26.6.10

महफ़िल प्यार की याद आती है....

महफ़िल सितारों की... देख कर,

महफ़िल प्यार की याद आती है.

फलक में प्यारे चाँद को देख कर,

इस दिल को उनकी याद आती है.
 
000

21.6.10

माइक्रो पोस्ट - सफलता का मूलमंत्र है....

माइक्रो पोस्ट - सफलता का मूलमंत्र है कठोर परिश्रम करना और वगैर वैसखियो के सहारे आगे बढ़ना और सफलता अर्जित करना ...

18.6.10

माइक्रो सदवचन -

माइक्रो सदवचन -


* मनुष्य का जन्म लेना सहज होता है पर मनुष्य को मनुष्यता कठिन प्रयत्न करने से ही हासिल होती है .

* संकटों और दुखों से तभी मुक्ति मिल सकती है जब उनसे मुक्ति पाने हेतु सच्चे दिल से प्रयास किये जाए .

* जिसने जीवन में स्नेह - सौजन्य का समुचित समावेश कर लिया सचमुच वही सबसे बड़ा कलाकार है .

29.5.10

जोग और कुछ यहाँ वहां की...

एक बार एक व्यक्ति ने फौजासिंह को एक पत्र भेजा जिसमे लिखा था की "" भेजने वाला महान और पढ़ने वाला गधा"" . उस व्यक्ति को फौजासिंह ने उत्तर भेजा इस तरह से ""भेजने वाला गधा और पढ़ने वाला महान""
०००००

ताउजी ने अपने पडोसी के लडके से पूछा - बेटा तुम्हें कैसी बहू चाहिए ?
लडके ने कहा - मुझे इसी बहू चाहिए जो रात को चाँद की तरह आये और सुबह चली जाए .
०००००

प्रेमी - मेरे पास कार वालों के रिश्ते आ रहे है यदि तुम्हारें पिता मुझे कार दे सकें तो मै शादी करने के लिए तैयार हूँ .
प्रेमिका - मेरे पिता तुम्हें रेलगाड़ी दे सकते है पहले तुम पटरियां बिछवाने का प्रबंध तो कर लो .
०००००

पत्रकार - अच्छी बीबी और खराब बीबी में क्या अंतर है ?
ताउजी - बीबीयाँ क्या अच्छी होती है .
००००००

और अंत में कुछ कहीं से -

हम आपको इसकदर चाहते हैं

की दुनिया वाले उसे देखकर जल जाते हैं

यूं तो आप सभी को उल्लू बनाते हैं

लेकिन आप यूं ही जल्दी बन जाते हैं.


****

24.5.10

चुटकुले हंसो और हंसाओ ....

एक युवक बड़ा शर्मीला था और वह एक सुन्दर लड़की से विवाह करना चाहता था पर वह अपने दिल की बात शर्मीलेपन के कारण कह नहीं पाता था . डरते डरते एक दिन लड़की के सामने अपने विवाह का प्रस्ताव कुछ इस तरह से व्यक्त किया .
क्या तुम मेरे लडके के हाथों या मेरे हाथो अपनी चिता को आग लगवाना चाहोगी ?
०००००००

परिवार नियोजन का एक अधिकारी आम जनता को जागरुक करने के उद्देश्य से जोर शोर से भाषण दे रहा था . हमारे देश की जनसंख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है हमारें उसे रोकने के लिए कुछ सार्थक पहल करनी होगी . हमारे देश में औ रतें प्रति मिनिट एक बच्चे को जन्म दे रही है .... उसे रोकने के लिए हमें क्या करना पड़ेगा क्या आप बता सकते हैं ?... तभी भीड़ में से एक आवाज आई सबसे पहले हमें उस औरत को खोजना चाहिए .
०००००००

रेल के डिब्बे में एक मोटा आदमी बैठा था इतने में उस डिब्बे में एक पतला आदमी आया और कहने लगा क्या यह डिब्बा हाथिओं के लिए रिजर्व है . मोटा आदमी बोला नहीं भाई यहाँ गधा भी बैठ सकता है .
०००००००

बस इतना राम राम...

20.5.10

तेरी यादों, उजाले के सहारे संग संग चल हैं प्यारे...

तेरी यादों, उजाले के सहारे संग संग चल हैं प्यारे
गिरकर संभलते हुए लम्हें लम्हें गुजार रहा हूँ प्यारे.
तेरा नाम भी मतलब की दुनिया में शामिल है प्यारे
कभी नाम पा रहा था, तेरे कारण बदनाम है प्यारे.
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14.4.10

माइक्रो पोस्ट - मनुष्य पुरुषार्थ का पुतला है और उसकी सामर्थ्य और शक्ति का अंत नहीं है

माइक्रो पोस्ट - मनुष्य पुरुषार्थ का पुतला है और उसकी सामर्थ्य और शक्ति का अंत नहीं है . वह बड़े से बड़े संकटों से लड़ सकता है और असंभव के बीच संभव की अभिनव किरणें उत्पन्न कर सकता है . शर्त यहीं है की वह अपने को समझे और अपनी सामर्थ्य को मूर्त रूप देने के लिए साहस को कार्यान्वित करें .

9.4.10

मेरे प्यार को तू झूठी तोहमत न लगा

तेरे दिल में जब वफ़ा का नाम नहीं है
फिर तुझे गैरो से वफ़ा क्यों मिलेगी.

मित्र की नादान दोस्ती को ठुकरा कर
तुझे फिर दिलों से भी दुआ न मिलेगी.

क्या खता हुई मुझसे मुंह मोड़ लेते हो
खुशियाँ देने आये बदले में गम मिले.

मेरे प्यार को तू झूठी तोहमत न लगा
मेरे जैसा यार तुझे जन्नत में न मिलेगा.

2.4.10

बचपन की यादे : तुम्हारी बऊ खौं ....

आज सुबह सुबह जब टहलने निकला जैसे ही एम.आर. सड़क पर पहुंचा उसी समय बचपन के चार मित्र का अचानक आमना सामना हो गया . बीच सड़क पर खड़े होकर काफी देर यहाँ वहां की बाते की और एक दूसरे के हाल चाल जाने . फिर हम पांचो मित्र सड़क के किनारे बनी पुलिया पर बैठ गए . फिर इस बात पर चर्चा छिड़ गई की कभी कभी किसी को अधिक मजाक करना पसंद नहीं होता है पहले तो वह निरंतर किये जा रहे मजाक का विरोध करता है फिर धीरे धीरे वह मजाक सहते सहते सहनशील हो जाता है और वही मजाक उसको भी पसंद आने लगता है . इसी बात को लेकर हमने अपने बचपन की यादें तरोताजा की और एन्जॉय किया .

फोटो गूगल से साभार.

बचपन में हम सभी मित्र दीक्षितपुरा बर्तमान में उपरैनगंज वार्ड में रहते थे . वहां मिश्रबंधु भवन के समीप एक मकान के समाने काफी बड़ी पट्टी बनी है जिस पर हम सब मित्र बैठकर खूब गपियाते थे और हास परिहास का दौर चलता था . करीब चालीस पैतालीस साल पहले मंजू तेली की गली में एक बड़े सर वाले पंडित जी रहा करते थे वे उस समय नियमित पैदल जाकर एक मंदिर में पूजा पाठ करने जाया करते थे .

उनका सिर (Big Head) असामान्य रूप से एक सामान्य व्यक्ति के सिर से काफी बड़ा था और उन्हें हम सभी मित्र बड़ी मूंड कहकर चिढाते थे और यह बात उन पंडित जी को बहुत अखरती थी और वे बीच सड़क पर खड़े होकर पुरजोर विरोध करते हुए चिल्ला कर यह कहते हुए " तुम्हारी माँ खौं ..... बच्चो को खदेड़ते थे और इसी भागम भाग में कोई लड़का पीछे जाकर उनकी परदानियाँ (कान्छ लगी धोती) खोल देता था फिर सड़क पर राहगीर खड़े होकर खूब हंगामा देखते थे . पंडितजी का नियमित रूप से निकलना और लड़कों की शरारते बढ़ जाती थी यह प्रतिदिन का क्रम बन गया था .

एक दिन मोहल्ले के बड़े बुजुर्गो ने हम सभी मित्रो को समझाया की इन महाराज से छेड़ छाड़ करना बंद करो इन्हें मत छेड़ो . अपने बुजुर्गो की बातो का हम सभी मित्रो ने पालन करना शुरू कर दिया . अगले दिन महाराज जी फिर वहां से सड़क से निकले और हम सभी मित्र वहां पट्टी पर बैठे थे उन्हें देखकर हम सभी चुपचाप रहे .

उस दिन हां मित्रो ने महाराज से पंगा नहीं लिया बल्कि हम मित्रो को शांत बैठे देखकर महाराज ने उलटे हम मित्रो से पंगा लेते हुए जोर से कहा - आज क्या बात है आज क्या सब माद र..चो.. मर गए हैं . उस दिन हम मित्रो के दिलो पर महाराज के शब्द सुनकर सांप लोट गया . उस दिन हम लोगो ने उनसे छेड़ छाड़ नहीं की तो उन्होंने अंदाज में गाली देकर कहा की आज क्या सब मर गए है .... इससे ये भी लगा की महाराज जी से हम लोगो द्वारा जो छेड़ छाड़ की जाती है वो उन्हें रास आने लगी है जैसे कह रहे हों की छेड़ो और मुझे छेड़ो .. मरो नहीं जिन्दा होकर मुझसे छेड़ छाड़ करो ..... आज वो पंडित जी इस दुनिया में नहीं है नहीं तो उनकी फोटो इस ब्लॉग में जरुर देता . बचपन की यादें तरोताजा कर ऐसा प्रतीत हुआ की हम फिर से बचपने की और लौट गए है .

रिमार्क - पोस्ट में मुझे अपने भावों को पूर्ण रूप से अभिव्यक्त करने के लिए कुछ लोकल असंसदीय शब्दों का प्रयोग करना पड़ा है जिसके लिए मै आप सभी से क्षमाप्राथी हूँ . यदि मै इस पोस्ट में स्थानीय शब्दों का प्रयोग नहीं करता हूँ तो मेरे नजरिये से पोस्ट की रोचकता नहीं रहेगी.

महेंद्र मिश्र
जबलपुर.

29.3.10

ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के

आज सुबह से फुरसत नहीं मिली दिनभर यहाँ वहां बेमतलब घूमता रहा अचानक उड़नखटोला फिल्म का ये गीत जिसे रफ़ी साहब ने गया है को सुनकर तत्काल दिमाग में आया की क्यों न इसे लेकर ब्लागिंग के ऊपर एक परोडी लिख दी जाए तो वह जम भी गई और लिख भी गई प्रस्तुत कर रहा हूँ शायद ही आपको पसंद आये .

ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के
यहाँ जो भी आया वह रह गया कलम घिसके

न किसी ने पाई यहाँ मोहब्बत की मंजिल
कुछ दिन लिख्खा कदम डगमगाए आगे बढ़के
ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के

हम ढूँढते है यहाँ ब्लागिंग में बहारो की दुनिया
अरे कहाँ आ गए हम रह गए दलदल में फंसके
ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के

कहीं टूट न जाए आगे जाकर ब्लागिंग का सपना
ब्लागिंग में पोस्टो न फेंकों किसी को निशाना बनाके
ब्लागिंग की दुनिया में तुम चलना संभल के

27.3.10

ए गनपत जरा इंटरनेट तो खोल ए गनपत जरा ब्लाग तो खोल

ए गनपत जरा इंटरनेट तो खोल ए गनपत जरा ब्लाग तो खोल
ए गनपत जरा जोरदार पोस्ट तो लिख रे
ए गनपत के रे फिर से देख इस पोस्ट पर कितनी पोस्ट आई रे
ए गनपत नहीं आती हैं तो तू भी टिप्पणी धकेल रे तब तो बाबा लोग आयेगा रे
ए गनपत टिप्पणी नहीं आती है तो किसी खासे से पंगा ले न रे तेरी पूछ बढ़ जायेगी रे
ए गनपत जरा धर्म पर पोस्ट लिख दूसरो की भी धो और अपनी भी धुलवा रे
ए गनपत ज्ञानी है तो अपना ज्ञान और कहीं रे बघार इतनी बड़ी दुनिया पड़ी है रे
ए गनपत लोग लुगाई के झगड़े में न पड़ना रे नहीं तो खाट भी न रहेगी रे
ए गनपत तू तो बड़ा टॉप क्लास ब्लॉगर है रे तू तो टिप्पणी देना पसंद नहीं करता है रे
ए गनपत ब्लॉग पे तू अपनी ढपली अपना राग अलाप रे फटेला नहीं का समझे रे
ए गनपत चम्मचो के मकड़जाल में न पड़ना रे
ए गनपत जरा चैटिंग कर लिया कर रे
ए गनपत दूसरो की वैसाखियों पर न चल रे बाबा
ए गनपत तू तो एग्रीकेटर बन गयेला रे अब तो तेरी मर्जी चलती है रे .
ए गनपत अखबारों की पोस्ट ब्लॉग में छाप रे और पसंदगी पे चटका लगवा और आगे बढ़ रे रेटिंग के शिखर में .
ए गनपत तेरे को टॉप २० में नहीं रहना है क्या रे .

.......

26.3.10

बुढऊ ब्लागर्स एसोसियेशन के स्वयंभू अध्यक्ष महोदय ....के नाम एक चिट्ठी

बडे ही दुखित मन से मैंने दादाजी के बुढऊ कहने पर गुस्से से एक पोस्ट फेंक कर मारी थी जिसे पढ़कर बुढऊ लोग भी पसीज गए थे और आनन फानन में ताउजी ने बुढऊ ब्लागर्स एसोसियेशन की स्थापना की घोषणा कर दी तो बुढऊ लोगो में एक आशा की लहर जाग उठी की दुनिया में कोई उनका अपना हितेषी भी है और बुढऊ लोगो ने ब्लागर्स एसोसियेशन की स्थापना को हाथोहाथ लिए और अपने पोपचे मुंह से इसे स्वागतयोग्य कदम बताया और चाहुऔर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की बस हमारे ताउजी को मौके का इंतज़ार था वे बिना किसी चुनाव के स्वयं भू अध्यक्ष बन बैठे और मुझे भी अपनी मंडली में घसीटकर बुढऊ ब्लागर्स एसोसियेशन का सचिव सेकेटरी नियुक्त कर दिया और हम दोनों अध्यक्ष और सचिव सारे दिन बुढऊ लोगो की खोजबीन करते रहें पर वह दिन निराशा में गुजर गया और हम दोनों को कोई बुढऊ नहीं मिला और हम लोग हाथ मलते रहें .


बड़े खुश होकर स्वयं भू अध्यक्ष महोदय जी बुढऊ ब्लागर्स एसोसियेशन के कार्यालय में बैठकर हुक्का गुडगुडाते रहे और एजेंडा घोषित करने के नाम पर सारे बुढऊ लोगो को तरह तरह के सुनहरे सपने नेताओं की तरह दिखलाये और बिना बताये फरार हो गए . अभी तक बुढऊ ब्लागर्स एसोसियेशन के स्वयं भू अध्यक्ष महोदय जी द्वारा कोई एजेंडा घोषित नहीं किया गया और चुपचाप न जाने कहाँ कथरी ओढ़कर छिप कर बैठ गए है इससे बुढऊ लोगो में अफरा तफरी और भगदड़ का माहौल बन गया है और एक एक कर सारे बुढऊ जो एक झंडे के तले इकठ्ठे हो रहे थे अब धीरे धीर फूटने लगे हैं और मै फंस गया हूँ जिसे दादाजी ने असमय बुढऊ बनवा दिया और मौके का फायदा प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए हमारे स्वयं भू अध्यक्ष महोदय ने उठाया और खुद अध्यक्ष बन बैठे .

अभी जिन बूढों ने छटवां पन पार नहीं किया है उन लोगो को बुढऊ ब्लागर्स एसोसियेशन से बड़ी आशा जागी है की यह एसोसियेशन भविष्य में उनके लिए कुछ न कुछ जरुर करेगा और जिन युवाओं को भविष्य में बूढा होना है वे भी इस एसोसियेशन में भरी रूचि दिखा रहें है की भविष्य में वे जब बूढ़े होंगे यह एसोसियेशन उनके लिए उपयोगी और मददगार रहेगा और बूढों के लिए कल्याणकारी योजनाये आगे जाकर क्रियान्वित करेगा .

अतः हे बुजुर्ग श्रेष्ठ स्वयं भू अध्यक्ष महोदय जी आप जहाँ भी हो जल्दी प्रगट हो और बूढों के हित में कल्याणकारी योजनाओं का एजेंडा सहित खुलासा करें . यहाँ हो रहे बूढें ने एकमतेन संकल्प पारित किया है की यदि स्वयं भू अध्यक्ष महोदय जी मीटिंग में उपस्थित होकर एजेंडा घोषित नहीं करते हैं और इस मंडली में उपस्थित नहीं होते हैं तो उपस्थित बुढऊ लोगो के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया जावेगा और सजा के तौर पर आपको एक ही दिन में बुढऊ लोगो के हित में सारे एजेंडे कार्ययोजना के साथ प्रस्तुत करने होंगे ...

रिमार्क - पोस्ट मात्र हँसने हँसाने के उद्देश्य से . किसी को दुखी करने का कोई इरादा नहीं है .
महेन्द्र मिश्र

23.3.10

महान क्रान्तिकारी वीर शहीद भगत सिह और उनके विचार जयंती अवसर पर .....

आज शहीद भगत सिह की जयंती के अवसर पर भारत ही नही पूरा विश्व जगमगा रहा है.


भगत सिह ने लिखा था कि एक दिन ऐसा आएगा जब उनके विचारो को हमारे देश के नौजवान मार्गदर्शक के रूप मे लेंगे . भगत सिह के शब्दो मे क्रांति का अर्थ है, क्रांति जनता द्वारा जनता के हित मे और दूसरे शब्दो मे 98 प्रतिशत जनता के लिए स्वराज जनता द्वारा जनता के लिए है . भगत सिह जी का यह कहना था की अपने उद्देश्य पूर्ति के लिए रूसी नवयुवको क़ी तरह हमारे देश के नौजवानो को अपना बहुमूल्य जीवन गाँवो मे बिताना पड़ेगा और लोगो को यह समझाना पड़ेगा क़ी क्रांति क्या होती है और उन्हें यह समझना पड़ेगा क़ी क्रांति का मतलब मालिको क़ी तब्दीली नही होगी और उसका अर्थ होगा एक नई व्यवस्था का जन्म एक नई राजसत्ता का जन्म होगा . यह एक दिन एक साल का काम नही है . कई दशको का बलिदान ही जनता को इस महान कार्य के लिए तत्पर कर सकता है,और इस कार्य को केवल क्रांतिकारी युवक ही पूरा कर सकते है .

क्रांतिकारी का मतलब बम और पिस्तौल से नही है वरन अपने देश को पराधीनता और गुलामी की जंजीरों से मुक्त और आज़ाद कराना है . भगत सिह क्रांतिकारी क़ी तरह अपने देश को आज़ाद कराने क़ी भावना दिल मे लिए स्वतंत्रता आंदोलन मे शामिल हुए थे . भगत सिह को इन्क़लाबी शिक्षा घर के दहलीज पर प्राप्त हुई थी. भगत सिह के परिवारिक सॅस्कार पूरी तरह से अंग्रेज़ो के खिलाफ़ थे. हर हिंदुस्तानी के मे यह भावना थी क़ी किसी तरह अंगरज़ो को हिंदुस्तान से बाहर किसी तरह खदेड़ दिया जाए . जब भगत सिह को फाँसी क़ी सज़ा सुनाई गई थी उन्होंने अपने देश क़ी आज़ादी के लिए हँसते हँसते फाँसी पर झूल जाना पसंद किया और उन्होने अपने देश के लिए अपने प्राणों क़ी क़ुर्बानी दे दी . सरदार भगत सिह ने छोटी उम्र मे अपने प्राणों क़ी क़ुरबानी देकर देश के नवयुवको के सामने मिसाल क़ायम क़ी है, जिससे देश के नवयुवको को प्रेरणा ग्रहण करना चाहिए.

भारत के महान क्रांतिकारी महान वीर क्रान्तिकारी शहीद भगत सिह को शत शत नमन.

20.3.10

दिल की हर धड़कन को मै कैसे इस ख़त में लिखता हूँ

दिल का हाल मै लिखता हूँ हो सके तो यकीन कर लो
मै तुझे तेरे ख़त लौटाता हूँ अगर हो सके तो दिल दे दो.
दिल की हर धड़कन को मै कैसे इस ख़त में लिखता हूँ
इस बैचैन दिल की धड़कनें शब्दों में कैसे लिख सकता हूँ.
तूने दिल से मुझे ख़त लिखा..मैंने कब इनकार किया है
तेरा ख़त पढ़ा है तुझे सीने से लगाने को दिल चाहता है.

महेंद्र मिश्र ...

17.3.10

बढ़ती नकाब संस्कृति पर विचार...

जब मैं बहुत छोटा था उस समय महिलाये बड़े बुजुर्गो का मान सम्मान करने के लिए घूंघट का सहारा लिया करती थी . समय बदलने के साथ साथ लोगों की विचारधारा में परिवर्तन हुए आज स्थिति यह है की जगह जगह घूंघट की जगह लडके और लड़कियों में नकाब पहिनने का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है .



ठण्ड के दिन हों या गरमी के दिन हों लडके और लड़कियाँ पूरा चेहरा ढांक कर घर से बाहर निकलते हैं . गली में सड़कों पर ऐसे बहुत से नकाब धारी देखने को मिल जाते हैं . बढ़ती नकाबपोशी के सम्बन्ध में मैंने कई बुजुर्ग लोगो से उनके विचार जानने चाहे और सभी ने इस बढ़ती नकाबपोशी पर अपने विचार कुछ इस तरह से प्रस्तुत किये जो इस तरह से हैं .

एक बुजुर्ग ने तीव्र रोष प्रगट करते हुए कहा की इन नकाबधारियो की पहिचान करना मुश्किल है की वह लड़की है अथवा लड़का है . कई लोग नकाब पहिनकर अपराध करते हैं जिससे मौके पर उनकी पहिचान करना मुश्किल हो जाता है . कई लडके और लड़कियाँ नकाब पहिनकर तौलिये से पूरा चेहरा ढांककर गलत कामो को अंजाम देते हैं . आजकल आधुनिकता की दौड़ में कई लडके और लड़कियाँ पूरा चेहरा ढांककर लिपटकर बाइक पर तेजी से निकल जाते हैं तो परिवारजन भी उस समय उन्हें पहिचान नहीं पाते है और नकाब की आड़ में लडके और लड़कियों क्या कर रहे हैं और कहाँ जा रहे हैं यह परिवारजन भी अनुमान नहीं लगा सकते हैं .



इस सम्बन्ध में मैंने लड़कियों से भी चर्चा की और उनके विचार जाने की कोशिश की तो नाम न छापने की शर्त उन्होंने अपने विचार कुछ इस तरह से दिए . एक लड़की ने कहा इसे पहिनने से धूप में चेहरे की त्वचा जलती नहीं हैं और त्वचा काली नहीं पड़ती हैं .

एक बहिन जी और वहां खडी थी उनका कलर कुछ काला था उनसे मैंने पूछा बहिन जी आप वैसे ही काली है और भगवान ने आपको काली त्वचा प्रदान की है तो आप नकाब से चेहरा और हाथपोस वगैरा क्यों ढांक कर रखती हैं तो बहिन जी ने उत्तर दिए वगैर अपनी आंखे ततेर दी .

एक अन्य बहिन जी ने कहा चेहरा ढांककर चलने से रास्ते में शोहदे छेड़ते नहीं हैं कम से कम नकाब पहिनने से और चेहरा ढांककर चलने से छेड़छाड़ से और बढ़ते प्रदूषण से उन्हें मुक्ति मिल जाती हैं . ये तो नकाब के फायदे और नुकसान के सम्बन्ध में सबकी पक्ष और विपक्ष में राय हैं .


एक डाक्टर से नकाब और चेहरे को ढांककर रहने के सम्बन्ध में उनके विचार जाने उनका कहना है की लगातार चेहरा ढांके रहने से और लगातार उपयोग में लाया जाने वाला टाबिल गन्दा रहने से पहिनने वाले को चेहरे में त्वचा और फंगस रोग हो सकते हैं . अंत में मेरा इस सम्बन्ध में विचार हैं की बढ़ते अपराधो पर रोक लगाने के ध्येय से बढ़ते नकाबो पर रोक लगाईं जाना चाहिए . महानगरो में आजकल कई अपराधिक घटनाओं को नकाबपोश धारी अपराधियों द्वारा अंजाम दिया जा रहा हैं . नकाब पहिनकर चैन स्नैचिंग और लूट पाट की घटनाए बढ़ती ही जा रही हैं अतः सभी से अनुरोध है की जब आप सही हैं तो आपको नकाब पहिनने और चेहरे पर टावल लपेटकर सड़क पर चलने की जरुरत ही क्या है . आदमी को हैलमेट आदि का प्रयोग करना चाहिए जिसको पहिनने से कम से कम व्यक्ति को पहिचाना तो जा सकता हैं .

आलेख - महेंद्र मिश्र जबलपुर

13.3.10

जबलपुर ब्लागर्स मीट : जबलपुर के ब्लागर्स इंटरनेट पर हिंदी के विकास हेतु संकल्पित और मीडिया से रूबरू हुए ....

आज दिनाक १३-०३ -२०१० को जबलपुर ब्लागर एसोसियेशन के तत्वाधान में सिटी काफी हाउस जबलपुर में अपरान्ह २ बजे ब्लॉगर मीट आयोजित की गई इस अवसर पर लखनऊ से भाई महफूज अली, भाई गिरीश बिल्लौरे जी, भाई राजेश कुमार दुबे "डूबेजी", भाई बबाल जी, भाई विजय तिवारी " किसलय " , मयूर जी , शैली जी , महेंद्र मिश्र . इंजीनियर संजीव सलिल जी उपस्थित थे . इंटरनेट पर हिंदी के विकास हेतु ब्लागरो द्वारा क्या योगदान दिया जा सकता है इसके बारे में उपस्थित ब्लागरो ने अपने अपने विचार व्यक्त किये और ब्लागिंग की बारीकियो से उपस्थित मीडिया को अवगत कराया .महफूज भाई ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की ब्लागिंग का भविष्य उज्जवल है .



फोटो- ब्लागर राजेश दुबे जी , भाई बबाल जी. महफूज जी, शैली जी....





छतीस गढ़ से भाई ललित शर्मा जी आने वाले थे पर अचानक घरेलू कार्य आ जाने के कारण आज की मीट में उपस्थित नहीं हो सकें इस सम्बन्ध में आज ही उन्होंने मुझे सूचित किया था और भविष्य में जबलपुर आने की इच्छा जताई है . महफूज भाई जो एकाएक लखनऊ से लापता हो गए थे अचानक जबलपुर में प्रगट हुए तो उनसे हम सभी ब्लागर भाइयो को ब्लॉगर मीट में मिलने का अवसर प्राप्त हुआ . बहुत ही हंसमुख और मिलनसार हैं . आज उन्होंने बताया की जबलपुर ननिहाल है और हमेशा जबलपुर उनका आना जाना लगा रहता है . कल पुन उनसे मुलाकात होगी .


फोटो बांये से - ब्लागर भाई राजेश दुबे "डूबेजी". बबाल जी, महफूज जी, गिरीश बिल्लौरे जी, और मै..


ब्लागरो के समक्ष मीडिया ...








ब्लागर भाई गिरीश जी ,विजय तिवारी जी , महफूज जी, बबाल जी और भाई राजेश कुमार डूबेजी...


शैलीजी, सलिलजी, महफूज जी, मैं महेंद्र मिश्र और भाई बबाल जी ... ब्लागर मीट के दौरान लिए गए फोटो...





हिंदी ब्लागिंग और समाज में ब्लागिंग की बढ़ती उपयोगिता, महत्त्व और भूमिका विषय पर मीडिया और पत्रकारों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का त्वरित समाधान उपस्थित ब्लागर भाई गिरीश बिल्लौरेजी, भाई बबाल जी, भाई विजय तिवारी जी, संजीव सलिल जी, राजेश कुमार दुबे " डूबेजी" और महेंद्र मिश्र द्वारा मौके पर किया गया .

12.3.10

निरन्तर पर आज दो सौ पचास वी पोस्ट .... कल ब्लागर भाई महफूज अली जी, भाई ललित शर्माजी, अवधिया जी से मुलाकात...

जबसे ब्लागजगत की दहलीज पर मैंने कदम रखा है आलम यह है की लोग मिलते रहे और कारवां बढ़ता गया की तर्ज पर ब्लागरो से मेल मुलाकात बढ़ती गई और यहाँ ब्लॉग पर उंगलियाँ चलती रही और ब्लॉग पर पोस्टे बढ़ती गई और आज स्थिति यह है की आप सभी से मिल रहे निरन्तर प्यार स्नेह और शुभाशीष के फलस्वरूप आज मुझे निरन्तर हिंदी ब्लॉग में दो सौ पचास वी पोस्ट लिखने का अवसर मिला है . हिंदी ब्लॉग समयचक्र के बाद मुझे निरन्तर ब्लॉग बहुत पसंद है . आप सभी ने समय समय पर मेरी हौसलाफजाई की है उससे मुझे निरंतर लिखने की प्रेरणा प्राप्त होती है इस हेतु मै आप सभी का दिल से शुक्रगुजार हूँ आभारी हूँ . विश्वास है कि आप इसी तरह भविष्य में भी स्नेहाशीष बरसाते रहेंगे. इस अवसर पर चंद पंक्तियाँ....

आपके साथ गुजरे हुए लम्हों की याद आने लगी है
वो मेल मुलाकातें यादे कहानी बन दिल में छाने लगी है.

आपके ख़ूबसूरत खतो को मैंने संभाल कर रखा है
जैसे कोई अपने दिल को हिफाजत से रखता है.

आपके हर खतो का लिफाफा संभाल कर रखा है
हर खतो के मजनूनो को दिल में उकेर रखा है.

कल मिसफिट पर गिरीश भाई ने पोस्ट लिखी थी की महफूज भाई न जाने कहाँ लापता हो गए हैं उनकी कोई खबर नहीं है तत्काल मैंने गिरीश जी को टीप लिखी की भाई महफूज जी से मेरी मोबाइल पर बातचीत हुई थी की महफूज जी का ११ मार्च के बाद जबलपुर आने का कार्यक्रम है . आज अचानक गिरीश जी का फोन मिला की महफूज भाई लखनऊ से जबलपुर आ चुके है .


आज करीब सात बजे शाम को महफूज भाई का फोन मिला . उन्होंने बताया की भाई मै जबलपुर आ चुका हूँ . काफी देर तक मोबाइल पर बातचीत होती रही और कल सिटी काफी हाउस में २ बजे मिलने का वादा किया है . साथ ही जानकारी मिली है की रायपुर से भाई ललित शर्माजी और जी.के.अवधिया जी का शहर आगमन हो रहा है . कल हम सब ब्लागर यारो की महफ़िल सिटी काफी हाउस में सजेगी और हम सब आपस में एक दूसरे के विचार और अनुभवों का आदान प्रदान करेंगे ...

8.3.10

महिला दिवस पर - देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर

आज देश के साथ सारे विश्व में अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है . आज के दिन महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरुक कराने और उन्हें उनके अधिकारों की जानकारी देने के लिए तरह तरह के आयोजन किये जा रहे हैं . ब्लागजगत में नर नारी अपनी अपनी अहमियत साबित करने में जोड़ तोड़ से जुटे हैं इस परिस्थिति में महिला दिवस पर ब्लॉग में लिखने की बहुत इच्छा थी पर मन में डर समाया था की कहीं कोई पंगे की बात न हो जाए इसीलिए आज सारे दिन मन मसोस कर रह गया फिर भी महिला शक्ति को नमन और प्रणाम करते हुए यह रचना " देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर " प्रस्तुत कर रहा हूँ जिसकी रचनाकार माया वर्माजी हैं और यह रचना युग निर्माण योजना के सौजन्य से प्रकाशित कर रहा हूँ .


देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर


देवियाँ देश की जाग जाएँ अगर
युग स्वयं ही बदलता जायेगा
शक्तियां जागरण गीत गाये अगर
हर हृदय मचलता ही चला जायेगा

वीर संतान से कोख ख़ाली नहीं
गोद में कौन सी शक्ति पाली नहीं
जनानियाँ शक्ति को साध पाए अगर
शौर्य शिशुओ में बढ़ता चला जायेगा

मूर्ती पुरुषार्थ में है सदाचार की
पूर्ती श्रम से सहज साध्य अधिकार की
पत्नियाँ सादगी साध पायें अगर
पति स्वयं ही बदलता जायेगा

छोड़ दें नारियां यह गलत रूढ़ियाँ
तोड़ दें अंध विश्वास की बेड़ियाँ
नारियां दुष्प्रथाये मिटाए अगर
दंभ का दम निकालता चला जायेगा

धर्म का वास्तविक रूप हो सामने
धर्म गिरते हुओं को लगे थामने
भक्तियाँ भावना को सजा लें अगर
ज्ञान का दीप जलाता चला जायेगा

यह धरा स्वर्ग सी फिर संवरने लगे
स्वर्ग की रूप सज्जा उभरने लगे
देवियाँ दिव्य चिंतन जगाएं अगर
हर मनुज देव बनता चला जायेगा.


लेखिका - माया वर्मा
साभार - युग निर्माण योजना के सौजन्य से

4.3.10

जवानी के दिनों की कतरने ...दर्दे दिल की बात को मै इस चिट्ठी में कैसे लिख सकता हूँ

दर्दे दिल की बात को मै इस चिट्ठी में कैसे लिख सकता हूँ
इस दिल में उठे तूफानों को चिट्ठी में कैसे लिख सकता हूँ.
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शिकायत हमें आप से है की आपने हमें अब तक देखा नहीं
तेरे पैगाम के इंतज़ार में है दिल मेरा पर तूने पैगाम भेजा नहीं.
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दिल से तुम खूब मुस्कुराया करो रोज मीठे ख्वाबो में आया करो
तीरे नजर न चला जब दिल उमंगें मारे तो मेरे पास आया करो.
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2.3.10

होली के बाद के ब्लागरी चुटकुले ...

* स्वामी भविष्यानंद को गाने गाने का बड़ा शौक था . कभी भी फक्कड़ी मौज में गाना बेसुरी आवाज में गाने लगते थे . एक नया गाना मेहबूबा मेहबूबा होली की ठुर्रस में गाते हुए सीधे चले जा रहे थे और धुन्नस में सीधे नदी में घुस गए . फिर थोड़ी देर बाद नदी में से एक जोर जोर से आवाज आ रही थी मै डूबा मै डूबा .

* चौड़े और गोल शरीर के उड़न तश्तरी कहीं घूमते घूमते जा रहे थे राह में उन्हें एक छोटा नन्हा बच्चा मिला . उड़न तश्तरी ने उसे स्नेह वश गोद में ले लिए और प्यार से पूछा - बेटा तुम कहाँ हो ?

बच्चे ने उत्तर दिया - हिमालय की गोद में .

* ब्लॉगर वकील - जब अपराधी ने चाकू मारा था उस समय तुम कहाँ थे ?

मुजरिम का दोस्त - जी मै उस समय पन्द्रह कदम दूर था .

ब्लॉगर वकील - क्या तुमने फासला कदमो से नापा था ?

मुजरिम का दोस्त - जी हाँ

ब्लॉगर वकील - तुम्हें ऐसा करने क्या जरुरत थी ?

मुजरिम का दोस्त - क्योकि मुझे मालूम था की किसी दिन कोई मूर्ख मुझसे यह प्रश्न जरुर पूछेगा .

*प्रायमरी का मास्टर - तुम्हें अंग्रेजी सुधारने के लिए अंग्रेजी का अखबार जरुर पढ़ना चाहिए

छात्र - जी मै अंग्रेजी अखबार हर शुक्रवार को पढ़ता हूँ .

प्रायमरी का मास्टर - ऐसा क्यों ?

छात्र - जी अंग्रेजी सिनेमा में फिल्म इसी दिन बदलती है .

*एक ब्लेड कंपनी ने अपना विज्ञापन कुछ इस तरह से दिया - हमारे बनाए गए ब्लेड तेज और धारदार हैं . थानों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नब्बे परसेंट पकडे गए जेबकतरों के पास हमारी कंपनी के ब्लेड पाए गए हैं .

*ताउजी महाताऊ श्री से - जैसे जैसे मेरी उम्र बढ़ती जा रही है दिनोदिन मेरी शारीरिक ताकत बढ़ती जा रही है .

महाताऊ श्री - ऐसा क्यों ?

ताउजी - आजसे दस साल पहले मै बीस रुपये में जो शक्कर खरीदता था वह बड़ी मुश्किल से उठाकर लाता था लेकिन अब मै बीस रुपये की शक्कर बड़ी आसानी से उठाकर ले आता हूँ .

* एक दोस्त दूसरे दोस्त से - यार तुम्हारे घर में मख्खियाँ बहुत तंग करती हैं बार बार मेरे ऊपर आकर बैठ जाती हैं .

दूसरा दोस्त - हाँ मै भी बड़ा परेशान हूँ ये जो भी गन्दी चीज देखती हैं तो उस पर जाकर बैठ जाती हैं .


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23.2.10

तेरी दीवानगी ने ही मुझे ये प्यारी जिंदगी दी है ..

तेरी दीवानगी ने ही मुझे ये प्यारी जिंदगी दी है
फूलो ने जैसे चमन में इन बहारो को खुशबू दी है.
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आँखों ने देखा और दिल की इन सांसो से सराहा
बस यह दिल आपका दिल से दीवाना बन गया है.

19.2.10

फाग गीत - नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान

आज एक बहुत करीबी मित्र के यहाँ मै मिलने गया . अच्छा भरा पूरा परिवार है . दादा भी हैं दादी भी हैं . इस परिवार में महिलाओं की अधिकता है और उस परिवार में बड़ा सौहाद्र पूर्ण वातावरण है जब परिवार की चार महिलाए मिलकर साथ बैठती हैं तो खूब गीत लोकगीत भजन आदि गाती हैं . आज मैंने मित्र की दादी से रिक्वेस्ट की वो एक फाग गीत सुना दें . दादीजी ने मेरी रिक्वेस्ट पर त्वरित ध्यान दिया और उन्होंने आज जो फाग का गीत सुनाया उसे मै कागज में कलम से उकेर कर आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ . बसंत के बाद फागुन की मस्ती भी सर चढ़कर बोलती है . फागुन के महीने में फगुनिया गीत सभी के मन को बहुत भाते हैं .

फाग गीत - नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान

कै मन प्यारे ने रंग बनायो
सो के मन के सर धोली
नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान.


नौ रंग प्यारे ने रंग बनायो
सो दस मन के सर धोली
नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान.


भर पिचकारी चंदा सूरज पे डारी
सो रंग गए नौ लख तारे
नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान.

भर पिचकारी महल पे डारी
सो रंग गए महल अटारी
नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान.


उड़त गुलाल लाल भये बादल
भर पिचकारी मेरो सन्मुख डारी
सो रंग गई रेशम साड़ी
नर्मदा रंग से भरी होली खेलेंगे श्री भगवान.

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16.2.10

जोग मुस्कुराने के लिए ....

वैलेंटाइन के दिन एक प्रेमी अपनी प्रेमिका दया से मिलने उसके घर गया . वहां उसे प्रेमिका के पिता मिले . उन्होंने पूछा - कहो कैसे हो ?
प्रेमी प्रेमिका के पिता से - बस आपकी दया चाहिए .
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ताउजी जी आंख दिखाने आँखों के डाक्टर के पास गए - बोले मुझे एक के दो दिखाई देते हैं .
आँखों का डाक्टर - क्या आप चारो को यही रोग है .
असल में डाक्टर को भी एक के चार दिखाई देते थे .
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एक आदमी दारू की झोंक में एक भैस से टकरा गया और वह बोला - माफ़ करना देवी जी गलती हो गई . तभी किसी ने कहा - तुम जिससे टकरा गए थे वह भैस थी . शराबी बोला भाई अब आगे से ध्यान रखूँगा . दारुखोर फिर आगे बढ़ा तो सड़क पर एक मोटी महिला से टकरा गया तो वह बोला - " लोग न जाने क्यों भैसों को सड़क पर आवारा खुला छोड़ देते है " .
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एक बार एक डाक्टर ने एक मरीज को मृत घोषित कर दिया तभी वह मरीज पलंग से उठाकर बैठ गया और डाक्टर से बोला - अरे मैं जिन्दा हूँ .
" चुप तुम डाक्टर से ज्यादा क्या जानते हो " ? हैड नर्स ने उसकी बात बीच में काटते हुए मरीज को डाँटते हुए कहा .
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एक ज्योतिषी ने अपने मित्र को सलाह देते हुए कहा - सुखी जीवन के लिए यह आवश्यक है की आप पिछली बातो को भूल जाए और अपने भविष्य के बारे में सोचे . तभी मित्र ने कहा यार - परसों तुमने जो सौ रुपये मुझसे उधार लिए थे वह दे देना भूल न जाना .

12.2.10

सभी ब्लॉगर भाई बहिनों को महाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामना


ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधी पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बंधनात मृत्योमुक्षीय मामतात

ॐ शिवजी सदा सहाय करे.
ॐ नमो शिवाय
हर हर महादेव
बमबम भोलेनाथ

सभी ब्लॉगर भाई बहिनों को महाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामना.

फोटो - दमोह जिले के बांदकपुर में स्थित तीर्थ स्थल भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा . यह फोटो मेरे द्वारा ली गई है.

3.2.10

कुछ चुटकुले हँसने के लिए ....

एक रेस्टारेंट के मैनेजर से एक ग्राहक ने शिकायत की तुम्हारे यहाँ के नौकर बड़े बदतमीज हैं बार बार आवाज देकर बुलाने पर भी नहीं आते हैं .
रेस्टारेंट के मैनेजर ने ग्राहक से खेद प्रगट करते हुए नौकरों को उसके सामने इन शब्दों में कुछ इस तरह से फटकार लगे - गधे पाजी नामाकूल साहब कब से कुत्ते की तरह भौक रहे हैं और तू है की सुनता नहीं . अगर यही हाल सर्विस का रहा तो कौन उल्लू का पट्ठा यहाँ दोबारा आयेगा .
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प्रेमिका - क्या तुम मुझसे प्रेम करते हो ?
प्रेमी - इसमें क्या संदेह है .
प्रेमिका - तो क्या तुम मेरे लिए मर भी सकते हो ?
प्रेमी - नहीं प्रिये मेरा अमर प्रेम है.
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टिर्री टिर्रा से - एक नई बीमा की योजना बनी है जो बहुत अच्छी है जब तुम नब्बे के हो जाओगे तो तुम्हें हर माह ढाई सौ रुपये मिलने लगेंगे इस तरह आप अपने माँ बाप के लिए बौझा साबित नहीं होंगे .
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एक साहब ने अपनी नई नवेली स्टेनो को एक लंबी चिट्ठी डिक्टेट कराई और अंत में पूछा - मिस मेरी कुछ पूछना हो तो बताओ ?
स्टेनो - सर आपने डिअर सर और यूअर्स फैथफुली के बीच में क्या लिखवाया था ?
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पति अपनी पत्नी से - दुनिया में कैसे कैसे चार सौ बीस पड़े हैं सुबह सुबह दूधवाला मुझे खोटी चवन्नी पकड़ा गया . कहाँ है वह खोटी चवन्नी ?
पत्नी - मैंने वह सब्जीवाले को दे दी और धनिया खरीद ली .
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2.2.10

माइक्रो पोस्ट : मुम्बई मेरी है

आज दिनभर से टी.वी. में देख रहा हूँ मुम्बई मेरी है ..... मुम्बई हम सबकी है ... मैंने भी भारत देश की धरती पर जन्म लिया है इसीलिए डंके की चोट पर मुम्बई मेरी है .


जय हिंद
महेन्द्र मिश्र
जबलपुर.

31.1.10

हंसी पिटारा - अपणे ताउजी का नौकर

अपणे ताउजी का एक नौकर हरयाणवी था बहुत चुस्त चालाक था पर था ताउजी का ऊँचे दर्जे का वफादार था . अपणे ताउजी भी कम फोकस बाज नहीं थे उन्होंने अपणे नौकर को समझा कर रखा था की जब कोई मेहमान घर आये और वो कोई चीज की फ़रमाइस करें तो तुम कुछ बढ़ा चढ़ा कर बताया करो की सामने वाला मेहमान भी हक्का बक्का हो जाए अपनी फोकियत बाजी देखें .



एक दिन ताउजी जी के घर कुछ मेहमान आ गए . ताउजी ने नौकर हरयाणवी से कहा ओ मेहमान आये जरा तूसी कुछ ठंडा शरवत बरवत लाओजी .

नौकर हरयाणवी - हुजूर कौन सा वाला खस का केवड़े का या बादाम का लाऊ

ताउजी - नौकर से बादाम का ले आओ .

शरवत हो गया तो मेहमान ने पानी माँगा .

नौकर हरयाणवी - कौन सा वाला हैण्ड पम्प का कुंए का या ऊपर की टंकी का पानी लाऊ जी .

ताउजी अपणे नौकर से - ए सुण जर पान बान ला

नौकर हरयाणवी - साब कौन सा पान कलकतिया बनारसी या नागपुरी लाऊ .

ताउजी अपणे नौकर से - मेहमान के साथ हीरामन शास्त्री आये हैं उनसे पूछ लो कैसा खायेंगे वे पान .



नौकर हरयाणवी - अरे उनकी चोंच है वे क्या पान खायेंगे. हा हा हा

थोड़ी देर मेहमान घर में रुके और जाने लगे तो ताउजी ने नौकर से कहा - मेहमान जा रहे है इनको कार निकाल कर दे दो .

नौकर हरयाणवी - मालिक कौन सी कार निकाल दूं शेवरलेट, मारुती, इम्पाला निकाल दूँ .

मेहमानों ने नौकर हरयाणवी से मारुती निकालने को कहा और बैठ कर उन्होंने कार स्टार्ट की और बोले पिताजी का फोन आये तो उन्हें खबर कर देना की भेडाघाट गए हैं .

नौकर हरयाणवी मेहमानों से - कौन से वाले पिताजी को जबलपुर वाले देहली वाले या इंदौर वाले को खबर करना हैं .

महेंद्र मिश्र की कलम से.

27.1.10

आरती टंकी माता की....

कल २६ जनवरी को राज भाटिया जी ने टंकी का उदघाटन करवा दिया और ताउजी को ऊपर चढाने के राजी कर लिया हैं . टंकी का उदघाटन तो हो गया तो मैंने सोचा चलो भाई अब टंकी माता की आरती भी कर लेते है . चलिए स्तुति करें टंकी माई की ....

आरती टंकी माता की

ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता
जो ब्लॉगर तुझको ध्यावे मनवांछित फल पाता
तुम हो दयालु माता पानी ही तुझसे ही आता
ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता

जिसपे कृपा द्रष्टि हो तुम्हारी त्रिभुवन सुख पाता
जो अशान्त ब्लॉगर तेरी शरण में ऊपर को जाता
उतरते ही वह त्रासदी भुलाकर परमशान्ति पाता
ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता

जो तुम्हारी महिमा ध्यानमग्न हो कर गाता
वही ब्लॉगर सहज में टंकी से छुटकारा पाता
ओम जय टंकी माता मैया जय टंकी माता


महेन्द्र मिश्र
जबलपुर.

26.1.10

गणतंत्र दिवस के अवसर पर मैंने हमारे राष्ट्रगान जन गन मन अधिनायक के बारे में कुछ इस तरह से पढ़ा ?

जब जब अकबर के दरबार के किस्से पढ़ता हूँ तो उनके दरबारी भी याद आ जाते हैं . ये दरबारी हमेशा अकबर की शान में कसीदे पढ़ते थे उनपे लेख पुराण और रचनाये लिखते थे . हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त किये हुए ६० वर्षो से अधिक का समय हो गया है . अभी तक मुझे यह मालूम था की राष्ट्रगान के रचियता गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर थे पर आज दैनिक समाचार पत्र नई दुनिया में राष्ट्रगान के बारे में अर्थ सहित कुछ इस तरह से पढ़ा . लिखा गया है की कहा जाता है की गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने यह गीत जार्ज पंचम की स्तुति में लिखा था . इस स्पष्टीकरण से तो मेरा दिलो दिमाग ही हिल गया है और सोचने को मजबूर हो गया है की गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर क्या अंग्रेजो के भक्त थे ? क्या वे राष्ट्र भक्त नहीं थे और जार्ज पंचम के दरबारी थे आदि आदि ? क्या वे स्वार्थ वश अंग्रेजो की स्तुति करते थे .. यदि सभी को यह मालूम था की यह गीत गुरुदेव द्वारा जार्ज पंचम की स्तुति गान के लिए लिखा गया है तो भी इस गीत को हमारे देश का राष्ट्रगान बनाया गया है आदि आदि . चलिए गुरदेव द्वारा जार्ज पंचम के लिए जो स्तुति गान ( नई दुनिया समाचार पत्र से साभार ) लिखा गया है वह अर्थ सहित प्रस्तुत कर रहा हूँ . आप भी पढ़िए और इस गीत पर आप भी अपने नजरिये से विचार करें .

जन गण मन अधिनायक जय हे
अर्थ - हे भारत के जन गण और मन के नायक ( जिसके हम अधीन हैं )
भारत - भाग्य - विधाता
अर्थ - आप भारत के भाग्य विधाता हैं .
पंजाब सिंध गुजरात मराठा
अर्थ - वह भारत पंजाब सिंध गुजरात महाराष्ट्र
द्राविड उत्कल बंग
अर्थ - तमिलनाडु उडीसा और बंगाल जैसे प्रदेशो से बना है .
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा
अर्थ - जहाँ विन्द्यांचल तथा हिमालय जैसे पर्वत हैं और यमुना गंगा जैसी नदियाँ हैं
उच्छल जलाधि तरंगा
अर्थ - और जिसकी तरंगे उच्छश्रंखल होकर उठती हैं
तब शुभ नामे जागे
अर्थ - आपका शुभ नाम लेकर ही प्रातः उठते हैं
तब शुभ आशीष मांगे
अर्थ - और आपके आशीर्वाद की याचना करते हैं
जन गण मंगलदायक जय हे
अर्थ - आप हम सभी का मंगल करने वाले हैं , आपकी जय हो
गाहे तब जय गाथा
अर्थ - सभी आपकी ही जय की गाथा गायें
जन गण मंगलदायक जय हे
अर्थ - आप हम सभी का मंगल करने वाले हैं , आपकी जय हो
भारत भाग्य विधाता
अर्थ - आप भारत के भाग्य विधाता हैं
जय हे जय हे जय हे
अर्थ - आपकी जय हो जय जय हो
जय जय जय हो

अब आप यह पढ़ें और अर्थ निकले यह आपके लिए ...

साभार - राष्ट्र गीत नई दुनिया समाचार पत्र से .

23.1.10

ब्लागर पच्चीसी : खूसट ब्लॉगर की आत्मा और ब्लागर

एक गहरी अँधेरी रात में सुनसान श्मशान घाट में एक ब्लॉगर पहुंचा और पेड़ से एक खूसट ब्लॉगर का शव उतारा और अपने कंधे पर लादकर उसे लेकर चल पड़ा . रास्ते में ब्लॉगर की आत्मा ने ब्लॉगर से कहा - पहले मेरे सवाल का जबाब दो वरना तुम्हारा सर टुकडे टुकडे हो जायेगा....ब्लॉगर हँसता कब है और रोता कब है ?

ब्लॉगर ने उत्तर दिया - जब ब्लॉगर अपना पहला ब्लॉग बनाता है और उसे देखकर बहुत खुश होता है और जब वह अपने ब्लॉग पर पहली पोस्ट डालता है तो वह अपने आपको किसी तुर्रम खाँ से कम नहीं समझता . रातोरात लेखन की दुनिया में प्रसिद्दी पाने के सपने देखने लगता है और अपने आपको बहुत बड़ा लेखक और साहित्यकार समझने लगता है भलाई वह यहाँ वहां से दूसरे की रचनाओं को चुराकर लिखता हो . जब ब्लागर को अधिक टिप्पणी मिलती हैं तो वह उन्हें पढ़ पढ़कर बहुत खुश होता है .

ब्लागर उस समय भी बहुत खुश होता है जब वह अपनी पोस्ट का आंकड़ा बढ़ता देखता है याने सैकड़ा दो सौ पांच सौ पोस्ट ..... जब सैकड़ा भर पोस्ट हो जाती है तो वह सेंचुरियन के नाम से अपने आपको सचिन तेंदुलकर से कम नहीं समझता है जिसने जैसे सैकड़ा मार दिया हो . जब किसी ब्लॉगर की पोस्ट ब्लॉग से सीधे अखबारों में प्रकाशित होती है तो बेचारा फ़ोकट में बहुत खुश हो जाता है भलाई अखबार वाले उसे धिलिया न दे रहे हों .

हाँ तो ये भी सुन लो ब्लागर रोता कब है ....जरा ध्यान से सुनना ... जब कोई ब्लॉगर प्रतिष्ठा के शीर्ष पर बैठ जाता है और घमंड के कारण उसकी कलम यहाँ वहां भटकने लगती है और वह उल जुलूल लिखने लगती है . वह रावण की तरह सबकी खिल्लियाँ उड़ाने लगता है वह अमर्यादित हो जाता है . एक समय यह आता है की वह कूप मंडूक की तरह हो जाता है और अकेला पड़ जाता है फिर उसे कोई पूछने वाला नहीं होता है तब वह अपने माथा ठोककर अपनी करनी और कथनी पर विचार करता हुआ रोता है . जब वह खूब कलम घसीटी करता है पर उसकी पोस्ट को पढ़ने वाले नहीं मिलते हैं ब्लॉगर तब भी खूब रोता है .

ब्लॉगर की आत्मा ने ब्लॉगर को एक झटका मारा और कहा हे ब्लॉगर तुम ठीक कहते हो अरे तुम तो ब्लागजगत के कोई घिसे पिटे जोद्धा दिखाई दे रहे और हा हा हा कहते हुए आसमान की और उड़ गया .

रिमार्क - ब्लागर पच्चीसी आगे भी जारी रहेगी ...

नेताजी जयंती "तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा" नेताजी और जबलपुर शहर ....





तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा का नारा देने वाले नेताजी सुभाष चंद बोस की आज जयंती है. स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी का यह नारा आज भी जनमानस के दिलो पर छाया हुआ है जो दिलो में जोश और उमंग पैदा कर देता है . वे कांग्रेस के उग्रवादी विचारधारा के सशक्त दमदार नेता थे . उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को खुली चुनौती दी थी . महात्मा गाँधी ने नेताजी को दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर आसीन कराया था पर वे नेताजी की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट थे .दूसरे विश्व युद्ध के समय महात्मा गाँधी अंग्रेजो की मदद करने के पक्ष में थे परन्तु नेताजी गांधीजी की इस विचारधारा के खिलाफ थे और उस समय को वे स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उपयुक्त अवसर मानते थे .

सुभाष चंद बोस का जबलपुर प्रवास पॉंच बार हुआ है . स्वतंत्रता के पूर्व सारा देश अंग्रेजो से त्रस्त था . स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित होने वाले वीर क्रांतिकारियो को चुन चुन कर अंग्रेजो द्वारा जेलों में डाला जा रहा था . नेताजी ने भूमिगत होकर अंग्रेजो से लोहा लिया और आजाद हिंद फौज का गठन किया . सबसे पहले सुभाष जी को पहली बार 30 मई 1931 को गिरफ्तार कर जबलपुर स्थित केन्द्रीय जबलपुर ज़ैल लाया गया और यहं उन्हें बंदी बनाकर रखा गया जहाँ की सलाखें आज भी उनकी दास्ताँ बयान कर रही है .. दूसरी बार 16 फ़रवरी 1933 को तीसरी बार 5 मार्च 1939 को त्रिपुरी अधिवेशन मे सुभाष जी का बीमारी की हालत मे नगर आगमन हुआ था.

सन १९३९ में जब कांग्रेस का अध्यक्ष पद चुनने का समय आया तो जबलपुर शहर के पास में स्थित तिलवाराघाट में त्रिपुरी कांग्रेस के अधिवेशन में गांधीजी ने नेताजी को इस पद से हटाने का मन बना लिया था और अपना उम्मीदवार सीतारमैय्या को अध्यक्ष पद के लिए अपना उमीदवार घोषित किया . इस प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव में गाँधी खुद त्रिपुरी नहीं आये थे और उस चुनाव में नेताजी ने सीतारमैय्या को २०३ मतों से पराजित किया था . नेताजी सुभाष चंद बोस की जीत से महात्मा गाँधी इतने बौखला गए थे की उन्होंने अपने समर्थको से कह दिया की यदि नेताजी के सिद्धांत पसंद नहीं हैं तो वे कांग्रेस छोड़ सकते है . चौथी और अंतिम बार सुभाष जी 4 जुलाई 1939 को नेशनल यूथ सम्मेलन की अध्यक्षता करने जबलपुर आये थे .. सारा देश और यह जबलपुर शहर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महान देश भक्त का हमेशा कृतज्ञ रहेगा .

आज ऐसे शूरवीर क्रन्तिकारी स्वतंत्रता संग्राम योद्धा नेताजी सुभाष चंद बोस का जयंती के अवसर पर स्मरण करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए शत शत नमन करता हूँ .
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21.1.10

वाह री जन हितेषी सरकारें : अंधेर नगरी चौपट राजा टका सेर भाजी टका सेर खाजा

कभी बचपन में आज से चालीस पैतालीस साल पहले मै पाठ्य पुस्तकों में अंधेर नगरी और चौपट राजा के विषय में कभी खूब चटकारे ले लेकर पढ़ा करता था . अंधेर नगरी के बारे में पुस्तक में यह कहा गया था की अंधेर नगरी चौपट राजा टका सेर भाजी टका सेर खाजा . जो जिसकी मर्जी में आता था सो वह करता था वह राजा हो या प्रजा हो . कभी लोगो ने आजादी का सपना संजोया था और बड़ी मुश्किल से आजादी हासिल हुई . स्वतंत्र देश से लोगो ने कई तरह की अपेक्षा की उन्हें वह सब आजादी के साथ हासिल होगा जो उन्हें पराधीन देश में हासिल नहीं होता था .

समय के साथ देश ने कई क्षेत्रो में विकास किया है पर धीरे धीरे भ्रष्टाचार,रिश्वत खोरी, जमाखोरी की जड़े गहरी होती गई जो आज समाज के लिए नासूर साबित हो रहे है . इन कारणों के चलते दिनोदिन देश में मंहगाई बढ़ती गई जिसका सीधा असर गरीब जनता पर पड़ रहा है . खाने पीने की भोजन सामग्री दाल, चावल और गेहूं के रेट इतने अधिक बढ़ गए हैं की गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले जन के ये चींजे खरीदना मुश्किल होता जा रहा है . सरकार भी हाथ पर हाथ धरे बैठी है . केंद्र और प्रादेशिक सरकारे एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाकर अपनी अपनी जबाबदारी से तल्ला झाड़ने की कोशिश कर रही है जिसका खामियाजा आम गरीब जनता को भुगतना पड़ने रहे हैं .

देश के केन्द्रीय मंत्री अब लगता है की वे मार्केट(बाजार) चलाने लगे है . मंत्री जी एक ज्योतिष की तरह पहले से यह घोषणा कर देते हैं की फंलाने चीज के रेट अब बाजार में बढ़ने वाले है . पहले दाल के रेट फिर शक्कर के रेट बढ़ने की घोषणा की . बाजार में इन चीजो के रेट सुनामी लहर की तरह बढ़ें . जनता त्राहि त्राहि कर उठी . फिर मंत्रीजी हाथ ऊपर उठाकार कह देते है की वे कुछ नहीं कर सकते हैं . कभी उत्पादन कम होने की दुहाई देते है तो कभी कुछ और सफाई दे देते हैं .

अब दूध के मूल्यों में बढ़ोतरी होने की बात पवार साहब कर रहे हैं जिसका सीधा यह अर्थ निकाला जा रहा है की दूध के मूल्यों में भी भारी वृद्धि होगी .. उनकी इस बात का अब दुग्ध माफिया नाजायज फायदा उठाएंगे और दूध के मूल्यों में धुँआधार वृद्धि करेंगे . दूध जो बच्चो के लालन पोषण के लिए मुख्य आहार हैं . वह भी छीनने की साजिशें की जा रही है . लोकतंत्र में गरीब जनता का कोई धनीधोरी नहीं है और बढ़ती मंहगाई के कारण आम जन का जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है .

सरकारे अपने अपने दायित्वों का सही निर्वहन नहीं कर रही . लगता है ये सब अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर " अंधेर नगरी चौपट राजा टका सेर भाजी टका सेर खाजा" का खेल चल रहा है . जो जिसकी मर्जी वो वैसा कर रहा हैं . जिसका खामियाजा गरीब भोग रहा हैं . किसी भी मामले में चाहे वह मंहगाई का हो या अथवा और किसी तरह का जो जनता के हित से जुड़ा कोई मुद्दा रहा हो . निर्वाचित सरकार में बैठे इन निर्वाचित जनप्रतिनिधियो की जबाबदारी निश्चित की जाना चाहिए जो जनता के प्रति जबाबदेह नहीं है .

अंधेर नगरी में जबाबदारी निश्चित न रही होगी पर लोकतंत्र में सरकार में बैठे जनप्रतिनिधियो की जनता के हित में जबाबदारी सुनिश्चित होना बहुत ही जरुरी हो गया है अन्यथा आगे आने वाले समय में इस देश का हाल अंधेर नगरी और चौपट राज्य की तरह होने में देर न लगेगी . कई दलों से मिल कर सरकार बनी . सरकार बचाने चलाने के चक्कर में वे एक दूसरे का विरोध भी खुलकर नहीं कर पाते है जैसा की आजकल इस देश में हो रहा है . पवार साब ज्योतिष बन गए है और वृद्ध मनमोहन सोनिया जी के सामने बांसुरी बजाने के अलावा कर ही क्या सकते हैं जनता जनादर्न के सुख दुःख के पक्ष....बस सरकार चले चाहे जनता मरे इन्हें क्या लेना देना अंधेर नगरी चौपट राजा की तरह .

महेंद्र मिश्र
जबलपुर.

19.1.10

व्यंग्य : ओ मंहगाई महारानी तेरा जबाब नहीं ....

ओ मंहगाई की देवी महारानी तुम्हें क्या कहूँ तेरी महिमा अपरम्पार हैं . तू कहाँ से आई कब कहाँ दस्तक दे दे तेरा कोई ठिकाना नहीं है और जहाँ तेरे चरण पड़ जाए वहां त्राहि त्राहि मच जाती है . तुझे यदि सुरसा की बहिन कहूं तो कोई दिक्कत की बात नहीं है क्योकि तू ऐसे ही है .

सुरसा के सामान बढ़ती जाती हो पर कभी घटने का नाम ही नहीं लेती हो . तेरी मार से गरीब आदमी त्राहि त्राहि कर रहा है वो बेचारा कितनी ही मेहनत करे पर तेरे कारण वह दो जून की रोटी के लिए तरस रहा है . बस अब यह लगता है की मंहगाई की हे देवी महारानी तू सिर्फ भ्रष्टाचरियो , रिश्वतखोरों और जमाखोरों के ऊपर ही मेहरबान हैं जो दिन रात दुगुने के चौगुने कर रहे है .

देश के सरकारी नेता भी तेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाते हैं . देखो न बीस की शक्कर चालीस के मुहाने पर और गरीबो की दाल नब्बे के मुहाने पर बैठी है . तेरे कारण हालात ये हो गए हैं की आने वाले समय में लोग बाग़ ये चीजें खायेंगे नहीं सूंघ कर अपना काम चला लिया करेंगे .

देश के शीर्ष नेताओं के साथ लगता है तुम्हारी कोई सेटिंग हैं जिसके चलते तुम्हारा कोई उखाड़ नहीं सकता है .... हाल में आवश्यक जीवन उपयोगी वस्तुओ के मूल्यों में जो धुआधार वृद्धि हुई है वो सब जीते जागते प्रमाण हैं . लगता है सब कमीशनबाजी का चक्कर है .

बड़े बड़े मंत्री बड़े बड़े भाषण पेलते हैं और कृषि मंत्री( हांलाकि उनकी मूंछे नहीं हैं) भी अपनी मूंछो पर ताव फेरते हुए कहते हैं की एक सप्ताह के अन्दर मंहगाई घट जायेगी . शक्कर बत्तीस के भाव से विदेश से मंगवाकर जनता को पुजाई जायेगी ..... पर ये निश्चित हो गया है मंहगाई रानी की शक्कर २२ रुपये प्रति किलो की जगह अब ३५ रुपये प्रति किलो के रेट से आगे बिकेगी पर २२ के रेट फिर वापस नहीं जायेगी ये सब तेरी मेहरबानी है.

हे मंहगाई तेरी महिमा अपरम्पार है देखो न तुम्हारे नाम पर सेमीनार, भाषण बाजी, बड़े बड़े आन्दोलन होते हैं और तो और स्कूलों में बच्चो से मंहगाई विषय को लेकर निबंध लिखवाये जाते है . लोग तुझे कम करने के लिए भूख हड़ताल करते है और भूखो रहकर खुद बेचारे दुबले हो जाते है . धरना प्रदर्शन करने वाले खुद धर लिए जाते है ..... कुल मिलाकर ये कहें हे मंहगाई के देवी महारानी ये सभी अभी तक तेरे खिलाफ बौने साबित हो रहे हैं और ढांक के पांत साबित हो रहे हैं . ओ मंहगाई की देवी तेरी जय हो .

व्यंग्य आलेख -
महेंद्र मिश्र
जबलपुर.

17.1.10

ताउजी पर कुछ चुटकुले और कुछ ठक ठक करती लखटकिया लाइने ----

ठण्ड कुछ बढ़ गई है जिसके असर से ब्लॉग जगत अछूता नहीं है . हिंदी ब्लागजगत में माहौल भी कुछ ठंडा ठंडा सा दिख रहा है इसीलिए माहौल में कुछ गर्मी लाने के लिए कुछ जोग -


ताउजी से ताऊ का एक मित्र - मित्र तुम्हारे मोबाइल पर आई लव यूं के खूब लगातार मैसेज आ रहे है . आखिर बात का है ?
ताउजी - अरे असल मे रामप्यारी का मोबाइल ले आया हूँ .
.......

ताउजी ने अपने दोस्तों से चलते समय कहा - अभी घर जाकर बीबी को सफाई देना पड़ेगी .
दोस्तों ने ताउजी से पूछा - आखिर किस बात की सफाई ?
ताउजी - ये तो घर जाकर ही पता लगेगा.
........

मैरिज ब्यूरो में मैरिज आफिसर के पद के लिए एक महिला बसंती पहुंची . उस महिला से इंटरव्यू लेने वाले ने पूछा - मैडम इस पद के लिए न तो आपके पास डिग्री न डिप्लोमा है और न कोई तकनीकी योग्यता है फिर भी आप इंटरव्यू देने चली आई ?
बसंती ने कहा - अरे साब डिग्री डिप्लोमा की छोडिये मे छः तलाक ले चुकी हूँ और सांतवा केस न्यायलय के समक्ष विचाराधीन है .
.......

ताउजी के दांतों में बहुत दर्द था . वे डेंटिस्ट के पास दन्त दिखाने पहुंचे . डेंटिस्ट ने ताउजी से कहा - आपका एक दन्त तो आधा सड़ गया है अब इसे उखाड़ना ही पडेगा.
ताउजी - डाक्टर एक शर्त पर उखाड़ने दूंगा की पहले आपको कसम लेना पडेगी की मे सिर्फ एक ही दन्त उखाडूंगा .
......

एक चीटी हाथी की पीठ पर सवार होकर नदी पार कर रही थी . वजन के कारण लकड़ी का पुल चरमराने लगा तो हाथी से चीटी बोली - यार मेरे वजन के कारण यदि पुल चरमरा रहा है तो क्या मे उतरू.... तुम्हे कोई जिससे दिक्कत न हो ....

कुछ ठक ठक करती लखटकिया लाइने ----

० अपनी पड़ोसन को भली महिला मानने से पहले उसके पति से मिल लीजिये ,,,
० नाकामयाबी हर किसी को दिखती है कामयाबी का कोई गवाह नहीं होता है ,,,
० यदि आप बैंक के सौ रुपये के देनदार है तो यह आपकी दिक्कत है और यदि आप बैंक के सौ करोड़ के देनदार है तो ये बैंक की प्राब्लम है,,,

13.1.10

मकर संक्रांति विशेष - हाल क्या था दिलो का हमसे पूछो न सनम ...उनका पतंग उड़ाना गजब हो गया ....

ओह जब जब मकर संक्रांति आती है तब अपना बचपना भी याद आ जाता है और उन सुखद दिनों की स्मृतियाँ दिलो दिमाग में छा जाती है . वाकया उन दिनों का है जब मै करीब पन्द्रह साल का था . कहते है की जवानी दीवानी होती है . इश्क विश्क का चक्कर भी उस दौरान मेरे सर पर चढ़कर बोल रहा था .





मकरसंक्रांति के दिन हम सभी मित्र पतंग धागे की चरखी और मंजा लेकर अपनी अपनी छतो पर सुबह से ही पहुँच जाते थे और जो पतंगे उड़ाने का सिलसिला शुरू करते थे वह शाम होने के बाद ही ख़त्म होता था . मेरे घर के चार पांच मकान आगे एक गुजराती फेमिली उन दिनों रहती थी . उस परिवार के लोग मकर संक्रांति के दिन अपने मकान की छत पर खूब पतंग उड़ाया करते थे . उस परिवार की महिलाए लड़कियाँ भी खूब पतंगबाजी करने की शौकीन थी .




उस परिवार की एक मेरे हम उम्र की एक लड़की खूब पतंग उड़ा रही थी मैंने उसकी पतंग खूब काटने की कोशिश की पर उसने हर बार मेरी पतंग काट दी . पेंच लड़ाने के लिए बार बार नए मंजे का उपयोग करता .हर बार वह मेरी पतंग काटने के बाद हुर्रे वो काट दी कहते हुए अपनी छत पर बड़े जोर जोर से उछलते हुए कूदती थी और विजयी मुस्कान से मेरी और हंसकर देखती तो मेरे दिल में सांप लोट जाता था .



एक दिन मैंने अपनी पतंग की छुरैया में एक छोटी सी चिट्ठी बांध दी और उसमे अपने प्यार का इजहार का सन्देश लिख दिया और उसमे ये भी लिख दिया की तुमने मेरी खूब पतंगे काटी है इसीलिए तुम्हे मै अपना गुरु मानता हूँ . छत पर वो खड़ी थी उस समय मैंने अपनी वह पतंग उड़ाकर धीरे से उसकी छत पर उतार दी . पतंग अपनी छत पर देखकर लपकी और उसने मेरी पतंग को पकड़ लिया और पतंग की छुर्रैया में मेरा बंधा संदेशा पढ़ लिया और मुस्कुराते हुए काफी देर तक मुझे देखती रही और मुझे हवा में हाथ हिलाते हुए एक फ़्लाइंग किस दी . उस दौरान मेरे दिमाग की सारी बत्तियां अचानक गुल हो गई थी .



मकर संक्रांति के बाद एक दो बार उससे लुक छिपकर मिलना हुआ था . वह शायद मेरा पहला पहला प्यार था शायद उसका नाम न लूं तो भारती था . अचानक कुछ दिनों के बाद बिजनिस के सिलसिले में उनका परिवार गुजरात चला गया और वो भी चली गई उसके बाद उससे कभी मिलना नहीं हुआ . जब जब मकर संक्रांति का पर्व आता है तो उसके चेहरे की मुस्कराहट और और उसका पतंकबाजी करना और ये कह चिल्लाना वो काट दी है बरबस जेहन में घूमने लगता है .

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12.1.10

आप सभी के प्रेम स्नेह ने बाध्य कर दिया की मै फिर कलम चलाऊ...

तीन सालो का ब्लागिंग का सफ़र....खूब पोस्टे पढी....खूब लिखी और खूब टिप्पणियां दिलोजान से अर्पित की . हिंदी ब्लागिंग को देखा जाना और समझा.... बस यही समझ में आया है की बस वही खींच तान, लल्लू चप्पू बाजी, संयमित मर्यादित नपे तुले शब्दों का अभाव , जो कहते है की गुटबाजी है इसे समाप्त किया जाना चाहिए वे ही गुटबाजी को बढ़ावा दे रहे है . किसी को भी अमर्यादित टीप भेज देना और वरिष्ट होने का दावा करना ...कहाँ तक उचित है . किसी की भी खिल्ली उड़ाना और किसी भी विषय पर विचार किये वगैर अपनी बात थोप देना आदि आदि यहाँ .... बखूबी देखने को मिल रही है ...अब तो इस मंच से साहित्यकार कवि लेखक भी जुड़ने से डरने लगे है ..को लेकर...मैंने यह पोस्ट " क्या यही स्वतंत्र अभिव्यक्ति का मंच है की किसी पर भी कुछ भी थोपो ....क्या ब्लागिंग जीनियस करते है आदि आदि....क्यों न अब ब्लागिंग को राम राम कर ली जाये ".

अत्यंत भावावेश में लिख दी थी जिसके परिपेक्ष्य में आदरणीय काजल कुमार, डाक्टर मनोज मिश्र, समीर लाल जी, डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर जी, भाई मिथिलेश दुबे, अजय कुमार जी, राज भाटिया जी, मनोज कुमार, अजय कुमार झा, ज्ञानदत्त जी पाण्डे, ताउजी, दिनेश राय जी द्विवेदी जी, अलबेला खत्री जी , अरविन्द मिश्र, भाई ललित शर्माजी , सतीश पंचम जी, गिरीश बिल्लौरेजी, भाई अनिल पुसदकर जी , खुशदीप सहगल जी, डा.अमर कुमार जी, स्मार्ट इंडियन , जी.के. अवधिया जी , सिद्धार्थ जोशी जी, मिरेड जी, सुरेश चिपलुकर जी, पी.सी.गोदियाल जी ,पंडित डी.के.शर्मा जी, निर्झर'नीर, शिव कुमार जी मिश्र और अदा जी के विचार प्राप्त हुए .

आप सभी के विचारो पर मैंने काफी मनन और चिंतन किया और उसके उपरांत पुन: मैंने आप सभी से जुड़े रहने का फैसला कर लिया है . पुन जुड़ने का फैसला " आप सभी से जो स्नेहिल प्यार और निरंतर आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है" के कारण ले रहा हूँ . साथ डा.अमर कुमार जी का आभारी हूँ जिन्होंने अपने विचार के माध्यम से जो गुरुमंत्र दिया है उस पर अपनी कलम के माध्यम से अमल करने की पुरजोर कोशिश करूँगा. शायद यही कमी थी की यह सब माहौल देखकर जल्दी विचलित हो जाता था . इस गुरु मन्त्र से निसंदेह मेरी कमी जल्द दूर हो जाएगी...

आभारी हूँ आप सभी की टीप के लिए जिससे मेरे मानसिक मनोबल बढ़ा है और पूरे मनोयोग से एक नई उर्जा के साथ ब्लागिंग करूँगा...और करता रहूँगा. ब्लागिंग के माध्यम से मेरी पोस्टो की चर्चा बिना लाग लपेट के सीधे अखबारों में हो जाती है और आप सभी का स्नेह समय समय पर मिलता रहता है इसीलिए मै ब्लॉग लिखने में रूचि रखता हूँ .

अंत में एक बात - पर मित्रो यह न समझना की अमरसिह की तरह लटके झटके पढ़ा कर फिर से वापिस आ गया हूँ .. हा हा हा हा
 
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9.1.10

माइक्रो - बहुमूल्य बात ...

नियति क्रम से हर वस्तु, हर व्यक्ति का अवसान होता है . मनोरथ और प्रयास भी सर्वथा सफल कहाँ होते है ? यह सब अपने ढंग से चलता रहे पर मनुष्य भीतर से टूटने न पाए इसी में उसका गौरव है . जिस तरह से समुद्र तट पर जमी हुई चट्टानें चिर अतीत से अपने स्थान पर अड़ी बैठी रहती है . हिलोरें चट्टानों से लगातार टकराती है पर चट्टानें हार नहीं मानती है . उसी तरह हमें भी नहीं टूटना चाहिए और जीवन से कभी निराश नहीं होना चाहिए... कभी हार नहीं माननी चाहिए .

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8.1.10

बाकी कुछ बचा तो मंहगाई और सरकार मार गई...

जनता ने इन पर विश्वास जताकर इन्हें जिताकर ताज ए तख़्त पर बैठाया और उम्मीद की सरकार से उन्हें राहत मिलेगी क्योकि चुनावों के पूर्व इन नेताओं ने भारी भारी राहत पैकेजों की घोषणा की थी . सरकार बनते ही जिस तरह से मंहगाई ने तांडव नृत्य कर अपना असर दिखाना शुरू किया तो उसने जनता जनार्दन की कमर ही तोड़ कर रख दी . पहले दाल ने अपना असर दिखाया जिससे सबकी दाल पतली हो गई और मंहगी होने के कारण गरीबो के घर में गल नहीं रही है . पिछले साल शक्कर के मूल्य भाव २७ से २८ रुपये प्रति किलोग्राम थे आज अचानक शक्कर के मूल्य ४५ रुपये पचास पैसे हो गए है और सुनने में आया है की शक्कर के भाव पचास रुपये तक करने की साजिशे की जा रही है .

सरकार की त्रुटी पूर्ण नीतियो के कारण पूरा मार्केट बुरी तरह से वायदा बाजार और सटोलियो के चंगुल में फंस गया है . सटोलियो और बिचौलियो द्वारा भरी स्तर पर की जाने वाली कमीशनखोरी के चलते बाजार में आवश्यक वस्तुओ की कीमतों में भारी वृद्धि हो रही है . बढ़ती मंहगाई को नियंत्रित करने में सरकार हर मोर्चे पर असफल साबित हो रही है जिसका खामियाजा जनता जनार्दन को भुगतना पड़ रहा है .

जबलपुर शहर में दूध के रेट एक साल पहले करीब पंद्रह से सोलह रुपये लीटर थे और दूध माफियो के चलते आज जबलपुर शहर में दूध २८ रुपये लीटर बेचा जा रहा है और उसे इस माह से तीस रुपये लीटर बेचे जाने की कोशिशे की जा रही है . दूध जो बच्चो का आवश्यक आहार निवाला है क्या वो भी मंहगा होने के कारण बच्चो को नसीब नहीं होगा . यह सब देखकर दुःख होता है . क्या सरकार ने गांधारी की तरह आँखों में पट्टी बांधकर व्यापारियो को खुली छूट दे दी है की तुम रेट बढाओ हम तुम्हारे साथ है . सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है .

अब समय आ गया है की जब निर्वाचित जनप्रतिनिधियो को जनता के सुख दुःख की परवाह नहीं है तो बढ़ती मंहगाई के खिलाफ जनता जनार्दन को खुद आगे आना होगा वरना इसके परिणाम भुगतने तैयार रहना होगा . मंहगाई एक ऐसा मुद्दा है जिसका असर सब पर पड़ता है इसीलिए हम सभी को इस मसले पर सजग रहना चाहिए और हर हाल में बढ़ती मंहगाई के खिलाफ आन्दोलन करना चाहिए .

आलेख - महेन्द्र मिश्र
जबलपुर

कागज के पुराने टुकड़ो से - औरो को सताने वाले खुद चैन नहीं पाते हैं...

आज पुराने चंद कागज मिले उसमे मेरी खुद की लिखी रचना मिली . यह रचना मेरे द्वारा उस समय लिखी गई थी जब पंजाब और कश्मीर में आतंकवाद चरम सीमा पर था. आपकी सेवा में आज प्रस्तुत कर रहा हूँ.

औरो को सताने वाले खुद चैन नहीं पाते हैं
औरो को जलाने वाले भी खुद जला करते हैं.
गरीबो के घरौदे जलाकर तुम्हे क्या मिलता है
गरीब की आह हर मोड़ पे तुझे बरबाद कर देगी
गुरुर है तो खुद अपना आशियाँ जलाकर देखो.
ऐ मानवता के दरिन्दे महेंद्र तुझे सलाह देता है.
शांति मिलेगी गरीब की कुटिया सजाकर देखो.
तुम औरो को बेवजह जलाकर खुद न जलो
मानवता के पुजारी बन चैन की वंशी बजाओ.

कागज के पुराने टुकड़ो से -
रचनाकार - महेंद्र मिश्र .

5.1.10

पुराने कागज के चंद टुकड़ो से - "उनकी यादो में,अब हम विरह गीत गाने लगे हैं"

उनकी यादो में,अब हम विरह गीत गाने लगे हैं
ख्यालो में और किताबो में, उनको पाने लगे है.

वहां उनका दिल धड़कता है, याद यहाँ आती है
वो परेशान दिखती है,दिल से जान निकलती है.

इस तन्हाई में, कोई दिल को आवाज दे रहा है
किसकी आवाज गूँज रही है, इस सूने अंगना में.

दूर रहकर भी मुझसे वो भी दिल से परेशान है
उनका नाम भी शामिल है, अब मेरी रुसवाई में.

4.1.10

श्री श्री बाबा शठाधीश जी महाराज और लंगोटा नंदजी महाराज का लंगोट गुमने का प्रसंग

श्री श्री बाबा शठाधीश जी महाराज ने कहा ... अलख निरंजन बच्चा !
हमारी लंगोटी कहाँ है ? कितनी सर्दी पड़ रही है ।
लोग अब बाबाओं से ही मजाक करने लगे हैं ।
अलख निरंजन



लंगोटा नंदजी महाराज ने कहा - अरे कोई पहलवान भक्त है तो आओ और इन शठाधीश बाबा को उठाकर सात समंदर पार पटककर आओ, मेरा जीना हराम कर रखा है,
हमारी दुकानदारी को बर्बाद करने की कसम खा रखी है, इन चिलमखोर बाबा ने !

अरे बाबाओं अपनी लंगोटी कहाँ ख़ोज रहे है आप आपके दस मीटर के बड़े लंगोट तो इनने पहिन रखा है . कहो तो इन पहलवानों को आपकी देखरेख के लिए बुलवाया जाय ....


2.1.10

अब नेट के बाबाओं पर स्टिंग आपरेशन.... आज श्री श्री लगोटा नन्द और ताऊ और श्री श्री बाबा शठाधीश जी, बाबा बालकनाथ त्रिकालज्ञ महाराजो, गोदियाल जी और राज भाटिया जी के बीच हुई गरमागरम बहस (टीप) पर एक नजर ....

आज सुबह से मै नेट के बाबाओ की और अपनी सूक्ष्म नजर रखें था . आज इन बाबाओं के बीच जो नेट में संबाद या यौ कहे बहस हुई . उसको पढ़कर बहुत आनंद आया और लगा की नेट भी बाबाओं का एक अखाडा सा बन गया है .... इनके रोचक कमेंट्स पढ़कर तबियत हरी भरी हो जाती है ..... इनके बीच आपस में शालीनतापूर्वक शब्दों में जो कमेंट्स हुए तो लगा की ये बाबा लोग भी हिंदी ब्लागिंग को रोचक बना देंगे . देखिये इनकी रोचक आपस में एक बहस....



लंगोटा नंद ने श्री श्री बाबा शठाधीश जी से कहा - अलख निरंजनबाबा लंगोटानंद जी, आपको क्या पता लंगोटी चोरी होने का दर्द, हम तो ऐसे ही घुम रहे हैं। ठंड इतनी ज्यादा है कि चिलम पीना ही पड़ता है । नही तो....

लंगोटा नंद ने श्री श्री बाबा शठाधीश जी महाराज से कहा - आप हम पर शक न करें, हम तो एक मात्र लंगोट सहित पैदा हुए हैं , ब्लॉग जगत में बहुत से चालू बाबा घूम रहे हैं.....

लंगोटा नंद ने कहा - ताऊ से बच्चा सहेस पुरिया, तुमने हमसे आशा बाँधी है तो हम भी तुम्हे निराशा के दलदल से निकल लेंगे,जल्द ही चमत्कारी भभूत भेजेंगे ! कल्याण हो !

लंगोटा नंद ..से पी.सी.गोदियाल ने कहा - बाबा धीरे बोलो, वो शठाशीश बाबा आप ही को ढूंढ रहे है ! पता है आपको जब दो बाबा लड़ते है तो चिमटे से बजाते है एक दूसरे को.....

लंगोटा नंद ने कहा - बच्चा गोदियाल, क्यों दो बाबाओं की कुश्ती करने पर तुले हो ? कल्याण हो !

लंगोटा नंद से कहा राज भाटिया जी ने लंगोटा नंदजी महाराज जी आप की शकल ओर बाते तो हमारे ताऊ राम पुरिया से मिलती है, ताऊ भी बहुत पहुचा हुं गुरु बाबा है बडो बडो को टोपी पहन देता है ,अब कोई राज भाटिय़ा....

लंगोटा नंद ने कहा - बच्चा राज भाटिया, कल्याण हो! पहले हमारे फोलोवर बनकर हमारी शिष्यता ग्रहण करो,तब भभूत पार्सल करेंगे, रामपुरिया पहले से हमारा परम शिष्य है !

ताऊ डॉट इन ओम में महेंद्र मिश्र ने कहा - पराया माल गटक जा भैरु..गटक गटक भैरु.. अब तो लगोटानन्द भी नेट जगत के मैदान में खासे दौड़ रहे है .सबको भभूति भिजवा रहे है . नेट जगत में अब तो अच्छे खासे बाबाओं की लम्बी जमात खड़ी हो गई

लंगोटा नंद...से पी.सी.गोदियाल ने कहा - श्री श्री बाबा शठाधीश जी महाराज आप सुन रहे है न ? आपके इन लगोट चोर बाबा ने आप पर कितना गंभीर आरोप मडा है , जल्दी जबाब दीजिये वरना मैं भी बाबा लंगोट

लंगोटा नंद ने कहा -बच्चा गोदियाल, हम न तो किसी प्रकार का नशा करते हैं और न ही किसी नशेडी चिलम खोर बाबा से डरते हैं, नशे का जो हुआ शिकार,उतर जायेगा पाखण्ड का बुखार....

लंगोटा नंद से सिद्ध बाबा बालकनाथ त्रिकालज्ञ ..ने कहा - ये क्या हो रहा है बच्चा लोग? हर हर महादेव...

लंगोटा नंद ने कहा - श्री बाबा शठाधीश जी महाराज दूसरों को मोक्ष का मार्ग दिखाने से पहले खुद मदिरा-पान से मोक्ष पा लें ! कल्याण हो !

लंगोटा नंद से श्री श्री बाबा शठाधीश जी ने कहा - लंगोटानंद महाराजआप भी संतों को गलत सलाह दे रहे हैं गाछी, बाछी और दासी । तीनो संतो की फ़ांसी ॥ ये संतो का काम नही है.

ताऊ-भतीजे के चुटकुले खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी में सिद्ध बाबा बालकनाथ त्रिकालज्ञ ने कहा - आयोजक उडनतश्तरी आज कोई दिखाई नही दे रहा है? यही बैठ कर धूणा रमाता हूं. बच्चा लोग आ जावो तो हमारी समाधि खराब मत करना...चुप चाप खेलना...



लंगोटा नंद शठाधीश ताऊ रामपुरिया ने कहा - बाबाजी आपको मालूम है कि नही बाबा शठाधीश महाराज का लंगोट भी डेढ महिने पहले चोरी हुआ था...जरा आपके प्रज्ञा चक्षुओं का इस्तेमाल करें और बताये...

लंगोटा नंद ने कहा - बच्चा गोदियाल! कल्याण हो! देर आये पर दुरूस्त आये..हमारे खेमे में तुम्हारा स्वागत है ! पहले हमारे फोलोवर बनकर हमारी शिष्यता तो ग्रहण करो !

लंगोटा नंद ने श्री बाबा शठाधीश जी से कहा - अलख निरंजनमद्यं,मासं,मीनं,मुद्रं,मैथुनं एव च । ऐते पंच मकार: श्योर्मोक्षदे युगे युगे । यह पंच मकार ही मोक्ष का मार्ग है । इन्हे धारण करने से ही मोक्ष श्री ....

लंगोटा नंद ने कहा - बाबा शठाधीश जी, कल्याण हो ! अगर इतनी ही ठण्ड लगती है तो शादी कर लें , साल के ३६५ दिन इंजन गर्म रहेगा !

लंगोटा नंद से पी.सी.गोदियाल ने कहा - मैंने आज से दल बदल लिया, मैं बामपंथियों (सबसे निठल्ले ) के दल में कदापि नहीं रह सकता, इसलिए आज से मैं लंगोतानंद बाबाजी के खेमे में हूँ ...

हा हा हा अहा हा हा हा

1.1.10

नववर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामना - महेन्द्र मिश्र

आज मै बहुत खुश हूँ इसका कारण यह है कि जब भी नया वर्ष आता है तो नववर्ष के साथ साथ मै अपना जन्मदिन भी मनाता हूँ  तो मेरी ख़ुशी दूनी बढ़ जाती है और मै नववर्ष के साथ आज से मै जीवन के ५३ वर्ष पूर्ण कर ५४ वें वर्ष में प्रवेश कर रहा हूँ . . आज मेरा जन्मदिन है . बचपन में माता-पिता की उपस्थिति में मेरा जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था . सभी मुझे जन्मदिन के साथ नए वर्ष की शुभकामना और बधाई देते थे . जन्मदिन के अवसर पर रामायण पाठ होता था . यह सिलसिला माता पिता के जीवित रहते तक काफी लम्बे अरसे तक चला . समय बदलने के साथ साथ अब परिवार की नैतिक - जिम्मेदारी मेरे कंधो पर है .

अब तो खुद का जन्मदिन उत्सव मनाने की अपेक्षा अब बाल गोपालो का जन्मदिन उत्सव मनाने में असीम प्रसन्नता का अनुभव होता है . सीढी दर सीढी जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है वैसे वैसे जीवन में तमाम अनुभव होते है . मेरी समझ से जीवन में आप जितना सीखेंगे आपको उतने अधिक अनुभव प्राप्त होंगे . जीवन में सीखने और कुछ नया कर गुजरने के लिए उम्र पर कोई पाबन्दी नहीं होती है .

आप जितना सीखेंगे आप उतना सुखी और प्रसन्नचित्त रहेंगे ऐसा मेरा मानना है . आज नव वर्ष के शुभ आगमन पर आप सभी ब्लागर भाई बहिनों को मेरी और से हार्दिक बधाई और ढेरो शुभकामनाये . आपका जीवन मंगलमय हो और आपके जीवन में सुख सम्रद्धि आये .

महेन्द्र मिश्र
जबलपुर.