30.12.09

हंसी के गुलगुले ताउजी के नाम...

साल 2009 अपने जाने की घडियों का इंतज़ार कर रहा है . सन 2010 आने को बेताब है उसके आगमन की ख़ुशी में हम क्यों न थोडा हंस ले मुस्कुरा लें . आज के चुटकुले ताउजी के नाम है .


ताउजी : आपका रेस्टोरेंट बहुत ही क्लीन है
मैनेजर : सर मै आपका बहुत ही आभारी हूँ
ताउजी : हर चीज से साबुन की बू आती है सूप से, चिकिन से, सलाद से, नान से,
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ताउजी बच्चो की क्लास ले रहे थे . एक बच्चे से उन्होंने पूछा - ब्यूटीफुल का क्या अर्थ है ?
वह बालक सकपका गया .
फिर ताउजी ने पूछा - ब्यूटी याने ? बालक - सुन्दर
ताउजी - फुल याने ? बालक - भरपूर
ताउजी - "शाबाश" हाँ अब बताओ ब्यूटीफुल का अर्थ ?
बालक - विपाशा बासु
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प्रोफ़ेसर ताउजी ने एक नव कलमकार को नसीहत देते हुए कहा - अगर किसी की राइटर की किसी पोस्ट से कोई चीज ले लो तो वह साहित्यक चोरी कहलाती है मगर कई साहित्यकारों की पोस्टो से बहुत कुछ ले लो तो वह रिसर्च
करना कहलाता है .
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प्रोफ़ेसर ताउजी बड़े भुलक्कड़ थे . हमेशा वे अपनी घडी पेंट की बांयी जेब में रखा करते थे . एक बार भूल से उन्होंने अपनी घडी पेंट की दांयी जेब में रख ली और स्कूल चले गए . स्कूल पहुँचाने पर उन्होंने समय देखने के लिए अपनी जेब में हाथ डाला तो घडी नदारत थी वे बड़े हलकान और परेशान हो गए . उन्होंने स्कूल के एक छात्र को बुलाकार कहा जाओ जाकर मेरे घर से घडी ले आओ ? फिर पेंट की दांयी जेब में हाथ डालकर धडी निकली फिर उस छात्र से बोले - अभी दस बजकर बीस मिनिट हुआ है और तुम दस बजकर चालीस मिनिट तक वापस आ जाना .
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ताउजी ने अपने घर आये मेहमान से कहा - आ जाओ इस कुत्ते से डरो नहीं
मेहमान - क्या यह कुत्ता काटता नहीं है ?
ताउजी - अरे भाई यही तो मै परखना चाहता हूँ इसे मै आज ही खरीदकर लाया हूँ .
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एक प्रेमी दया नामक प्रेमिका के घर गया . प्रेमिका के पिता ने पूछा - कहो कैसे हो ?
प्रेमी प्रेमिका के पिता से - जी सब ठीक है बस आपकी दया चाहिए .

सभी ब्लागर भाई बहिनों को नववर्ष की हार्दिक मंगलमय शुभकामनाये.

29.12.09

व्यंग्य - चिटठा नगरिया जहाँ कूकर भौंके घुरके शूकर

ये देश कलमबाजो का देश है जहाँ पुन्य आत्माए जन्म लेती है . भगवान ने इन्हें चिटठा नगरिया में रहने जगह क्या दे दी ये अब कलमबाजो के अघोषित भगवान बन गए है .

यहाँ के हर जीव एक दूसरे को अपनी पोस्टो से जोड़ लेते है .

ये जीव प्रेम प्रसंगों से लेकर घुड़का बाजी तक पोस्ट लिखने में माहिर है और समय समय पर अपनी टीप उलीचकर अपने प्रेम का इजहार करते रहते है .

ये नव कलमकार को घुड़क कर यदा कदा अपना प्रेम उलीचते रहते है और स्नेहिल आशीर्वाद प्रदान करते रहते है ..

इनकी पहचान निम्न पंक्तियों से की जा सकती है .

रांड सांड सीढ़ी सन्यासी इनसे बचे तो सेवे चिटठा नगरी

और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा कुछ इस प्रकार से भी की जा सकती है .

शूकर घुरके भौंके श्वान मारग रोके सांड सुजान

कलियुग कथा कहाँ लोउ बरनो जहँ तहं डोलत है चिटठाकार


उपरोक्त सभी प्रकार के कलमकार या चिटठाकार इस चिटठा नगरी के निवासी है . ये कन....खजूरे टाइप के है . ये प्राय एक समूह में रहते है .

ये अपने प्रेम का इजहार कलम से भौंक कर घुड़क कर करते है और जिस दिन ये चिटठा नगरी छोड़ देंगे उस दिन उनकी कलम की स्याही ख़त्म हो जावेगी और चिटठा नगरी के कलमकार उनकी भौंक और घुरके की आवाज सुनने से वंचित रह जावेंगे.

ये इस नगरी के उज्जवल प्रकाश पुंज है और इनका सीधे एग्रीक्रेटर से सम्बन्ध है इसीलिए वे कलमकारों के पूज्यनीय और वन्दनीय है .

श्वान रूपी चिटठाकार भैरव का शूकर रूपी चिटठाकार बराह अवतार का रूप है जिनकी खीसो पर सारा चिटठाजगत टंगा हुआ है .

एक जगह मैंने पढ़ा है की ""सांड सिंगानिया और मर्द मुछाड़ियाँ""" सांड जिस पर कृपा करें वो कलमकार सीधे स्वर्ग पहुँच जाता है और शूकर जिस पर घुरके वो चिटठालोक ही छोड़ देता है.

क्रमश :व्यंग्य-कल आगे प्रतीक्षा करें...

व्यंग्य भाग -दो- - चिटठा नगरिया जहाँ कूकर भौंके घुरके शूकर

शूकर और श्वान एवं सांड मुछाडिया प्रवृति के ये कलमकार जीव साहित्य समाज में चाहुनोर बखूबी देखे जा सकते है .

चिटठानगरी के कलमकार कुछ सांड मुछाड़ियाँ प्रवृति के होते है जो इस नगरी को अपनी उछल कूद का स्थल बनाए रहते है और समय और असमय अपने नथुने फुलाए रहते है . शूकर श्वान और सांड अपने अपने कर्मो के कारण इस जगत में अपनी अपनी अहमियत बनाए रहते है .

चिटठाकारिता पे शूकर घुरक देता है और अपनी आदत के मुताबिक कलमकारों के क्षेत्र में गन्दगी फैलाता रहता है . श्वान इस पर समय असमय भौंकता रहता है . ये जीव नेट जगत में आवारागर्दी करते रहते है पहले इन पर थोडा प्रतिबन्ध था पर जबसे इस जगत में इनकी भीड़ बढ़ गई है इनकी स्वेच्छा चरिता बढ़ गई है .

जब तक ये दुनिया में रहेंगे इनपर प्रतिबन्ध लगाना मुश्किल दिखता है .

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26.12.09

हमारे निर्वाचित जनप्रतिनिधि हमारे कितने हितैषी है ?

हमारे देश की चुने हुए जनप्रतिनिधियो की कितनी बड़ी फौज है . विगत दिनों मंहगाई के मुद्दे पर संसद में मात्र ४७ सांसदों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जो इस बात को दर्शाता है की हमारे निर्वाचित जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर गरीबो के कितने हितैषी है . आज के समय निर्वाचित राज नेता सिर्फ दिखावे के लिए गरीबो की झोपड़ी में एक रात बिताते है और दिखाने के लिए उस घर के गरीब सदस्यों के साथ सूखी रोटी खाते है . ये राजनेता यदि गरीबो के बर्तन झांक कर देखे जोकि इस भीषण मंहगाई के कारण खाली दिखेंगे. उन गरीबो के गरीबां में झांककर देखें जो गरीब दिन भर भारी मेहनत कर साठ से अस्सी रुपये मात्र एक दिन में कमाता है वह गरीब अस्सी और रुपये कीमत वाली दाल कैसे खरीद सकता है यदि उसने दाल खरीद भी ली तो उसे और उसके परिवार वालो को सब्जी भाजी खरीदने के लाले पड़ जाते है . इस स्थिति में परिवार का लालन पोषण करना तो छोडिये गरीब खुद का पेट भी पालना मुश्किल हो जाता है . गरीब रहकर जीवित है वे, यही ईश्वर की मेहरबानी है .

इन निर्वाचित जनप्रतिनिधियो को शर्म आना चाहिए यदि पूरी संसद इस मुद्दे पर एकजुट हो जाए तो मंहगाई कम हो सकती है . इन निर्वाचित जनप्रतिनिधियो को यह नहीं भूलना चाहिए की उन्हें जो खाना कपडे जूते और रहने के लिए जो छाया मिल रही है उन सबके पीछे मेहनतकश गरीब जनता का हाथ होता है . शर्म करो हे चुने हुए नेताओं किसी गरीब के घर एक दिन क्या रहते हो असल में हितैषी हो तो किसी गरीब के झोपड़े में साल भर रहो नहीं तो गरीबो का हितैषी होने का ढोंग रचना छोड़ दो .

23.12.09

टूटे दिल की आस : हर साँस चलती है ओ जानम तेरे नाम से

मेरी हर साँस चलती है ओ जानम तेरे नाम से
मेरी हर रात यूं कटती है ओ जानम तेरी याद में.
**
जानम कुर्बान हम तेरी प्यारी सूरत देख कर हो गए
तुमसे मोहब्बत करके जानम हम बदनाम हो गए.
**
तेरा करते करते इंतज़ार सारी जिन्दगी गुजर गई
आपसे एक अर्ज है आशियाँ इस दिल को बना लो.

18.12.09

जोग - ताउजी और महाताउश्री और डाक्टर झटका के कारनामे

प्रसूतिग्रह के डाक्टरों की सभा चल रही थी . सभा में परिचर्चा का मुख्य विषय था " साहित्य और साहित्यक वातावरण का गर्भिणी पर प्रभाव ".
परिचर्चा में चर्चा करते हुए डाक्टर ताऊ महाश्री ने कहा - साहित्य का तो मैंने प्रत्यक्ष प्रभाव देखा है एक बार मैंने एक पेसेंट को " दो बेटी " नामक पुस्तक पढ़ने दी बाद में उस महिला को दो लड़कियाँ पैदा हुई .
डाक्टर ताउजी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा - मै आपकी बातो का समर्थन करता हूँ मैंने भी एक स्त्री को " तीन तिलंगे " नामक पुस्तक पढ़ने दी थी बाद में परिणामस्वरूप उस स्त्री के यहाँ तीन तीन लफंगे उप्रद्रव करने आ टपके .
इसी परिचर्चा के बीच डाक्टर झटका अचानक परिचर्चा छोड़ कर जाने लगे तो डाक्टर ताऊ महाश्री और डाक्टर ताउजी ने पूछा - डाक्टर झटका अचानक आप मीटिंग से क्यों जा रहे है ?
डाक्टर झटका ने उत्तर दिया - ओह बादशाहों मेरी तो मती मारी गई है मेरी बीबी के पाँव भारी है अरे मैं उसे " अलीबाबा चालीस चोर " पुस्तक पढ़ने के लिए देकर आया हूँ .
00000

एक बार ताउजी एक रेल के डिब्बे में सफ़र कर रहे थे . उस डिब्बे में स्त्रियों की संख्या अधिक थी . आदत के मुताबिक वहां उपस्थित हर महिला अपनी उम्र कम करके बता रही थी .
पचास वर्षीय बिंना ने अपनी उम्र पैतीस वर्ष बतलाई . तो शब्बो जी ने कहा अभी वो पच्चीस की दहलीज पर चल रही है . मैडम झिन्गालैला ने कहा - अभी तो वो बस बीस की ही है . झलकन बाई ने कहा - ये तो सब ठीक है अभी मै सोलह की भी नहीं हुई हूँ.
ताउजी उपरी बर्थ पर लेटे थे और उन स्त्रियों की बातो को बड़े ध्यान से सुन रहे थे . अब उनसे रहा नहीं गया और वे अचानक उपरी बर्थ से नीचे कूद पड़े. नीचे उपस्थित स्त्रियाँ अचकचा गई और ताउजी को डाँटते हुए कहा - अरे तुम कहाँ से आ गए ?
ताउजी ने विनम्र शब्दों में उत्तर दिया - अभी अभी पैदा हुआ हूँ .
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एक बार ताउजी भारत भ्रमण पर निकले और अपने मित्र डाक्टर झटका के साथ मुंबई पहुंचे . ताउजी सर उठाकर एक ऊँची इमारत को देख रहे थे उसी समय वहां एक ठग पहुंचा और ताउजी से बोला - ए क्या देख रहो हो तुम्हे मालूम नहीं है की ये मुंबई है यहाँ हर चीज को देखने के लिए रुपये लगते है .
ताउजी ने कहा - मै उस ईमारत की दूसरी मंजिल देख रहा हूँ . उस ठग ने ताउजी से कहा - अच्छा तो चलो चार रुपये निकालो . ताउजी ने उस ठग को चार रुपये दे दिए . ठग रुपये लेकर चला गया .
ताउजी ने अपने मित्र डाक्टर झटका से कहा - मैंने तो सुना था की मुंबई में बहुत ठग रहते है मगर देखो मैंने उसे कैसे ठग लिया . डाक्टर झटका ने ताऊ जी से पूछा - वो कैसे ?
ताउजी ने उत्तर दिया - असल में मै उस ईमारत की चौथी मंजिल देख रहा था . अगर मै उस व्यक्ति से चौथी मंजिल देखने की बात बताता तो वह आदमी मुझसे आठ रुपये चौथी मंजिल देखने के न ले लेता .
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एक बार ताउजी ने अपने पुलिस अफसर से पूछा - अगर कोई पुलिस वाला अपनी डियूटी अच्छी तरह से नहीं करता है तो आप उसे क्या सजा देते है ?
पुलिस अफसर ने उत्तर दिया - ऐसे पुलिस वालो के हम नाम नोट कर लेते है . जब नगर में कोई कवि सम्मेलन, धरना प्रदर्शन होता है तो ऐसे पुलिस वालो की डियूटी हम वहां लगा देते है .
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एक आदमी कुआ खोद रहा था . काफी गहरा गढ्ढा हो गया था . उस गहरे गढ्ढे में वह आदमी गिर गया . उसने बहुत निकलने की कोशिश की पर निकल नहीं पाया . शाम हो गई अँधेरा हो गया था जोरदार ठण्ड पड़ रही थी . उस आदमी ने जोर जोर से आवाजे लगाना शुरू कर दिया अरे कोई मुझे बचालो.....अरे भाई बचालो ... तभी वहां से डाक्टर झटका निकले - उन्होंने अँधेरे में झांककर देखने की कोशिश की . गढ्ढे के अन्दर से आवाज आ रही थी - खुदा के वास्ते मुझे बाहर निकालो . मै ठण्ड के मारे मरा जा रहा हूँ . डाक्टर झटका ने गढ्ढे में झांककर कहा - ठण्ड तो तुम्हे लगेगी ही भाई . लोग तुम पर मिटटी डालना भूल गए है .

00000

16.12.09

ये खामोश तन्हाई भी जन्नत बन जाती....

काश इस सुहाने मौसम में तुम आ जाती
ये खामोश तन्हाई भी जन्नत बन जाती.
*
तेरी आँखों से एक मुद्दत से नहीं पी है
तेरी अंगड़ाई देखें बरसों गुजर गए है.
*
मेरी ये जिंदगी तेरे वगैर गुजर रही है
मेरी परछाई मुझे ही अब डराने लगी है.
*

14.12.09

मेरी इन आँखों में बसे सारे ख्बाब तुम ले जाओ


मेरी इन आँखों में बसे सारे ख्बाब तुम ले जाओ
दिल में धड़कते सभी अरमां आकर तुम ले जाओ.
**
मेरी दुनिया में तुमको लौट कर आना ही नहीं है
सारे ख़त लौटा दो आकर अपने जबाब ले जाओ.
**
आखिर भरी दुनिया में दिल को बहलाने कहाँ जाये
उनसे मोहब्बत हो गई चाहने वाले दीवाने कहाँ जाए.
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12.12.09

यात्रा संस्मरण : ग्वालियर का भव्य अनोखा सूर्य मंदिर

  • विगत सप्ताह मुझे ग्वालियर जाने का अवसर प्राप्त हुआ वैसे तो ग्वालियर शहर ऐतिहासिक है और अपने साथ कई दुर्लभ यादगारे संजोये है. ग्वालियर में राजा मानसिह का किला और वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की समाधी है और भी कई दर्शनीय स्थान है. इस बार मुझे ग्वालियर में भव्य सूर्य मंदिर का अवलोकन करने का मौका मिला. सूर्य मंदिर का पट दिन में ठीक बारह बजे बंद कर दिया जाता है. बारह बजने को दस मिनिट शेष थे तब मै विलम्ब से इस मंदिर में पहुंचा.

सूर्य मन्दिर का प्रवेश सिह द्वार


सूर्य मन्दिर का सामने से लिया गया फोटो


सूर्य मन्दिर के रथ के पहिये

इस मंदिर को बिड़ला स्मृति में बनवाया गया . आम बोलचाल में बिड़ला जी का सूर्य मंदिर भी कहा जाता है. इस मंदिर की भव्यता बस देखते ही बनती है. यह मंदिर अदभुत कलाकृति का अनुपम उदाहरण है. मंदिर की बाहय दीवारों पर धार्मिक देवी देवताओ की, महापुरुषों और साधू संतो के नाम सहित मूर्तियाँ उकेरी गई है. मंदिर के चारो तरह ख़ूबसूरत मनोरम हरियाली लिए विशाल बगीचा है. सूर्य मंदिर एक रथ सहित विशाल आकृति लिए बनाया गया है. सूर्य भगवान के रथ को साथ घोड़े जोत रहे है. रथ के पहिये बनाये गए है. मंदिर के भीतर सूर्य भगवान की भव्य प्रतिमा स्थापित है जो सूर्योदय से लेकर सूर्य के अस्ताचल होने तक सूर्य की किरणों से आलोकित रहती है जो इस मंदिर की एक अनोखी विशेषता है.


मन्दिर की दीवारों पर हिन्दू धार्मिक देवी देवताओ की मूर्तियाँ उकेरी गई है एवं प्रत्येक देवी संतो और महापुरुषों के नाम भी उकेरे गए है .


सूर्यमंदिर के निचले हिस्से में सूर्य भगवान के रथ के पहिये द्रष्टव्य है .


सूर्य मन्दिर का भव्य उपरी हिस्सा अनुपम बेजोड़ कारीगिरी का नायाब नमूना


सूर्य मन्दिर के बांयी और से लिया गया फोटो .




सूर्य मन्दिर के बांयी और से लिया गया फोटो जिसमे सूर्य भगवान के रथ में जुटे हुए घोड़े सूर्य भगवान के रथ को सात घोड़े जोते जाते थे.


अवकाश के दिनों में काफी दूर दूर से दर्शक इस मन्दिर को देखने आते है .






सूर्य मन्दिर की बाहरी दीवार पर भगवान शिव और पारवती की पत्थरो पर उकेरी गई भव्य प्रतिमा

मुख्य सूर्य मन्दिर के पूर्व दिशा में स्थापित सूर्य भगवान का एक मन्दिर

मन्दिर की गुम्बज की चारो दिशाओ में उपरी हिस्सों में विशाल शीशे लगाए गए है जिनमे से सूर्य की किरणे परिवर्तित होकर मंदिर के अन्दर स्थापित भगवान सूर्य के प्रतिमा सीधे पड़ती है जिसके कारण सूर्य भगवान की प्रतिमा प्रकाशमान दिखती रहती है और सूर्य किरणों से आलोकित होकर चमकती रहती है जो अदभुत वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है और दर्शनीय है . भगवान सूर्यदेव की मूर्ती का दर्शन करते समय खुद अपने आप में अनोखी उर्जा के प्रवेश होने का अनुभव होता है.




मन्दिर के चारो और ख़ूबसूरत बाग़ है जिसमे चारो और फैली हरियाली मनमोहक है जिसे निहार कर काफी मानसिक शान्ति का अनुभव होता है . चूंकि मंदिर के नियमो के अनुसार मंदिर परिसर के अन्दर स्थित भगवान सूर्य देव की प्रतिमा की फोटो उतारना मना है इसीलिए मैंने दिव्य भगवान सूर्य देव की मूर्ती की फोटो अपने कैमरे से नहीं उतारी. मंदिर के बाहरी द्रश्यो की फोटो अवलोकनार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ.

ॐ सूर्य देव्यो नमः

10.12.09

कुछ हास्य-परिहास हंसी ठिठोले जोग....

बहुत दिनों से कुछ हास्य-परिहास हंसी ठिठोले वाली पोस्टे पढ़ने को मिल नहीं रही थी इसीलिए मैंने सोचा की कुछ हंसाने की लिखी जाए तो उदास मन में मुस्कराहट बिखेर दे और ताजगी की उमंग पैदा कर दे.. इसी तारतम्य में कुछ जोग ...

पति पत्नी से - क्या कारण है की तुम आजकल मुझसे ज्यादा कुत्ते पर फ़िदा हो ?
पत्नी - कम से कम वह तुम्हारी तरह भौकता तो नहीं है.
***

नई नई बीबी अपने पति से मुस्कुराकर बोली - जानते हो मैंने सोलह दिन केवल तुलसी के पत्ते खाकर गुजारे और दो सालो तक लगातार प्रयेक शुक्रवार को संतोषी माता का व्रत किया तब कही जाकर आपको पति रूप में पाया.
पति - अगर यह सब न करती तो ?
पत्नी ने उत्तर दिया - धत तेरे की समझे नहीं तो कोई आपसे भी गया गुजरा मेरे पल्ले में पड़ता.
***

एक बीबी चटकारे ले लेकर अपनी दूसरी सहेली से कह रही थी अरे तुझे मालूम है मेरे पति की रात को देर से घर लौटने की बुरी आदत थी वह मैंने छुड़ा दी .
सहेली - वह कैसे ?
बीबी - एक रोज वो रात को बारह बजे घर लौटा तो मैंने जोर से आवाज लगाकर कहा क्या बात है मोहन आज तुमने आने में देर कर दी इसके बाद मेरा पति दिन डूबने के पहले घर आने लगा .
सहेली - यह सब कैसे संभव हो गया ?
बीबी - दरअसल मेरे पति का नाम मनोहर है .
***

एक सहेली दूसरी सहेली से - क्या तुम्हारे पति तुम्हे अब भी कांटते है ?
पहली सहेली - नहीं
दूसरी सहेली पहली से - अच्छा तो उनकी काटने की आदत अब छूट गई होगी .
पहली सहेली दूसरी से - नहीं दरअसल उनके दांत अब टूट गए हैं.
***

एक दिन ताउजी ने भारतीय रेल को धोका देने की सोची क्योकि वह कुछ नया ही करना चाहता थे. उन्होंने एक आइडिया सोचा . उन्होंने एक टिकट खरीदा पर रेल में बैठे ही नहीं .
***

एक आदमी अपने पन्द्रह बच्चो के साथ उन्हें जिराफ दिखाने के लिए चिड़िया घर गया और दरबान से कहा इन सब बच्चो को मै जिराफ दिखलाना चाहता हूँ
दरबान ने हैरत से उस आदमी को देखते हुए कहा - ये सारे बच्चे तुम्हारे है . उस आदमी ने कहा - हाँ
दरबान ने कहा - तो तुम लोग यही ठहरो मै जिराफ को यही ले आता हूँ वह तुम लोगो को देख लेगा.
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प्रेमी अपनी प्रेमिका से - आजकल मेरी शादी के लिए कार वालो के रिश्ते आ रहे है अगर तुम्हारे पिता कार दे सके तो मै तभी शादी करूँगा .
प्रेमिका प्रेमी से - मेरे पिता तुम्हे रेलगाड़ी भी दे सकते है पहले तुम पटरियां बिछवाने का प्रबंध तो करो .
****

9.12.09

जब वो हंसते है तो तोहमत याद आती है

चार दिनों की ये जिन्दगी मिलती है उधार
आंचल में खुशियाँ हो...तो आती है बहार
गर दिल को मिले आंसू और काँटों का हार
तो अक्सर प्यार की होती है...करारी हार
ये शाम फिर से अजनबी सी लगने लगी है
हरी भरी ये जिन्दगी वीरान लगने लगी है
जब वो हंसते है तो तोहमत याद आती है
न चाहकर भी दिल को बैचेन बना देती है
मेरे घरौदे की दहलीज पर वो कदम रखेंगे
बात कहने से पहले मुझे बहुत याद करेंगे।
oooooo

1.12.09

स्वैछिक सेवानिवृति के उपरांत यादगार क्षण ... कभी भूल नहीं सकता

कल दिनाक 30 -11 -2009 को मै मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल की से सेवा से ३३ वर्ष आठ माह सफलता पूर्वक पूर्ण करने के पश्चात स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत हो गया हूँ . कल का दिन मेरे जीवन में नई दिशा प्रदान करने वाला दिन रहा . स्वैछिक सेवानिवृति के अवसर पर कार्यालयीन अधिकारियो और सहकमियो द्वारा सम्मान में बिदाई कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अवसर पर अधीक्षण यंत्री, संभागीय अभियंता और परीक्षण संभाग जबलपुर के कर्मचारी उपस्थित थे .

परीक्षण और संचार वृत के अधीक्षण अभियंता माननीय ठाकुर साहब ने अपने उदबोधन में कहा मिश्र एक कर्मठ और सुयोग्य है ..कठिन से कठिन कार्य को आसानी से सम्पादित करते है...उन्हें उम्मीद नहीं थी की मिश्र इतनी जल्दी सेवानिवृति ले लेंगे. संभागीय अभियंता श्री खरे ने कहा की श्री मिश्र सेवानिवृति के उपरांत फुरसत में नहीं बैठेंगे ... इस अवसर पर सभी ने मंगलमय उज्जवल भविष्य की कामना की और भावभीनी बिदाई दी .

गृह निवास पर स्वल्पाहार का आयोजन किया गया. स्वैच्छिक सेवानिवृति के अवसर पर कुछ फोटो लिए गए है जोकि अवलोकनार्थ प्रस्तुत है. कल तक व्यस्त था ... आज अपने आपको स्वछंद महसूस कर रहा हूँ और महसूस कर रहा हूँ की मै अब किसी का चाकर नहीं हूँ और आजाद हूँ ... स्वतंत्रता के साथ साँस ले सकता हूँ और आजादी से अब घूम फिर सकता हूँ .


कार्यालय से बिदाई आयोजन के बाद घर की और रवानगी ..
एक नन्ही बच्ची "टिया " ने आकर मेरा हाथ थामा

कार्यालय सहकर्मियो के साथ बिदा के क्षण....

कार्यालय सहकर्मियो के साथ बिदा के क्षण....एवं बाजू में खड़े कार्यपालन अभियंता श्री मनीष खरे बांयी और



कार्यालय के बाहर मुझे रिसीव करने आये परिवारजन एवं---स्नेही जन

कार्यालय में रिसीव करने आये स्नेही जन...



मेरे निवास में उपस्थित जबलपुर शहर के कवि साहित्यकार और अनेक संस्थाओं से जुड़े ब्लागार भाई डाक्टर
विजय तिवारी
"किसलय" जी

निवास में उपस्थित स्नेही जन..

निवास में उपस्थित स्टेट बार कौंसिल हाईकोर्ट जबलपुर की अनुभाग प्रभारी श्रीमती अंजू निगम और सलमा बेगम...के साथ छायाचित्र


मेरे मित्र मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के महासचिव नलिनकान्त बाजपेई (जनसत्ता).. नौकरी के बाद भी साथ नहीं छूटेगा .....
गृह प्रवेश पर जब मेरी चाची जी ने मेरा सम्मान किया .....


जबलपुर सेन्ट्रल जेल और मिलेट्री जेल के मौलाना हाजी कारी काजी अब्दुल लतीफ़ कादरी जी ने श्री फल और शाल से सम्मानित किया.


कार्यालय से बिदाई के पश्चात मेरे निवास में उपस्थित मध्यप्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी के एफ.डी.ठाकुर साहब अधीक्षण अभियंता (परीक्षण और संचार)जबलपुर , श्री निगम संभागीय अभियंता और श्री मनीष खरे संभागीय अभियंता परीक्षण संभाग १ मध्यप्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड जबलपुर.....

घर में मेरे बेटे मयूर मिश्र ने पुष्पाहार से सम्मान किया और कहा बस पापा अब मै....सुनकर आंखे नम हो गई की मेरा बाजू तैयार हो गया है .

निवास में आयोजित स्वल्पाहार कार्यकर्म में मित्र जन और स्नेहीजन .
निवास में आयोजित स्वल्पाहार कार्यकर्म में मित्र जन और स्नेहीजन..और मै...
निवास में आयोजित स्वल्पाहार कार्यकर्म में मित्र जन और स्नेहीजन....और मै...

यूं0के0 से आये मेरे भांजे अमित मिश्र ने पुष्पाहार से मेरा सम्मान किया .....

स्वैच्छिक सेवानिवृति पर ये बहुत खुश है...मेरी पत्नी मांडवी मिश्र(बांये)और उसकी सहेली.

सम्मान के ये क्षण....


मयूर मिश्र,मोनू चौरसिया और वरुण

29.11.09

मेरे जीवन का कल का दिन निर्णायक होगा .....

एक समय था की नौकरी के लिए कोई जद्दो जहत नहीं करना पड़ती थी . वाकया सन 1975 के समय का है . जब नौकरियों की भरमार रहती थी . 11 मार्च सन 1976 में मैंने मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल में सर्विस ज्वाइन की. उस समय मेरी उम्र मात्र 18 वर्ष एक माह थी और मेरी प्रथम पदस्थापना ग्वालियर में की गई . चूंकि उस समय परिवार में प्रकाशन का कार्य किया जाता था . तरह तरह की पुस्तके प्रकाशित की जाती थी . मेरी रूचि नौकरी में नहीं थी . मुझे हमेशा इस बात का दुःख रहता था की मेरे परिजनों ने मुझे कम उम्र में ही नौकरी में धकेल दिया था . समय बदलने के साथ साथ मैंने विद्युत मंडल के विभिन्न प्रभागों में कुशलता पूर्वक कार्य सम्पादित किया . मुझे मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल में कार्य करते 33 वर्ष आठ माह १९ दिन हो चुके है .

इस दौरान मैंने अनुभव किया है की इस विभाग में लगातार कर्मियो पर कार्य का बोझ लादा जा रहा है . संस्थान में वर्षो से नई नियुक्तियां नहीं की जा रही है . पहले जैसे अधिकारी भी नहीं रहे है . नए अधिकारियो में मानवीय संवेदनाओ का सर्वथा अभाव सा हो गया है . नियम कानूनों से अनभिज्ञ अधिकारी भ्रष्ट और निरंकुश है और लगातार कर्मचारियो के विरुद्ध कहर बरपा रहे है जिसका विपरीत प्रभाव कर्मचारियो की कार्य क्षमता पर पड़ रहा है . संस्थान में इस समय तकनीकी और गैर तकनीकी कर्मचारियो को वर्ग विभेद कर बांटा जा रहा है जिसके फलस्वरूप संस्थान का भविष्य राजनीतिक कारणों के चलते उज्जवल नहीं है .

सर्विस में सफलतापूर्वक लगातार कार्य करने के बाद मध्यप्रदेश राज्य मंडल की सेवाओं से कल दिनाक 30 -11 -2009 को मै स्वैच्छिक सेवानिवृति ले रहा हूँ . सेवानिवृति लेने के उपरांत मैंने गरीब विकलांग जनों और समाज में पीड़ित जनों की सेवा करने का और हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार करने लेखन कार्य करने का संकल्प ले लिया है..... स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने के उपरांत कल के दिन के बाद का समय मेरे जीवन में निर्णायक मोड़ लायेगा ऐसा मै ईश्वर से कामना करता हूँ .

महेन्द्र मिश्र
9926382551
जबलपुर

23.11.09

तू ही बता दे जानम मेरी इस कलम की अदा क्या कम है

जब तक बहारे आती रहेंगी, तब तक फूल खिलते रहेंगें
तेरी यादे जेहन में रहेंगी, तब तक दिल जिन्दा रहेगा.
*
न जाने हर आशना न जाने दगा कर बैठा मुझसे क्यों
हर वक्त हम से हर बार रूठा था हमसे ही न जाने क्यों.
*
नफ़रत भरे तेरे अल्फाजो से हम कई कविताएं उकेरते है
तू ही बता दे जानम मेरी इस कलम की अदा क्या है कम.
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17.11.09

उनसे बेहतर उनकी यादे जो ख्वाबो में आती है

मस्त फिजाओ तुम मुझे उनकी याद न दिलाओ
मेरे इस तड़फते दिल को तुम और न तडफाओ.
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मेरा सन्देश उन तक...जाते-जाते तुम ले जाना
मै नहीं भूला हूँ उसे तुम ये सन्देश पहुंचा देना.
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उनसे बेहतर उनकी यादे जो ख्वाबो में आती है
दफ़न हो जाती ये जान यादो के सहारे जिन्दा है.

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12.11.09

माइक्रो पोस्ट ....

भारतीय संस्कृति कभी बहुत ही उच्चकोटि की थी . भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठ परम्पराएं संसार भर में सम्मान की नजर से देखी जाती थी पर अन्धकार युग में विदेशी दासता के साथ साथ भारतीय परम्पराओ में अनेको विकृतियो ने प्रवेश कर लिया और उनमे कुरीतियों अन्धविश्वासों और मूढ़ मान्यताओ ने अपनी गहरी जड़ें जमा ली है .

वर्णाश्रम व्यवस्था सनातन है पर जाति पांति के नाम पर बरती जाने वाली नीच और छुआछूत के लिए उसमे कोई स्थान है . मनुष्यमात्र एक है . गुण कर्म स्वभाव के कारण किसी को उंच नीच ठहराया जा सकता है पर जन्म और वंश के कारण न कोई उंच होता है और न कोई नीच होता है .

नर और नारी के बीच बरती जाने वाली असमानता भी इसी प्रकार अनुचित है . मनुष्य जाति के दोनों घटक सामान्य रूप से एक है उनके बीच भेदभाव उत्पन्न करने वाली प्रथाओ को अमान्य ठहराया जाना चाहिए . परदा प्रथा जैसे रिवाज इस युग में स्वीकार्य योग्य नहीं होना चाहिए .

9.11.09

तुझे पल भर देखें वगैर मै घड़ी भर कही रह नहीं पाता

तुझे पल भर देखें वगैर मै घड़ी भर कही रह नहीं पाता
तमाम कोशिशे करने के वाबजूद मै कहीं रह नहीं पाता.
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उस घडी का मुझे अफसोस है दिल जब तुमसे लगा बैठे
तेरे इस प्यार में जानम....अपनी हर ख़ुशी मै लुटा बैठा.
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दुनिया लाख सितम करे....मगर मै तेरा साथ न छोडूंगा
खुदा लाख मुझ से रूठे मगर मै तुझसे खफा न होऊंगा.
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2.11.09

अनमोल सदविचार विचार .--. फलाशक्ति और कर्तापन का अभिमान एक बहुत बड़ी फिसलन है....

० नाम और यश की चाहना से दूर रहने वाले प्रतिष्ठा, पद, और ख्याति से बचने वाले सच्चे लोकसेवक सचमुच में ही इस धरती के देवदूत कहलाते है .

० फलाशक्ति और कर्तापन का अभिमान एक बहुत बड़ी फिसलन है जिससे गिरने के बाद अधिकांश लोग उठ नहीं पाते है और नीचे गिरते जाते है .

० सपनों के पंख लगाकर सुनहरे आकाश में दौड़ तो कितनी लंबी लगाईं जा सकती है पर पहुंचा कही नहीं जा सकता है .

० मनुष्य जितना निर्भय होता है उतना ही वह महान कार्यो का सूत्रपात करता है .

० दुर्भावना के वातावरण में पंचशील के सिद्धांत अन्तराष्ट्रीय जगत में भले ही सफल न हुए हो पर पारिवारिक जगत में सदा सफल होते है . यथा -
१. परस्पर आदर भावः से देखना
२. अपनी भूल स्वीकार करना
३. आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना
४. भेदभाव न रखना
५. विवादो का निष्पक्ष निपटारा


------गुरुप्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामना के साथ.--------

29.10.09

माइक्रो पोस्ट : सत् प्रेरणा और दुष्प्रवृत्तियाँ प्रत्येक मनुष्य के अंतःकरण में छिपी रहती है...

माइक्रो पोस्ट : सत् प्रेरणा प्रत्येक मनुष्य के अंतःकरण में छिपी रहती है और दुष्प्रवृत्तियाँ भी उसी के अन्दर होती है . अब यह उसकी अपनी योग्यता बुद्धीमत्ता और विवेक पर निर्भर करता है की वह अपना मत देकर जिसे चाहे उसे विजयी बना दे .

26.10.09

मौजू के जोग मौज करो......



रघुनाथ नाई अपने मित्र से - मेरी पत्नी मेरा बड़ा रौब मानती है मै उसपे खूब रौब झाड़ता हूँ . जो काम मै उससे करने को कहता हूँ वो तुंरत कर देती है . कल रात ग्यारह बजे मैंने पत्नी से कहा पानीगरम करके ले आओ वो भागवान तुंरत पानी गरम करके ले आई .
रघुनाथ का मित्र - आपकी पत्नी तो बड़ी अच्छी है पर आपने उससे क्या कहा ?
रघुनाथ नाई - हाँ मैंने कहा ठंडे पानी से मै बर्तन नहीं धो सकता .


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ताउजी महाताउश्री - तुम्हारे पास मै आता कैसे ? तुम्हारा कोई पत्र नहीं मिला जिसमे तुम्हारा कोई पता होता .
महाताउश्री ताउजी से - मगर मैंने तो पत्र डाला था उसमे ये भी लिख दिया था की पत्र मिले या न मिले तुम जरुर आ जाना .
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भिखारी - बाबू एक अंधे को लाचार को दस रुपये दे दो
राहगीर - सूरदास तो टोटली अंधे थे मगर तुम्हारी एक आंख तो खुली है .
भिखारी - तो बाबा पॉँच ही रुपये दे दो .
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जब तीन बुलाए और तेरह आ जाए तो क्या करना चाहिए ?
उत्तर - तब खुद नौ दो ग्यारह हो जाना चहिये .
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ओह काँफी समय हो गया
तुम्हे हिंदी बोलना भी नहीं आता यह बोलो काँफी का समय हो गया .
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एक वर्कशाप में एक महिला ढीले ढाले कपडे पहिनाकर गई . वर्कशाप में एक कामगार ने उस महिला से कहा - मैडम इस वर्कशाप में ढीले ढले कपडे पहिनाकर आना माना है .ढीले कपडो का मशीनों से फंस जाने का डर रहता है .
महिला ने उत्तर दिया - यदि मै चुस्त कपडे पहिनकर वर्क शाप में आई तो मशीनों में कामगारों के फंस जाने का डर रहेगा.


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एक नन्हे बालक ने गर्भवती महिला का पेट छूकर कहा - यह क्या है और इसके अन्दर क्या है ?
महिला ने प्यार से बालक के सर पर हाथ फेरते हुए कहा - यह पेट है और इसके अन्दर मेरा प्यारा बेटा है जिसको मै बहुत प्यार करती हूँ ..
नन्हे बालक ने आश्चर्य से आंटी से कहा - ओह अगर आप इसे इतना प्यार करती है तो फिर आपने इसे खा क्यों लिया है .
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23.10.09

दो सौ वी पोस्ट : सज्जनता नम्रता उदारता सेवा आदि सदगुण और मानवीय प्रखरता

सभी ब्लॉगर भाई बहिनों के द्वारा मेरा ब्लाग लेखन में लगातार उत्साहवर्धन और निरन्तर हौसलाफजाई करते रहने से आज मुझे " निरन्तर " ब्लॉग में दो सौ वी पोस्ट पूरा करने का मौका मिला है जिसके लिए मै आप सभी का आभारी हूँ . आज की दो सौ वी पोस्ट आचार्य श्रीराम शर्मा जी को समर्पित है ..

***** सज्जनता नम्रता उदारता सेवा आदि सदगुणों की जितनी भी प्रशंसा की जाये उतनी ही कम है पर साथ ही यह भी ध्यान रखा जाए की प्रखरता के बिना ये विशेषताए भी अपनी उपयोगिता खो बैठती है और लोग सज्जन को मूर्ख दब्बू चापलूस साहसहीन भोला एवं दयनीय समझने लगते है . बहुत बार ऐसा भी होता है की डरपोक कायर संकोची पुरुषार्थ हीन व्यक्ति सज्जनता का आवरण ओढ़कर अपने को उदार या अध्यात्मवादी सिद्ध करने का प्रयत्न करते है . डरपोकपन को साहसहीनता को दयालुता क्षमाशीलता संतोष वृद्धि की आड़ में छिपाना कितना उपहासास्पद होता है और उस भ्रम में रहने वाला कितने ही घाटे में रहता है . यह सर्वविदित है . लोग उसे बेतरह उगते और आयेदिन सताते है . इस स्थिति को भलमनसाहत का दंड ईश्वर की उपेक्षा धर्म की दुर्बलता दर्म की दुर्बलता आदि कहा जाता है जबकि वस्तुत वह प्रखरता की कमी के दुष्परिणाम हैं *******

22.10.09

आज का विचार : समय ही जीवन की आवश्यक संपत्ति है....

समय ही जीवन की आवश्यक संपत्ति है . दुनिया के बाजारों में से अभीष्ट वस्तुएँ समय और श्रम का मूल्य देकर ही खरीदी जाती है . प्रत्येक क्षण को बहुमूल्य मन जाए और समय का कोई भी अंश आलस्य-प्रमाद में नष्ट न होने पे इसका पूरा - पूरा ध्यान रखा जाए . समय की बर्बादी अप्रत्यक्ष आत्महत्या है . धन के अपव्यय से भी असंख्य गुनी हानि समय के अपव्यय से होती है . खोया धन पाया जा सकता है पर खोया समय पाया नहीं जा सकता है . घड़ी को सच्ची सहचरी बनाया जाए .जिसमे सभी दैनिक उत्तरदायित्वों का समुचित समावेश हो . सोकर उठने से लेकर रात्रि को सोते समय तक की पूरी दिनचर्या हर रोज निर्धारित कर ली जाए और शक्तिभर यह प्रयत्न किया जाए की हर कार्य समय पर पूरा होता रहे . परिस्थिति बदल जाने पर आकस्मिक कारणों से तो हेर फेर हो सकता है पर आलस्य प्रमादवश व्यतिरेक न होने दिया जाए .

20.10.09

भाई बहुत हो गया अब कुछ जोग मोग भी जरुरी है ......

टीचर ने क्लास में ताऊ जी और महाताऊ श्री जी को कुत्ते पर निबंध लिखने को कहा . एक घंटे के बाद टीचर ने ताऊ जी और महाताऊ श्री जी दोनों के निबंध चैक किये तो उन्होंने यह पाया की दोनों ने एक से निबंध लिखे है . टीचर ने दोनों को डांट कर कहा - क्या तुम दोनों ने एक दूसरे की नक़ल मार कर निबंध लिखा है सच सच बताओ ?
ताऊ जी और महाताऊ श्री ने एक साथ उत्तर दिया - सर दरअसल हम दोनों का कुत्ता एकही है .

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एक कैदी - भाई शक्लें भी बहुत धोका देती है एक बार एक साहब मुझे दिलीप कुमार समझ बैठे .
दूसरा कैदी - ठीक कह रहे हो एक बार एक सज्जन मुझे देखकर अटल बिहारी बाजपेई का धोका खा गए .
तीसरा कैदी - अजी यह तो कुछ भी नहीं है . मै जब चौथी बार जेल गया तो जेलर सर पकड़कर बोला " हे भगवान तुम फिर आ गए .

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अधिकारी अपने सहायक से - " मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई की तुम रेस में जीत गए हो . दफ्तर के समय तुम इतनी होशियारी दिखाया करो तो निश्चय तरक्की पा सकते हो .
सहायक - " दफ्तर के समय जीता था सर " .
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एक मित्र दूसरे मित्र से यार मेरे यह मेरे सबसे करीबी मित्र की कब्र है बेचारे के पास जो कुछ था वह सब अनाथ आश्रम को जाते जाते दान कर गया .
दूसरा मित्र - धन्य है तुम्हारा मित्र वैसे अनाथ आश्रम को क्या दिया था ?
पहला मित्र ने उत्तर दिया - " चार बेटे और तीन बेटियाँ "

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भिखारी ने लडके से कहा - " बेटा एक पैसे का सवाल है "
लड़का - " बाबा मै हिसाब में बहुत ही कमजोर हूँ " .
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एक यात्री - " रेलगाडियां हमेशा ही लेट चलती है तो टाइम टेबिल का क्या उपयोग है ".
दूसरा यात्री - अगर रेलगाडियां समय पर चलने लगे तो इतनी लागत से बने प्रतीक्षलायो का क्या होगा .

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एक आदमी अपने मालिक के सामने हाथ जोड़कर खडा था उसे देखकर मालिक ने कहा - क्या बात है हरिराम ?
हरिराम - हुजूर मै ठेका लेने आया हूँ .
मालिक - किस बात का ठेका लेने आये हो ?
हरिराम - हुजूर मै फूलो का ठेका लेने आया हूँ आपही ने तो कहा था की मेरी लड़की के हँसने से फूल झड़ते है .

19.10.09

मुंशी प्रेमचंद : धन और प्रतिष्ठा की अपेक्षा मुझे देश भक्ति अधिक प्यारी है

अंग्रेजी शासनकाल में मुंशी प्रेमचंद एक प्रसिद्द उपन्यासकार के रूप में स्थापित और प्रख्यात हो चुके थे और अपनी लेखनी के माध्यम से देश में देशभक्ति जगाने का वे कार्य कर रहे थे. उस दौरान अंग्रेजो की यह नीति थी की जैसे भी बने विद्वानों , प्रतिभावानों को सरकार का समर्थक बना लिया जाए . इसके लिए भारतीय युवा जनों को तरह तरह के नौकरी और पद प्रतिष्ठा के प्रलोभन दिए जाते थे इस हेतु तरह तरह के जाल-जंजाल बुने जाते थे क्योकि अंग्रेजो को ये डर लगा रहता था की ये साहित्यकार कलमकार विद्रोह भड़काने का कारण न बन जाए .

उत्तर प्रदेश के तत्कालीन गवर्नर सर मालकम ने मुंशी प्रेमचंद को अपनी और मिलाने के लिए एक चाल चली . अंग्रेजो के जमाने में राय साहब का खिताब सबसे बड़ा राजकीय सम्मान माना जाता था . कई विद्वान प्रतिभावान जिनका मनोबल कमजोर था इस खिताब को पाने को अपना सम्मान समझते थे . मुंशी प्रेमचंद को यह समझते देर न लगी की उन्हें यह खिताब क्यों दिया जा रहा है .

एक अंग्रेज द्वारा राय साहब का खिताब और भारी रकम श्री मुंशी प्रेमचंद के घर यह कहकर पहुंचा दी गई की माननीय गवर्नर द्वारा उनकी रचनाओं से प्रभावित होकर यह उपहार भेजा गया है . उस समय मुंशी प्रेमचंद घर पर नहीं थे . घर पहुँचने पर मुंशी प्रेमचंद जी को इस बात की जानकारी मिली . उनकी पत्नी ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त की आर्थिक विपन्नता के समय यह खिताब और यह राशिः बड़ा सहारा है .

मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा दुःख व्यक्त करते हुए कहा " एक देश भक्त की पत्नी होते हुए तुमने यह प्रलोभन स्वीकार कर लिया यह मेरे लिए शर्म की बात है" . मुंशी प्रेमचंद तुंरत उस राशि और खिताब को लेकर गवर्नर साहब के पास पहुंचे और यह कहते हुए सहानुभूति के लिए धन्यवाद वह रकम और खिताब गवर्नर साहब को लौटा दिया और कहा आपकी यह भेट मुझे स्वीकार नहीं है , धन और प्रतिष्ठा की अपेक्षा मुझे देश भक्ति अधिक प्यारी है . आपका उपहार लेकर मै देश द्रोही नहीं बनना चाहता हूँ .

16.10.09

सावधान : शो केस में सजी पायरोफिलाइट की मिठाई - किडनी लीवर के साथ ही ब्लड सेल्स का दुश्मन है ये खनिज



कल दिवाली का त्यौहार है स्वाभाविक है की लोग बाग़ पूजन पाठ प्रसाद आदि के लिए मिठाई खरीदते है और इस त्यौहार पर लोग बाग़ मेहमानों की आवभगत मिठाई खिला कर करते है . इस समय बाजारों में होटलों में शो केस मिठाइयों से भरे पुरे है . शो केस में इस समय मिठाइयां भी कुछ इस तरह से सजाकर रखी जाती है की देखकर हर किसी का खाने को जी ललचाता है . इस समय मुनाफाखोर अपनी जेबे भरने के लिए मिठाइयों में भी जहरीले मिलावट करने से नहीं चूक रहे है . हर जगह मिलावट का बाजार सरगर्म है .

मिठाइयों में सिंथेटिक्स खोबा खूब मिलाया जा रहा है और अब मिठाइयों में पायरोफिलाइट नामक खनिज की मिलावट की जा रही है .और इसी मिठाइयां मानव स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद है . पायरोफिलाइट सफ़ेद और नरम होता है और यह एक खनिज है . इस खनिज का रासायनिक नाम एल्यूमिनियम सिलिकॉन हाईड्रोक्साइड है . इसमें एल्यूमिनियम, सिलिकान, हाइड्रोजन और आक्सीजन पाई जाती है . पायरोफिलाइट में १४.४८ प्रतिशत एल्यूमिनियम ३१.१८ प्रतिशत सिलिकान और ०.५६ प्रतिशत हाइड्रोजन रहती है .

पायरोफिलाइट का उपयोग रबर के पिल्स पेंट्स और कीटनाशक बनाने के काम में किया जाता है . यह दो तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है और इसे मिलाने से मिठाई की १५० रुपये हो जाती है . यह खोबे और मिठाई में आसानी से मिल जाता है इसकी पहचान भी करना सरल नहीं है . इस समय शहरों में दुकानदार हजारो टन पायरोफिलाइट मिठाइयों में मिलाया जा रहा है . डाक्टरों द्वारा लोगो को पायरोफिलाइट मिक्स मिठाइयों से बचने की सलाह दी है . पायरोफिलाइट में उपस्थित एल्यूमिनियम जहरीला होता है जो लीवर किडनी और गुर्दे ब्लड सेल्स को भारी हानि पहुंचाता है . किडनी और लीवर डेमेज हो सकते है .

भाई दिवाली पर अधिक मिठाई खाने से बचे और मिठाइयां सोच समझकर खरीदे अन्यथा ये मिठाइयां आपके जीवन को उजाले से अँधेरे की और धकेल सकते है . दिवाली की हार्दिक ढेरो शुभकामनाओ के साथ . आपका भविष्य उज्जवल हो और प्रकाशमान हो .

जनहित में प्रकाशित


रोशनी के पर्व दीपावली पर आपको और आपके परिजनों को हार्दिक शुभकामनाये.




लक्ष्मी कृपा से कुबेर आपके ऊपर प्रसन्न हो और दनादन आपके ऊपर भारतीय करेंसी की बौछार हो .



और आप साल भर यूं ही मुस्कुराते रहे....