगा .
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प्रेमिका - क्या तुम मुझसे प्रेम करते हो ?
प्रेमी - इसमें क्या संदेह है .
प्रेमिका - तो क्या तुम मेरे लिए मर भी सकते हो ?
प्रेमी - नहीं प्रिये मेरा अमर प्रेम है.
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टिर्री टिर्रा से - एक नई बीमा की योजना बनी है जो बहुत अच्छी है जब तुम नब्बे के हो जाओगे तो तुम्हें हर माह ढाई सौ रुपये मिलने लगेंगे इस तरह आप अपने माँ बाप के लिए बौझा साबित नहीं होंगे .
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एक साहब ने अपनी नई नवेली स्टेनो को एक लंबी चिट्ठी डिक्टेट कराई और अंत में पूछा - मिस मेरी कुछ पूछना हो तो बताओ ?
स्टेनो - सर आपने डिअर सर और यूअर्स फैथफुली के बीच में क्या लिखवाया था ?
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पति अपनी पत्नी से - दुनिया में कैसे कैसे चार सौ बीस पड़े हैं सुबह सुबह दूधवाला मुझे खोटी चवन्नी पकड़ा गया . कहाँ है वह खोटी चवन्नी ?
पत्नी - मैंने वह सब्जीवाले को दे दी और धनिया खरीद ली .
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2.2.10

माइक्रो पोस्ट : मुम्बई मेरी है

आज दिनभर से टी.वी. में देख रहा हूँ मुम्बई मेरी है ..... मुम्बई हम सबकी है ... मैंने भी भारत देश की धरती पर जन्म लिया है इसीलिए डंके की चोट पर मुम्बई मेरी है .


जय हिंद
महेन्द्र मिश्र
जबलपुर.

31.1.10

हंसी पिटारा - अपणे ताउजी का नौकर

अपणे ताउजी का एक नौकर हरयाणवी था बहुत चुस्त चालाक था पर था ताउजी का ऊँचे दर्जे का वफादार था . अपणे ताउजी भी कम फोकस बाज नहीं थे उन्होंने अपणे नौकर को समझा कर रखा था की जब कोई मेहमान घर आये और वो कोई चीज की फ़रमाइस करें तो तुम कुछ बढ़ा चढ़ा कर बताया करो की सामने वाला मेहमान भी हक्का बक्का हो जाए अपनी फोकियत बाजी देखें .



एक दिन ताउजी जी के घर कुछ मेहमान आ गए . ताउजी ने नौकर हरयाणवी से कहा ओ मेहमान आये जरा तूसी कुछ ठंडा शरवत बरवत लाओजी .

नौकर हरयाणवी - हुजूर कौन सा वाला खस का केवड़े का या बादाम का लाऊ

ताउजी - नौकर से बादाम का ले आओ .

शरवत हो गया तो मेहमान ने पानी माँगा .

नौकर हरयाणवी - कौन सा वाला हैण्ड पम्प का कुंए का या ऊपर की टंकी का पानी लाऊ जी .

ताउजी अपणे नौकर से - ए सुण जर पान बान ला

नौकर हरयाणवी - साब कौन सा पान कलकतिया बनारसी या नागपुरी लाऊ .

ताउजी अपणे नौकर से - मेहमान के साथ हीरामन शास्त्री आये हैं उनसे पूछ लो कैसा खायेंगे वे पान .



नौकर हरयाणवी - अरे उनकी चोंच है वे क्या पान खायेंगे. हा हा हा

थोड़ी देर मेहमान घर में रुके और जाने लगे तो ताउजी ने नौकर से कहा - मेहमान जा रहे है इनको कार निकाल कर दे दो .

नौकर हरयाणवी - मालिक कौन सी कार निकाल दूं शेवरलेट, मारुती, इम्पाला निकाल दूँ .

मेहमानों ने नौकर हरयाणवी से मारुती निकालने को कहा और बैठ कर उन्होंने कार स्टार्ट की और बोले पिताजी का फोन आये तो उन्हें खबर कर देना की भेडाघाट गए हैं .

नौकर हरयाणवी मेहमानों से - कौन से वाले पिताजी को जबलपुर वाले देहली वाले या इंदौर वाले को खबर करना हैं .

महेंद्र मिश्र की कलम से.

27.1.10

आरती टंकी माता की....

कल २६ जनवरी को राज भाटिया जी ने टंकी का उदघाटन करवा दिया और ताउजी को ऊपर चढाने के राजी कर लिया हैं . टंकी का उदघाटन तो हो गया तो मैंने सोचा चलो भाई अब टंकी माता की आरती भी कर लेते है . चलिए स्तुति करें टंकी माई की ....

आरती टंकी माता की

ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता
जो ब्लॉगर तुझको ध्यावे मनवांछित फल पाता
तुम हो दयालु माता पानी ही तुझसे ही आता
ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता

जिसपे कृपा द्रष्टि हो तुम्हारी त्रिभुवन सुख पाता
जो अशान्त ब्लॉगर तेरी शरण में ऊपर को जाता
उतरते ही वह त्रासदी भुलाकर परमशान्ति पाता
ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता

जो तुम्हारी महिमा ध्यानमग्न हो कर गाता
वही ब्लॉगर सहज में टंकी से छुटकारा पाता
ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता


महेन्द्र मिश्र
जबलपुर.

26.1.10

गणतंत्र दिवस के अवसर पर मैंने हमारे राष्ट्रगान जन गन मन अधिनायक के बारे में कुछ इस तरह से पढ़ा ?

जब जब अकबर के दरबार के किस्से पढ़ता हूँ तो उनके दरबारी भी याद आ जाते हैं . ये दरबारी हमेशा अकबर की शान में कसीदे पढ़ते थे उनपे लेख पुराण और रचनाये लिखते थे . हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त किये हुए ६० वर्षो से अधिक का समय हो गया है . अभी तक मुझे यह मालूम था की राष्ट्रगान के रचियता गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर थे पर आज दैनिक समाचार पत्र नई दुनिया में राष्ट्रगान के बारे में अर्थ सहित कुछ इस तरह से पढ़ा . लिखा गया है की कहा जाता है की गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने यह गीत जार्ज पंचम की स्तुति में लिखा था . इस स्पष्टीकरण से तो मेरा दिलो दिमाग ही हिल गया है और सोचने को मजबूर हो गया है की गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर क्या अंग्रेजो के भक्त थे ? क्या वे राष्ट्र भक्त नहीं थे और जार्ज पंचम के दरबारी थे आदि आदि ? क्या वे स्वार्थ वश अंग्रेजो की स्तुति करते थे .. यदि सभी को यह मालूम था की यह गीत गुरुदेव द्वारा जार्ज पंचम की स्तुति गान के लिए लिखा गया है तो भी इस गीत को हमारे देश का राष्ट्रगान बनाया गया है आदि आदि . चलिए गुरदेव द्वारा जार्ज पंचम के लिए जो स्तुति गान ( नई दुनिया समाचार पत्र से साभार ) लिखा गया है वह अर्थ सहित प्रस्तुत कर रहा हूँ . आप भी पढ़िए और इस गीत पर आप भी अपने नजरिये से विचार करें .

जन गण मन अधिनायक जय हे
अर्थ - हे भारत के जन गण और मन के नायक ( जिसके हम अधीन हैं )
भारत - भाग्य - विधाता
अर्थ - आप भारत के भाग्य विधाता हैं .
पंजाब सिंध गुजरात मराठा
अर्थ - वह भारत पंजाब सिंध गुजरात महाराष्ट्र
द्राविड उत्कल बंग
अर्थ - तमिलनाडु उडीसा और बंगाल जैसे प्रदेशो से बना है .
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा
अर्थ - जहाँ विन्द्यांचल तथा हिमालय जैसे पर्वत हैं और यमुना गंगा जैसी नदियाँ हैं
उच्छल जलाधि तरंगा
अर्थ - और जिसकी तरंगे उच्छश्रंखल होकर उठती हैं
तब शुभ नामे जागे
अर्थ - आपका शुभ नाम लेकर ही प्रातः उठते हैं
तब शुभ आशीष मांगे
अर्थ - और आपके आशीर्वाद की याचना करते हैं
जन गण मंगलदायक जय हे
अर्थ - आप हम सभी का मंगल करने वाले हैं , आपकी जय हो
गाहे तब जय गाथा
अर्थ - सभी आपकी ही जय की गाथा गायें
जन गण मंगलदायक जय हे
अर्थ - आप हम सभी का मंगल करने वाले हैं , आपकी जय हो
भारत भाग्य विधाता
अर्थ - आप भारत के भाग्य विधाता हैं
जय हे जय हे जय हे
अर्थ - आपकी जय हो जय जय हो
जय जय जय हो

अब आप यह पढ़ें और अर्थ निकले यह आपके लिए ...

साभार - राष्ट्र गीत नई दुनिया समाचार पत्र से .

23.1.10

ब्लागर पच्चीसी : खूसट ब्लॉगर की आत्मा और ब्लागर

एक गहरी अँधेरी रात में सुनसान श्मशान घाट में एक ब्लॉगर पहुंचा और पेड़ से एक खूसट ब्लॉगर का शव उतारा और अपने कंधे पर लादकर उसे लेकर चल पड़ा . रास्ते में ब्लॉगर की आत्मा ने ब्लॉगर से कहा - पहले मेरे सवाल का जबाब दो वरना तुम्हारा सर टुकडे टुकडे हो जायेगा....ब्लॉगर हँसता कब है और रोता कब है ?

ब्लॉगर ने उत्तर दिया - जब ब्लॉगर अपना पहला ब्लॉग बनाता है और उसे देखकर बहुत खुश होता है और जब वह अपने ब्लॉग पर पहली पोस्ट डालता है तो वह अपने आपको किसी तुर्रम खाँ से कम नहीं समझता . रातोरात लेखन की दुनिया में प्रसिद्दी पाने के सपने देखने लगता है और अपने आपको बहुत बड़ा लेखक और साहित्यकार समझने लगता है भलाई वह यहाँ वहां से दूसरे की रचनाओं को चुराकर लिखता हो . जब ब्लागर को अधिक टिप्पणी मिलती हैं तो वह उन्हें पढ़ पढ़कर बहुत खुश होता है .

ब्लागर उस समय भी बहुत खुश होता है जब वह अपनी पोस्ट का आंकड़ा बढ़ता देखता है याने सैकड़ा दो सौ पांच सौ पोस्ट ..... जब सैकड़ा भर पोस्ट हो जाती है तो वह सेंचुरियन के नाम से अपने आपको सचिन तेंदुलकर से कम नहीं समझता है जिसने जैसे सैकड़ा मार दिया हो . जब किसी ब्लॉगर की पोस्ट ब्लॉग से सीधे अखबारों में प्रकाशित होती है तो बेचारा फ़ोकट में बहुत खुश हो जाता है भलाई अखबार वाले उसे धिलिया न दे रहे हों .

हाँ तो ये भी सुन लो ब्लागर रोता कब है ....जरा ध्यान से सुनना ... जब कोई ब्लॉगर प्रतिष्ठा के शीर्ष पर बैठ जाता है और घमंड के कारण उसकी कलम यहाँ वहां भटकने लगती है और वह उल जुलूल लिखने लगती है . वह रावण की तरह सबकी खिल्लियाँ उड़ाने लगता है वह अमर्यादित हो जाता है . एक समय यह आता है की वह कूप मंडूक की तरह हो जाता है और अकेला पड़ जाता है फिर उसे कोई पूछने वाला नहीं होता है तब वह अपने माथा ठोककर अपनी करनी और कथनी पर विचार करता हुआ रोता है . जब वह खूब कलम घसीटी करता है पर उसकी पोस्ट को पढ़ने वाले नहीं मिलते हैं ब्लॉगर तब भी खूब रोता है .

ब्लॉगर की आत्मा ने ब्लॉगर को एक झटका मारा और कहा हे ब्लॉगर तुम ठीक कहते हो अरे तुम तो ब्लागजगत के कोई घिसे पिटे जोद्धा दिखाई दे रहे और हा हा हा कहते हुए आसमान की और उड़ गया .

रिमार्क - ब्लागर पच्चीसी आगे भी जारी रहेगी ...

नेताजी जयंती "तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा" नेताजी और जबलपुर शहर ....





तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा का नारा देने वाले नेताजी सुभाष चंद बोस की आज जयंती है. स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी का यह नारा आज भी जनमानस के दिलो पर छाया हुआ है जो दिलो में जोश और उमंग पैदा कर देता है . वे कांग्रेस के उग्रवादी विचारधारा के सशक्त दमदार नेता थे . उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को खुली चुनौती दी थी . महात्मा गाँधी ने नेताजी को दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर आसीन कराया था पर वे नेताजी की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट थे .दूसरे विश्व युद्ध के समय महात्मा गाँधी अंग्रेजो की मदद करने के पक्ष में थे परन्तु नेताजी गांधीजी की इस विचारधारा के खिलाफ थे और उस समय को वे स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उपयुक्त अवसर मानते थे .

सुभाष चंद बोस का जबलपुर प्रवास पॉंच बार हुआ है . स्वतंत्रता के पूर्व सारा देश अंग्रेजो से त्रस्त था . स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित होने वाले वीर क्रांतिकारियो को चुन चुन कर अंग्रेजो द्वारा जेलों में डाला जा रहा था . नेताजी ने भूमिगत होकर अंग्रेजो से लोहा लिया और आजाद हिंद फौज का गठन किया . सबसे पहले सुभाष जी को पहली बार 30 मई 1931 को गिरफ्तार कर जबलपुर स्थित केन्द्रीय जबलपुर ज़ैल लाया गया और यहं उन्हें बंदी बनाकर रखा गया जहाँ की सलाखें आज भी उनकी दास्ताँ बयान कर रही है .. दूसरी बार 16 फ़रवरी 1933 को तीसरी बार 5 मार्च 1939 को त्रिपुरी अधिवेशन मे सुभाष जी का बीमारी की हालत मे नगर आगमन हुआ था.

सन १९३९ में जब कांग्रेस का अध्यक्ष पद चुनने का समय आया तो जबलपुर शहर के पास में स्थित तिलवाराघाट में त्रिपुरी कांग्रेस के अधिवेशन में गांधीजी ने नेताजी को इस पद से हटाने का मन बना लिया था और अपना उम्मीदवार सीतारमैय्या को अध्यक्ष पद के लिए अपना उमीदवार घोषित किया . इस प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव में गाँधी खुद त्रिपुरी नहीं आये थे और उस चुनाव में नेताजी ने सीतारमैय्या को २०३ मतों से पराजित किया था . नेताजी सुभाष चंद बोस की जीत से महात्मा गाँधी इतने बौखला गए थे की उन्होंने अपने समर्थको से कह दिया की यदि नेताजी के सिद्धांत पसंद नहीं हैं तो वे कांग्रेस छोड़ सकते है . चौथी और अंतिम बार सुभाष जी 4 जुलाई 1939 को नेशनल यूथ सम्मेलन की अध्यक्षता करने जबलपुर आये थे .. सारा देश और यह जबलपुर शहर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महान देश भक्त का हमेशा कृतज्ञ रहेगा .

आज ऐसे शूरवीर क्रन्तिकारी स्वतंत्रता संग्राम योद्धा नेताजी सुभाष चंद बोस का जयंती के अवसर पर स्मरण करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए शत शत नमन करता हूँ .
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