12.12.09

यात्रा संस्मरण : ग्वालियर का भव्य अनोखा सूर्य मंदिर

  • विगत सप्ताह मुझे ग्वालियर जाने का अवसर प्राप्त हुआ वैसे तो ग्वालियर शहर ऐतिहासिक है और अपने साथ कई दुर्लभ यादगारे संजोये है. ग्वालियर में राजा मानसिह का किला और वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की समाधी है और भी कई दर्शनीय स्थान है. इस बार मुझे ग्वालियर में भव्य सूर्य मंदिर का अवलोकन करने का मौका मिला. सूर्य मंदिर का पट दिन में ठीक बारह बजे बंद कर दिया जाता है. बारह बजने को दस मिनिट शेष थे तब मै विलम्ब से इस मंदिर में पहुंचा.

सूर्य मन्दिर का प्रवेश सिह द्वार


सूर्य मन्दिर का सामने से लिया गया फोटो


सूर्य मन्दिर के रथ के पहिये

इस मंदिर को बिड़ला स्मृति में बनवाया गया . आम बोलचाल में बिड़ला जी का सूर्य मंदिर भी कहा जाता है. इस मंदिर की भव्यता बस देखते ही बनती है. यह मंदिर अदभुत कलाकृति का अनुपम उदाहरण है. मंदिर की बाहय दीवारों पर धार्मिक देवी देवताओ की, महापुरुषों और साधू संतो के नाम सहित मूर्तियाँ उकेरी गई है. मंदिर के चारो तरह ख़ूबसूरत मनोरम हरियाली लिए विशाल बगीचा है. सूर्य मंदिर एक रथ सहित विशाल आकृति लिए बनाया गया है. सूर्य भगवान के रथ को साथ घोड़े जोत रहे है. रथ के पहिये बनाये गए है. मंदिर के भीतर सूर्य भगवान की भव्य प्रतिमा स्थापित है जो सूर्योदय से लेकर सूर्य के अस्ताचल होने तक सूर्य की किरणों से आलोकित रहती है जो इस मंदिर की एक अनोखी विशेषता है.


मन्दिर की दीवारों पर हिन्दू धार्मिक देवी देवताओ की मूर्तियाँ उकेरी गई है एवं प्रत्येक देवी संतो और महापुरुषों के नाम भी उकेरे गए है .


सूर्यमंदिर के निचले हिस्से में सूर्य भगवान के रथ के पहिये द्रष्टव्य है .


सूर्य मन्दिर का भव्य उपरी हिस्सा अनुपम बेजोड़ कारीगिरी का नायाब नमूना


सूर्य मन्दिर के बांयी और से लिया गया फोटो .




सूर्य मन्दिर के बांयी और से लिया गया फोटो जिसमे सूर्य भगवान के रथ में जुटे हुए घोड़े सूर्य भगवान के रथ को सात घोड़े जोते जाते थे.


अवकाश के दिनों में काफी दूर दूर से दर्शक इस मन्दिर को देखने आते है .






सूर्य मन्दिर की बाहरी दीवार पर भगवान शिव और पारवती की पत्थरो पर उकेरी गई भव्य प्रतिमा

मुख्य सूर्य मन्दिर के पूर्व दिशा में स्थापित सूर्य भगवान का एक मन्दिर

मन्दिर की गुम्बज की चारो दिशाओ में उपरी हिस्सों में विशाल शीशे लगाए गए है जिनमे से सूर्य की किरणे परिवर्तित होकर मंदिर के अन्दर स्थापित भगवान सूर्य के प्रतिमा सीधे पड़ती है जिसके कारण सूर्य भगवान की प्रतिमा प्रकाशमान दिखती रहती है और सूर्य किरणों से आलोकित होकर चमकती रहती है जो अदभुत वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है और दर्शनीय है . भगवान सूर्यदेव की मूर्ती का दर्शन करते समय खुद अपने आप में अनोखी उर्जा के प्रवेश होने का अनुभव होता है.




मन्दिर के चारो और ख़ूबसूरत बाग़ है जिसमे चारो और फैली हरियाली मनमोहक है जिसे निहार कर काफी मानसिक शान्ति का अनुभव होता है . चूंकि मंदिर के नियमो के अनुसार मंदिर परिसर के अन्दर स्थित भगवान सूर्य देव की प्रतिमा की फोटो उतारना मना है इसीलिए मैंने दिव्य भगवान सूर्य देव की मूर्ती की फोटो अपने कैमरे से नहीं उतारी. मंदिर के बाहरी द्रश्यो की फोटो अवलोकनार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ.

ॐ सूर्य देव्यो नमः

10.12.09

कुछ हास्य-परिहास हंसी ठिठोले जोग....

बहुत दिनों से कुछ हास्य-परिहास हंसी ठिठोले वाली पोस्टे पढ़ने को मिल नहीं रही थी इसीलिए मैंने सोचा की कुछ हंसाने की लिखी जाए तो उदास मन में मुस्कराहट बिखेर दे और ताजगी की उमंग पैदा कर दे.. इसी तारतम्य में कुछ जोग ...

पति पत्नी से - क्या कारण है की तुम आजकल मुझसे ज्यादा कुत्ते पर फ़िदा हो ?
पत्नी - कम से कम वह तुम्हारी तरह भौकता तो नहीं है.
***

नई नई बीबी अपने पति से मुस्कुराकर बोली - जानते हो मैंने सोलह दिन केवल तुलसी के पत्ते खाकर गुजारे और दो सालो तक लगातार प्रयेक शुक्रवार को संतोषी माता का व्रत किया तब कही जाकर आपको पति रूप में पाया.
पति - अगर यह सब न करती तो ?
पत्नी ने उत्तर दिया - धत तेरे की समझे नहीं तो कोई आपसे भी गया गुजरा मेरे पल्ले में पड़ता.
***

एक बीबी चटकारे ले लेकर अपनी दूसरी सहेली से कह रही थी अरे तुझे मालूम है मेरे पति की रात को देर से घर लौटने की बुरी आदत थी वह मैंने छुड़ा दी .
सहेली - वह कैसे ?
बीबी - एक रोज वो रात को बारह बजे घर लौटा तो मैंने जोर से आवाज लगाकर कहा क्या बात है मोहन आज तुमने आने में देर कर दी इसके बाद मेरा पति दिन डूबने के पहले घर आने लगा .
सहेली - यह सब कैसे संभव हो गया ?
बीबी - दरअसल मेरे पति का नाम मनोहर है .
***

एक सहेली दूसरी सहेली से - क्या तुम्हारे पति तुम्हे अब भी कांटते है ?
पहली सहेली - नहीं
दूसरी सहेली पहली से - अच्छा तो उनकी काटने की आदत अब छूट गई होगी .
पहली सहेली दूसरी से - नहीं दरअसल उनके दांत अब टूट गए हैं.
***

एक दिन ताउजी ने भारतीय रेल को धोका देने की सोची क्योकि वह कुछ नया ही करना चाहता थे. उन्होंने एक आइडिया सोचा . उन्होंने एक टिकट खरीदा पर रेल में बैठे ही नहीं .
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एक आदमी अपने पन्द्रह बच्चो के साथ उन्हें जिराफ दिखाने के लिए चिड़िया घर गया और दरबान से कहा इन सब बच्चो को मै जिराफ दिखलाना चाहता हूँ
दरबान ने हैरत से उस आदमी को देखते हुए कहा - ये सारे बच्चे तुम्हारे है . उस आदमी ने कहा - हाँ
दरबान ने कहा - तो तुम लोग यही ठहरो मै जिराफ को यही ले आता हूँ वह तुम लोगो को देख लेगा.
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प्रेमी अपनी प्रेमिका से - आजकल मेरी शादी के लिए कार वालो के रिश्ते आ रहे है अगर तुम्हारे पिता कार दे सके तो मै तभी शादी करूँगा .
प्रेमिका प्रेमी से - मेरे पिता तुम्हे रेलगाड़ी भी दे सकते है पहले तुम पटरियां बिछवाने का प्रबंध तो करो .
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9.12.09

जब वो हंसते है तो तोहमत याद आती है

चार दिनों की ये जिन्दगी मिलती है उधार
आंचल में खुशियाँ हो...तो आती है बहार
गर दिल को मिले आंसू और काँटों का हार
तो अक्सर प्यार की होती है...करारी हार
ये शाम फिर से अजनबी सी लगने लगी है
हरी भरी ये जिन्दगी वीरान लगने लगी है
जब वो हंसते है तो तोहमत याद आती है
न चाहकर भी दिल को बैचेन बना देती है
मेरे घरौदे की दहलीज पर वो कदम रखेंगे
बात कहने से पहले मुझे बहुत याद करेंगे।
oooooo

1.12.09

स्वैछिक सेवानिवृति के उपरांत यादगार क्षण ... कभी भूल नहीं सकता

कल दिनाक 30 -11 -2009 को मै मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल की से सेवा से ३३ वर्ष आठ माह सफलता पूर्वक पूर्ण करने के पश्चात स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत हो गया हूँ . कल का दिन मेरे जीवन में नई दिशा प्रदान करने वाला दिन रहा . स्वैछिक सेवानिवृति के अवसर पर कार्यालयीन अधिकारियो और सहकमियो द्वारा सम्मान में बिदाई कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अवसर पर अधीक्षण यंत्री, संभागीय अभियंता और परीक्षण संभाग जबलपुर के कर्मचारी उपस्थित थे .

परीक्षण और संचार वृत के अधीक्षण अभियंता माननीय ठाकुर साहब ने अपने उदबोधन में कहा मिश्र एक कर्मठ और सुयोग्य है ..कठिन से कठिन कार्य को आसानी से सम्पादित करते है...उन्हें उम्मीद नहीं थी की मिश्र इतनी जल्दी सेवानिवृति ले लेंगे. संभागीय अभियंता श्री खरे ने कहा की श्री मिश्र सेवानिवृति के उपरांत फुरसत में नहीं बैठेंगे ... इस अवसर पर सभी ने मंगलमय उज्जवल भविष्य की कामना की और भावभीनी बिदाई दी .

गृह निवास पर स्वल्पाहार का आयोजन किया गया. स्वैच्छिक सेवानिवृति के अवसर पर कुछ फोटो लिए गए है जोकि अवलोकनार्थ प्रस्तुत है. कल तक व्यस्त था ... आज अपने आपको स्वछंद महसूस कर रहा हूँ और महसूस कर रहा हूँ की मै अब किसी का चाकर नहीं हूँ और आजाद हूँ ... स्वतंत्रता के साथ साँस ले सकता हूँ और आजादी से अब घूम फिर सकता हूँ .


कार्यालय से बिदाई आयोजन के बाद घर की और रवानगी ..
एक नन्ही बच्ची "टिया " ने आकर मेरा हाथ थामा

कार्यालय सहकर्मियो के साथ बिदा के क्षण....

कार्यालय सहकर्मियो के साथ बिदा के क्षण....एवं बाजू में खड़े कार्यपालन अभियंता श्री मनीष खरे बांयी और



कार्यालय के बाहर मुझे रिसीव करने आये परिवारजन एवं---स्नेही जन

कार्यालय में रिसीव करने आये स्नेही जन...



मेरे निवास में उपस्थित जबलपुर शहर के कवि साहित्यकार और अनेक संस्थाओं से जुड़े ब्लागार भाई डाक्टर
विजय तिवारी
"किसलय" जी

निवास में उपस्थित स्नेही जन..

निवास में उपस्थित स्टेट बार कौंसिल हाईकोर्ट जबलपुर की अनुभाग प्रभारी श्रीमती अंजू निगम और सलमा बेगम...के साथ छायाचित्र


मेरे मित्र मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के महासचिव नलिनकान्त बाजपेई (जनसत्ता).. नौकरी के बाद भी साथ नहीं छूटेगा .....
गृह प्रवेश पर जब मेरी चाची जी ने मेरा सम्मान किया .....


जबलपुर सेन्ट्रल जेल और मिलेट्री जेल के मौलाना हाजी कारी काजी अब्दुल लतीफ़ कादरी जी ने श्री फल और शाल से सम्मानित किया.


कार्यालय से बिदाई के पश्चात मेरे निवास में उपस्थित मध्यप्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी के एफ.डी.ठाकुर साहब अधीक्षण अभियंता (परीक्षण और संचार)जबलपुर , श्री निगम संभागीय अभियंता और श्री मनीष खरे संभागीय अभियंता परीक्षण संभाग १ मध्यप्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड जबलपुर.....

घर में मेरे बेटे मयूर मिश्र ने पुष्पाहार से सम्मान किया और कहा बस पापा अब मै....सुनकर आंखे नम हो गई की मेरा बाजू तैयार हो गया है .

निवास में आयोजित स्वल्पाहार कार्यकर्म में मित्र जन और स्नेहीजन .
निवास में आयोजित स्वल्पाहार कार्यकर्म में मित्र जन और स्नेहीजन..और मै...
निवास में आयोजित स्वल्पाहार कार्यकर्म में मित्र जन और स्नेहीजन....और मै...

यूं0के0 से आये मेरे भांजे अमित मिश्र ने पुष्पाहार से मेरा सम्मान किया .....

स्वैच्छिक सेवानिवृति पर ये बहुत खुश है...मेरी पत्नी मांडवी मिश्र(बांये)और उसकी सहेली.

सम्मान के ये क्षण....


मयूर मिश्र,मोनू चौरसिया और वरुण

29.11.09

मेरे जीवन का कल का दिन निर्णायक होगा .....

एक समय था की नौकरी के लिए कोई जद्दो जहत नहीं करना पड़ती थी . वाकया सन 1975 के समय का है . जब नौकरियों की भरमार रहती थी . 11 मार्च सन 1976 में मैंने मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल में सर्विस ज्वाइन की. उस समय मेरी उम्र मात्र 18 वर्ष एक माह थी और मेरी प्रथम पदस्थापना ग्वालियर में की गई . चूंकि उस समय परिवार में प्रकाशन का कार्य किया जाता था . तरह तरह की पुस्तके प्रकाशित की जाती थी . मेरी रूचि नौकरी में नहीं थी . मुझे हमेशा इस बात का दुःख रहता था की मेरे परिजनों ने मुझे कम उम्र में ही नौकरी में धकेल दिया था . समय बदलने के साथ साथ मैंने विद्युत मंडल के विभिन्न प्रभागों में कुशलता पूर्वक कार्य सम्पादित किया . मुझे मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल में कार्य करते 33 वर्ष आठ माह १९ दिन हो चुके है .

इस दौरान मैंने अनुभव किया है की इस विभाग में लगातार कर्मियो पर कार्य का बोझ लादा जा रहा है . संस्थान में वर्षो से नई नियुक्तियां नहीं की जा रही है . पहले जैसे अधिकारी भी नहीं रहे है . नए अधिकारियो में मानवीय संवेदनाओ का सर्वथा अभाव सा हो गया है . नियम कानूनों से अनभिज्ञ अधिकारी भ्रष्ट और निरंकुश है और लगातार कर्मचारियो के विरुद्ध कहर बरपा रहे है जिसका विपरीत प्रभाव कर्मचारियो की कार्य क्षमता पर पड़ रहा है . संस्थान में इस समय तकनीकी और गैर तकनीकी कर्मचारियो को वर्ग विभेद कर बांटा जा रहा है जिसके फलस्वरूप संस्थान का भविष्य राजनीतिक कारणों के चलते उज्जवल नहीं है .

सर्विस में सफलतापूर्वक लगातार कार्य करने के बाद मध्यप्रदेश राज्य मंडल की सेवाओं से कल दिनाक 30 -11 -2009 को मै स्वैच्छिक सेवानिवृति ले रहा हूँ . सेवानिवृति लेने के उपरांत मैंने गरीब विकलांग जनों और समाज में पीड़ित जनों की सेवा करने का और हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार करने लेखन कार्य करने का संकल्प ले लिया है..... स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने के उपरांत कल के दिन के बाद का समय मेरे जीवन में निर्णायक मोड़ लायेगा ऐसा मै ईश्वर से कामना करता हूँ .

महेन्द्र मिश्र
9926382551
जबलपुर

23.11.09

तू ही बता दे जानम मेरी इस कलम की अदा क्या कम है

जब तक बहारे आती रहेंगी, तब तक फूल खिलते रहेंगें
तेरी यादे जेहन में रहेंगी, तब तक दिल जिन्दा रहेगा.
*
न जाने हर आशना न जाने दगा कर बैठा मुझसे क्यों
हर वक्त हम से हर बार रूठा था हमसे ही न जाने क्यों.
*
नफ़रत भरे तेरे अल्फाजो से हम कई कविताएं उकेरते है
तू ही बता दे जानम मेरी इस कलम की अदा क्या है कम.
*

17.11.09

उनसे बेहतर उनकी यादे जो ख्वाबो में आती है

मस्त फिजाओ तुम मुझे उनकी याद न दिलाओ
मेरे इस तड़फते दिल को तुम और न तडफाओ.
***

मेरा सन्देश उन तक...जाते-जाते तुम ले जाना
मै नहीं भूला हूँ उसे तुम ये सन्देश पहुंचा देना.
***

उनसे बेहतर उनकी यादे जो ख्वाबो में आती है
दफ़न हो जाती ये जान यादो के सहारे जिन्दा है.

***

12.11.09

माइक्रो पोस्ट ....

भारतीय संस्कृति कभी बहुत ही उच्चकोटि की थी . भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठ परम्पराएं संसार भर में सम्मान की नजर से देखी जाती थी पर अन्धकार युग में विदेशी दासता के साथ साथ भारतीय परम्पराओ में अनेको विकृतियो ने प्रवेश कर लिया और उनमे कुरीतियों अन्धविश्वासों और मूढ़ मान्यताओ ने अपनी गहरी जड़ें जमा ली है .

वर्णाश्रम व्यवस्था सनातन है पर जाति पांति के नाम पर बरती जाने वाली नीच और छुआछूत के लिए उसमे कोई स्थान है . मनुष्यमात्र एक है . गुण कर्म स्वभाव के कारण किसी को उंच नीच ठहराया जा सकता है पर जन्म और वंश के कारण न कोई उंच होता है और न कोई नीच होता है .

नर और नारी के बीच बरती जाने वाली असमानता भी इसी प्रकार अनुचित है . मनुष्य जाति के दोनों घटक सामान्य रूप से एक है उनके बीच भेदभाव उत्पन्न करने वाली प्रथाओ को अमान्य ठहराया जाना चाहिए . परदा प्रथा जैसे रिवाज इस युग में स्वीकार्य योग्य नहीं होना चाहिए .

9.11.09

तुझे पल भर देखें वगैर मै घड़ी भर कही रह नहीं पाता

तुझे पल भर देखें वगैर मै घड़ी भर कही रह नहीं पाता
तमाम कोशिशे करने के वाबजूद मै कहीं रह नहीं पाता.
000
उस घडी का मुझे अफसोस है दिल जब तुमसे लगा बैठे
तेरे इस प्यार में जानम....अपनी हर ख़ुशी मै लुटा बैठा.
000
दुनिया लाख सितम करे....मगर मै तेरा साथ न छोडूंगा
खुदा लाख मुझ से रूठे मगर मै तुझसे खफा न होऊंगा.
000

2.11.09

अनमोल सदविचार विचार .--. फलाशक्ति और कर्तापन का अभिमान एक बहुत बड़ी फिसलन है....

० नाम और यश की चाहना से दूर रहने वाले प्रतिष्ठा, पद, और ख्याति से बचने वाले सच्चे लोकसेवक सचमुच में ही इस धरती के देवदूत कहलाते है .

० फलाशक्ति और कर्तापन का अभिमान एक बहुत बड़ी फिसलन है जिससे गिरने के बाद अधिकांश लोग उठ नहीं पाते है और नीचे गिरते जाते है .

० सपनों के पंख लगाकर सुनहरे आकाश में दौड़ तो कितनी लंबी लगाईं जा सकती है पर पहुंचा कही नहीं जा सकता है .

० मनुष्य जितना निर्भय होता है उतना ही वह महान कार्यो का सूत्रपात करता है .

० दुर्भावना के वातावरण में पंचशील के सिद्धांत अन्तराष्ट्रीय जगत में भले ही सफल न हुए हो पर पारिवारिक जगत में सदा सफल होते है . यथा -
१. परस्पर आदर भावः से देखना
२. अपनी भूल स्वीकार करना
३. आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना
४. भेदभाव न रखना
५. विवादो का निष्पक्ष निपटारा


------गुरुप्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामना के साथ.--------

29.10.09

माइक्रो पोस्ट : सत् प्रेरणा और दुष्प्रवृत्तियाँ प्रत्येक मनुष्य के अंतःकरण में छिपी रहती है...

माइक्रो पोस्ट : सत् प्रेरणा प्रत्येक मनुष्य के अंतःकरण में छिपी रहती है और दुष्प्रवृत्तियाँ भी उसी के अन्दर होती है . अब यह उसकी अपनी योग्यता बुद्धीमत्ता और विवेक पर निर्भर करता है की वह अपना मत देकर जिसे चाहे उसे विजयी बना दे .

26.10.09

मौजू के जोग मौज करो......



रघुनाथ नाई अपने मित्र से - मेरी पत्नी मेरा बड़ा रौब मानती है मै उसपे खूब रौब झाड़ता हूँ . जो काम मै उससे करने को कहता हूँ वो तुंरत कर देती है . कल रात ग्यारह बजे मैंने पत्नी से कहा पानीगरम करके ले आओ वो भागवान तुंरत पानी गरम करके ले आई .
रघुनाथ का मित्र - आपकी पत्नी तो बड़ी अच्छी है पर आपने उससे क्या कहा ?
रघुनाथ नाई - हाँ मैंने कहा ठंडे पानी से मै बर्तन नहीं धो सकता .


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ताउजी महाताउश्री - तुम्हारे पास मै आता कैसे ? तुम्हारा कोई पत्र नहीं मिला जिसमे तुम्हारा कोई पता होता .
महाताउश्री ताउजी से - मगर मैंने तो पत्र डाला था उसमे ये भी लिख दिया था की पत्र मिले या न मिले तुम जरुर आ जाना .
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भिखारी - बाबू एक अंधे को लाचार को दस रुपये दे दो
राहगीर - सूरदास तो टोटली अंधे थे मगर तुम्हारी एक आंख तो खुली है .
भिखारी - तो बाबा पॉँच ही रुपये दे दो .
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जब तीन बुलाए और तेरह आ जाए तो क्या करना चाहिए ?
उत्तर - तब खुद नौ दो ग्यारह हो जाना चहिये .
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ओह काँफी समय हो गया
तुम्हे हिंदी बोलना भी नहीं आता यह बोलो काँफी का समय हो गया .
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एक वर्कशाप में एक महिला ढीले ढाले कपडे पहिनाकर गई . वर्कशाप में एक कामगार ने उस महिला से कहा - मैडम इस वर्कशाप में ढीले ढले कपडे पहिनाकर आना माना है .ढीले कपडो का मशीनों से फंस जाने का डर रहता है .
महिला ने उत्तर दिया - यदि मै चुस्त कपडे पहिनकर वर्क शाप में आई तो मशीनों में कामगारों के फंस जाने का डर रहेगा.


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एक नन्हे बालक ने गर्भवती महिला का पेट छूकर कहा - यह क्या है और इसके अन्दर क्या है ?
महिला ने प्यार से बालक के सर पर हाथ फेरते हुए कहा - यह पेट है और इसके अन्दर मेरा प्यारा बेटा है जिसको मै बहुत प्यार करती हूँ ..
नन्हे बालक ने आश्चर्य से आंटी से कहा - ओह अगर आप इसे इतना प्यार करती है तो फिर आपने इसे खा क्यों लिया है .
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23.10.09

दो सौ वी पोस्ट : सज्जनता नम्रता उदारता सेवा आदि सदगुण और मानवीय प्रखरता

सभी ब्लॉगर भाई बहिनों के द्वारा मेरा ब्लाग लेखन में लगातार उत्साहवर्धन और निरन्तर हौसलाफजाई करते रहने से आज मुझे " निरन्तर " ब्लॉग में दो सौ वी पोस्ट पूरा करने का मौका मिला है जिसके लिए मै आप सभी का आभारी हूँ . आज की दो सौ वी पोस्ट आचार्य श्रीराम शर्मा जी को समर्पित है ..

***** सज्जनता नम्रता उदारता सेवा आदि सदगुणों की जितनी भी प्रशंसा की जाये उतनी ही कम है पर साथ ही यह भी ध्यान रखा जाए की प्रखरता के बिना ये विशेषताए भी अपनी उपयोगिता खो बैठती है और लोग सज्जन को मूर्ख दब्बू चापलूस साहसहीन भोला एवं दयनीय समझने लगते है . बहुत बार ऐसा भी होता है की डरपोक कायर संकोची पुरुषार्थ हीन व्यक्ति सज्जनता का आवरण ओढ़कर अपने को उदार या अध्यात्मवादी सिद्ध करने का प्रयत्न करते है . डरपोकपन को साहसहीनता को दयालुता क्षमाशीलता संतोष वृद्धि की आड़ में छिपाना कितना उपहासास्पद होता है और उस भ्रम में रहने वाला कितने ही घाटे में रहता है . यह सर्वविदित है . लोग उसे बेतरह उगते और आयेदिन सताते है . इस स्थिति को भलमनसाहत का दंड ईश्वर की उपेक्षा धर्म की दुर्बलता दर्म की दुर्बलता आदि कहा जाता है जबकि वस्तुत वह प्रखरता की कमी के दुष्परिणाम हैं *******

22.10.09

आज का विचार : समय ही जीवन की आवश्यक संपत्ति है....

समय ही जीवन की आवश्यक संपत्ति है . दुनिया के बाजारों में से अभीष्ट वस्तुएँ समय और श्रम का मूल्य देकर ही खरीदी जाती है . प्रत्येक क्षण को बहुमूल्य मन जाए और समय का कोई भी अंश आलस्य-प्रमाद में नष्ट न होने पे इसका पूरा - पूरा ध्यान रखा जाए . समय की बर्बादी अप्रत्यक्ष आत्महत्या है . धन के अपव्यय से भी असंख्य गुनी हानि समय के अपव्यय से होती है . खोया धन पाया जा सकता है पर खोया समय पाया नहीं जा सकता है . घड़ी को सच्ची सहचरी बनाया जाए .जिसमे सभी दैनिक उत्तरदायित्वों का समुचित समावेश हो . सोकर उठने से लेकर रात्रि को सोते समय तक की पूरी दिनचर्या हर रोज निर्धारित कर ली जाए और शक्तिभर यह प्रयत्न किया जाए की हर कार्य समय पर पूरा होता रहे . परिस्थिति बदल जाने पर आकस्मिक कारणों से तो हेर फेर हो सकता है पर आलस्य प्रमादवश व्यतिरेक न होने दिया जाए .

20.10.09

भाई बहुत हो गया अब कुछ जोग मोग भी जरुरी है ......

टीचर ने क्लास में ताऊ जी और महाताऊ श्री जी को कुत्ते पर निबंध लिखने को कहा . एक घंटे के बाद टीचर ने ताऊ जी और महाताऊ श्री जी दोनों के निबंध चैक किये तो उन्होंने यह पाया की दोनों ने एक से निबंध लिखे है . टीचर ने दोनों को डांट कर कहा - क्या तुम दोनों ने एक दूसरे की नक़ल मार कर निबंध लिखा है सच सच बताओ ?
ताऊ जी और महाताऊ श्री ने एक साथ उत्तर दिया - सर दरअसल हम दोनों का कुत्ता एकही है .

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एक कैदी - भाई शक्लें भी बहुत धोका देती है एक बार एक साहब मुझे दिलीप कुमार समझ बैठे .
दूसरा कैदी - ठीक कह रहे हो एक बार एक सज्जन मुझे देखकर अटल बिहारी बाजपेई का धोका खा गए .
तीसरा कैदी - अजी यह तो कुछ भी नहीं है . मै जब चौथी बार जेल गया तो जेलर सर पकड़कर बोला " हे भगवान तुम फिर आ गए .

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अधिकारी अपने सहायक से - " मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई की तुम रेस में जीत गए हो . दफ्तर के समय तुम इतनी होशियारी दिखाया करो तो निश्चय तरक्की पा सकते हो .
सहायक - " दफ्तर के समय जीता था सर " .
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एक मित्र दूसरे मित्र से यार मेरे यह मेरे सबसे करीबी मित्र की कब्र है बेचारे के पास जो कुछ था वह सब अनाथ आश्रम को जाते जाते दान कर गया .
दूसरा मित्र - धन्य है तुम्हारा मित्र वैसे अनाथ आश्रम को क्या दिया था ?
पहला मित्र ने उत्तर दिया - " चार बेटे और तीन बेटियाँ "

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भिखारी ने लडके से कहा - " बेटा एक पैसे का सवाल है "
लड़का - " बाबा मै हिसाब में बहुत ही कमजोर हूँ " .
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एक यात्री - " रेलगाडियां हमेशा ही लेट चलती है तो टाइम टेबिल का क्या उपयोग है ".
दूसरा यात्री - अगर रेलगाडियां समय पर चलने लगे तो इतनी लागत से बने प्रतीक्षलायो का क्या होगा .

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एक आदमी अपने मालिक के सामने हाथ जोड़कर खडा था उसे देखकर मालिक ने कहा - क्या बात है हरिराम ?
हरिराम - हुजूर मै ठेका लेने आया हूँ .
मालिक - किस बात का ठेका लेने आये हो ?
हरिराम - हुजूर मै फूलो का ठेका लेने आया हूँ आपही ने तो कहा था की मेरी लड़की के हँसने से फूल झड़ते है .

19.10.09

मुंशी प्रेमचंद : धन और प्रतिष्ठा की अपेक्षा मुझे देश भक्ति अधिक प्यारी है

अंग्रेजी शासनकाल में मुंशी प्रेमचंद एक प्रसिद्द उपन्यासकार के रूप में स्थापित और प्रख्यात हो चुके थे और अपनी लेखनी के माध्यम से देश में देशभक्ति जगाने का वे कार्य कर रहे थे. उस दौरान अंग्रेजो की यह नीति थी की जैसे भी बने विद्वानों , प्रतिभावानों को सरकार का समर्थक बना लिया जाए . इसके लिए भारतीय युवा जनों को तरह तरह के नौकरी और पद प्रतिष्ठा के प्रलोभन दिए जाते थे इस हेतु तरह तरह के जाल-जंजाल बुने जाते थे क्योकि अंग्रेजो को ये डर लगा रहता था की ये साहित्यकार कलमकार विद्रोह भड़काने का कारण न बन जाए .

उत्तर प्रदेश के तत्कालीन गवर्नर सर मालकम ने मुंशी प्रेमचंद को अपनी और मिलाने के लिए एक चाल चली . अंग्रेजो के जमाने में राय साहब का खिताब सबसे बड़ा राजकीय सम्मान माना जाता था . कई विद्वान प्रतिभावान जिनका मनोबल कमजोर था इस खिताब को पाने को अपना सम्मान समझते थे . मुंशी प्रेमचंद को यह समझते देर न लगी की उन्हें यह खिताब क्यों दिया जा रहा है .

एक अंग्रेज द्वारा राय साहब का खिताब और भारी रकम श्री मुंशी प्रेमचंद के घर यह कहकर पहुंचा दी गई की माननीय गवर्नर द्वारा उनकी रचनाओं से प्रभावित होकर यह उपहार भेजा गया है . उस समय मुंशी प्रेमचंद घर पर नहीं थे . घर पहुँचने पर मुंशी प्रेमचंद जी को इस बात की जानकारी मिली . उनकी पत्नी ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त की आर्थिक विपन्नता के समय यह खिताब और यह राशिः बड़ा सहारा है .

मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा दुःख व्यक्त करते हुए कहा " एक देश भक्त की पत्नी होते हुए तुमने यह प्रलोभन स्वीकार कर लिया यह मेरे लिए शर्म की बात है" . मुंशी प्रेमचंद तुंरत उस राशि और खिताब को लेकर गवर्नर साहब के पास पहुंचे और यह कहते हुए सहानुभूति के लिए धन्यवाद वह रकम और खिताब गवर्नर साहब को लौटा दिया और कहा आपकी यह भेट मुझे स्वीकार नहीं है , धन और प्रतिष्ठा की अपेक्षा मुझे देश भक्ति अधिक प्यारी है . आपका उपहार लेकर मै देश द्रोही नहीं बनना चाहता हूँ .

16.10.09

सावधान : शो केस में सजी पायरोफिलाइट की मिठाई - किडनी लीवर के साथ ही ब्लड सेल्स का दुश्मन है ये खनिज



कल दिवाली का त्यौहार है स्वाभाविक है की लोग बाग़ पूजन पाठ प्रसाद आदि के लिए मिठाई खरीदते है और इस त्यौहार पर लोग बाग़ मेहमानों की आवभगत मिठाई खिला कर करते है . इस समय बाजारों में होटलों में शो केस मिठाइयों से भरे पुरे है . शो केस में इस समय मिठाइयां भी कुछ इस तरह से सजाकर रखी जाती है की देखकर हर किसी का खाने को जी ललचाता है . इस समय मुनाफाखोर अपनी जेबे भरने के लिए मिठाइयों में भी जहरीले मिलावट करने से नहीं चूक रहे है . हर जगह मिलावट का बाजार सरगर्म है .

मिठाइयों में सिंथेटिक्स खोबा खूब मिलाया जा रहा है और अब मिठाइयों में पायरोफिलाइट नामक खनिज की मिलावट की जा रही है .और इसी मिठाइयां मानव स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद है . पायरोफिलाइट सफ़ेद और नरम होता है और यह एक खनिज है . इस खनिज का रासायनिक नाम एल्यूमिनियम सिलिकॉन हाईड्रोक्साइड है . इसमें एल्यूमिनियम, सिलिकान, हाइड्रोजन और आक्सीजन पाई जाती है . पायरोफिलाइट में १४.४८ प्रतिशत एल्यूमिनियम ३१.१८ प्रतिशत सिलिकान और ०.५६ प्रतिशत हाइड्रोजन रहती है .

पायरोफिलाइट का उपयोग रबर के पिल्स पेंट्स और कीटनाशक बनाने के काम में किया जाता है . यह दो तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है और इसे मिलाने से मिठाई की १५० रुपये हो जाती है . यह खोबे और मिठाई में आसानी से मिल जाता है इसकी पहचान भी करना सरल नहीं है . इस समय शहरों में दुकानदार हजारो टन पायरोफिलाइट मिठाइयों में मिलाया जा रहा है . डाक्टरों द्वारा लोगो को पायरोफिलाइट मिक्स मिठाइयों से बचने की सलाह दी है . पायरोफिलाइट में उपस्थित एल्यूमिनियम जहरीला होता है जो लीवर किडनी और गुर्दे ब्लड सेल्स को भारी हानि पहुंचाता है . किडनी और लीवर डेमेज हो सकते है .

भाई दिवाली पर अधिक मिठाई खाने से बचे और मिठाइयां सोच समझकर खरीदे अन्यथा ये मिठाइयां आपके जीवन को उजाले से अँधेरे की और धकेल सकते है . दिवाली की हार्दिक ढेरो शुभकामनाओ के साथ . आपका भविष्य उज्जवल हो और प्रकाशमान हो .

जनहित में प्रकाशित


रोशनी के पर्व दीपावली पर आपको और आपके परिजनों को हार्दिक शुभकामनाये.




लक्ष्मी कृपा से कुबेर आपके ऊपर प्रसन्न हो और दनादन आपके ऊपर भारतीय करेंसी की बौछार हो .



और आप साल भर यूं ही मुस्कुराते रहे....

15.10.09

चिराग रोशनी का ...


कोई हवा का झोंका...कहीं बुझा न जाए
हिफाजत करता हूँ मै अपने इन हाथो से.

***

हमने चिराग बहुत से जलाए इन हाथो से
पर उजाला न हो सका अधियारे दिल में.

***

घर में उजाला जिन चिरागों ने किया था
उन चिरागों ने ही अपना घर जला डाला.

***

जिन चिरागों को....अपने लहू से जलाया
अब बुझने लगे उनकी सूख गई है बाती

***

तुम्हारे वगैर हमें पसंद नहीं है अधियारे
मेरे लिए ये रोशनी तुम लौटकर आ जाओ
अधियारे दिल में तुम उजाला फैला जाओ.

***

13.10.09

तेरी तस्वीर दिल में........

तस्वीर जब से इस दिल में मैंने बैठाई है
हर हाल में बस तू ही तू दिखाई देती है.

कलम चलाने के वास्ते जब खोली आंखे
देख दिल धड़क गया वो तस्वीर आपकी.

तस्वीर में पाई सूरत कुछ हटकर आपकी.
जब धूमिल होती है आँखों में सूरत तेरी
तब खूब देखता हूँ दिल से तस्वीर आपकी.

मै इन हाथो में तेरी तस्वीर लिए फिरता हूँ
अंधे प्यार में कहीं छू न दूं किसी गैर को.

तेरी तस्वीर न बोले उसे देख समझ लेते है
तन्हा बैठ जी लेते है तेरी तस्वीर के सहारे.

0000000

9.10.09

सदगुरु वचनामृत : पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी की कलम से

घडी पास में होने पर भी जो समय के प्रति लापवाही करते है, समयवद्ध जीवनक्रम नहीं अपनाते उन्हें विकसित व्यक्तित्व का स्वामी नहीं कहा जा सकता है घड़ी कोई गहना नहीं है . उसे पहिनकर भी जीवन में उसका कोई प्रभाव परिलक्षित नहीं दिया जाता , तो यह गर्व की नहीं शर्म की बात है समय की अवज्ञा वैसे भी हेय है, फिर भी समय निष्ठा का प्रतीक चिन्ह (घडी) धारण करने के बाद यह अवज्ञा तो एक अपराध ही है
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उत्साह जीवन का धर्म , अनुत्साह मृत्यु का प्रतीक है उत्साहवान मनुष्य ही सजीव कहलाने योग्य है उत्साहवान मनुष्य आशावादी होता है और उसे सारा विश्व आगे बढ़ता हुआ दिखाई देता है विजय, सफलता और कल्याण सदैव उसकी आँख में नाचा करते है . जबकि उत्साहहीन ह्रदय को अशांति ही अशांति दिखाई देती है
*******

आज अनेको ऐसी पुराणी परम्पराये एवं विचारधाराये है जिनको त्याग देने से अतुलनीय हानि हो सकती है साथ ही अनेको ऐसी नवीनताये है जिनको अपनाए बिना मनुष्य का एक कदम भी आगे बढ़ पा सकना असंभव हो जायेगा नवीनता एवं प्राचीनता के संग्रह एवं त्याग में कोई दुराग्रह नहीं करना चाहिए बल्कि किसी बात को विवेक एवं अनुभव के आधार पर अपनाना अथवा छोड़ना चाहिए

साभार - पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी की कलम से
जय गुरुदेव

5.10.09

जबसे ये कलम उठाई है लफ्ज ही नहीं मिलते है

जबसे ये कलम उठाई है लफ्ज ही नहीं मिलते है
जिन्हें कागजो में ढूँढा.. वो शख्स नहीं मिलते है.

वो जमाने की तलाश तो....खूब करते फिरते है
पर इस जान के लिए..उन्हें वक्त नहीं मिलता है.

नजरे खूब मिलती है...पर नजारे नहीं मिलते है
कभी बेसहारों को.. तो कही सहारे नहीं मिलते है.

जिन्दगी एक नदी की तरह है..बस तैरते जाना है
डूबते को नदी में तिनके का सहारा नहीं मिलता है.

3.10.09

बिखर गए जब सारे सपने जब उन्हें आखरी सलाम लिखा

पत्थर रख कर जब सीने पर ख़त प्यार का आखिरी लिखा
बिखर गए जब सारे सपने जब उन्हें आखरी सलाम लिखा.

हर ख़ुशी तुझको देकर वे तेरी इस दुनिया को छोड़ देंगे
एक हम है जाते जाते तुझे आखिरी चिठ्ठी छोड़ जायेंगे.

वफ़ा या बेवफाई तूने की है इससे मुझे कोई शिकवा नहीं
मैंने तो बस तुझे चिठ्ठी लिखी थी और कुछ तो कहा नहीं.

अगर मोहब्बत सच्ची हो तो चाहत ही मोहब्बत होती है
ऊपर वाला साथ देगा दिल से अगर मोहब्बत सच्ची हो
0000000

30.9.09

चाँद पे पानी मिल जाने की ख़ुशी में - नहले पे दहला

चाँद पे पानी मिल जाने की ख़ुशी में - नहले पे दहला
००००

आओ तुम्हे चाँद पर ले जाए वहां पर प्यार भरे सपने सजाये
नई दुनिया में सपनों का महल बनाये वहां भरपूर पानी पाए.

0000

मै नदी किनारे इंतजार में बैठा हूँ. .कभी लहरे तो आयेगी
लहरों के इंतजार में हूँ लहरों को कभी मेरी याद आयेगी.

दुनिया जब जवां हुई मेरी जेहन में बचपन की यादे आ गई
बचपन में जो रात दिन साथ रहती थी न जाने कहाँ खो गई.

दुनिया हमेशा आबाद रहेगी चाहे हम रहे या न रहे जहान में
वो मस्त बहारे वो मस्त फिजाये वो बसी रहेगी सदा जेहन में.

00000000

29.9.09

कुछ मस्ती ब्लागवाणी के आने की ख़ुशी में

ब्लागवाणी का २४ घंटो के लिए न रहना ब्लागिंग में ऐसे क्षण थे जिनका वर्णन करना मेरे लिए तो मुश्किल हो रहा है . ब्लागवाणी द्वारा बिना पूर्व सूचना के फीड बंद कर दिए जाने से ब्लागरो में हड़कंप की स्थिति मच गई थी . सभी हलाकान परेशान थे . यदि कलम में स्याही न हो तो क्या वह कलम चलेगी और यदि शरीर में खून न हो तो क्या शरीर चलेगा उसी तरह कुछ इस तरह की स्थिति एग्रीकेटर और ब्लॉगर के बीच की है .. इस घटना से यह सिद्ध हो गया है की एग्रीकेटर और ब्लॉगर एक दूजे के वगैर रह नहीं सकते है . ब्लागवाणी की पुनः वापिसी से ब्लागरो को फिरसे एक नई उर्जा मिली है ऐसा लग रहा है की हमारी धमनियों में फिरसे तेजीसे रक्त दौड़ने लगा है . सभी ब्लागरो को बधाई जिनकी पुरजोर आवाज जल्दी ही रंग लाइ और ब्लागवाणी फिरसे वापिस आई . कुछ चुटकुले आपकी नजर

एक बार अपने ताउजी साईकिल पर कहीं जा रहे थे एक इम्पाला कार से भिड गए . अदालत में मुक़दमा चला . जज ने वहां चालक की गलती मानकर उस पर जुर्माना ठोक दिया . जज ने फिर ताऊ की और देखते हुए कहा - आप इस हादसे में कैसे बच गए ?
ताऊ ने उत्तर दिया - भगवान मेरे साथ था
जज ने कहा - फिर साइकिल पर डबल सवारी करना कानूनन अपराध है इसीलिए तुम्हे भी जुर्माना भरना पड़ेगा .
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एक पति पीड़ित पत्नी ने जज से कहा - सर मै हर हाल में इस आदमी से तलाक लेना चाहती हूँ इसे रात दिन घोडो की रेस के सिवा कुछ याद नहीं रहता है और तो और इसे अपनी शादी की तारिख तक याद नहीं है .
पति जज से - यह सब सफ़ेद झूठ है मुझे अच्छी तरह से याद है की शादी की रात को बारह नंबर का घोड़ा जीता था
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मरते मरते गब्बर ने बसंती से कहा - तुम वीरू से शादी कर लेना ?
बसंती आश्चर्य से - लेकिन वह तो तुम्हारा जानी दुश्मन है
गब्बर बसन्ती से - हाँ बसंती मुझे उससे बदला लेना है .
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आज एक दूध की दूकान पर मै घूमते घूमते गया तो वहां दूध के भावो की सूची कुछ तरह से लिखी थी .
दूध के भाव
बिलकुल असली दूध - २२ रुपये लीटर
असली दूध - २० रुपये लीटर
दूध - १८ रुपये लीटर
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एक आदमी बेहोश होकर सड़क पर गिर पड़ा था उसके चारो और भारी भीड़ जमा हो गई . भीड़ में से एक साहब बोले इसके मुंह में थोडी ब्रांडी डाल दो शायद होश आ जाए . उसके मुंह में ब्रांडी डाली गई तो वह आदमी थोडा हिला डुला फिर थोडा बुदबुदाया . उसकी आवाज भीड़ के शोर में गुम हो गई थी किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी . थोडी देर बाद वह आदमी हिलता डुलता हुआ खडा हुआ और यह कहते हुए फिर से बेहोश होकर गिर गया -अरे भाई कोई ब्रांडी की बात कहने वाले साहब की भी तो सुनो भाई .
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28.9.09

एकलव्य से साभार : व्यंग्य : अपने छोटे की दारू की टुन्नस में रामायण और रावण लीला

आठ दिनों से कलारी बंद थी दारू का मुंह तक देखने को नहीं मिला था बरिया के आज नौबे दिन शाम को कलारी खुल गई . अब छोटे के पाँव तो जमीन पर नहीं पड़ रहे थे . दूसरे से साईकिल उधार मांगकर झट से कलारी पहुँच गए खूब जी भरके पी. गिरते पड़ते घर लौट रहे थे की धडाम से दमोहनाका के पास एक गड्डे में गिर गए और कीचड में भिड गए . जैसे तैसे लोगो ने छोटे को गड्डे से बाहर निकाला और सड़क के किनारे बैठा दिया .

रामलीला के दिन तो चल रहे है न जाने कौन सी रामलीला की धुन छोटे को सवार हो गई और वह जोर जोर से लोगो रामायण सुनाने लगा. भारी मजमा सड़क पर इकठ्ठा हो गया था .छोटे ने अपनी रामायण कुछ इस तरह से सुनना शुरू किया ... मादर....चो..... तुम क्या जानो रामायण क्या होती है . राम और रावण में तुम लोग अंतर नहीं जानते हो . रावण बड़ा ज्ञानी ध्यानी था उसकी सोने की लंका थी . वह राक्षसों का नेता था . उस समय देवताओं का बड़ा आतंक था वे अपनी मनमर्जी से सारा काम करते थे जे बात से राक्षस लोग नाराज रहते थे .

उस समय सारी अच्छी अच्छी चीजे देवता लोग रखा करते थे और बदले में राक्षसों को दरी फट्टा पकडा देते थे . राम के भाई लक्ष्मण ने शूर्पनखा का अपहरण कर लिया था . बस इसी बात पर उन दोनों के बीच भारी युद्ध हुआ था . रावण ने लंका से एक पुल बनवाया था और उसी रास्ते से आकर उसने राम की सेना पर हमला कर दिया था और राम से शूर्पनखा को रावण छुडाकर पुष्पक विमान के द्वारा वापिस लंका ले गया था और उसने शूर्पनखा की अग्नि परीक्षा कराई थी .

तुम लोग क्या जानो .. इतने में मोहल्ले के किसी आदमी ने छोटू के ऊपर एक बाल्टी पानी लाकर डाल दिया . छोटू हडबडा कर उठ गया और आज की रामलीला यही समाप्त हो गई . आज जिसने भी दारू की टुन्नस में छोटू की यह रामायण लीला देखी सुनी होगी आज वह छोटू की उलटी रामायण देखकर सुनकर मुस्कुरा जरुर रहा होगा .
Aclavy...

एकलव्य से साभार :

26.9.09

व्यंग्य : चलो दिलदार चलो चाँद पर पानी के लिए चलो ....

ऐ चाँद तेरी सूरत में अगर भगवान की सूरत क्या होगी . रामायण महाभारत में चाँद को देवतुल्य माना गया है और उसकी पूजा आराधना की जाती है . करवा चौथ के दिन महिलाए चलनी में चाँद की सूरत देखती है . साहित्यकारों और कवियो ने चाँद की तुलना प्रेमिका प्रेमी से की है . चाँद तक पहुँचने के लिए लोगो में होड़ मची है . चाँद पर अपने यान से मानव भेजने की तैयारी कर रहा है तो कोई चाँद पर खुदाई करने की तैयारी कर रहा है .



हमारे देश के चंद्रयान ने चंद्रमा की धरती पर पानी के कणों की खोज क्या करली है और जबसे नासा ने इसरो की इस उपलब्धि पर पीठ क्या थपथपा दी है तो हमरे देश के लोग इसरो की इस उपलब्धि पर बेहद इतरा गए है . कोई कह रहा है अब चाँद पर अन्तरिक्ष यात्रियो को चंद्रमा पर पीने को पानी मिलने लगेगा तो मीडिया वाले अपनी टी. आर.पी. बढ़ाने के लिए चाँद पर कालोनी बसाने की लगातार बाते कर रहे है तीन दिन से टी.वी. वाले चाँद पर कालोनी बना रहे है..और लोगो का जोरशोर से दिमाग सडा रहे है .

यहाँ सारे देश के लोग बाग़ राष्ट्रिय गान जैसे गाना " पानी मिल गया पानी मिल गया " गा रहे है . चाँद पर पानी क्या मिल गया है जैसे पानी की समस्या का समाधान मिल गया हो और चाँद का पानी उन्हें पृथ्वी में पीने को मिल जावेगा . आगे जाकर चाँद पर खुदाई होगी तब जाकर चाँद की २० किलो मिटटी में से मात्र आधा लीटर से कम पानी निकलेगा और तब लोगो को पीने को पानी मिलेगा .

यदि सारे भारत की जनता को चाँद का पानी पिलाना पड़े तो ऐसे में पानी के चक्कर में सारे चाँद को खोदना पड़ेगा तब तो चाँद ही न बचेगा . प्रेमी प्रेमिकाओं के चाँद का अस्तित्व ही समाप्त हो जावेगा . अरे भैय्या जब अपने इस धरती के पानी को हम बचा नहीं पाते है और मौके पर जल संरक्षण नहीं कर पाते है तो अब काहे चाँद के पानी के पीछे पड़े हो . यदि चाँद न रहा तो प्रेमी प्रेमिका किस चाँद को अपने दिलो में जगह देंगे.



लोग वहां एरियन जैसे दिखेंगे

अपने ताऊ जी ने भी चाँद पर चाट का ठेला लगवाया था पर पानी की कमी के चलते चाट का ठेला बंद करना पड़ा . कोई कह रहा है की चलो यार चाँद पर हेलमेट का धंधा खूब चलेगा चलो चाँद पे हेलमेट की दूकान खोल लेते है . कोई कह रहा है की यहाँ के लोग वहां एरियन जैसे दिखेंगे उसकी बड़ी बड़ी पूंछ होगी और पूँछ के द्वारा सब कुछ डिस्चार्ज करेगा और हवा में उड़ता फिरेगा . आदमी चाँद पर जाकर खुद को आदिमानव फिरसे बनाने की तैयारी कर रहा है . . भैय्या ये सब दूर की गोटी है अपने लिए इस जनम तक... तब काहे आप पानी पानी चिल्लात हो जी .

24.9.09

पहली मुलाकात में आप हमारे अजीज हो गए

पहली मुलाकात में आप हमारे अजीज हो गए
क्या कहें हम आपको पाकर खुशनसीब हो गए.
हम कहना चाहते थे बहुत कुछ पर कह न पाए
आपको देखे वगैर हम आपसे कुछ कह न पाए .

21.9.09

मै आशिक न होता अगर तू बेहद हसीन न होती

मै आशिक न होता अगर तू बेहद हसीन न होती
तू सितम न होती अगर तो मै कलमकार न होता.
000000
करे और क्या शिकवा हम आपसे है हम सनम
ये चाहे जितना भी तडफाये प्रीत न होगी कम.
00000
आपको देखते दिल की बगिया में बहारे खिलती है
आपको खुश देखकर इस दिल को ख़ुशी मिलती है.
00000
तू हर ख्वाब मेरा है जुडी हर यादे तुझसे जुडी है
कम न हो तेरी खुशियाँ खुदा से दुआ कर रहा है
000000

15.9.09

जब तेरे सितमो पे मर मिटे आबाद कभी बर्बाद हुए

तेरी यादे तुमसे बेहतर है तन्हाई में आ जाती है
याद जरुर आते होंगे अक्सर तुझे तन्हाइयो में.

यादो के सहारे जिन्दा है गर मर जाते जुदाई में
तेरी यादो में मै हर पल उदास खोया रहता हूँ.

कब सुबहो हुई कब शाम मुझे पता ही न चला
तेरी यादो को मैंने इस दिल से भुलाना चाहा.

इस दिल को तुम उतना ही खूब याद आये
हमें जब तेरी मोहब्बत में खूब ईनाम मिले.

और प्यार के बदले में मेरी वफ़ा को इल्जाम मिले
जब तेरे सितमो पे मर मिटे आबाद कभी बर्बाद हुए
00000000

10.9.09

बारिश - पहले तरसे फिर हुए बेहाल

बरसात के सीजन में इन्द्र देवता ने तरह तरह के कारनामे दिखाए . जून और जुलाई माह में लग रहा था की इस साल बहुत कम अल्प बारिश होगी . और लोगबाग मानसूनी बरसात के लिए तरस गए . तरह तरह के कयास लगाए जाने लगे . सरकारी स्तर पर आगामी सूखे की स्थिति को भांपते हुए सूखे से निपटने के लिए कार्ययोजना फ़ाइले बनाई गई पर(मित्र के व्यंग्य चित्रों के अनुसार} अचानक इन्द्र देवता ने फाइल गीली कर दी है. अब बाढ़ राहतो की फ़ाइले बने जा रही है . अगस्त तक मात्र बीस इंच बारिश दर्ज की गई थी . अचानक इन्द्र देव ने जोरशोर से अपना पैतरा बदला और और दनादन हो गए शुरू. तीन दिनों के अन्दर बारिश ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए है . अभीतक शहर में बारिश का आंकडा ५० इंच को पार कर चुका है और अभी भी बारिश का सिलसिला जारी है .

लोगबाग अब इस भीषण बारिश से बेहाल और हलाकान हो चुके है . कुंआर के महीने में अचानक तेज बारिश के कारण लोगो की जीवन की दिनचर्या अस्त व्यस्त हो गई है . जगह जगह सड़को पर गड्डे हो गए है और बिजली की व्यवस्था चरमरा गई है . गरीब लोगो के घर मकान भी गिर गए है और खाने पीने के लाले पड़ गए है यह सब देखकर दुःख भी होता है पर ईश्वर के आगे अपनी क्या बिसात है . मौसम के कारण फ्लाईट बंद है . फेक्टरियों में पानी घुस गया है और उत्पादन कार्य प्रभावित हो गए है . खबर है की अधिक बारिश होने के कारण अभी अभी की होशंगाबाद में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है . नर्मदा उफान पर है . भगवान ने पेयजल की समस्या का निराकरण तो कर दिया है पर इस अधिक बारिश के कारण खेती तो सुधर गई है पर खेती में किसानो को लगभग ३० प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ सकता है सोयाबीन और दलहन की फसलो की नुकसान पहुँचने की अधिक संभावना आंकी गई है. चलिए अब बरसात पर एक रचना ....

रिमझिम बरसती बरसात देखकर
खेलने आ गए बच्चे सड़को पर
बता बरसते पानी तेरा क्या है इरादा
क्या घर मेरा तू गिराकर थमेगा
कड़कती हुई बिजली बरसता हुआ पानी
कम्बल से लिपटी तब तड़फती जवानी
बहता जो देखा हमने बारिश का पानी
याद आ गया बचपन और कागज की कश्ती
पड़ी जब चेहरे पर बारिश की बूंदे
सुकून दिया गजब का उस एहसास ने
बागो में खुश हो मोरनी जो नाची
तो समझ गए आज खुदा बरसायेगा पानी
हद हो चुकी अब तो थम जा ऐ बारिश
डूब गया सारा मै ही बचा हूँ.

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8.9.09

एक न एक शमा अँधेरे में जलाए रखना

न ख़ुशी है और न कोई दर्द रुकाने वाला
हमने अपना लिया है हर रंग जमने वाला.

उन्हें रुकसत क्या किया मुझे मालूम नहीं
सारा दर्द दे गया घर छोड़ के जाने वाला.

हम आपको भूल जाए इतने बेवफा नहीं
क्या गिला करे आपसे कोई गिला नहीं.

अपने गम देते मुझे कुछ सूकून तो मिले
कितने बदनसीब है जिन्हें गम नहीं मिले.

एक न एक शमा अँधेरे में जलाए रखना
सुबह होने को है...माहौल बनाए रखना.

आज खास बात है की आज रात रौशन है
हुश्न खूब रौशन है...उजाला साथ लाया है.

मेरी सांसो की खुशबू तेरे प्यार की प्यासी है
मेरी आंखे तेरे प्यार दीदार की प्यासी है।
ooooo

5.9.09

शिक्षक दिवस 5 सितंबर : मानवतावादी डाक्टर राधाकृष्णन

डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय सामाजिक संस्कृति से ओत प्रोत एक महान शिक्षाविद महान दार्शनिक महान वक्ता और एक अस्थावान हिंदू विचारक थे. स्वतंत्र भारत देश के दूसरे राष्ट्रपति थे. डाक्टर राधाकृष्णन ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण 40 वर्ष शिक्षक के रूप मे व्यतीत किए. उनमे एक आदर्श शिक्षक के सारे गुण मौजूद थे .उन्होने अपना जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप मे मनाने की इच्छा व्यक्त की थी और हमारे देश मे डाक्टर राधाकृष्णन का जन्म दिन 5 सितंबर को "शिक्षक दिवस" के रूप में राधाकृष्णन समस्त विश्व को एक शिक्षालय मानते थे. उनकी मान्यता थी कि शिक्षा के द्वारा ही मानव दिमाग़ का सदउपयोग किया जाना संभव है.इसीलिए समस्त विश्व को एक इकाई समझकर ही शिक्षा का प्रबंधन किया जाना चाहिए.

एक बार ब्रिटेन के एडिनबरा विश्वविद्यालय मे भाषण देते हुए डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि मानव को एक होना चाहिए .मानव इतिहास का संपूर्ण लक्ष्य मानव जाति की मुक्ति है .जब देशो की नीतियो का आधार विश्व शांति की स्थापना का प्रयत्न करना हो. शिक्षक दिवस का महत्त्व इस द्रष्टि से अत्यधिक बढ़ जाता है की हम इस दिन अपने गुरुजनों का सम्मान कर स्मरण कर लेते है की उन्ही के आशीर्वाद से हम जीवन में उन्नति और प्रगति कर सकते है. किसी ने कहा है " की गुरुजन बिन ज्ञान प्राप्त नहीं होता है चाहे वह गुरु किसी भी क्षेत्र में किसी भी विधा में पारंगत हो ".

अंत में इस अवसर पर सभी गुरुजनों के चरणों में नमन कर उनका हार्दिक स्मरण कर रहा हूँ की जो भी हूँ या जो भी है वह उनकी असीम कृपा से है.

ॐ तस्मै गुरुवे नमः

1.9.09

चुटकुले हंसी के खजाने से सराबोर

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महाताऊ श्री एक बार निमंत्रण में ताउजी के यहाँ खाना खाने गए . महाताउश्री ने जो खाना खाना शुरू किया तो खाते चले गए और देखते ही देखते २० रोटी खा गए . ताउजी यह सब देखकर हैरत में पड़ गए सोचने लगे यदि इसी तरह से मेहमान महोदय खाना खाते रहे तो मेरा भटरा बैठ जायेगा . यह सोचकर ताउजी खिसिया गए और बोले यार तुम तो खाते ही चले जा रहे हो खाने के दौरान क्या आप पानी वगैरा नहीं लेते ?
ताऊ महाश्री - पीता हूँ मगर आधा खाना खाने के बाद.
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एक साहब ने एक पेटू पंडित को खाना खाने का निमंत्रण दिया था . पंडितजी ने भरपेट खाना खाया और अपनी तौंद पर हाथ फेरते हुए - "बस भर गई है"
साहब ने मलाई की एक प्लेट और पंडित जी के सामने रख दी - पंडित जी ने मलाई की प्लेट भी साफ़ कर दी . वाही पास में खड़े होकर ताउजी यह सब देख रहे थे उनसे रहा न गया बोले - पंडितजी अभी तो आप कह रहे थे की "बस भर गई है" फिर मलाई की प्लेट आपने कैसे साफ़ कर दी .
पंडित जी बोले - जजमान बस तो भर गई थी पर कंडेक्टर की सीट खाली थी .
०००००

एक ब्लॉगर दूसरे ब्लॉगर से - दस साल से ब्लॉग लिखने के बाद मुझे बाद में पता चला की मुझमे सृजन शीलता की प्रतिभा बिलकुल भी नहीं है .
दूसरा मित्र ब्लॉगर - तो तुमने आखिर ब्लॉग लिखना क्यों बंद कर दिया ?
ब्लॉगर - नहीं ब्लॉग लिखना बंद करने से पहले मै काफी प्रसिद्द हो गया था .....है हे हेए .
०००००

27.8.09

जबसे लिखने बैठे चिठ्ठी हम कलम खुद बा खुद रुक जाती है

.................
जबसे लिखने बैठे चिठ्ठी हम कलम खुद बा खुद रुक जाती है
दिल की बात लिखते लिखते कलम शर्म से खुद रुक जाती है.

मै तुमको यह चिठ्ठी लिखू मेरी इस चिठ्ठी में मेरी धड़कन है
यह लिखते समय फ़िक्र नहीं है इस चिठ्ठी में तेरी कोरी यादे है.

छोड़ गए जबसे इस दुनिया को तुम चिठ्ठी लिखना भूल गए
तुम्हारे जबाब का इंतजार करते करते मेरी पलकें झपक गई .


प्राइवेट डायरी..से
महेंद्र मिश्र .

24.8.09

चुटकुले गुलगुलों के साथ : चलिए आज फिर हँसने हंसाने की बारी है ?

कल्लू - मम्मी आपने भैय्या को किस भाव खरीदा था ?
मम्मी - अरे भाई उसे खरीदा नहीं था वह तो पैदा हुआ था .
कल्लू - फिर पैदा होने पर आपने उसे क्यों तौला था .


काली औरत आपने पति - क्यों मै हरी साड़ी पहिनकर कैसी लगती हूँ ?
पति - मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे भैस घास चर रही हो .


ताउजी ताईजी से - अरी सुनती हो इस पुस्तक में लिखा है की जिन बच्चो के बाप विद्वान् होते है वे बच्चे मूर्ख होते है और जिन बापों के बच्चे विद्वान् होते है इन बच्चो के बाप मूर्ख होते है .
ताईजी ताउजी से - अगर यह सच है तो एक चिंता तो कम हुई अपना बेटा विद्वान् बनेगा .


एक मिल में हड़ताल हो गई . पत्रकारों ने हड़ताली नेता से पूछा - आपकी प्रमुख मांगे क्या क्या है ?
हड़ताली नेता - बस एक ही बड़ी मांग है की काम के घंटे छोटे होना चाहिए
पत्रकार - ये मांग तो जायज है .
हड़ताली नेता - जी हाँ हम हर हाल में चालीस मिनिट का घंटा करवा के छोडेंगे .


ताऊ महाश्री लेखक - मेरी आगामी रचना में वो सब कुछ समाहित होगा जोकि मैंने अपनी साठ सालो की जिंदगी में सीखा है .
श्रोता ताऊ - ओह तो आप अब लघुकथा लिखने की तैयारी में है .

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22.8.09

व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई : 22 अगस्त जन्मदिन पर एक मूल्यांकन



आज प्रसिद्द व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई जी का जन्मदिवस है .



श्री हरिशंकर जी का झुकाव अधिकतर सर्वहारा वर्ग की ओर अधिक था . 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था तत्समय सारे देश में आदर्शवादिता चरम सीमा पर थी ओर लोगो के दिलो में आदर्शवादिता का जज्बा कायम था . लोगो के नए नए अरमान थे वे देश ओर साहित्य के लिए समर्पित थे . प्रहरी में हरिशंकर जी परसाई की पहली रचना " पैसे का खेल " 23 नवम्बर 1947 को प्रकाशित हुई थी ओर इसके बाद धोखा, भीतर के घाव, भूख के स्वर ओर स्मारक ओर जिंदगी ओर मौत, दुःख का ताज आदि एक से बढ़कर एक उनकी रचनाये प्रकाशित हुई जोकि अत्यंत भावप्रधान थी जिनमे गरीबी की छाप स्पष्ट दिखलाई देती है.





नौकरी से त्यागपत्र देकर श्री परसाई जी ने अल्प साधन होते हुए भी लेखन के क्षेत्र में पदार्पण किया वे सर्वहारा वर्ग के शुभचिंतक थे बाद में उनका झुकाव बामपंथ की ओर हो गया था जिसके कारण उनके लेखो में इस प्रकार के वाक्यों का अधिकतर उल्लेख किया गया है जैसे -

पर जहाँ जीवन की परिभाषा मृत्यु को टालते जाना मात्र हो वहां जीवन को नापता हुआ वर्ष पास पास कदम रखता है . पर जो जीवन की कशमकश में उलझे है जो पसीने की एक एक बूँद से एक एक दाना कमाते है जिन्हें बीमार पड़ने की फुरसत नहीं है (पुस्तक-जिंदगी ओर मौत) से साभार.

जो साहित्यकार गरीबो ओर पिछडे वर्ग के लिए चिंतन करता है ओर उनके हितों को ध्यान में रखकर रचना धर्मिता कार्य लेखन करता है वह निश्चय ही दूरद्रष्टि का मालिक होता है इसमें कोई संदेह नहीं है ओर जो लेखक अन्तराष्ट्रीय राजनीति ओर समस्याओं पर इतना अधिक लिख सकता है वह अपने मोहल्ले गाँव ओर कस्बे से बंधा नहीं रह सकता है और निश्चित ही संकीर्ण चिन्तक हो ही नहीं सकता है . परसाई जी का स्वतंत्र चिंतन समग्र सर्वहारा वर्ग के लिए था जो इस देश की सीमाओं को पार करते हुए देश विदेश तक फ़ैल गया . पाई पाई जोड़कर अपने चिंतन द्वारा श्री परसाई जी द्वारा जो साहित्य रचित किया गया है आज हम उसे परसाई साहित्य के नाम से जानते है और पढ़ते है .

श्री परसाई जी की पहली रचना "स्वर्ग से नरक" जहाँ तक पहली रचना है जोकि मई १९४८ को प्रहरी में प्रकाशित हुई थी जिसमे उन्होंने धार्मिक पाखंड और अंधविश्वास के खिलाफ पहली बार जमकर लिखा था . धार्मिक खोखला पाखंड उनके लेखन का पहला प्रिय विषय था . वैसे श्री हरिशंकर जी परसाई कार्लमार्क्स से जादा प्रभावित थे . परसाई जी की प्रमुख रचनाओं में "सदाचार का ताबीज" प्रसिद्द रचनाओं में से एक थी जिसमे रिश्वत लेने देने के मनोविज्ञान को उन्होंने प्रमुखता के साथ उकेरा है .



जिस स्थान पर अमन चैन हो वहां पुलिस वाले कैसे अशांति फैला रहे है और कैसे भ्रष्टाचार फैला देता है को लेकर परसाई जी की रचना "इस्पेक्टर मातादीन" लोकप्रिय रचनाओं में से एक है . इस तरह यह कहा जा सकता है की श्री हरिशंकर जी परसाई जी की रचना पहले के समय में प्रासंगिक थी और आज भी है और भविष्य में भी रहेगी . चूंकि श्री हरिशंकर जी परसाई जी इस शहर मे रहे है और उनका संस्कारधानी से अट्ट नाता था और यहाँ के वाशिंदों साहित्यकारों से उनका आत्मिक लगाव- जुडाव था . जन्मदिन के अवसर पर उनके व्यक्तिव और कृतित्व का भावभीना स्मरण करते हुए संस्कारधानी के ब्लागर्स , साहित्यकारों और समस्त जनों की ओर से शत शत नमन करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ .

19.8.09

एक तुम्ही आधार सदगुरु......एक तुम्ही आधार

हे सदगुरु जब तक न तुम न मिलो इस जीवन में
शांति कहाँ मिल सकती है भटकते अतृप्त मन में.

खोजा फिरा संसार सदगुरु एक तुम्ही आधार सदगुरु
कैसा भी तारन हारा मिले न जब तक शरण सहारा.

प्रभु तुम ही विविध रूपों में हमें बचाते भाव कूपो से
ऐसे परम उदार सदगुरु एक तुम्ही हो आधार सदगुरु.

छा जाता जग में अँधियारा तब पाने प्रकाश की धारा
आते है तेरे द्वार सदगुरु एक तुम्ही आधार हो सदगुरु.

हम आये है द्वार तुम्हारे तुम्ही उद्धार करो दुःख हारे
सुनलो इस दास की पुकार सदगुरु एक तुम्ही आधार.

.....

13.8.09

गोविंदा आला रे ... कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना

गोविंदा आला रे ... कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना





सभी ब्लॉगर भाई बहिनों को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई .

11.8.09

हम गुजरा नहीं करते है अनजान राहो से दर्दे दिल लेते देते नहीं हैं

वो आंसुओ की कीमत क्या जाने जो हर बात पर आंसू बहाते है
उनसे कीमत पूछो आंसुओ की जो गमो में भी हंसते मुस्कुराते है.

हम गुजरा नहीं करते है अनजान राहो से दर्दे दिल लेते देते नहीं हैं
मोहब्बत का सिर्फ रिश्ता है आपसे दूसरो को हम दिल देते नहीं है.

अंत में एक जोग-
चित्रगुप्त यमराज से - इस बच्चे की जान अपने समय से पहले क्यों ले ली ?
यमराज - यार मार्च का कोटा जो पूरा करना था .

10.8.09

नौ घंटे सीढी पर चढ़कर मोटर साइकिल लगातार चलाकर रच दिया इतिहास

यदि इंसान में कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो वह क्या नहीं कर सकता है. हैरतअंग्रेज कारनामा को अंजाम देने के लिए साहस और आत्मविश्वास का होना अत्यंत आवश्यक है. विगत दिवस रविवार को जबलपुर के कोबरा ग्राउंड में सेना और प्रशासनिक अधिकारियो और शहर के गणमान्य नागरिको की उपस्थिति में डेयर डेविल्स के केप्टिन जितेन्द्र ने जमीन से १८ फुट ऊपर एवं मोटर साइकिल से १५.४ फुट ऊपर लगातार नौ घंटे सीढी पर चढ़कर बुलेट मोटर साइकिल चलाकर एक हैरतअंग्रेज साहसिक कारनामा कर दिखाया है और विश्व कीर्तिमान रच दिया है.



१५ फुट ऊँची सीढी पर चढ़कर मोटर साइकिल चलाने का पिछला कीर्तिमान चीन के एक जवान के नाम है . सुबह सीढी पर चढ़ कर सुबह ११ बजे केप्टिन जितेन्द्र ने जो मोटर साइकिल चलाने का क्रम शुरू किया जो लगातार नौ घंटे के बाद रुका. बीच बीच में रिमिझिम बारिश भी हुई पर जितेन्द्र ने अपना साहस नहीं खोया और लगातार बुलेट मोटर साइकिल चलाते रहे. जैसे ही उनका यह कारनामा बंद हुआ लोगो ने भारी आतिशबाजी की और हर्ष व्यक्त किया.



इस कारनामे की जाँच समिति द्वारा एक सीडी बनाई गई है जोकि गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड को रिकार्ड हेतु प्रेषित की जावेगी. केप्टिन जितेन्द्र के इस कारनामे के पीछे कठोर मेहनत और लगन छिपी हुई थी जिसने दर्शको का दिल जीत लिया. दर्शक साँस रोककर अतिम समय तक इस साहसिक अभियान को देखते और सराहते रहे और उन्होंने केप्टिन की खूब हौसलाफजाई की और उनका निरंतर उत्साह बढाते रहे.

6.8.09

भड़कीले चुटकीले जोक्स - हंसी ठिठोला

पति पत्नी से - यार अपुन पिछली बार दिल्ली गए थे याद नहीं है की अपुन कौन सी होटल में रुके थे . जरा सोचकर बताओ ?
पत्नी - जरा ठहरो अभी चम्मचों पर देखकर बताती हूँ.
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एक लेडीज बड़ी तेज रफ़्तार से कार चला रही थी और उसका पति कार में बैठा था . उसके पति ने उस लेडीज से कहा जरा धीरे कार चलाओ वरना दुर्घटना हो जायेगी और खब़र अखबारों में छपेगी और अखबार वाले तुम्हारी सही सही उम्र भी छाप देंगे. यह सुनकर उस लेडीज ने प्रलयकारी नजरो से अपने पति की और देखते हुए कार की रफ़्तार धीमी कार दी.
०००००
मिस्टर एक्स तीस साल के हो चुके थे और अभी तक अविवाहित थे. एक दिन उनके मित्र ने उनसे कहा - क्यों भाई अब आपके विवाह में कितनी देर और है ?
मिस्टर एक्स बोले - क्या करे कोशिश तो कर रहा हूँ मैंने विवाह के लिए कई अखबारों में भी विज्ञापन दे दिया और कई बहिनों के उत्तर आ भी चुके है .
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एक व्यक्ति ने अपने घर कुछ मित्रो को खाने के लिए बुलाया . जैसे ही मित्र उसके घर आने को हुए वह व्यक्ति जल्दी जल्दी अपने घर में लगी पेंटिंग सीनरी गुलदस्ते फोटो हटाने लगा . यह सब देखकर उसकी पत्नी ने उससे कहा - क्या तुम्हारे दोस्त ये सब चुरा ले जायेंगे जो तुम जल्दी जल्दी इस कमरे से हटा रहे हो . उस व्यक्ति ने कहा - चुरा तो नहीं ले जायेंगे परन्तु पहचान जरुर जायेंगे.
०००००

3.8.09

यह भूल गया इस जहाँ में कोई अपना है

तस्वीर जबसे तेरी इस दिल में बिठाई है
हर हाल में बस तेरी सूरत दिखाई देती है

तस्वीर में जिस अदा से.. तुम हँसती हो
दिल टूट जाने के बाद क्या ऐसे ही हँसोगी

तेरी तस्वीर हाथो में लिए जब घूमता हूँ
तुझे समझ कर कहीं मै गैर को छू न दूं

तस्वीर कैसे मिटाऊ मै इस अपने दिल से
काश कागज पे होती तो फाड़ ही देता मै

यह भूल गया इस जहाँ में कोई अपना है
तेरी अश्को से.. बनी तस्वीर याद आई है

न कोई निशानी है और न कोई तस्वीर है
बस अब तेरी यादो के सहारे.. रो लेते है .