15.9.09

जब तेरे सितमो पे मर मिटे आबाद कभी बर्बाद हुए

तेरी यादे तुमसे बेहतर है तन्हाई में आ जाती है
याद जरुर आते होंगे अक्सर तुझे तन्हाइयो में.

यादो के सहारे जिन्दा है गर मर जाते जुदाई में
तेरी यादो में मै हर पल उदास खोया रहता हूँ.

कब सुबहो हुई कब शाम मुझे पता ही न चला
तेरी यादो को मैंने इस दिल से भुलाना चाहा.

इस दिल को तुम उतना ही खूब याद आये
हमें जब तेरी मोहब्बत में खूब ईनाम मिले.

और प्यार के बदले में मेरी वफ़ा को इल्जाम मिले
जब तेरे सितमो पे मर मिटे आबाद कभी बर्बाद हुए
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10.9.09

बारिश - पहले तरसे फिर हुए बेहाल

बरसात के सीजन में इन्द्र देवता ने तरह तरह के कारनामे दिखाए . जून और जुलाई माह में लग रहा था की इस साल बहुत कम अल्प बारिश होगी . और लोगबाग मानसूनी बरसात के लिए तरस गए . तरह तरह के कयास लगाए जाने लगे . सरकारी स्तर पर आगामी सूखे की स्थिति को भांपते हुए सूखे से निपटने के लिए कार्ययोजना फ़ाइले बनाई गई पर(मित्र के व्यंग्य चित्रों के अनुसार} अचानक इन्द्र देवता ने फाइल गीली कर दी है. अब बाढ़ राहतो की फ़ाइले बने जा रही है . अगस्त तक मात्र बीस इंच बारिश दर्ज की गई थी . अचानक इन्द्र देव ने जोरशोर से अपना पैतरा बदला और और दनादन हो गए शुरू. तीन दिनों के अन्दर बारिश ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए है . अभीतक शहर में बारिश का आंकडा ५० इंच को पार कर चुका है और अभी भी बारिश का सिलसिला जारी है .

लोगबाग अब इस भीषण बारिश से बेहाल और हलाकान हो चुके है . कुंआर के महीने में अचानक तेज बारिश के कारण लोगो की जीवन की दिनचर्या अस्त व्यस्त हो गई है . जगह जगह सड़को पर गड्डे हो गए है और बिजली की व्यवस्था चरमरा गई है . गरीब लोगो के घर मकान भी गिर गए है और खाने पीने के लाले पड़ गए है यह सब देखकर दुःख भी होता है पर ईश्वर के आगे अपनी क्या बिसात है . मौसम के कारण फ्लाईट बंद है . फेक्टरियों में पानी घुस गया है और उत्पादन कार्य प्रभावित हो गए है . खबर है की अधिक बारिश होने के कारण अभी अभी की होशंगाबाद में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है . नर्मदा उफान पर है . भगवान ने पेयजल की समस्या का निराकरण तो कर दिया है पर इस अधिक बारिश के कारण खेती तो सुधर गई है पर खेती में किसानो को लगभग ३० प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ सकता है सोयाबीन और दलहन की फसलो की नुकसान पहुँचने की अधिक संभावना आंकी गई है. चलिए अब बरसात पर एक रचना ....

रिमझिम बरसती बरसात देखकर
खेलने आ गए बच्चे सड़को पर
बता बरसते पानी तेरा क्या है इरादा
क्या घर मेरा तू गिराकर थमेगा
कड़कती हुई बिजली बरसता हुआ पानी
कम्बल से लिपटी तब तड़फती जवानी
बहता जो देखा हमने बारिश का पानी
याद आ गया बचपन और कागज की कश्ती
पड़ी जब चेहरे पर बारिश की बूंदे
सुकून दिया गजब का उस एहसास ने
बागो में खुश हो मोरनी जो नाची
तो समझ गए आज खुदा बरसायेगा पानी
हद हो चुकी अब तो थम जा ऐ बारिश
डूब गया सारा मै ही बचा हूँ.

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8.9.09

एक न एक शमा अँधेरे में जलाए रखना

न ख़ुशी है और न कोई दर्द रुकाने वाला
हमने अपना लिया है हर रंग जमने वाला.

उन्हें रुकसत क्या किया मुझे मालूम नहीं
सारा दर्द दे गया घर छोड़ के जाने वाला.

हम आपको भूल जाए इतने बेवफा नहीं
क्या गिला करे आपसे कोई गिला नहीं.

अपने गम देते मुझे कुछ सूकून तो मिले
कितने बदनसीब है जिन्हें गम नहीं मिले.

एक न एक शमा अँधेरे में जलाए रखना
सुबह होने को है...माहौल बनाए रखना.

आज खास बात है की आज रात रौशन है
हुश्न खूब रौशन है...उजाला साथ लाया है.

मेरी सांसो की खुशबू तेरे प्यार की प्यासी है
मेरी आंखे तेरे प्यार दीदार की प्यासी है।
ooooo

5.9.09

शिक्षक दिवस 5 सितंबर : मानवतावादी डाक्टर राधाकृष्णन

डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय सामाजिक संस्कृति से ओत प्रोत एक महान शिक्षाविद महान दार्शनिक महान वक्ता और एक अस्थावान हिंदू विचारक थे. स्वतंत्र भारत देश के दूसरे राष्ट्रपति थे. डाक्टर राधाकृष्णन ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण 40 वर्ष शिक्षक के रूप मे व्यतीत किए. उनमे एक आदर्श शिक्षक के सारे गुण मौजूद थे .उन्होने अपना जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप मे मनाने की इच्छा व्यक्त की थी और हमारे देश मे डाक्टर राधाकृष्णन का जन्म दिन 5 सितंबर को "शिक्षक दिवस" के रूप में राधाकृष्णन समस्त विश्व को एक शिक्षालय मानते थे. उनकी मान्यता थी कि शिक्षा के द्वारा ही मानव दिमाग़ का सदउपयोग किया जाना संभव है.इसीलिए समस्त विश्व को एक इकाई समझकर ही शिक्षा का प्रबंधन किया जाना चाहिए.

एक बार ब्रिटेन के एडिनबरा विश्वविद्यालय मे भाषण देते हुए डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि मानव को एक होना चाहिए .मानव इतिहास का संपूर्ण लक्ष्य मानव जाति की मुक्ति है .जब देशो की नीतियो का आधार विश्व शांति की स्थापना का प्रयत्न करना हो. शिक्षक दिवस का महत्त्व इस द्रष्टि से अत्यधिक बढ़ जाता है की हम इस दिन अपने गुरुजनों का सम्मान कर स्मरण कर लेते है की उन्ही के आशीर्वाद से हम जीवन में उन्नति और प्रगति कर सकते है. किसी ने कहा है " की गुरुजन बिन ज्ञान प्राप्त नहीं होता है चाहे वह गुरु किसी भी क्षेत्र में किसी भी विधा में पारंगत हो ".

अंत में इस अवसर पर सभी गुरुजनों के चरणों में नमन कर उनका हार्दिक स्मरण कर रहा हूँ की जो भी हूँ या जो भी है वह उनकी असीम कृपा से है.

ॐ तस्मै गुरुवे नमः

1.9.09

चुटकुले हंसी के खजाने से सराबोर

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महाताऊ श्री एक बार निमंत्रण में ताउजी के यहाँ खाना खाने गए . महाताउश्री ने जो खाना खाना शुरू किया तो खाते चले गए और देखते ही देखते २० रोटी खा गए . ताउजी यह सब देखकर हैरत में पड़ गए सोचने लगे यदि इसी तरह से मेहमान महोदय खाना खाते रहे तो मेरा भटरा बैठ जायेगा . यह सोचकर ताउजी खिसिया गए और बोले यार तुम तो खाते ही चले जा रहे हो खाने के दौरान क्या आप पानी वगैरा नहीं लेते ?
ताऊ महाश्री - पीता हूँ मगर आधा खाना खाने के बाद.
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एक साहब ने एक पेटू पंडित को खाना खाने का निमंत्रण दिया था . पंडितजी ने भरपेट खाना खाया और अपनी तौंद पर हाथ फेरते हुए - "बस भर गई है"
साहब ने मलाई की एक प्लेट और पंडित जी के सामने रख दी - पंडित जी ने मलाई की प्लेट भी साफ़ कर दी . वाही पास में खड़े होकर ताउजी यह सब देख रहे थे उनसे रहा न गया बोले - पंडितजी अभी तो आप कह रहे थे की "बस भर गई है" फिर मलाई की प्लेट आपने कैसे साफ़ कर दी .
पंडित जी बोले - जजमान बस तो भर गई थी पर कंडेक्टर की सीट खाली थी .
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एक ब्लॉगर दूसरे ब्लॉगर से - दस साल से ब्लॉग लिखने के बाद मुझे बाद में पता चला की मुझमे सृजन शीलता की प्रतिभा बिलकुल भी नहीं है .
दूसरा मित्र ब्लॉगर - तो तुमने आखिर ब्लॉग लिखना क्यों बंद कर दिया ?
ब्लॉगर - नहीं ब्लॉग लिखना बंद करने से पहले मै काफी प्रसिद्द हो गया था .....है हे हेए .
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27.8.09

जबसे लिखने बैठे चिठ्ठी हम कलम खुद बा खुद रुक जाती है

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जबसे लिखने बैठे चिठ्ठी हम कलम खुद बा खुद रुक जाती है
दिल की बात लिखते लिखते कलम शर्म से खुद रुक जाती है.

मै तुमको यह चिठ्ठी लिखू मेरी इस चिठ्ठी में मेरी धड़कन है
यह लिखते समय फ़िक्र नहीं है इस चिठ्ठी में तेरी कोरी यादे है.

छोड़ गए जबसे इस दुनिया को तुम चिठ्ठी लिखना भूल गए
तुम्हारे जबाब का इंतजार करते करते मेरी पलकें झपक गई .


प्राइवेट डायरी..से
महेंद्र मिश्र .

24.8.09

चुटकुले गुलगुलों के साथ : चलिए आज फिर हँसने हंसाने की बारी है ?

कल्लू - मम्मी आपने भैय्या को किस भाव खरीदा था ?
मम्मी - अरे भाई उसे खरीदा नहीं था वह तो पैदा हुआ था .
कल्लू - फिर पैदा होने पर आपने उसे क्यों तौला था .


काली औरत आपने पति - क्यों मै हरी साड़ी पहिनकर कैसी लगती हूँ ?
पति - मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे भैस घास चर रही हो .


ताउजी ताईजी से - अरी सुनती हो इस पुस्तक में लिखा है की जिन बच्चो के बाप विद्वान् होते है वे बच्चे मूर्ख होते है और जिन बापों के बच्चे विद्वान् होते है इन बच्चो के बाप मूर्ख होते है .
ताईजी ताउजी से - अगर यह सच है तो एक चिंता तो कम हुई अपना बेटा विद्वान् बनेगा .


एक मिल में हड़ताल हो गई . पत्रकारों ने हड़ताली नेता से पूछा - आपकी प्रमुख मांगे क्या क्या है ?
हड़ताली नेता - बस एक ही बड़ी मांग है की काम के घंटे छोटे होना चाहिए
पत्रकार - ये मांग तो जायज है .
हड़ताली नेता - जी हाँ हम हर हाल में चालीस मिनिट का घंटा करवा के छोडेंगे .


ताऊ महाश्री लेखक - मेरी आगामी रचना में वो सब कुछ समाहित होगा जोकि मैंने अपनी साठ सालो की जिंदगी में सीखा है .
श्रोता ताऊ - ओह तो आप अब लघुकथा लिखने की तैयारी में है .

mm

22.8.09

व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई : 22 अगस्त जन्मदिन पर एक मूल्यांकन



आज प्रसिद्द व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई जी का जन्मदिवस है .



श्री हरिशंकर जी का झुकाव अधिकतर सर्वहारा वर्ग की ओर अधिक था . 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था तत्समय सारे देश में आदर्शवादिता चरम सीमा पर थी ओर लोगो के दिलो में आदर्शवादिता का जज्बा कायम था . लोगो के नए नए अरमान थे वे देश ओर साहित्य के लिए समर्पित थे . प्रहरी में हरिशंकर जी परसाई की पहली रचना " पैसे का खेल " 23 नवम्बर 1947 को प्रकाशित हुई थी ओर इसके बाद धोखा, भीतर के घाव, भूख के स्वर ओर स्मारक ओर जिंदगी ओर मौत, दुःख का ताज आदि एक से बढ़कर एक उनकी रचनाये प्रकाशित हुई जोकि अत्यंत भावप्रधान थी जिनमे गरीबी की छाप स्पष्ट दिखलाई देती है.





नौकरी से त्यागपत्र देकर श्री परसाई जी ने अल्प साधन होते हुए भी लेखन के क्षेत्र में पदार्पण किया वे सर्वहारा वर्ग के शुभचिंतक थे बाद में उनका झुकाव बामपंथ की ओर हो गया था जिसके कारण उनके लेखो में इस प्रकार के वाक्यों का अधिकतर उल्लेख किया गया है जैसे -

पर जहाँ जीवन की परिभाषा मृत्यु को टालते जाना मात्र हो वहां जीवन को नापता हुआ वर्ष पास पास कदम रखता है . पर जो जीवन की कशमकश में उलझे है जो पसीने की एक एक बूँद से एक एक दाना कमाते है जिन्हें बीमार पड़ने की फुरसत नहीं है (पुस्तक-जिंदगी ओर मौत) से साभार.

जो साहित्यकार गरीबो ओर पिछडे वर्ग के लिए चिंतन करता है ओर उनके हितों को ध्यान में रखकर रचना धर्मिता कार्य लेखन करता है वह निश्चय ही दूरद्रष्टि का मालिक होता है इसमें कोई संदेह नहीं है ओर जो लेखक अन्तराष्ट्रीय राजनीति ओर समस्याओं पर इतना अधिक लिख सकता है वह अपने मोहल्ले गाँव ओर कस्बे से बंधा नहीं रह सकता है और निश्चित ही संकीर्ण चिन्तक हो ही नहीं सकता है . परसाई जी का स्वतंत्र चिंतन समग्र सर्वहारा वर्ग के लिए था जो इस देश की सीमाओं को पार करते हुए देश विदेश तक फ़ैल गया . पाई पाई जोड़कर अपने चिंतन द्वारा श्री परसाई जी द्वारा जो साहित्य रचित किया गया है आज हम उसे परसाई साहित्य के नाम से जानते है और पढ़ते है .

श्री परसाई जी की पहली रचना "स्वर्ग से नरक" जहाँ तक पहली रचना है जोकि मई १९४८ को प्रहरी में प्रकाशित हुई थी जिसमे उन्होंने धार्मिक पाखंड और अंधविश्वास के खिलाफ पहली बार जमकर लिखा था . धार्मिक खोखला पाखंड उनके लेखन का पहला प्रिय विषय था . वैसे श्री हरिशंकर जी परसाई कार्लमार्क्स से जादा प्रभावित थे . परसाई जी की प्रमुख रचनाओं में "सदाचार का ताबीज" प्रसिद्द रचनाओं में से एक थी जिसमे रिश्वत लेने देने के मनोविज्ञान को उन्होंने प्रमुखता के साथ उकेरा है .



जिस स्थान पर अमन चैन हो वहां पुलिस वाले कैसे अशांति फैला रहे है और कैसे भ्रष्टाचार फैला देता है को लेकर परसाई जी की रचना "इस्पेक्टर मातादीन" लोकप्रिय रचनाओं में से एक है . इस तरह यह कहा जा सकता है की श्री हरिशंकर जी परसाई जी की रचना पहले के समय में प्रासंगिक थी और आज भी है और भविष्य में भी रहेगी . चूंकि श्री हरिशंकर जी परसाई जी इस शहर मे रहे है और उनका संस्कारधानी से अट्ट नाता था और यहाँ के वाशिंदों साहित्यकारों से उनका आत्मिक लगाव- जुडाव था . जन्मदिन के अवसर पर उनके व्यक्तिव और कृतित्व का भावभीना स्मरण करते हुए संस्कारधानी के ब्लागर्स , साहित्यकारों और समस्त जनों की ओर से शत शत नमन करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ .

19.8.09

एक तुम्ही आधार सदगुरु......एक तुम्ही आधार

हे सदगुरु जब तक न तुम न मिलो इस जीवन में
शांति कहाँ मिल सकती है भटकते अतृप्त मन में.

खोजा फिरा संसार सदगुरु एक तुम्ही आधार सदगुरु
कैसा भी तारन हारा मिले न जब तक शरण सहारा.

प्रभु तुम ही विविध रूपों में हमें बचाते भाव कूपो से
ऐसे परम उदार सदगुरु एक तुम्ही हो आधार सदगुरु.

छा जाता जग में अँधियारा तब पाने प्रकाश की धारा
आते है तेरे द्वार सदगुरु एक तुम्ही आधार हो सदगुरु.

हम आये है द्वार तुम्हारे तुम्ही उद्धार करो दुःख हारे
सुनलो इस दास की पुकार सदगुरु एक तुम्ही आधार.

.....

13.8.09

गोविंदा आला रे ... कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना

गोविंदा आला रे ... कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना





सभी ब्लॉगर भाई बहिनों को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई .

11.8.09

हम गुजरा नहीं करते है अनजान राहो से दर्दे दिल लेते देते नहीं हैं

वो आंसुओ की कीमत क्या जाने जो हर बात पर आंसू बहाते है
उनसे कीमत पूछो आंसुओ की जो गमो में भी हंसते मुस्कुराते है.

हम गुजरा नहीं करते है अनजान राहो से दर्दे दिल लेते देते नहीं हैं
मोहब्बत का सिर्फ रिश्ता है आपसे दूसरो को हम दिल देते नहीं है.

अंत में एक जोग-
चित्रगुप्त यमराज से - इस बच्चे की जान अपने समय से पहले क्यों ले ली ?
यमराज - यार मार्च का कोटा जो पूरा करना था .

10.8.09

नौ घंटे सीढी पर चढ़कर मोटर साइकिल लगातार चलाकर रच दिया इतिहास

यदि इंसान में कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो वह क्या नहीं कर सकता है. हैरतअंग्रेज कारनामा को अंजाम देने के लिए साहस और आत्मविश्वास का होना अत्यंत आवश्यक है. विगत दिवस रविवार को जबलपुर के कोबरा ग्राउंड में सेना और प्रशासनिक अधिकारियो और शहर के गणमान्य नागरिको की उपस्थिति में डेयर डेविल्स के केप्टिन जितेन्द्र ने जमीन से १८ फुट ऊपर एवं मोटर साइकिल से १५.४ फुट ऊपर लगातार नौ घंटे सीढी पर चढ़कर बुलेट मोटर साइकिल चलाकर एक हैरतअंग्रेज साहसिक कारनामा कर दिखाया है और विश्व कीर्तिमान रच दिया है.



१५ फुट ऊँची सीढी पर चढ़कर मोटर साइकिल चलाने का पिछला कीर्तिमान चीन के एक जवान के नाम है . सुबह सीढी पर चढ़ कर सुबह ११ बजे केप्टिन जितेन्द्र ने जो मोटर साइकिल चलाने का क्रम शुरू किया जो लगातार नौ घंटे के बाद रुका. बीच बीच में रिमिझिम बारिश भी हुई पर जितेन्द्र ने अपना साहस नहीं खोया और लगातार बुलेट मोटर साइकिल चलाते रहे. जैसे ही उनका यह कारनामा बंद हुआ लोगो ने भारी आतिशबाजी की और हर्ष व्यक्त किया.



इस कारनामे की जाँच समिति द्वारा एक सीडी बनाई गई है जोकि गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड को रिकार्ड हेतु प्रेषित की जावेगी. केप्टिन जितेन्द्र के इस कारनामे के पीछे कठोर मेहनत और लगन छिपी हुई थी जिसने दर्शको का दिल जीत लिया. दर्शक साँस रोककर अतिम समय तक इस साहसिक अभियान को देखते और सराहते रहे और उन्होंने केप्टिन की खूब हौसलाफजाई की और उनका निरंतर उत्साह बढाते रहे.