9.3.09

होली पर नजरो का जाम

जब पीने पिलाने की बात मयखाने में चली
दिल से याद आए बहुत तेरे होठो के जाम.

जिंदगी में यूं मैंने कभी भी पिया नहीं जाम
मयखाने में बैठकर शराब से नहीं हूँ बेखबर.

सुबह होते उसने शराब पीने से कर ली तौबा
उसने रात को अपने पीने की दास्तान सुनी.

आपस में जाम टकराकर जब पिया करते है
सबकी नजरो से छिपकर लोग पिया करते है

सब शराब में सोडा मिलाकर पिया करते है
मै बिना सोडा के तेरी नजरो से पी लेता हूँ

दोस्तों की महफ़िल में तू इतना न पिया कर
तुझे दोस्त उठाकर तेरे घर न छोड़ने न जाये

यारा जब से मैंने तेरी नजरो से जाम पिया है
तबसे मयखाने जाने का रास्ता भूल गया हूँ

उसने कुछ इस तरह से निगाहों से पिलाई है
खुद का चेहरा आईने में भी नहीं दिख रहा है

सुबह मैंने शराब न पीने की कसम खाई थी
जालिम कसम याद आई शाम को पीने के बाद

6.3.09

व्यंग्य - बरसाने की तर्ज पे द्वितीय लठ्ठमार प्रतियोगिता का आयोजन

प्रथम वर्ष की तरह इस वर्ष भी बरसाने की तर्ज पे द्वितीय लठ्ठमार प्रतियोगिता शहर में होलिका दहन की रात्रि १२ आयोजित की जा रही है. विगत वर्ष भी होली की रात्री १२ शास्त्री ब्रिज रेलवे लाइन पर आयोजित की गई थी. देश भर के विभिन्न क्षेत्रो के प्रतियोगियों ने इस लठ्ठमार प्रतियोगिता में उपस्थित होने हेतु अपनी सहमति लठ्ठमार प्रतियोगिता के आयोजक की दी थी. होली की रात्री में आयोजकगण एक ट्रक लट्ठ लिए सारी रात आयोजन स्थल पर ब्लॉगर प्रतियोगी मंडली का इंतजार करते रहे परन्तु खेद का विषय है कि कोई भी नहीं आया खैर "पिछली ताहि बिसारिये आगे की सुध लेय" की तर्ज पर फिरसे इस वर्ष बरसाने की तर्ज पे द्वितीय लठ्ठमार प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है.

आमंत्रण पत्र


प्रथम वर्ष की तरह इस वर्ष भी बरसाने की तर्ज पे द्वितीय लठ्ठमार प्रतियोगिता शहर में होलिका दहन की रात्रि १२ आयोजित की जा रही है जिसमे आपकी उपस्थिति दर्शक के रूप में नहीं लठ्ठमार प्रतियोगी के रूप में प्रार्थनीय है.

प्रतियोगिता के नियम और शर्ते


लठ्ठमार प्रतियोगिता में कुछ इस तरह के लट्ठ लेकर आना पडेगा.........

01. इस प्रतियोगिता में तेल पिला लट्ठ लेकर उपस्थित होना अनिवार्य है.

02. जो प्रतियोगी लट्ठ अपरिहार्य कारणों से लट्ठ लेकर नहीं आयेगा उसे कुछ शुल्क पर आयोजक मंडली पनागर के तेल पीले लट्ठ उपलब्ध कराएगी .

03. प्रतियोगी भगोरिया डांस करना पड़ेगा और आयोजक गण ढोल आदि की व्यवस्था प्रतियोगी के जेबखर्च पर करेंगे .

04. जिन प्रतियोगी को इस प्रतियोगिता में सर फूटने का डर हो तो वे हेलमेट पहिनकर या ढाल लेकर प्रतियोगिता में भाग ले सकते है .

05 प्रतियोगिता में सहभागी होने वाले प्रतियोगियों को आने जाने का रिक्शा रेल बस का भाडा आयोजक जानो द्वारा नहीं दिया जावेगा सिर्फ तमरहाई के भडुए उन्हें निशुल्क देने की व्यवस्था आयोजक द्वारा की जावेगा.

06. विजेता और उपविजेता घोषित करने का अधिकार सिर्फ महिला कंपनी को होगा और उनका अंतिम निर्णय सभी को मान्य करना होगा उनका निर्णय कोर्ट से बढ़कर होगा. कोई अपील दलील नहीं चलेगी.

07. हारे हुए प्रतियोगी को नियम के मुताबिक अपने जूते प्रतियोगिता स्थल पर छोड़ने होंगे जो विजेता को आयोजक गणों द्वारा उनकी माला बनाकर विजेता को पहनाई जायेगी और ब्लॉगर गणों द्वारा कोरी ताली बजाकर हर्ष व्यक्त किया जावेगा .

08. महिला दर्शक ब्लागर्स हा हा तू तू करने के लिए रंग गुलाल लेकर उपस्थित होंगी अन्यथा उन्हें प्रतियोगिता स्थल पर प्रवेश नहीं करने दिया जावेगा.

लठ्ठमार प्रतियोगिता कार्यक्रम स्थान- शास्त्री ब्रिज रेलवे लाइन के किनारे
तारिख- 10 मार्च 2009
समय- रात्री 12 से आपके आगमन तक.

आयोजकगण ( गुप्त है)

......

यह व्यंग्य मात्र हंसने हँसाने के ध्येय से लिखा गया है बुरा न मानो होली है . सभी ब्लॉगर भाई/बहिनों को होली पर्व की हार्दिक बधाई और ढेरो शुभकामना .. सात रंग आपके जीवन में सतरंग बिखेरे और खुशियो की बरसात करें.

महेन्द्र मिश्र

2.3.09

खुद की तकदीर अपने हाथो ही बनाना पड़ती है..

कोई लकीर न मिली कभी हमें खुशनसीबी की
खुद अपना हाथ हमने कई बार गौर से देखा है..

मै अक्सर तन्हाइओ में जाकर तुझे खोजता हूँ
कही मेरे हाथो की लकीरों में नाम तेरा होगा..

गर देखना है तेरा मुक़द्दर दहलीज के बाहर
तू खुद देख तकदीर खुले आसमाँ तले बसती है..

वो किस तरह कैसे मै क्या कहूं और क्या लिखूं
मेरी तकदीर न जाने कैसे कैसे खेल खेल गई है..

अजीज दोस्त भी नहीं रहते है तकदीर के भरोसे
खुद की तकदीर अपने हाथो ही बनाना पड़ती है..

गर आदमी की तकदीर आदमी के हाथो में होती
हर आदमी खुद को खुदा कहलवाना पसंद करता..

27.2.09

जबसे गई है वो तो यादो ने मेरा पीछा न छोडा

उनकी अब याद न दिलाओ ये मस्त बहारो
बस इस तड़फते दिल को न ज्यादा तडपाओ.

कभी तुम्हारी यादे आयेगी मेरे इस दिल में
इसी उम्मीद के सहारे मेरा दिल धड़क रहा है.

इस दिल को जब तेरी बहुत ही याद आती है
धड़कता है ये दिल अश्क आँखों से निकलते है.

मेरा पीछा जिंदगी भर उनकी छाया ने न छोडा
जबसे गई है वो तो यादो ने मेरा पीछा न छोडा.

जाते वक्त तुम मेरा संदेशा उन तक ले जाना
वो अभी तक नहीं भूले है और न मै भूला हूँ .

25.2.09

फिर इसमें मेरा दोष कहाँ है ?

ब्लॉग में दो तीन दिनों से कुछ लिखने का मन नहीं कर रहा था . विगत बीस दिनों के दौरान चड्डी बनियान और आरोप प्रत्यारोप से लबरेज खूब पोस्ट पढ़ी और कुछ नामचीन ब्लागरो के संस्मरण पढ़े . एक ब्लाक्स के कमेंट्स बाक्स में कुछ इस तरह की टीप पढ़ की दिल दुखित हो गया और यूं ही लगने लगा कि अमर्यादित हिंदी भाषा का प्रयोग अधिकाधिक बढ़ने लगेगा तो क्या हमारी मातृभाषा हिंदी विश्व स्तर पर सम्मानजनक स्थान अर्जित कर सकेगी ब्लागर्स भाई को बाध्य होकर अपने ब्लॉग में कमेंट्स बॉक्स में माडरेट कुंजी का प्रयोग करना पड़ा.

जब हिंदी में कुछ सार्थक लेखन नहीं किया जावेगा तबतक हमारी हिंदी भाषा स्तर पर सम्मानजनक स्थान प्राप्त नहीं कर सकेगी यह कटु सत्य है यह प्रश्नचिह्न हमारे सामने खडा हो गया है . हिंदी भाषा को नेट पर सारी दुनिया में पढ़ा जाता है यदि अमर्यादित पोस्टो और टीपो को बाहर के लोग पढेगें तो उसका अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा भाई समीर लाल जी ने अपने ब्लॉग उड़नतश्तरी में सार्थक शब्द का प्रयोग अपनी पोस्ट में कर कुछ संकेत तो दे दिए है . ब्लॉग जगत के कलमकारों को इस और गंभीरता से विचार करना चाहिए कि अच्छा लिखे और अच्छे विचार ब्लॉग के माध्यम से पाठको को उपलब्ध कराये .

* माननीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के द्वारा "अमर्यादित टीप पोस्ट देने वाले ब्लागर्स को न्यायालयीन कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है" संकेत दिए गए है सराहनीय है जोकि ब्लागजगत के लिए आगे शुभकारी होंगे और कम से लोग कमेंट्स पोस्ट देते समय मर्यादित भाषा का प्रयोग करेंगे. ....... ये तो हो गई मेरे दिल की बात.

उपरोक्त खरी खोटी लिखने के बाद यह कविता " फिर इसमें मेरा दोष कहाँ है " प्रस्तुत कर रहा हूँ .बचपन के दौरान मेरे पिता यह कविता मुझे हमेशा सुनाया करते थे.

फिर इसमें मेरा दोष कहाँ है ?


अधर तुम्हारे हाथ तुम्हारे
बंसुरिया भी साथ तुम्हारे
इस पर दर्द गीत गाओ तो
फिर इसमें मेरा दोष कहाँ है .

तुम चाहो तो अपने स्वर से
द्वार द्वार दिवाली कर दो
मरुस्थल की सूनी झोली में
उपवन की हरियाली भर दो

बिजली की हर छठा तुम्हारी
अम्बर की हर घटा तुम्हारी
इस पर यदि चातक दे गाली
फिर इसमें मेरा दोष कहाँ है

तुम चाहो धूमिल संध्या को
चाँदनी से बोर बोर कर दो
हर सागर की गहन उदासी
मधुचंदा बन तुम हिलोर दो

द्रश्य तुम्हारे नैन तुम्हारे
मधुवन में तुम पतझड़ ढूढो
फिर इसमें मेरा दोष कहाँ है

बगिया के फूलो को पतझड़
के घर गिरवी मत रख देना
काली रजनी में कम से कम
झिलमिल सा दीपक रख देना

जीवन की हर ज्योति तुम्हारी
मेहनत की हर सीक तुम्हारी
इस पर अंधियारों में तुम बैठे
फिर इसमें मेरा दोष कहाँ है

23.2.09

महाशिवरात्री पर्व की हार्दिक शुभकामना : जहाँ भोलेनाथ के दर्शन को जाते है वानर







रायसेन में ऐतिहासिक दुर्ग में एक गुफा मन्दिर है जहाँ बड़ी संख्या में शिवाजी के भक्तगण दर्शन करने पहुंचते है. खास बात यह जब भी भक्तगण शिवाजी के गुफा मदिर जाते है तो उन्हें मन्दिर में वानर बड़ी संख्या में देखने को मिलते है . पूजा के समय में वानरों की सेना भक्तगणों का साथ देते है . खास बात यह है की वानरों की नजर पूजा में चढाई जाने वाली सामग्री पर रहती है परन्तु जब भक्तगणों द्वारा वानरों को प्रसाद दिया जाता है तबही ये बन्दर प्रसाद स्वीकार करते है और यह बंदरो की सेना कभी भी भक्तगणों का परेशान नही करते है.



ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधी पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बंधनात मृत्योमुक्षीय मामतात



सभी ब्लॉगर भाई बहिनों को महाशिवरात्री पर्व की हार्दिक शुभकामना.

ॐ शिवजी सदा सहाय करे.
ॐ नमो शिवाय
बमबम भोलेनाथ

21.2.09

जरा देखें तेरे चेहरे पे क्या क़यामत बरस रही है

तेरी मौजूदगी का.. सदा मुझे एहसास रहता है
बंद आँखों के आईने में तेरी सूरत देख लेता हूँ.

जरा अपने इस चेहरे से जरा नकाब हटा दे यारा
जरा देखें तेरे चेहरे पे क्या क़यामत बरस रही है.

जब भी तू आइने में अपना चेहरा देखती होगी
आइना अक्सर तुझे मेरा चेहरा दिखलाता होगा.

जो चेहरा मैंने अपने ख्यालो में दिल से देखा था
जब रूबरू हुए तो वह चेहरा दिल से उतर गया.

इतना बेइंतिहा प्यार इस चेहरे से न तू न कर
सारी उम्र फ़िर जिया न जाए और न मरा जाए.

***
चिठ्ठा चर्चा "समयचक्र" में

15.2.09

आज १०० पोस्टो के पश्चात १०१ वी पोस्ट माँ नर्मदे को समर्पित

आज निरन्तर ब्लॉग में १०० पोस्ट पूर्ण करने के उपरांत यह मेरी १०१ वी पोस्ट है . आप सभी का स्नेह और प्यार मुझे हमेशा लगातार प्राप्त होता रहा है जिसके कारण मै अपने ब्लॉग समयचक्र (एक हैक हो गया है या उड़ गया है) "प्रहार" और "निरन्तर" ब्लॉग में करीब 1000 के लगभग पोस्ट लिख चुका हूँ. हालाकि ढाई वर्षो के ब्लॉग लेखन के दौरान मेरे अपने ने मुझे हरसंभव हांसिये की ओर धकलेने की कोशिश की है जिसे मैंने सहर्षता के साथ स्वीकार किया है बल्कि आलोचना प्रत्यालोचना से मेरे लिखने का हौसला और बढ़ा है.

परन्तु हमेशा आपके प्यार स्नेह आशीर्वाद और हौसला अफजाई करने की वजह से मै आज ब्लॉग जगत में ब्लॉग लेखन कर रहा हूँ . मै निस्वार्थ भावः से अपनी हिन्दी मातृभाषा के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से ब्लॉग लेखन कर रहा हूँ और मुझे बेहद खुशी होती है कि मै अपनी भाषा के लिए एक छोटा सा प्रयास कर रहा हूँ . आप सभी का स्नेह और प्यार निरंतर बना रहे . आज की १०१ वी पोस्ट मै जबलपुर का निवासी होने के नाते माँ नर्मदा को समर्पित कर रहा हूँ.

ॐ नर्मदे हर हर

पाठको की विशेष पसंद चिठ्ठा चर्चा "समयचक्र" में देखें

13.2.09

व्यंग्य (हास्य) - साफ्टवेअर इंजीनियर और फिल्मी नाम पर नेट का तड़का .

व्यंग्य (हास्य) - साफ्टवेअर इंजीनियर और फिल्मी नाम पर नेट का तड़का .
अगर आप साफ्टवेअर के क्षेत्र मे इंजीनियर है और फ़िल्म बनाना चाहते है तो भाई साहिब हिंदी मे फ़िल्म का नाम कुछ इस तरह से करना पड़ेगा तबाही लोग आपकी और आकर्षित होंगे जनाब आपकी फिल्मो की और वरना टाकीज हाल खाली रहेगा ...
1. हेंग तो होना ही..... था
2. मेरी डिस्क (जान) तुम्हारे पास है
3. आओ चाट करे फ़िर दिल से बात करे .
4. प्रोग्रामर नंबर - 1
5. मेरा नाम डेवलपर
6. जावा वाले जॉब लूट ले जाएँगे बाकि खड़े रह जायेंगे.
7. हम आपके दिल में नही पर आपकी मेमोरी में रहते है.
8. दो प्रोसेसर बारह टर्मिनल
9. तेरा कोड चल गया जा मौजा मौजा कर
10. हर दिन जो मेल करेगा वो गाना जायेगा दीवाना महफ़िल में पहचाना जाएगा .
11. नेटवर्क के उस पार कोई रहता है .
12. मिस्टर नेट वर्क लाल
13. डिबगिंग कोई खेल नही
14. जिस देश में बिल गेट्स रहता है वहां आर्थिक मंदी है .
15. राजू बन गया प्रशासक नं -1 .अब देखना उसका कमाल
16. क्लाइंट एक नंबरी तो प्रोग्रामर दस नंबरी
17. हाय लोगिंन करो सजना
18. नौकर पी.सी का
19. 1942 -- आ बग स्टोरी
20. कहो ना वाइरस है
21. क्रॅश से क्रॅश तक
22. मैने भी डेबुग किया है
23. अपना पासवर्ड दे के देखो
24. टर्मिनल अपना लोगिंन पराई

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10.2.09

माइक्रो पोस्ट- अनमोल वचन

किसी का अपमान करना किसी से नफ़रत करना शैतान का काम है और क्षमा करना इंसान का धर्म है . क्रोध करने से पहले उसके भविष्य के परिणामो पर विचार करो अन्यथा उसके भीषण परिणाम भुगतने पड़ते है .

समझने वाले समझ गए जो न समझे वो अनाडी है.

6.2.09

तेरी मौजूदगी का सदा मुझे अहसास सदा रहता है

तेरी मौजूदगी का सदा मुझे अहसास सदा रहता है
तेरी सूरत अक्सर अपनी बंद आँखों से देख लेता हूँ.

जिसे तेरा चेहरा समझ कर मै रात भर चूमता रहा
नींद से जागा जब मै सिरहाना अपनी बाहों में पाया.

तेरी सूरत देखकर रुकते नही मेरे ये बेहिसाब आंसू
तेरे ख्याल देते थे खुशी दर खुशी वो समय और था.

मेरी आँखों के सामने से अब तुम दूर नही होना जी
मेरी दिल ऐ दिलरुबा का श्रृंगार होना अभी बाकी है.

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