31.3.09

चलना सिखा दिया.... गलना सिखा दिया है

चलना सिखा दिया गलना सिखा दिया है
घनघोर आंधियो में जलना सिखा दिया है

हमें मिला है अपने श्रद्धेय गुरुदेव का बल
माँ ने हमें दिया है अपना पुनीत आंचल

सुख दुःख है यहाँ मैदान और दल दल
संसार एक पथ है जिसमे न फूल केवल

काँटों भरी डगर पे चलना सिखा दिया है
फूलो की सेज के इच्छुक है सभी यहाँ

लेकिन प्रकाश के कण दिखते नहीं कही पर
तम की महानिशा में चलना सिखा दिया है

यहाँ साधन भरे पड़े है पर साधना नहीं है
भगवान तो वही है पर यहाँ साधना नहीं है

चलना सिखा दिया गलना सिखा दिया है
अपनी उपासना को फलना सिखा दिया है

साभार-युग निर्माण योजना से रचना.
जय गुरुदेव

29.3.09

27.3.09 को प्रकाशित व्यंग्य - ब्लॉगर बंधु भाई भाई पर हकीकत क्या है यह भी जान ले.


ब्लागिंग जगत में अपने चिकना ब्लॉगर और वैशाखी नाम के दो ब्लॉगर थे जो सारी दुनिया में ब्लागर शिरोमणि बनना चाहते थे . दोनों को अपनी लेखनी पर भंयकर नाज था इसके लिए उन्होंने बड्डे ब्लॉगर और छोटा हाथी नामक ब्लागरो के भगवानो की जमकर पूजा की जिससे दोनों ब्लागरो के भगवान प्रसन्न हो गए और बोले तुम्हे क्या वर चाहिए तो तपाक से वैशाखी ब्लॉगर बोला भगवान आप तो मुझे ब्लॉगर शिरोमणि बनवा दे मै जो लिखू और कहूँ वह स्वयं सिद्ध हो जाये मै जो कहूं वही हो . मै जिसको ब्लॉगर कहूं वह ब्लॉगर माना जाये और जिसको न कहूं वह ब्लॉगर न माना जाये. ब्लॉगर भगवानो ने तथास्तु कहा और उन्होंने अपनी राह पकड़ ली.

यह पोस्ट व्यंग्य - ब्लॉगर बंधु भाई भाई दिनाक 27.3.09 को मेरे द्वारा लिखी गई . इस व्यंग्य पोस्ट में चिकना ब्लॉगर और वैशाखी" ब्लागर नाम काल्पनिक दिए गए गए . ब्लॉगर जगत में वैशाखी नाम का कोई ब्लॉगर नहीं है और न ही वैशाखी व्यक्तिगत नाम है . एक भाई वरिष्ठ ब्लॉगर जबलपुर के गिरीश बिल्लौरे जी द्वारा दिनाक २८.०३.09 को साथ मेरी इस पोस्ट की लिंक के साथ अपनी शारीरिक स्थिति बाबत एक फोटो लगाकर सभी ब्लॉगर भाइओ को एक मेल किया गया है जिसमे कहा गया है कि उन्हें लेकर मेरी पोस्ट लिखी गई है और उन्हें मैंने विकलाग बताया है .

यह मेल श्री गिरीश बिल्लौरे जी द्वारा कई ब्लॉगर भाइओ को प्रेषित किया गया है.

ज़रूरी है की सबको बता दूं कि.........सटायर के बहाने गन्दगी ....?इनबॉक्सX

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GIRISH BILLORE vijaytiwari'5, satpal, Smart, sunita को
विवरण दिखाएँ मार्च २८ (1 दिन पहले) उत्तर दें

व्यंग्य - ब्लॉगर बंधु भाई भाई

का नारा देता यह आलेख कितना मानव अधिकारों का
हनन कर रहा है इसका निर्णय आप सुधिजन ज़रूर करेंगें मुझे यकीन
हैं. जिस ब्लॉग पर किसी की शारीरिक निर्योग्यता का उल्लेख होता है
उसे क्या कहा जाए . आप इस ब्लाग से कितने भी सहमत हों मुझे पीडा
है की इस तरह की पोस्ट आ रहीं हैं जो मानसिक पागलपन की नज़ीर है
कोई मेरे लेखन के बारे में सब कुछ कहे घोर असहमति व्यक्त करे कोई
आपत्ति नहीं क्योंकि "रचना-धर्म" इन्हीं कसौटियों पर कसा जाता है
किन्तु शारीरिक संरचना पर गलीच बातें करना ईश्वरीय सत्ता को
अपमानित करना है
उस पर बंद आँखों से सहमति भी गलत है
ब्लॉगर बंधुओ/बहनों
आप इस ब्लॉग को पढिये और मेरी फोटो देखिए
सब साफ़ हो जाएगा फिर यदि आप मुझे लानतें भेजना चाहतें है ज़रूर भेजिए
इस पत्र के लिए .
सादर शुभकामनाओं के साथ
मैंने गिरीश बिल्लौरे जी नाम भी नहीं लिखा है और उनका नाम भी वैशाखी नहीं है . उनका कहना सरासर गलत है कि उन्हें ही विकलाग बताया जा रहा है जबकि उनका इस पोस्ट में मैंने कही भी जिक्र नहीं किया है . बेहद अफसोसजनक है . दुनिया में और भी ब्लॉगर विकलांग हो सकते है . यदि उनका नाम मै पोस्ट में देता तो मै जबाबदार होता परन्तु यहाँ उनका नाम भी नहीं है जबरन हंगामा कर रहे है और मुझे उल्टा बदनाम करने की कोशिश कर रहे है . आप सभी उनका मेल और मेरी पोस्ट देखे उसमे उनका नाम तक नहीं है फिर क्यों अनावश्यक विवाद कर रहे है यह मेरी समझ से परे है . आप सभी मेरी उक्त पोस्ट का अवलोकन करें और देखे की मै सही हूँ या गलत .

चिठ्ठाचर्चा ने भी इसमें नमक डालकर इस मामले को उठाने में कोई कसर नहीं रखी है . जो चिठ्ठा चर्चा की गई है उसमे हम दोनों शहर के ब्लागरो को समझाईस दी गई है या शहर का मजाक उडाने की कोशिश की गई है जो एक वरिष्ठ ब्लॉगर को शोभा नहीं देता है कि किसी मामले को टूल देना शायद मजाक करना उनकी आदत है . मैंने यदि कुछ व्यंग्य लिखने की कोशिश की तो उक्त ब्लॉगर ने मेरे शहर के व्यंगकार हरिसंकर परसाई जी का नाम लिया और अपनी पोस्ट में लिखा कि वह व्यंग्यकार बन रहा है दुनिया को व्यंग्य सिखा रहा है जबकि मै कोई व्यंगकार नहीं हूँ .

इस प्रकार जो भद्दे आक्षेप लगाकर बदनाम किया गया उससे मै आहत हुआ हूँ . मेरी समझ में नहीं आता है कि मेल में यदि कोई फोटो और लिंक लगा दे और कहे यह मेरे लिए लिखी गई पोस्ट है जबकि उसका नाम तक नहीं दिया गया है यह वेबजह जबरन सींग लड़ाने वाली बात है . आप स्वयम मेरी पोस्ट का अवलोकन करे कि कौन गलत और कौन सही है . जबरन चरित्र हनन करना कहाँ तक उचित है.

नर्मदे हर हर हर महादेव

27.3.09

व्यंग्य - ब्लॉगर बंधु भाई भाई

ब्लागिंग जगत में अपने चिकना ब्लॉगर और वैशाखी नाम के दो ब्लॉगर थे जो सारी दुनिया में ब्लागर शिरोमणि बनना चाहते थे . दोनों को अपनी लेखनी पर भंयकर नाज था इसके लिए उन्होंने बड्डे ब्लॉगर और छोटा हाथी नामक ब्लागरो के भगवानो की जमकर पूजा की जिससे दोनों ब्लागरो के भगवान प्रसन्न हो गए और बोले तुम्हे क्या वर चाहिए तो तपाक से वैशाखी ब्लॉगर बोला भगवान आप तो मुझे ब्लॉगर शिरोमणि बनवा दे मै जो लिखू और कहूँ वह स्वयं सिद्ध हो जाये मै जो कहूं वही हो . मै जिसको ब्लॉगर कहूं वह ब्लॉगर माना जाये और जिसको न कहूं वह ब्लॉगर न माना जाये. ब्लॉगर भगवानो ने तथास्तु कहा और उन्होंने अपनी राह पकड़ ली.



वैशाखी ब्लॉगर

चिकना ब्लॉगर और वैशाखी ब्लॉगर के भावः बढ़ गए और उनका घमंड सांतवे आसमान पे चढ़ गया. अब दोनों ने एलान किया कि निम्नाकित ब्लॉगर सिर्फ मेरे कस्बे के है और जो अनजाने इस कस्बे में है वो ब्लॉगर नहीं है. आखिरकार बात ब्लागरो के भगवानो तक पहुँच गई और ब्लॉगर भगवान को भी लगने लगा कि दोनों की अक्ल को ठिकाने लगा देना चाहिए वरना ये अपने लिए भविष्य में खतरे की घटी बजवा देंगे.

भगवान ने दोनों ब्लागरो को सलाह दी भाई तुम दोनों कलम बहुत अच्छी चलाते हो तुम्हे अपनी कलम की ताकत का घमंड है. तुम दोनों में श्रेष्ट कौन है इसका फैसला होना जरुरी हो गया है. तुम दोनों अपनी अपनी कलमो में स्याही भरा लो और फैसला करने के लिए अखाडे चलो . दोनों ब्लागर कलम लेकर अखाडे पहुँच गए और लगे और लगे आपस में कलम भांजना शुरू कर दिया. कलम भांजते भांजते दोनों आपस में लड़ पड़े . चिकना ब्लॉगर और वैशाखी ब्लॉगर को इससे कोई फायदा नहीं पहुंचा और आखिरकार और दोनों शक्तिहीन हो गए और कही के न रह गए .. आजकल किसी की बखिया उखाड़ने में और उसको नीचा करने की कोशिश में लगे रहते है और अपने आपको अच्छा साबित करने की कोशिश में है पर वे नहीं जानते है जो दूसरो के लिए गड्डा खोदता है पहले वह ही उसी में गिर जाता है.

सीख- कि कभी ख्याली पुलाव मत पकाओ . किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए सतत खुद मेहनत करना चाहिए. कभी किसी की निंदा न करे अगर करे तो खुलकर करे.


व्यंग्य-
महेंद्र मिश्र
जबलपुर.

रिमार्क - यदि कोई व्यंग्य आलेख लिखा जाता है तो उसका अर्थ अनर्थ न निकाला जाये यही मेरी आप सभी से प्रार्थना है सिर्फ पढ़कर ही एन्जॉय करे जिससे मेरा भी लिखने का हौसला बना रहे . व्यंग्य तभी लिखे जा सकते है खुद को उस व्यंग्य पार्ट का पात्र बना लिया जाये तभी वह रोचक हो सकता है. व्यंग्य तो व्यंग्य होते है व्यंग्य को व्यंग्य समझकर महज कृप्या अपने ऊपर न लें ..

23.3.09

कागज़ के फूल भीनी खुशबू दे नहीं सकते है

कागज़ के फूल भीनी खुशबू दे नहीं सकते है
बनावटी चाहत सच्चा प्यार दे नहीं सकती है.

उनको कोशिशे कर हम.... भुलाए जा रहे है
भुलाने की चाह में वे अब और याद आ रहे है.

जिसको हीरा समझ.. दिल से तराशना चाहा
देखिये तकदीर उसकी वह पत्थर निकल गया.

20.3.09

व्यंग्य - हमारे गुरूजी ब्लॉगर चुनावों के अखाडे में

हमारे गुरूजी ब्लॉगर उर्फ़ बड्डे बड़े परेशान दिख रहे थे और परेशानी में अपनी चिकनी खोपडी बार बार खुजा रहे थे . मैंने उन्हें परेशान देखकर उनसे कहा काय बड्डे बड़े परेशान दिख रहे है आप ?

आखिर बार बार आप अपनी चिकनी खोपडी और भारी भरकम तौंद क्यों खुजा रहे है मुझे मालूम है कि जब बड्डे आप परेशान रहते है तो चिकनी खोपडी जरुर खुजाते है गुरुदेव .

गुरुदेव को बस बोलने का मौका मिल गया इसीलिए कि जैसे डूबते तिनके एक सहारा मिल गया हो . अपना गला खखार कर बोले - परेशान क्यों न हूँ . ब्लॉग लिखते लिखते सर के बाल सफ़ेद हो गए है पर कमाई का नाम ही नहीं है आज तक एक धिलिया और एक कौडी तक नसीब नहीं हुई है . कमाई न होते देख ताऊ की मिस रामप्यारी भी आयेदिन ताना देती रहती है कि जबरन अपनी उंगलियाँ तोडत रहत है . सुनकर भाई मुझे अपनी तौंद और चिकनी खोपडी खुजाना ही पड़ती है .

आगे गुरुदेव ब्लॉगर बोले - आज सुबह सुबह अखबार में पढ़ा कि अब देश के बड़े बड़े नेतालोग अपने प्रचार प्रसार के लिए अपने अपने ब्लॉग बनाने में जुट गए है सो मुझे इस काम में उम्मीद की नई रोशनी दिखाई दे रही है कि कमाई का एक खासा नुस्खा हाथ लग गया है सो मैंने अपने चमचो से कह दिया है कि भाई तुम लोग नेता लोगन को पकड़ के लाओ और उनसे कहो की हमारे गुरूजी ब्लॉगर को ब्लॉग बनाने में महारत हासिल है . हमारे गुरुदेव ब्लॉगर मिनटों में नेता जी का ब्लॉग बना देंगे .

फिर बड्डे गंभीर स्वरों में मुझसे बोले कि देखो छोटे कमाई करना है तो जल्दी जल्दी नेता लोगन को पकड़ कई लाओ तबही नोट बरसेंगे . आज ही अखबार में पढ़ा है वाणी जी लल्लू जी पटनायक जी ने अपने अपने ब्लॉग बना लिए है और ब्लॉग के माध्यम से अपने प्रचार प्रसार के लिए जुट गए है और वर्ल्ड लेबल पर प्रचार कर रहे है क्योकि उन्हें मालूम है कि ब्लॉग लोकप्रियता पाने का सबसे अच्छा तरीका है और उन्हें इसका फायदा चुनाव के बाद मिलेगा .

यह सुनते ही मेरी रगों में खून का प्रवाह तेज हो गया और मुझसे रहा नहीं गया मैंने गुरुदेव से तत्काल कह दिया साहब देश में सांसदों के चुनाव हो रहे है और नेता लोग ब्लॉग में विश्व स्तर पर अपने विचार सबके सामने रखेंगे . सरे देशो के लोग उनके विचार पढेंगे . पर नेता लोगन को वोट तो उनके क्षेत्र इलाके से ही मिलेंगे कि विश्व स्तर पर कई देशो से उन्हें इस चुनाव में वोट मिलेंगे यह सोचने की बात है .. ब्लॉग बनाकर नेतालोग बाहर ही प्रचार करते रह जायेंगे अपने क्षेत्र में प्रचार प्रसार क्या ख़ाक कर पाएंगे और घंटा वोट मिलेंगे ... और ब्लॉग के चक्कर में चुनावों में कही नेता लोगन की लुटिया न डूब जाए . ऐसे में गुरदेव नेता लोगन के ब्लॉग बनाने और कमाई करने का चक्कर छोडो क्योकि मुझे मालूम है कि नेता लोगन के ब्लागों का भविष्य अंधकारमय है .

यह सुनते ही गुरु ब्लॉगर आग बबूला हो गए और उन्होंने आज मुझे जर्मन मेड ताऊ का लट्ठ लेकर खदेड़ना चाहा कि मैंने फौरन ही दौड़कर अपनी गली पकड़ ली .

व्यंग्य-
महेंद्र मिश्र
जबलपुर.

रिमार्क - यदि कोई व्यंग्य आलेख लिखा जाता है तो उसका उल जुलूल अर्थ अनर्थ न निकाला जाये यही मेरी आप सभी से प्रार्थना है सिर्फ पढ़कर ही एन्जॉय करे जिससे मेरा भी लिखने का हौसला बना रहे . व्यंग्य तभी लिखे जा सकते है जब खुद को उस व्यंग्य पार्ट का पात्र बना लिया जाये तभी वह रोचक हो सकता है .

19.3.09

व्यंग्य - नामचीन ब्लॉगर के चमचे की डायरी (ब्लॉग)


भाई मै हूँ एक नामचीन ब्लागर्स का चमचा और उनकी प्रशंसा में अपनी डायरी लिखता हूँ जिसका मुझे बहुत ही फायदा होता है कि मेरी डायरी में टिप्पणियों का ढेर लग जाता है. मै उनको कभी वाह गुरु, तुम्हारा गुरु जबाब नहीं और तुमसे बढ़कर कौन आदि आदि लिखकर संबोधित करता हूँ . हमारे गुरु आज सुबह सुबह नेट पर दिखे तो थे पर उन्होंने बहुत जल्दी गुड नाईट कर ली उसका कारण था हमारे गुरु ने कल रात डिनर में काफी खा पी लिया था जिससे उनको बदहजमी हो गई है इसीलिए उन्होंने आज जल्दी से गुड नाईट कर ली.

गुरूजी के कारण मेरी ब्लॉग जगत में रेटिंग बढ़ गई है. हमारे नामचीन ब्लॉगर महोदय रात को घूमने निकलते है और मै उनके साथ एक थैले में खंम्बा (एक अद्धी) रखकर ले जाता हूँ फिर हम दोनों मस्ती कर शेरो शायरी करते है. रात की बात को मै अपनी डायरी में दिल से उकेर देता हूँ और अपने गुरु के सम्मान में खूब कसीदे पड़ता लिखता हूँ.

अपने गुरूजी ब्लॉगर बड़ी चालू चीज है दिन भर अपने घर में छोटे-मोटे ब्लागरो का जमघट लगाए रहते है और बड़े बड़े आश्वासन देते रहते है कि तुम मेरे सम्मान में कुछ करो कोई पार्टी वगैरा करो मुझे कोई प्रतीक चिन्ह शील्ड और दो और मेरी फोटुआ अपनी डायरी ब्लॉग में छाप दो जिससे मेरी बल्ले बल्ले हो . इन नामचीन ब्लागर को दारू और पार्टी बहुत पसंद है . डिनर में गुरूजी ने ब्लागिंग में खुद का आत्मकल्याण करने के मधुर मधुर तरीके बताये और उन तरीको को सुनकर मै निहाल हो गया .

गुरूजी ने मुझे ब्रम्हवाक्य दिया है कि लोककल्याण करने की बजाय ब्लागिंग में अपना आत्मकल्याण करने की सोचो मै भी आज उस ब्रम्ह वाक्य पर अमल कर रहा हूँ . आखिर मै भी अपने गुरु का चेला हूँ जो मुझे ब्लागिंग में नहीं आता था वह मैंने दूसरे ब्लागर साथी से सीखा बाद में मैंने उस ब्लॉगर को धता बता दिया और सीधे अपने गुरूजी से जुगत भिड़ा दी . आज मै अपने गुरूजी के बेहद करीब हूँ और ब्लागिंग जगत में अपना परचम फहरा रहा हूँ.

एक चीज और अपनी डायरी में लिख रहा हूँ कि हमारे गुरूजी ब्लॉगर बड़े झटकेबाज है कहते कुछ है करते कुछ और है . हमारे गुरूजी के ऊपर जहाँ बम वहां हम ..... वाली कहावत लागू होती है यानि कि जहाँ बम होगा वहां हमारे गुरूजी ब्लॉगर उपस्थित रहेंगे. हमारे गुरूजी के एक शिष्य ब्लॉगर है जो परमहंस से कम नहीं है. बड़े अज्ञानी ध्यानी है . सरकारी मद से अपनों के स्मृति आयोजन तक करा डालते है याने कि आड़ में झाड़ लगाने में उन्हें महारत हासिल है. किसी ब्लॉगर की बखिया उखाड़ना तो कोई उनसे सीखे और भी मेरे ब्लॉगर साथी है जो मेरे गुरु ब्लॉगर के पैदल पिद्दी सैनिक कहाते है जो हमेशा गुरूजी ब्लॉगर की हमेशा आरती उतारते रहते है.

बस आज का इतना ही मसाला मिला है जो मै अपनी ब्लॉग डायरी में लिख रहा हूँ बाकी बाते बाद में लिखूंगा गुरूजी के अगले करतब देखकर .....


व्यंग्य-आलेख
महेन्द्र मिश्र

रिमार्क- आगे देखिये अगला शीर्षक - हमारे गुरूजी ब्लॉगर चुनावों के अखाडे में

रिमार्क - यदि कोई व्यंग्य आलेख लिखा जाता है तो उसका उल जुलूल अर्थ अनर्थ न निकाला जाये यही मेरी आप सभी से प्रार्थना है सिर्फ पढ़कर ही एन्जॉय करे जिससे मेरा भी लिखने का हौसला बना रहे . व्यंग्य तभी लिखे जा सकते है जब खुद को उस व्यंग्य पार्ट का पात्र बना लिया जाये तभी वह रोचक हो सकता है .

17.3.09

जीवन सागर है डूबोगे मोती पाओगे

जीवन सागर है डूबोगे मोती पाओगे
बैठोगे तट पर बस सीट ही पाओगे

तैरोगे तेज धार में तीव्र गति पाओगे
लहर नाव बैठे मंजिल तक जाओगे

तुम हंस के माथे पर बिंदियाँ लगाओ
हरी चुनरिया से कविता को सजाओ.

जाओगे झोपडी में दर्द बाँट लाओगे
सूनी आँखों में ज्योति भर लाओगे.

शोषित को शोषण से दूर खींच लाओगे
पहुंचोगे सीमा पर जीवन फल पाओगे.

......

15.3.09

आरजू जिस नजर की थी मैंने वो नजर बदल गई है.

बदल गई है सारी दास्ताँ फर्क महज ये इतना ही है
बस दो कदम की दूरी है फिर भी मिलना कठिन है.

जब बदल गई शमां तो शमां फजल भी बदल गई है
आरजू जिस नजर की थी मैंने वो नजर बदल गई है.

जख्म अपनों से खाए जख्म खाना आदत हो गई है
आरजू जिस निगाह की थी वो निगाहें बदल गई है.

जो दाग मेरे माथे पर तूने जिस बेदर्दी से लगाया है
खुदा फिर भी उन्हें सलामत रखें यही मेरी दुआ है.

......

11.3.09

होली संध्या पर संकल्प ले : उठो समय आमंत्रण देता युग करता है आहवान

उठो समय आमंत्रण देता युग करता है........आहवान
नवल सृजन...का समय आ गया. लाओ नया बिहान
शांति मार्ग को रोके बैठा है.....अन्धकार और अज्ञान
बनकर ज्ञान सूर्य की किरणे छेडो.. तुम नव अभियान
छुआ-छूत का भूत भगाकर करो ...तुम देश का उद्धार.

भय कुरीतियों के जंगल में पनप नहीं पाते है....फूल
घ्यान बिना जीवन के सपने आज चाटते है.......धूल
ऊँच नीच की रची राखी हुई है.......छाती पर चट्टान
मानवता की फसलें चरता.. ...अंहकार और अभिमान
भेदभाव की जड़ काटो.......लेकर संकल्प शक्ति कुठार.

9.3.09

होली पर नजरो का जाम

जब पीने पिलाने की बात मयखाने में चली
दिल से याद आए बहुत तेरे होठो के जाम.

जिंदगी में यूं मैंने कभी भी पिया नहीं जाम
मयखाने में बैठकर शराब से नहीं हूँ बेखबर.

सुबह होते उसने शराब पीने से कर ली तौबा
उसने रात को अपने पीने की दास्तान सुनी.

आपस में जाम टकराकर जब पिया करते है
सबकी नजरो से छिपकर लोग पिया करते है

सब शराब में सोडा मिलाकर पिया करते है
मै बिना सोडा के तेरी नजरो से पी लेता हूँ

दोस्तों की महफ़िल में तू इतना न पिया कर
तुझे दोस्त उठाकर तेरे घर न छोड़ने न जाये

यारा जब से मैंने तेरी नजरो से जाम पिया है
तबसे मयखाने जाने का रास्ता भूल गया हूँ

उसने कुछ इस तरह से निगाहों से पिलाई है
खुद का चेहरा आईने में भी नहीं दिख रहा है

सुबह मैंने शराब न पीने की कसम खाई थी
जालिम कसम याद आई शाम को पीने के बाद

6.3.09

व्यंग्य - बरसाने की तर्ज पे द्वितीय लठ्ठमार प्रतियोगिता का आयोजन

प्रथम वर्ष की तरह इस वर्ष भी बरसाने की तर्ज पे द्वितीय लठ्ठमार प्रतियोगिता शहर में होलिका दहन की रात्रि १२ आयोजित की जा रही है. विगत वर्ष भी होली की रात्री १२ शास्त्री ब्रिज रेलवे लाइन पर आयोजित की गई थी. देश भर के विभिन्न क्षेत्रो के प्रतियोगियों ने इस लठ्ठमार प्रतियोगिता में उपस्थित होने हेतु अपनी सहमति लठ्ठमार प्रतियोगिता के आयोजक की दी थी. होली की रात्री में आयोजकगण एक ट्रक लट्ठ लिए सारी रात आयोजन स्थल पर ब्लॉगर प्रतियोगी मंडली का इंतजार करते रहे परन्तु खेद का विषय है कि कोई भी नहीं आया खैर "पिछली ताहि बिसारिये आगे की सुध लेय" की तर्ज पर फिरसे इस वर्ष बरसाने की तर्ज पे द्वितीय लठ्ठमार प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है.

आमंत्रण पत्र


प्रथम वर्ष की तरह इस वर्ष भी बरसाने की तर्ज पे द्वितीय लठ्ठमार प्रतियोगिता शहर में होलिका दहन की रात्रि १२ आयोजित की जा रही है जिसमे आपकी उपस्थिति दर्शक के रूप में नहीं लठ्ठमार प्रतियोगी के रूप में प्रार्थनीय है.

प्रतियोगिता के नियम और शर्ते


लठ्ठमार प्रतियोगिता में कुछ इस तरह के लट्ठ लेकर आना पडेगा.........

01. इस प्रतियोगिता में तेल पिला लट्ठ लेकर उपस्थित होना अनिवार्य है.

02. जो प्रतियोगी लट्ठ अपरिहार्य कारणों से लट्ठ लेकर नहीं आयेगा उसे कुछ शुल्क पर आयोजक मंडली पनागर के तेल पीले लट्ठ उपलब्ध कराएगी .

03. प्रतियोगी भगोरिया डांस करना पड़ेगा और आयोजक गण ढोल आदि की व्यवस्था प्रतियोगी के जेबखर्च पर करेंगे .

04. जिन प्रतियोगी को इस प्रतियोगिता में सर फूटने का डर हो तो वे हेलमेट पहिनकर या ढाल लेकर प्रतियोगिता में भाग ले सकते है .

05 प्रतियोगिता में सहभागी होने वाले प्रतियोगियों को आने जाने का रिक्शा रेल बस का भाडा आयोजक जानो द्वारा नहीं दिया जावेगा सिर्फ तमरहाई के भडुए उन्हें निशुल्क देने की व्यवस्था आयोजक द्वारा की जावेगा.

06. विजेता और उपविजेता घोषित करने का अधिकार सिर्फ महिला कंपनी को होगा और उनका अंतिम निर्णय सभी को मान्य करना होगा उनका निर्णय कोर्ट से बढ़कर होगा. कोई अपील दलील नहीं चलेगी.

07. हारे हुए प्रतियोगी को नियम के मुताबिक अपने जूते प्रतियोगिता स्थल पर छोड़ने होंगे जो विजेता को आयोजक गणों द्वारा उनकी माला बनाकर विजेता को पहनाई जायेगी और ब्लॉगर गणों द्वारा कोरी ताली बजाकर हर्ष व्यक्त किया जावेगा .

08. महिला दर्शक ब्लागर्स हा हा तू तू करने के लिए रंग गुलाल लेकर उपस्थित होंगी अन्यथा उन्हें प्रतियोगिता स्थल पर प्रवेश नहीं करने दिया जावेगा.

लठ्ठमार प्रतियोगिता कार्यक्रम स्थान- शास्त्री ब्रिज रेलवे लाइन के किनारे
तारिख- 10 मार्च 2009
समय- रात्री 12 से आपके आगमन तक.

आयोजकगण ( गुप्त है)

......

यह व्यंग्य मात्र हंसने हँसाने के ध्येय से लिखा गया है बुरा न मानो होली है . सभी ब्लॉगर भाई/बहिनों को होली पर्व की हार्दिक बधाई और ढेरो शुभकामना .. सात रंग आपके जीवन में सतरंग बिखेरे और खुशियो की बरसात करें.

महेन्द्र मिश्र

2.3.09

खुद की तकदीर अपने हाथो ही बनाना पड़ती है..

कोई लकीर न मिली कभी हमें खुशनसीबी की
खुद अपना हाथ हमने कई बार गौर से देखा है..

मै अक्सर तन्हाइओ में जाकर तुझे खोजता हूँ
कही मेरे हाथो की लकीरों में नाम तेरा होगा..

गर देखना है तेरा मुक़द्दर दहलीज के बाहर
तू खुद देख तकदीर खुले आसमाँ तले बसती है..

वो किस तरह कैसे मै क्या कहूं और क्या लिखूं
मेरी तकदीर न जाने कैसे कैसे खेल खेल गई है..

अजीज दोस्त भी नहीं रहते है तकदीर के भरोसे
खुद की तकदीर अपने हाथो ही बनाना पड़ती है..

गर आदमी की तकदीर आदमी के हाथो में होती
हर आदमी खुद को खुदा कहलवाना पसंद करता..