- जब दिमाग सही नही रहता है तो कुछ नया करने की ठान ली जाए तो काफी हद तक शान्ति मिलती है . आज अपने ब्लॉगर भाई बहिनों के चिठ्ठा चर्चा करने का प्रयास किया है सभी उदीयमान ब्लॉगर ने उम्दा और अच्छा लिखा है . चर्चा प्रस्तुत कर रहा हूँ .
जोल्ट फ्रॉम जबलपुर : नर्मदे हर
लाल न बबाल में जबलपुर को परखे
माँ संतोषी में साधना की और सिद्धि प्राप्ति बाबा बता रहे है पढ़कर आप भी सिद्धि प्राप्त कर ले और ब्लागिंग में सिद्धि प्राप्त करें और नामी ब्लॉगर बन जाए वो कैसे टपका लगाकर देखे जी
वह लोगों की उपेक्षा और अपने में हीन भावना का शिकार होती थी.....भावना जी सुनिए..
शिखा दीपक जी बता रही है नारियल की चटनी कैसे बनाए ......थोड़ा ये भी बता दे किस समय और किस मौसम में यह उपयोगी है रचना में टपका लगाये और पढ़कर घर में जरुर बनवाये और जायका स्वाद ले .....
रवि सतनामी जी बता रहे है कि चाहुऔर महिलाओ की ही बल्ले बल्ले है जब महिला चाँद पे जा सकती है ..रहती तो धरती पर ही ....जभी तो छा रही है देखे रवि सतनामी जी का हिन्दी ब्लॉग .....
प्रदीप मनोरिया जी परेशान है टी.आर.पी. के चक्कर में ..भाई साब ब्लागिंग में भी तो टी.आर.पी. का भूत सवार है जरा उनकी कलम की सटीक भावना हिन्दी काव्य मंच पर.....पढ़ ले और बल्ले बल्ले कर लें जी
योगेन्द्र मोदगिल जी की पोस्ट पर सीमाजी की टिपण्णी की नेता कैसे किस तरह और किस समय अपना रंग बदलते है ......भैय्या नेता लोग इस को पढ़कर पतली गली में सरक जायेंगे और उन्हें सुनने वाले श्रोता खड़े टापते रहेंगे कि नेता क्या कह रहा है
कारटून टुडे में व्यंग्य कारटून नही चाहिए पाकिस्तानी क्रिकेटर सामायिक व्यंग्य . जस को तस होना ही चाहिए
साहित्य शिल्पी में योगेश जी को बरगद उदास दिख रहा है भाई सबको छाया तो देता है पुन का काम कर रहा है वो उदास क्यो होगा .
अमीर धरती गरीब लोग में अनिल पुसादकर जी की कलम से कि नक्सली मार रहे है जंगल में और नेतागण बहस कर रहे है विधान सभा में ये तो होता ही है बस विधायको का एक ही काम रहा गया है . मुंह जोरी करने के लिए विधान सभा से अच्छी जगह कौन सी है वहां कम से कम सुरक्षित तो है जगल में कौन बहस करेंगे ..........
साहित्य शिल्पी में श्रध्धा जी की गजल देखे दिल की पीर पिघली नजर आती है जब पिघलती है तो आंसू बनकर निकलती है ......बहुत उम्दा गजल का आगाज
बोलता नहीं लेकिन बड़बड़ाता तो है। सच होंठ पर लेकिन आता तो है. अर्श शौक से अब ओले उड़ेल दे, मूंडे गए सरों के पास छाता तो है। तेरी मंज़िल मिले न मिले क्या पता, है तय ये रस्ता कहीं जाता तो है। फिज़ाओं में यूँ ही नहीं है हलचल, तीर चुपके से कोई चलाता तो ह
प्रकाश बादल की गजलें :
अल्पना वर्मा जी बता रही है पहचान तकनीक क्या क्या है ....
जोग लिखी संजय जी ने कि हिदी भाषा दक्षिणपंथी गामिनी हो रही इससे अच्छी बात क्या है कि हिदी भाषा का प्रसार दिनोदिन बढ़ रहा है सही है कि विरोधी समर्थक हो गए खुशखबरी है ..
मल्हार पे यही है असली आल्हा बाकी तो बकबास आला खूब पढ़े है.
तुम मुझे पंख दो मै तुम्हे उड़ान दूंगा जी
हमें नही पढ़ना उनका ब्लॉग गुस्से में भाई पी.डी भाई मेरी छोटी सी दुनिया में कह रहे है क्या कोइ जबरजस्ती है.
अनिल कान्त जी खुश होते है एक्सपायरी डेट देखकर भाई कम से कम इस स्थिति में खरीदना नही पड़ेगी
फरवरी में गर्ल फ्रेंड्स फ़िर वेलेटाइन डे ..बहुत खूब लगता है फरवरी माह बस मौजा मौजा का है .....कुछ मेरी कलम से -तब और अब .......और आगे ........कुछ मेरी कलम से - तब और अब .......और आगे ....रंजू भाटिया जी ....
मुशी प्रेमचंद जी कलम से दुनिया का अनमोल रतन
मीडिया वेव में कह रहे है शारदा जी ...खन्भों से लिपट- लिपट कर....
निर्माण की नींव रखी
सपना कांच सा टूटा
रास्ता ही कुछ ऐसा रहा
गुमनाम राहें साथ हो गई
समय ने जब बदली नजर एक परखी की नजर
आज की मेरी माइक्रो सटीक पोस्ट- कभी किसी को कम न आंके वरना किसी दिन ......धुल जायेगी .
बस यही तक बाकी अगली कड़ी में
महेन्द्र मिश्र जबलपुर.
4.2.09
उदीयमान और अच्छे कलमकार ब्लागरो के बारे में आज चिठ्ठा चर्चा
1.2.09
महेन्द्र .....जिंदगी एक तपस्या है
जिंदगी एक तपस्या है
परीक्षा की घड़ी में सबको इसकी परीक्षा देना है
जिंदगी के मोड़ पर अनेको सुख दुःख तो आते है
सभी को इस परीक्षा में फ़िर भी सफल होना है
जिंदगी एक तपस्या है
इसमे कुछ सफल और कुछ असफल हो जाते है
डरकर अपनी जिंदगी से जो मुँह मोड़ लेते है
वे धरती धरा पे डरपोक महा कायर कहलाते है
जिंदगी एक तपस्या है
जिंदगी एक तपस्या है जिंदगी एक परीक्षा है
तमाम अपनी ये जिंदगी एक नाव के समान है
इस जिंदगी की नाव को वैतरणी पार लगाना है
जिंदगी एक तपस्या है
महेन्द्र ये जिंदगी एक कडुआ घूट के समान है
इस कडुआ घूट को नीलकंठ बन...पीना भी है
नीलकंठ बन जिंदगी हँस कर फ़िर भी जीना है
जिंदगी एक तपस्या है
महेन्द्र मिश्र
जबलपुर
रिमार्क- भूलवश कविता का शीर्षक ग़लत दल दिया था अब सुधार कर "जिंदगी एक तपस्या है" सही कर दिया है . त्रुटी के क्षमाप्राथी .
27.1.09
व्यंग्य - दुनिया में कैसे कैसे लोग होते है जिनका काम है फूट करो और राज करो ?
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय लोग यह कहा करते थे कि अंग्रेजो का काम था लोगो में आपस में फूट डालो और राज करो और अपना उल्लू सीधा कर अपना परचम फहराओ . अंग्रेज तो चले गए है पर वे अपनी नीति हम भारतीय लोगो को दिल से सिखा गए है और उस नीति का प्रयोग कुछ भारतीय जन बखूबी प्रयोग कर रहे है . कुछ लोग अपना उल्लू सीधा करने के इस नीति का भरपूर प्रयोग कर है . ऐसे जनों को आप क्या कह सकते है .
ऐसा ही एक वाकया गए गुजरे दिनों मेरे साथ हुआ है . आज भी वह बात मुझे रह रह कर कसोट रही है कि मैंने ऐसे व्यक्ति से उसकी उपरी सज्जनता को देखकर अचानक दोस्ती कैसे कर ली . वाकया इस प्रकार है . ब्लागिंग के क्षेत्र में मै करीब दो सालो से कलम उकेर रहा हूँ . ब्लागिंग के दौरान मित्रता का क्षेत्र बढ़ा . जब मित्रो के बारे में कुछ करने की सोची . न जाने कहाँ कैसे मुलाक़ात हो गई . मैंने बताया की भाई अब याहब भी कुछ कर लो तो भाई ने फोन नंबर लिया तड से संपर्क किया . एक कार्यक्रम में दूसरे के कार्यक्रम में उन महोदय से मुलाक़ात की और मौके भरपूर लाभ उठाने की द्रष्टि से एक कार्य शाला आयोजित करने की घोषणा कर डाली और जोरदार तालियाँ पिटवा ली . वे महोदय चले गए और वे भी घोषणा करके चले गए पर कार्य शाला डेढ़ वर्ष गुजर जाने के बाद भी आज तक आयोजित नही की गई .
जनाब की अगली कारगुजारी भी देखिये . मौके पे गए नही किसी के पर अपना नाम हो अपनी वाह वाही हो तो मौके का लाभ उठाते हुए अपनी मर्जी से एक काम कर डाला . पहले उस काम को करने के लिए किसी की सलाह चाहते थे और अवसर जानकर उस काम को दूसरे की सलाह लिए बिना कर लिया और सभी को ठेल दिया और कह दिया मुझे कार्यक्रम जल्दी करना था तो कर लिया .
कार्यक्रम के बाद कह दिया जो आए तो उनका आभार और जो न आए उनका आभार . जब मैंने यह पढ़ा तो असल मेरी जल्दी समझ में आ गया कि भैय्या ये तो मौका परस्त है . चार नए लोगो को खड़े कर वाहवाही तो लुटवा ली पर सामने वाले आपके पूर्व परिचितों के सामने उनकी कलई तो खुल गई . एक वाकया और एक रात फोन किया आप क्यो नही आए तो मैंने कहा व्यक्तिगत परेशानी थी . उदास होकर बोले किसी ने आपको भड़का दिया है यहाँ तो खेमाबाजी और गुटबाजी है .
यह सब सुनकर मेरा दिल उदास हो गया . मै ऐसा इंसान नही हूँ और न मेरे पास समय है कि मै यह सब कर सकूँ यह सब सोचकर परेशान रहा तो मित्र लोगो ने बताया कि ये तो उनकी पुरानी आदत है खलल डालना और वाह वाही लूटना . .....और वे महोदय हर क्षेत्र में खेमाबाजी में चर्चित रहते है और खेमेबाजी और गुटबाजी में विश्वास करते है और क्षेत्रो के पुराने खल है .
आज मैंने अंग्रेजो की फूट डालो नीति को दिल से अनुभव किया कि यह बुराई हम भारतीय जनों के रगों में अब भी दौड़ रही है . भाई अंग्रेज चले गए पर भारतीय लोग जो नीति का पालन कर रहे है यह नीति बुराई कब छोडेंगें ? . इस तरह की ऐसे लोगो की हरकतों से लोगो में कटुता का ही वातावरण निर्मित होता है और इसमे किसी कि भलाई नही है .. यह सब जानकर मैंने भी संकल्प कर लिया है कि ऐसे मौकापरस्त लोगो से मुझे दूर रहना चाहिए उसमे ही मेरी भलाई है .
व्यंग्य-महेंद्र मिश्र
जबलपुर
ऐसा ही एक वाकया गए गुजरे दिनों मेरे साथ हुआ है . आज भी वह बात मुझे रह रह कर कसोट रही है कि मैंने ऐसे व्यक्ति से उसकी उपरी सज्जनता को देखकर अचानक दोस्ती कैसे कर ली . वाकया इस प्रकार है . ब्लागिंग के क्षेत्र में मै करीब दो सालो से कलम उकेर रहा हूँ . ब्लागिंग के दौरान मित्रता का क्षेत्र बढ़ा . जब मित्रो के बारे में कुछ करने की सोची . न जाने कहाँ कैसे मुलाक़ात हो गई . मैंने बताया की भाई अब याहब भी कुछ कर लो तो भाई ने फोन नंबर लिया तड से संपर्क किया . एक कार्यक्रम में दूसरे के कार्यक्रम में उन महोदय से मुलाक़ात की और मौके भरपूर लाभ उठाने की द्रष्टि से एक कार्य शाला आयोजित करने की घोषणा कर डाली और जोरदार तालियाँ पिटवा ली . वे महोदय चले गए और वे भी घोषणा करके चले गए पर कार्य शाला डेढ़ वर्ष गुजर जाने के बाद भी आज तक आयोजित नही की गई .
जनाब की अगली कारगुजारी भी देखिये . मौके पे गए नही किसी के पर अपना नाम हो अपनी वाह वाही हो तो मौके का लाभ उठाते हुए अपनी मर्जी से एक काम कर डाला . पहले उस काम को करने के लिए किसी की सलाह चाहते थे और अवसर जानकर उस काम को दूसरे की सलाह लिए बिना कर लिया और सभी को ठेल दिया और कह दिया मुझे कार्यक्रम जल्दी करना था तो कर लिया .
कार्यक्रम के बाद कह दिया जो आए तो उनका आभार और जो न आए उनका आभार . जब मैंने यह पढ़ा तो असल मेरी जल्दी समझ में आ गया कि भैय्या ये तो मौका परस्त है . चार नए लोगो को खड़े कर वाहवाही तो लुटवा ली पर सामने वाले आपके पूर्व परिचितों के सामने उनकी कलई तो खुल गई . एक वाकया और एक रात फोन किया आप क्यो नही आए तो मैंने कहा व्यक्तिगत परेशानी थी . उदास होकर बोले किसी ने आपको भड़का दिया है यहाँ तो खेमाबाजी और गुटबाजी है .
यह सब सुनकर मेरा दिल उदास हो गया . मै ऐसा इंसान नही हूँ और न मेरे पास समय है कि मै यह सब कर सकूँ यह सब सोचकर परेशान रहा तो मित्र लोगो ने बताया कि ये तो उनकी पुरानी आदत है खलल डालना और वाह वाही लूटना . .....और वे महोदय हर क्षेत्र में खेमाबाजी में चर्चित रहते है और खेमेबाजी और गुटबाजी में विश्वास करते है और क्षेत्रो के पुराने खल है .
आज मैंने अंग्रेजो की फूट डालो नीति को दिल से अनुभव किया कि यह बुराई हम भारतीय जनों के रगों में अब भी दौड़ रही है . भाई अंग्रेज चले गए पर भारतीय लोग जो नीति का पालन कर रहे है यह नीति बुराई कब छोडेंगें ? . इस तरह की ऐसे लोगो की हरकतों से लोगो में कटुता का ही वातावरण निर्मित होता है और इसमे किसी कि भलाई नही है .. यह सब जानकर मैंने भी संकल्प कर लिया है कि ऐसे मौकापरस्त लोगो से मुझे दूर रहना चाहिए उसमे ही मेरी भलाई है .
व्यंग्य-महेंद्र मिश्र
जबलपुर
26.1.09
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ देश प्रेम भक्ति से जुड़े कुछ गीत
आज के दिन हमारे देश का संविधान बनाया गया था यह बात दुहराने की नही है सभी को विदित है . आज के समय में बदलते घटनाक्रमों के परिपेक्ष्य में हम सभी भारत वासियो को यह सोचना चाहिए कि क्या हमारा देश और हमारा गणतंत्र सुरक्षित है . सभी को देश की आन बान शान के लिए मातृभूमि को सर्वस्य निछावर और बलिदान करने का संकल्प लेना चाहिए . हम अपनी मातृभूमि के श्रणी है जिसने हमको जन्म दिया यह नही भूलना चाहिए .
मेरी खुशी इस पर्व पर दुगनी हो जाती है गणतंत्र दिवस के दिन मेरे छोटे भाई की बच्ची आयुषी "मिनी" का 7 वां जन्मदिन है . बहुत ही तेज नन्ही सी डांस से पढ़ाई लिखाई तक हमेशा शील्ड पुरस्कारों से नवाजी जाती है जो मुझे दादा संबोधित करती है . बचपन से ही उसे जन्मदिन के अवसर मै एक राष्ट्रीय तिरंगा झंडा उपहारों के साथ देता हूँ .इस पुनीत पर्व के पावन अवसर पर कुछ लोकप्रिय गीत जिन्हें सुनकर पढ़कर देशप्रेम का जज्बा पैदा होता है और नसों में खून दौड़ने लगता है . आप सभी को बाँट रहा हूँ .
जागेगा इंसान जमाना देखेगा
नवयुग का निर्माण जमाना देखेगा
देवता बनेगे मेरे धरती के प्यारे
हम सुधरे तो जग को सुधारे
चमकेगा देश हमारा मेरे साथी रे
आँखों में कल का नजारा मेरे साथी रे
धरती पे भगवान ज़माना देखेगा
जागेगा इंसान ज़माना देखेगा
मिल जुल के होंगे सारे खुशियों के मेले
कोई न रो पायेगा देख में अकेले
जागेगा देश हमारा मेरे साथी रे
आँखों में कल का नजारा मेरे साथी रे
कल का हिन्दुस्तान जमाना देखेगा
जागेगा इंसान ज़माना देखेगा
*
वह शक्ति दो हमें दयानिधि कर्तव्य मार्ग पर चढ़ जावे
पर सेवा का उपकार में हम निज जीवन सफल बना जाए
हम दीन दुखी निबलो विकलो के सेवक बन संताप हरे
जो हों भूले भटके बिछुडे उनको सारे ख़ुद तर जावें
चल द्वैष दंभ पाखंड झूठ अन्याय से निशदिन दूर रहे
जीवन हों शुद्ध सरल अपना शुची प्रेम सुधा रस बरसायें
निज आन मान मर्यादा का प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे
जिस देश जाति में जन्म लिया बलिदान उसी पर हों जायें
*
हम बदलेंगे युग बदलेगा यह संदेश सुनाता चल
आगे कदम बढाता चल बढ़ता चल बढाता चल
अन्धकार का वक्ष चीरकर फूटे नव प्रकाश निर्झर
प्राण प्राण में गूंजे शाश्वत सामगान का नूतन स्वर
तुम्हे शपथ है हृदय हृदय में स्वर्णिम दीप सजाता चल
स्नेह सुमन बिखराता चल तू आगे कदम बढाता चल
पूर्व दिशा में नूतन युग का हुआ प्रभामय सूर्य उदय
देवदूत आया धरती पर लेकर सुधा पात्र अक्षय
भर ले सुधापात्र तू अपना सबको सुधा पिलाता चल
शत शत कमल खिलाता चल तू आगे कदम बढाता चल
ओ नवयुग के सूत्रधार अविराम सतत बढ़ते जाओ
हिमगिरी के ऊँचे शिखरों पर स्वर्णिम केतन फहराओ
मंजिल तुझे अवश्य मिलेगी गीत विजय के गाता चल
नव चेतना जगाता चल तू आगे कदम बढाता चल
*
गणतंत्र दिवस के अवसर पर आप सभी ब्लॉगर भाई बहिनों को मेरी अनेकानेक शुभकामनाये और बधाई.
महेन्द्र मिश्र
जबलपुर.
22.1.09
तीसरी आँख से - * वन मैन शो *
यदि किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व और कृतित्व असाधारण होता है तो सभी उसका नेतृत्व स्वीकार कर लेते है और उस व्यक्ति के हर आदेश को स्वीकार कर लेते है ऐसे व्यक्ति के कार्य को * वन मैन शो * कहा जा सकता है.
परन्तु इसके विपरीत कुछ विशेष वर्ग में इस तरह के आदमी पाये जाते है जो उस वर्ग के सदस्यों से आपस में परामर्श किए वगैर अपनी मनमर्जी करता है और अपनी अहमियत साबित करने के लिए कुछ भी कार्य करता है जबकि वह समझता है कि उस वर्ग समुदाय के लोग उसकी बात मानेगे और उसके हर कार्य में सहमति देंगे और उसे वाहवाही मिल जावेगी परन्तु जो कार्य वह अपनी मनमर्जी से कर रहा होता है उससे वर्ग समुदाय के लोग खुश नही रहते है और उसे दिल से वाहवाही नही देते है .. .. ऐसे व्यक्ति का कार्य * वन मैन शो * नही कहा जा सकता है और भविष्य में आदर के पात्र नही होते है ...
इस बारे में हर आदमी के अलग अलग विचार हो सकते है ...
परन्तु इसके विपरीत कुछ विशेष वर्ग में इस तरह के आदमी पाये जाते है जो उस वर्ग के सदस्यों से आपस में परामर्श किए वगैर अपनी मनमर्जी करता है और अपनी अहमियत साबित करने के लिए कुछ भी कार्य करता है जबकि वह समझता है कि उस वर्ग समुदाय के लोग उसकी बात मानेगे और उसके हर कार्य में सहमति देंगे और उसे वाहवाही मिल जावेगी परन्तु जो कार्य वह अपनी मनमर्जी से कर रहा होता है उससे वर्ग समुदाय के लोग खुश नही रहते है और उसे दिल से वाहवाही नही देते है .. .. ऐसे व्यक्ति का कार्य * वन मैन शो * नही कहा जा सकता है और भविष्य में आदर के पात्र नही होते है ...
इस बारे में हर आदमी के अलग अलग विचार हो सकते है ...
18.1.09
अपने गेसुओ के साए में गुलो की छाँव को दिल से बनाए रखना
महफ़िल सितारों की देखकर प्यार के महफ़िल की याद आती है
फलक में उस चाँद को देखकर महबूबा की दिल से याद आती है.
*
अपनी वफ़ा को सीने में लगाकर हम यह ठिकाना छोड़ चले है
न मंजिल की ख़बर और न राहो की ख़बर फ़िर भी मुसाफिर है.
*
अपने गेसुओ के साए में गुलो की छाँव को दिल से बनाए रखना
अमानत दी है मैंने तुझे तुम अपने दिल में दिल से संजोये रखना.
*
महेंद्र "निरंतर"
15.1.09
व्यंग्य मच्छर नामा : मेरी कर्णप्रिय भुनुर भुनुर आवाज सुनो.
मै हूँ मच्छर जैसा आप सभी को मालूम है कि मै गलियो कूंचों या सीधे ये कहे कि मै सभी जगह का बेताज बादशाह हूँ . अभी तक नेट पर अपने तरह तरह की मेरे बारे में कविताएं व्यंग्य पढ़े पर मै आज आपको अपनी आवाज की गति के बारे में जानकारी दे रहा हूँ . मेटिंग के पहले आपको आपके कान के पास में मै और मेरी मादा (पत्नी) भुनुर भुनुर मधुररम गीत जो आपके कानो को अप्रिय लगते है ...... सुनाया करते है .
आप क्या भुनुर भुनुर गीत के बारे में जानते है असल में यह मच्छरों का प्रेम गीत है . जब मै और मेरी मादा एक साथ इकठ्ठे होते है तब हम दोनों मिलकर प्रेम गीत गाते है इसी को भुनुर भुनुर गीत कहते है . जब हम दोनों कुछ ही सेंटीमीटर की दूरी पर होते है तो एक दूसरे को पटाने के लिए कर्णप्रिय संगीत भुनुर भुनुर कर पैदा करते है और एक दूसरे से बातचीत करते है . यदि मै भुनुर भुनुर न करूँ तो रानी पटेगी कैसे ?
मेरी मैडम मच्छर के पंख फडफडाने से जितनी ध्वनि होती है उससे भी तेज गति की आवाज अपने कंठ से प्रेम विरह में पीड़ित होकर निकलती है . मेरी मैडम मच्छर एक सेकेण्ड में ४०० हर्टज की गति से आवाज निकालती है और मै एक सेकेण्ड में ६०० हर्ट्स की गति से आवाज निकालता हूँ . अब मेरे सुनने वाले अंगो में विशेष प्रकार के भाई लोगो ने यंत्र फिट कर दिए है और मेरी भुनुर भुनुर आवाज विशेष माइक्रोफोन से सुनी गई है .
अंत में दो टूक
यदि आप जल्दी जल्दी खाते है और इंतजार करते करते जल्दी उदास हो जाते है . हर काम के लिए सदा हडबडी करते है तो सावधान आपको हाई ब्लड प्रेसर या दिल का दौरा पड़ सकता है . अपनी आदतों में सुधार लाये और अपनी जीवन की दिनचर्या में परिवर्तन करे जो आपको रोगों से दवाओं से निजाद दिला सकती है .
हरी ॐ
आप क्या भुनुर भुनुर गीत के बारे में जानते है असल में यह मच्छरों का प्रेम गीत है . जब मै और मेरी मादा एक साथ इकठ्ठे होते है तब हम दोनों मिलकर प्रेम गीत गाते है इसी को भुनुर भुनुर गीत कहते है . जब हम दोनों कुछ ही सेंटीमीटर की दूरी पर होते है तो एक दूसरे को पटाने के लिए कर्णप्रिय संगीत भुनुर भुनुर कर पैदा करते है और एक दूसरे से बातचीत करते है . यदि मै भुनुर भुनुर न करूँ तो रानी पटेगी कैसे ?
मेरी मैडम मच्छर के पंख फडफडाने से जितनी ध्वनि होती है उससे भी तेज गति की आवाज अपने कंठ से प्रेम विरह में पीड़ित होकर निकलती है . मेरी मैडम मच्छर एक सेकेण्ड में ४०० हर्टज की गति से आवाज निकालती है और मै एक सेकेण्ड में ६०० हर्ट्स की गति से आवाज निकालता हूँ . अब मेरे सुनने वाले अंगो में विशेष प्रकार के भाई लोगो ने यंत्र फिट कर दिए है और मेरी भुनुर भुनुर आवाज विशेष माइक्रोफोन से सुनी गई है .
अंत में दो टूक
यदि आप जल्दी जल्दी खाते है और इंतजार करते करते जल्दी उदास हो जाते है . हर काम के लिए सदा हडबडी करते है तो सावधान आपको हाई ब्लड प्रेसर या दिल का दौरा पड़ सकता है . अपनी आदतों में सुधार लाये और अपनी जीवन की दिनचर्या में परिवर्तन करे जो आपको रोगों से दवाओं से निजाद दिला सकती है .
हरी ॐ
12.1.09
कुछ अंदाज़ आपके लिए
आज सोचा कि जबाब क्या भेजू
आप जैसे दोस्त को ख़िताब क्या भेजू
कोई फूल हो तो नही मालूम
जो ख़ुद गुलाब हो उसे गुलाब क्या भेजू
महक इश्क़ की कम नही होती
ज़िंदगी से उसकी ख़ुशबू कम नही होती
साथ अगर हो आप जैसा दोस्त
तो ज़िंदगी जन्नत से कम नही होती
कुछ लोग बहुत ख़ास होते है
हर पल दिल के पास होते है
ख़ुशी हो या ग़म वे सदा साथ रहते है
लोग उन्हे दोस्त हम उन्हे आप कहते है.
आपके ख़्यालो से फ़ुरसत नही मिलती
हमे एक पल राहत नही मिलती
मिल तो जाता सब कुछ
पर आपकी झलक नही मिलती
सुना है कि आपकी एक स्माईल
पर सभी फ़िदा हो जाते है
सो कीप स्माईलिंग
रिड्यूस दा पापुलेशन
रिश्ता एक ऐसा होना चाहिए
जो हमे अपना जान सके
हर दर्द को जान सके
चल रहे तेज़ बारिश मे साथ हम
फिर भी वो पानी मे हमारे
हर आँसू को पहचान सके.
लेखक-अनाम(मालूम नही)
9.1.09
एक हम है जो रास्ते भूल जाते है
6.1.09
मेरे बाद जमाना क्या पूछेगा कभी उसको
दोनों की किस्मतो का आज फैसला होगा
एक तरफ़ जमाना है एक तरफ़ मोहब्बत.
तुम अक्सर उलझी जुल्फों को सुलझाती हो
कभी तुमसे उलझी हुई किस्मत सुलझेगी.
किस्मत कहाँ.. मै उड़कर पहुँचू बहारो तक
कभी दिल में कभी गुलिस्ता को झांकता हूँ.
अपनी धुन में आज दुआ को भी भूल गया
नामे खुदा भूल गया वो जब करीब मेरे आये.
मेरे बाद जमाना क्या पूछेगा कभी उसको
उसकी दुनिया मै अपने साथ ले जा रहा हूँ.
एक तरफ़ जमाना है एक तरफ़ मोहब्बत.
तुम अक्सर उलझी जुल्फों को सुलझाती हो
कभी तुमसे उलझी हुई किस्मत सुलझेगी.
किस्मत कहाँ.. मै उड़कर पहुँचू बहारो तक
कभी दिल में कभी गुलिस्ता को झांकता हूँ.
अपनी धुन में आज दुआ को भी भूल गया
नामे खुदा भूल गया वो जब करीब मेरे आये.
मेरे बाद जमाना क्या पूछेगा कभी उसको
उसकी दुनिया मै अपने साथ ले जा रहा हूँ.
4.1.09
व्यंग्य : आओ ब्लॉगर भाइओ : पजामा गेम की तर्ज पर पेंट चड्डी बनियान गेम खेले
आज सुबह सुबह अखबार पढ़ रहा था तो नजरे ठिठक गई . लेडीज काँलम में लिखा था ऑनली फार लेडीज . यह पढ़कर मेरी तीसरी इन्द्री सक्रिय हो गई सोचा जरुर की फंडे वाली चीज होगी वैसे आदमियो का मन महिलाओं के बारे में क्या खास लिखा है पढ़ने को उत्सुक हो जाता है .
अपुन ने भाई कुनकुनी धुप का आनंद लेते हुए पढ़ना शुरू किया जो पढ़ा सो आपकी नजरे इनायत कर रहा हूँ और आप सभी को पढ़ा हुआ बाँट रहा हूँ.
पाजामा पार्टी की थीम दूसरी पार्टियो से कुछ हटकर होती है . इसमे उपस्थित महिलाओं को यह लगे कि जिंदगी ख़ूबसूरत है और बहारो से लदी फदी है . पाजामा पार्टी के बारे में आप यह समझ रहे होंगे कि इस पार्टी में बेहूदी हरकत होती होगी . इस पार्टी में पाज्मे नही पहिने जाते . पाजामा कही का आदि आदी .... क्योकि हमारे देश भारत में पजामे को पजामे की संज्ञा दी जाती है .
इस पार्टी की शुरुआत अमेरिका में हुई . इस पार्टी का चलन अमेरिका में काफी पुराना है . ये पार्टियाँ होटल रिसोर्ट आदी में आयोजित की जाती है . इन पार्टियो का माहौल बिंदास होता है . इन पार्टियो में महिलाओं को न रोटी ठोकने की दिक्कत और न घर की झंझट एक प्रकार से कोई टेंशन नही होता है . इन पार्टियो में गेम्स नाच गाना किटी पार्टी सैर सपाटा और खाने पीने का भरपूर इंतजाम रहता है .
खाने पीने की बात पे मुंह में पानी आ गया वाह साब मै भी सम्मिलित होता .
आगे ......इन पार्टियो में महिलाए सिर्फ़ पर्सनल बातें आपस में बांटती है . खूब खाती पीती है खूब होहल्ला करती है फ़िल्म देखती है . मस्ती करती है यानि की कुल मिलकर हंगामा और मोजा मोजा करती है , अलग अलग आयु वर्ग की महिलाए अलग अलग ग्रुप में पार्टियाँ करती है यानि की कुल मिलाकर जिसकी पटरी जिस से सेट हो जाए ..इसमे सिर्फ़ महिलाये ही शामिल होती है
युवतियां रूटीन वर्क ऑफिस वर्क बोरियत और एकांकीपन दूर करने करने के लिए तनावमुक्त होने की इस तरह की पार्टियाँ करती है . इस प्रकार की पाटियो के बढ़ते हुए चलन अब युवको और बुजुर्गो के लिए कौतुहल साबित हो रहे है .
अब आये मुद्दे की बात पर
ये पढ़कर मेरे मन में एक विचार आया है कि हम ब्लॉगर भाई भी अपने रूटीन वर्क ऑफिस वर्क और कई कामो से लगातार बोर हो जाते है . घर का भार साल भर ढोते ढोते तनावग्रस्त हो जाते है . एसा लगता है कि अब बड्डे भाग लो और कही दूर वनवास चले जाओ.
फ़िर लगता है कि हमें अपने दायित्वों का निर्वहन करना है ......फ़िर टट्टू की तरह जुट जाते है और अति बोरियत महसूस करते है तो अब भागने की जरुरत नही है अपुन ब्लॉगर भाई भी तनाव दूर करने के लिए एकजुट होकर पजामा गेम की तर्ज पर पेंट चड्डी बनियान गेम खेले .
इसमे सिर्फ़ पुरूष शामिल होंगे . नाचेंगे कूदेंगे खायेंगे पियेंगे और ऐश करेंगे क्या . खूब होहल्ला करेंगे . इस गेम में कोई अपनी व्याहता(wife) को साथ लेकर नही आवेगा जिससे ९० परसेंट तक तनाव निश्चित दूर होने की गारंटी रहेगी.रिमार्क - हे भगवान अब दुनिया में क्या देखना बदा है ... हा हा हा.
चलो २0०९ के कुछ रोचक फोटो ..अखबार से साभार
गुरुकुल के छात्र पढ़ाई छोड़कर अब टार्जन बनने का अभ्यास कर रहे है.
२१ वी सदी में भी पानी कुछ इस तरह से मिल रहा है.
समाचार के साथ कुछ अपने विचार जोड़कर व्यंग्य रूप देने का छोटा सा प्रयास किया है.
महेंद्र मिश्रा
जबलपुर.
अपुन ने भाई कुनकुनी धुप का आनंद लेते हुए पढ़ना शुरू किया जो पढ़ा सो आपकी नजरे इनायत कर रहा हूँ और आप सभी को पढ़ा हुआ बाँट रहा हूँ.
पाजामा पार्टी
पाजामा पार्टी की थीम दूसरी पार्टियो से कुछ हटकर होती है . इसमे उपस्थित महिलाओं को यह लगे कि जिंदगी ख़ूबसूरत है और बहारो से लदी फदी है . पाजामा पार्टी के बारे में आप यह समझ रहे होंगे कि इस पार्टी में बेहूदी हरकत होती होगी . इस पार्टी में पाज्मे नही पहिने जाते . पाजामा कही का आदि आदी .... क्योकि हमारे देश भारत में पजामे को पजामे की संज्ञा दी जाती है .
इस पार्टी की शुरुआत अमेरिका में हुई . इस पार्टी का चलन अमेरिका में काफी पुराना है . ये पार्टियाँ होटल रिसोर्ट आदी में आयोजित की जाती है . इन पार्टियो का माहौल बिंदास होता है . इन पार्टियो में महिलाओं को न रोटी ठोकने की दिक्कत और न घर की झंझट एक प्रकार से कोई टेंशन नही होता है . इन पार्टियो में गेम्स नाच गाना किटी पार्टी सैर सपाटा और खाने पीने का भरपूर इंतजाम रहता है .
खाने पीने की बात पे मुंह में पानी आ गया वाह साब मै भी सम्मिलित होता .
आगे ......इन पार्टियो में महिलाए सिर्फ़ पर्सनल बातें आपस में बांटती है . खूब खाती पीती है खूब होहल्ला करती है फ़िल्म देखती है . मस्ती करती है यानि की कुल मिलकर हंगामा और मोजा मोजा करती है , अलग अलग आयु वर्ग की महिलाए अलग अलग ग्रुप में पार्टियाँ करती है यानि की कुल मिलाकर जिसकी पटरी जिस से सेट हो जाए ..इसमे सिर्फ़ महिलाये ही शामिल होती है
युवतियां रूटीन वर्क ऑफिस वर्क बोरियत और एकांकीपन दूर करने करने के लिए तनावमुक्त होने की इस तरह की पार्टियाँ करती है . इस प्रकार की पाटियो के बढ़ते हुए चलन अब युवको और बुजुर्गो के लिए कौतुहल साबित हो रहे है .
अब आये मुद्दे की बात पर
ऑनली फार जेंट्स
: आओ ब्लॉगर भाइओ :ऑनली फार जेंट्स : : आओ ब्लॉगर भाइओ : पजामा गेम की तर्ज पर पेंट चड्डी बनियान गेम खेले
: आओ ब्लॉगर भाइओ :ऑनली फार जेंट्स : : आओ ब्लॉगर भाइओ : पजामा गेम की तर्ज पर पेंट चड्डी बनियान गेम खेले
ये पढ़कर मेरे मन में एक विचार आया है कि हम ब्लॉगर भाई भी अपने रूटीन वर्क ऑफिस वर्क और कई कामो से लगातार बोर हो जाते है . घर का भार साल भर ढोते ढोते तनावग्रस्त हो जाते है . एसा लगता है कि अब बड्डे भाग लो और कही दूर वनवास चले जाओ.
फ़िर लगता है कि हमें अपने दायित्वों का निर्वहन करना है ......फ़िर टट्टू की तरह जुट जाते है और अति बोरियत महसूस करते है तो अब भागने की जरुरत नही है अपुन ब्लॉगर भाई भी तनाव दूर करने के लिए एकजुट होकर पजामा गेम की तर्ज पर पेंट चड्डी बनियान गेम खेले .
इसमे सिर्फ़ पुरूष शामिल होंगे . नाचेंगे कूदेंगे खायेंगे पियेंगे और ऐश करेंगे क्या . खूब होहल्ला करेंगे . इस गेम में कोई अपनी व्याहता(wife) को साथ लेकर नही आवेगा जिससे ९० परसेंट तक तनाव निश्चित दूर होने की गारंटी रहेगी.रिमार्क - हे भगवान अब दुनिया में क्या देखना बदा है ... हा हा हा.
चलो २0०९ के कुछ रोचक फोटो ..अखबार से साभार
गुरुकुल के छात्र पढ़ाई छोड़कर अब टार्जन बनने का अभ्यास कर रहे है.
२१ वी सदी में भी पानी कुछ इस तरह से मिल रहा है.
समाचार के साथ कुछ अपने विचार जोड़कर व्यंग्य रूप देने का छोटा सा प्रयास किया है.
महेंद्र मिश्रा
जबलपुर.
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