11.5.09

कम्प्यूटर पर अधिक समय देकर कही आप "कम्प्यूटर विजन सिन्ड्रोम" बीमारी को आमंत्रण तो नहीं दे रहे है ?

जैसे जैसे हम आई.टी. युग में प्रवेश कर रहे है और इंटरनेट और कम्प्यूटर हमारे दैनिक दिनचर्या के अंग बन चुके है कम्प्यूटर से मानव जीवन को होने वाले तरह तरह के दुष्परिणाम सामने आने लगे है.



एक जानकारी के अनुसार कम्प्यूटर अब आँखों के लिए बीमारी पैदा करने लगे है. कहा गया है कि कम्प्यूटर के सामने लगातार अधिक समय तक कार्य करने वालो को आँखों के आंसू सूखने की बीमारी का सामना करना पड़ रहा है.





नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी आँखों के आसुओ पर प्रभाव डालती है. इस बीमारी में आँखों में तीव्र जलन होती है और रोगी को एसा महसूस होता है कि जैसे उसकि आँखों में रेत घुस गई हो. यह बीमारी तीन से चार घंटो से अधिक कम्प्यूटर पर काम करने वालो को अधिक हो रही है इसमें आँखों में आंसू बनना बंद हो जाता है इसके अतिरिक्त जो आंसू बनाते भी है तो उनका फैलाव आँखों में पूरी तरह से हो नहीं पता है.

नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि एक सामान्य आदमी एक मिनिट में २५ से २७ बार अपनी पलकें झपकाता है लेकिन कम्प्यूटर पर काम करने वाला व्यक्ति एक मिनिट में पॉँच से सात बार पलकें झपकाता है ..जिससे आंसू सरक्यूलेशन अधिक नहीं हो पाता है जिसके कारण आदमी अधिक थकावट और आँखों में रेत घुसने जैसे अनुभव करने लगता है और उसे शब्द धुंधले दिखने लगते है.



इस बीमारी से शुरुआत में ही बचाव करना भी जरुरी है. कभी भी कम्प्यूटर के सामने ४५ मिनिट से अधिक न बैठे. कम्प्यूटर के सामने काम करते समय अपनी पलकें झपकाते रहना चाहिए. इस बीमारी में अधिक परेशानी हो तो डाक्टर से सलाह लें . आजकल आँखों में आंसू बढ़ाने वाली दवाये भी डाक्टरों द्वारा मरीजो को दी जाने लगी है. आजकल हमारे देश में मेडिकल कालेजो में और हॉस्पिटल में ऐसे मरीजो की संख्या खूब बढ़ रही है.

10.5.09

मदर्स डे पर : माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है



"हर पल को मधुर बनाने की जीवन भर साथ निभाने की " यह माँ की परिभाषा एक है जो सारी दुनिया से लड़कर अपने बच्चो और परिवार को खुश करने की हजार कोशिशे करती है लेकिन उन माताओं को जरा याद करिए जिन्होंने अपने बच्चो को माँ बाप का प्यार देते हुए अपनी जिंदगी काटी है या काट रही है. उन्ही के आशीर्वाद और मेहनत से आज हम इस मुकाम पर खड़े है. मदर्स डे पर मुझे भी अपनी माँ की याद आ रही है हालाकि वे आज इस दुनिया में नहीं है पर आज के दिन मै उन्हें याद करते हुए उनके चरणों में प्रणाम करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा हूँ.



माँ जिसने अपनी कोख से हमें जन्म दिया है और एक माँ है जिस धरती माँ पर हमने जन्म लिया है इनका कर्ज हम आजीवन नहीं चुका सकते है




मेरी माता जी हमेशा मुझे यह गीत बचपन के दिनों में सुनाया करती थी जो आज इस अवसर पर आप सभी को बाँट रहा हूँ.





माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है
हम श्रद्धा पूरित होकर दो अश्रु चढाते है

झंकार करो ऐसी माँ सदभाव उभर जाये
हुंकार करो हे माँ ऐसी दुर्भाव उखड जाये

सन्मार्ग न छोडेंगे माँ हम शपथ उठाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है

यदि स्वार्थ हेतु मांगें माँ दुत्कार भले देना
जनहित हम याचक है माँ सुविचार हमें देना

सब राह चले तेरी माँ तेरे जो कहाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है

वह हास्य हमें दे दो माँ सारा जग मुश्कुराये
जीवन भर ज्योति जले माँ स्नेह न चुक पाये

अभिमान न हो उसका माँ जो कुछ कर पाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है

विश्वास करो हे माता हम पूत तेरे कहाते है
बलिदान क्षेत्र के हम हे माँ तेरे दूत कहाते है

कुछ त्याग नहीं अपना माँ तेरा कर्ज चुकाते है
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते है




माँ तुम्हे प्रणाम
माँ तुझे सलाम

9.5.09

हम क्या करें गिला शिकवा आपसे ओ जानम

दर्द इस दिल में है ओठो पर मुस्कान रहती है
मेरी आरजू तेरी याद में..हर पल तड़फती है.

देखते ही आपको मेरे दिल में बहारे खिलती है
देखकर खुश आपको..दिल को ख़ुशी मिलती है.

मुद्द्त से तड़फ रहा था ये दिल प्यार के लिए
इस दिल ने हार कर कहा बहुत जी लिए सनम.

चोट इस दिल ने खाई अश्क इन आँखों ने बहाये
तेरी याद में जानम न जी पाए और न मर पाये.

हम क्या करें.. गिला शिकवा आपसे ओ जानम
इस दिल को तडफा लो.. पर प्रीत न होगी कम.

6.5.09

जब इंटरनेट मददगार साबित हुआ और अपनी बीबी की उसने डिलेवरी करवा दी ?

जब से दुनिया में सूचना क्रांति का आगाज हुआ तबसे लोग बाग़ इससे होने वाले फायदों और लाभदायक होने के कारण इसमें जबरजस्त रूचि लेने लगे है . दुनिया में होने वाली किसी भी घटना व कार्यक्रमों को पलक झपकते ही आप नेट पर देख सकते है. यह क्रांति उन मौके पर भी काम आ सकती है जिसके बारे में आप कल्पना भी नहीं कर सकते है. आज ऐसा ही रोचक वाक्या एक अखबार में पढ़ा है कि इस क्रांति के माध्यम से तात्कालिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है.

लन्दन में रहने वाले एक शख्स उनका नाम है मार्क स्टीफंस जो नेवल में इंजिनियर है उन्होंने इंटरनेट की मदद से जानकारी प्राप्त कर खुद अपनी बीबी की चौथी डिलेवरी करवा दी. अब आपको लग रहा होगा कि कोई व्यक्ति इंटरनेट की मदद से अपनी बीबी की डिलेवरी कैसे करवा सकता है. मार्क स्टीफंस की पत्नी की चौथी डिलेवरी होने वाली थी. कुछ दिनों उनकी पत्नी को पेट दर्द हुआ और उस समय उसको काफी तकलीफ हुई.

मार्क स्टीफंस अपनी पत्नी को लेकर फौरन हॉस्पिटल लेकर गए और इसी दौरान उन्हें जानकारी मिली कि उस हॉस्पिटल में कोई भी मिडवाइफ उपस्थित नहीं है तो फौरन उन्होंने गूगल सर्च पर जाकर यूं टूयूब से कुछ ऐसे वीडियो खोजे जिनमे वीडियो/फोटो के माध्यम से यह दिखाया गया था कि बच्चे को कैसे जन्म दिया जाता है. स्टीफंस साहब ने दर्द से कराहती अपनी पत्नी को एक दिखाया और अपनी बीबी की चौथी डिलेवरी करवा दी.

जन्म देने के बाद उसकी पत्नी ने लोगो को बताया कि यह डिलेवरी काफी सुखदायक और आरामदायक थी और इसमें मुझे कोई तकलीफ नहीं हुई और न कोई कष्ट हुआ और उसे डिलेवरी के दौरान कोई टेशन नहीं था. इसके पहले उसके तीन बच्चे हुए. तीनो बच्चो की डिलेवरी के दौरान उसे काफी कष्ट और तकलीफ हुई थी.

वास्तव में सूचना क्रांति के आने से सभी को काफी फायदे मिल रहे है और आप मनचाही जानकारी तुंरत इंटरनेट पर प्राप्त कर सकते है और अपनी समस्या का निराकरण भी कर सकते है और सूचनाओं का आदान प्रदान मिनिटो में कर सकते है और तात्कालिक लाभ प्राप्त कर सकते है. सूचना क्रांति के माध्यम से लोग कैसे कैसे तात्कालिक लाभ प्राप्त कर रहे है यह उसका एक जीता जागता उदाहरण है जिसके बारे में हम और आप कल्पना भी नहीं कर सकते है.

रिमार्क - अंश एक अखबार से साभार.

4.5.09

किसी की याद में दिल बेकरार हो जाता है

खुशबू गुलशन में बिन फूलो के न होती
लहरे समुन्दर में बिन पानी के न होती.

गर प्यार न हो तो क्या रखा है वन में
तुम न होते तो खुशियाँ न होती दिल में.

सनम तेरी खातिर फूल क्या है मेरे लिए
तेरी खातिर हम काँटों पर भी चल देंगें.

तेरी खातिर हम बगावत जहाँ से कर देंगे
तू कहें अगर पानी में भी आग लगा देंगे.

पहली नजर में तुम हम अजीज हो गए
क्या कहें हम कितने खुशनसीब हो गए.

किसी की याद में दिल बेकरार हो जाता है
चैन आता है दिल में जब कोई पास होता है.

1.5.09

कुछ मजेदार चुटकुले ......

पिछले दो माहो से मैंने खूब चुनावी चिठ्ठे जूते की भरमार भरे प्रसंग खूब पढ़े पढ़कर बोरियत सी महसूस होने लगी . सोचा अब हास्य परिहास के बारे में सोचा जाये अन्यथा सब बेकार है और जीवन जीने के लिए हास्य का समावेश होना जरुरी है वरना जीवन नीरस है . कुछ अच्छे मजेदार चुटकुले आप सभी को बाँट रहा हूँ .

मालिक अपने नौकर से - सुनो जाओ जरा स्टेशन जाओ मेरे कुछ मित्र आने वाले है इसके लिए मै तुम्हे पांच रुपये दूंगा .
नौकर - अगर मालिक आपके दोस्त न आये तो ?
मालिक - फिर मै तुम्हे दूने दस रुपये दूँगा.
*****

नाटककार - मेरे नाटक के बारे में आपका क्या ख्याल है ?
आलोचक - मै एक सलाह देना चाहता हूँ .
नाटककार - वो क्या ?
आलोचक - नाटक के अंत में विलेन को पिस्तौल से शूट करने की बजाय जहर देकर मारा जाए फायर की आवाज से दर्शको की आँख खुल सकती है.
*****

दो औरते नाटक देख रही थी एक औरत दूसरी औरत से
"अगर रोशनी ज्यादा कर दी जाए तो कितना अच्छा होगा . अँधेरे में मुझे अच्छी तरह से सुनाई नहीं देता है.
दूसरी औरत तुनककर बोली - मै तो वगैर ऐनक लगाए टेलीफोन पर अच्छी तरह से सुन भी नहीं सकती.
*****

उनकी अभी कुछ दिनों पहले शादी हुई थी हनीमून के बाद एक शानदार मकान में खूब मौज मस्ती कर रहे थे . कुछ दिनों बाद उनके शहर में नामी नाटक के कलाकारों का आगमन हुआ . एक दिन उन पति पत्नी के घर में डाक से एक लिफाफा आया जिसमे दो टिकिट थे साथ ही एक पुर्जा भी था जिसमे लिखा था बताओ कलाकारों के प्रोग्राम के लिए ये टिकिट तुम्हे किसने भेजे ? टिकिट और पुर्जा देखकर पति पत्नी बड़े प्रसन्न हुए . वे नाटक देखने गए. आधी रात के बाद जब वे अपने घर पहुंचे तो उन्होंने देखा उनके घर का सारा सामान गायब था . सोफा सेट तक गायब हो गए थे . वे हक्का बक्का रह गए . उन्होंने टेबल पर एक पुर्जा पड़ा देखा और उसे पढ़ा जिसमे लिखा था अब पता चल गया होगा कि टिकिट किसने भेजे थे.
*****

मनो चिकित्सक मरीज से पूछा - क्या तुम्हे कभी ऐसी आवाजे सुनाई देती है जिनके बारे में तुम बता नहीं सकते हो कि वे आवाजे कहाँ से आ रही है ?
मरीज (रोगी) - हाँ
मनो चिकित्सक - ऐसा कब होता है ?
मरीज - जब मै टेलीफोन पर बाते कर रहा होता हूँ

*****

27.4.09

तेरे लिए ही जीते आये है हम तेरे लिए ही जियेंगें

तेरे लिए ही जीते आये है हम तेरे लिए ही जियेंगें
तेरी ख़ुशी की खातिर जहर का प्याला हम पियेंगे.

नाम इन ओठो पर तेरी याद इस दिल में बसी है
हमें ज़माने से क्या लेना तुझमे बसी है जान मेरी.

हम बेवफा होते तुझे इस दिल से भुला सकते थे
जहाँ से डरते होते तो अरमानो को जला सकते थे.

मोहब्बत्र में बेवफाई मिले सदमा ये कम नहीं होता
आकर वो बहार चली जाए किसे वो गम नहीं होता.

तेरा चेहरा फूलों की तरह खिलता मुस्कुराते ही रहे
तेरी ये जुल्फे बहारो की तरह सदा महकती ही रहे.

हमेशा की तरह तू भी सदा चहकती मुस्कुराती रहे
इस दिल को सदा चाहत के साथ राहत तू देती रहे।
**************

26.4.09

वो शमां भी जल उठेगी जब हर आशिक दीवाना होगा


मिली थी जब आँखे उनसे पलको का झुकना भी हुआ
लुटा लिया अपने आपको मुस्कुराना जब उनका हुआ

लहरे समुन्दर की नहीं है ये मेरे अश्को की गंगा है
प्यार नहीं मिला फिर भी इस सीने में यादें जिन्दा है

जिन्हें दिल से चाहा था उन्होंने दिया गमो का जहर
फिर भी दुआ करते है कि वे सदा मुस्कुरा कर जिए

मुझे तो प्यार नसीब नहीं उन्हें प्यार जीवन भर मिले
प्यार में जो वादा करके भी वो निभा नहीं सकते है

ऐसे कैसे है वो लोग वादा करके भी मोहब्बत करते है
वो खुद हंसते है और यार लोग दिल से आहें भरते है

तेरी फरामोशी का जिक्र दिल से सारा जमाना करेगा
वो शमां भी जल उठेगी जब हर आशिक दीवाना होगा
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20.4.09

स्वर्ग लोक इस धरती पर है ऊपर या और अन्यत्र नहीं

स्वर्ग लोक इस धरती पर है ऊपर या और अन्यत्र नहीं
उसको तुम यही तलाश करो.. जाओ न ढूँढने और कहीं.

तुम अपने पुरुषार्थ प्रयत्नों से कर दो उसका निर्माण यहाँ
यह आशा का सन्देश तुम्हे इस भू मंडल पर फैलाना है.

चिंताएँ तजकर लाभ- हानि सब में प्रसन्न रहना सीखो
दुःख व्यथा विघ्न बाधा संकट सबको हँसकर सहना सीखो.

ईर्षा ,द्वेष को छोड़ कर प्रेम की धारा में तुम बहना सीखो
रोने - धोने को छोड़ सदा तुम मधुर संगीत गाना सीखो।
00000000

17.4.09

नए ब्लागों और ब्लॉग जगत के नए हस्ताक्षरों का परिचय पर चर्चा

शुरुआत में ब्लॉगर भारी जद्दोजहद और भारी मसक्कत कर अपना ब्लॉग बनाता है और उसकी पहली ख्वाहिश होती है की वह पहली रचना अच्छी से अच्छी अपने ब्लॉग में लिखें. प्रथम पोस्ट लिखने के बाद अन्य ब्लागर्स की अच्छी या बुरी प्रतिक्रिया का उसे बेसब्री से इंतजार रहता है . ब्लागर्स को अपनी पोस्ट के सन्दर्भ में यदि अच्छी प्रतिक्रियाएँ प्राप्त होती है तो निसंदेह ब्लॉगर के मानसिक मनोबल में वृद्धि होती है और पोस्ट लिखने के लिए रूचि लेना शुरू कर देता है . सभी को मालूम है कि हिंदी ब्लॉग जगत अभी शैशव अवस्था में है इसीलिए हिंदी भाषा के विश्व में प्रचार प्रसार हेतु नए हिंदी ब्लागरो की हौसला अफजाई करना चाहिए. नए कवि लेखक और साहित्यकार और सामान्य जनों के नए हिंदी ब्लॉग हिंदी चिठ्ठा जगत में प्रवेश कर रहे है. आइये इन नव हिंदी ब्लागरो को जिन्होंने हाल में ब्लॉग जगत में दस्तक दी है . उनके नए चिठ्ठो को पढिये और उनका उत्साहवर्धन करिए. नए चिठ्ठाकारो के बारे में चर्चा प्रस्तुत कर रहा हूँ.


खबरें ....सुबह उठने के बाद, शाम को सोने के पहले टीवी की रिमोट ख़बरों की तलाश करती है.. देश में क्या हुआ, फलाने नेता ने क्या कहा, पे कमीशन लागू हुआ कि नही, किसकी सरकार बनेगी, अर्थव्यवस्था कब सुधरेगी, मंदी में कितनो की नौकरी गई... और भी ना जाने कैसी कैसी खबरें...
पर इन सब से अलग आप पाते हैं, ख़बरों में भूत-प्रेत, चीखता चिल्लाता एंकर, तालिबान-पाकिस्तान की खबरें
भारत के गाँव, भूखों मरता किसान सभी ख़बरों से बाहर....
खेल टीआरपी का ...
लेगा इन सारे खबरी लालो की ख़बर....ख़बरदार.

प्रेम लक्ष्य मेरा था, मधुरस से भरा सवेरा था,
प्यार को अपने पाना था, या फ़िर ख़ुद मिट जाना था,
बच्चों-सी हँसी अनोखी थी, मोहिनी मूरत सलोनी थी,
अप्सरा थी या परी थी,मेरी मस्तिस्क की ही पर जनी थी,
प्रेम तेरे कितने रंग......प्रेम , प्रेम और बस प्रेम ....

रहते हैं वो किसी के ख्यालों में पर कहते हैं मुझे किसी की याद नही,
भेजते हैं किसी को संदेश पर कहते हैं कोई ख़ास नही,
पूछते हैं हाल उनका सबसे और कहते हैं कोई वैसी बात नही,
बताता हूँ उन्हे ये प्यार है जनाब, तो कहते हैं,
किसी से बयाँ हो जाए, प्यार इतना सस्ता ज़ज्बात नही
नया हिंदी ब्लॉग अर्ज किया है कलमकार अंकुश अगरवाल जी


तेरे आँचल की खूश्बू में थोडी थोडी धूप घुली हैं
आँचल में एक टुकडा मेरा तेरे अंतस का पारस पत्थर
बारिश में जब तुम भीगी ,बारिश रूककर देख रही थी
भीग गयी थी वो भी जालीम तेरे सावन -भादों में.
प्रेमांचल आदित्य जी का नया ब्लॉग


वीनस केशरी जी का नया ब्लॉग बटोरन


क्या समझा है पाकिस्तां ने , मेरी भारत माता को
भूल गया है बिकल कटक ये माँ बेटे के नाता को
रामचरित में ठीक लिखा है , महामुनि तुलसी जी ने
ये भारत माँ के सपूत थे, जिनको जाया हुलसी ने
महाकाव्य में लिखा है, उनने ऐसा कलयुग आएगा
माँ को गाली पिता को लाठी, बेटा खूब लगायेगा
रवि शंकर शर्मा जी का नया ब्लॉग पोएम्स.........पहली ही पोस्ट में दुश्मन को ललकार रहे जी आगे और भी ललकारे पढ़ने मिलेगी . नए चिठ्ठे का स्वागत ताली बजाकर कर रहा है.

नया चिठ्ठा नया जोश में बराक ओबामा अरविन्द जी नए हिंदी चिठ्ठाकार

स्वागत है आपका हिंदी चिठ्ठा जगत में निरंतर लिखते रहिये हम सभी की शुभकामना आपके साथ हमेशा रहेगी .
अल्फाज़ पल्लवी त्रिवेदी जी का नया ब्लॉग पहली पोस्ट रचना त्रिवेणी बहुत ही रोचक और सरल शब्दों में लिखी गई है . आशा है इस ब्लॉग में अच्छी रचनाये पढ़ने मिलेगी .पल्लवी त्रिवेदी जी वैसे नै ब्लॉगर नहीं है उनके और भी ब्लॉग है . सभी उनके नाम से परिचित है .

शीला जी का नया हिंदी ब्लॉग "मेरी कविताएं" पहली पोस्ट में गर्मियो का एहसास करा दिया उफ़ ये गर्मी ...
हिंदी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है . आप हिंदी के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से निरंतर लिखती रहिये . सभी ब्लागरो की शुभकामनाये आपके साथ है.


ब्रिटिश मलबार के पूर्वी छोर पर स्थित तालुकों में से एक है कोट्टयम। इसी कोट्टयम तालुके में कोट्टयम के राजवंश का निवास है। चूंकि इस वंश के सभी स्त्री-पुरुष सदा विद्याव्यसनी रहे हैं, इस वंश में सभी लोग विद्वान हुआ करते थे। फिर भी एक समय अपवादस्वरूप एक मंदबुद्धि राजकुमार इस वंश में पैदा हुआ। इसी राजकुमार के संबंध में कुछ बताना हमारा यहां अभीष्ट है
नया हिंदी ब्लॉग "केरल पुराण" बालसुब्रमण्यम जी इसके कलमकार है . उम्मीद है कि यह ब्लॉग भविष्य में क्षेत्रीय एतिहासिक जानकारी के अलावा अच्छी पोस्ट प्रस्तुत करेगा . इस नए ब्लॉग का भी स्वागत है और निरंतर अग्रसर हो ...शुभकामनाये ....

14.4.09

व्यंग्य कविता - आधुनिक नेता और जनता जनार्दन


आजकल राजनीति एक रैलगाडी बन गई है
जिसका आने- जाने का टाइम टेबल तो है

टाइम टेबल तो.. सिर्फ दिखावे के लिए है
हक़ीकत मे.. रेलगाड़ी घंटो लेट आ रही है

इसी तरह.... राजनीति मे रोज़ राजनेता
जनता जनार्दन को.......मूर्ख बनाते है

नित .नए - नए सब्ज़ बाग़ दिखा रहे है
गर चुनाव मे जीत गए... समझा रहे है

तो ये करवा देंगे तो..... वो करवा देंगे
तो ये दिलवा देंगे तो.... वो दिलवा देंगे

चुनाव जीतने के बाद ...राजनेता फिर से
राजनीति की..गाड़ी के ड्राईवर बन जाते है

देश मे यहा वहां नाचते गाते मौज मनाते है
अगले चुनावो तक क्षेत्र से..ग़ायब रहते है

चुनाव आते ही नकली मुखैटा चेहरे पर लगाकर
जनता को चराने धोखा देने हाज़िर हो जाते है.

लेखक- एक अनाम लेखक (नाम नहीं मालूम)

12.4.09

व्यंग्य - गरम हथौडे पर नेता और पत्रकार जी


एक नेताजी अभी हाल मे ही लोकसभा का चुनाव हार गये थे पर फिर भी चेहरे क़ी मुस्कान मे कोई भी कमी नही आई थी . उस पराजित हारे हुए नेता के चेहरे पे हरदम मुस्कान टपकती ही रहती थी . नेताजी घर से बाहर निकले ही थे कि रास्ते मे वे एक पत्रकार से टकरा गये . भाई पत्रकार तो पत्रकार फिर उपर से था पक्का मुँह फट....देखते ही देखते वह फौरन दौड़कर नेताजी का इंटरव्यू लेने पहुँच गया.

पत्रकार- नेताजी आप चुनाव हार चुके है फिर भी आप सरकारी बंगला ख़ाली नही कर रहे है और निगम के अध्यक्ष का पद भी नही छोड़ रहे है भाई नैतिकता का ख़्याल रखो ? आप ग़ैर क़ानूनी रूप से सरकारी बंगला पर अवैध क़ब्ज़ा कर रहे है ?

नेताजी पान थूकते हुए बोले - देखो भाई ये वैध और अवैध क्या है मुझे नही मालूम और हम इनके पचडे मे नही पड़ते है और जब भी मेरी आलोचना हुई है तो भाई जनता ने भारी वोट देकर बहुमत से मुझे चुना है और सदन में मुझे भेजा है. मैंने हमेशा कहा है कि मेरा फ़ैसला जनता की अदालत करेगी और जबाब देने वाला मै कौन होता हूँ बेहतर होगा इसका उत्तर आप जनता से ही मांगे तो बेहतर होगा जी. आज आप पद छोड़ने कह रहे है और बांग्ला ख़ाली करने कह रहे है कल आप लोग मुझसे क्षेत्र छोड़ने को कह सकते है.

पत्रकार- अब आप भूतपूर्व हो चुके है ?

नेताजी- मै स्वयं को भूतपूर्व नही बल्कि अभूतपूर्व मानता हूँ मै एक बार हार गया हूँ तो क्या हुआ फिर से चुनकर आ जाएगे तब मुझे ऐसा सुख सुविधाओ वाला बंगला फिर से कहाँ से मिलेगा . जो चीज़ मिल गई है तो उसे मै ज़िंदगी भर नही छोड़ता हूँ फिर भाई जी ज़िंदगी भर सत्ता की दलाली करने और रहने के लिए दिल्ली मे भी तो कोई जगह होना चाहिए कि नहीं. अब तुम खुदई विचार करो जी और सोचो.

पत्रकार- आप क्या कह रहे है कुछ चिंतन करिए कि आप क्या सही है ?

नेता- भाई जी मेरा चिंतन व्यापक है. जनसेवा के प्रति समर्पित नेता का चिंतन समाज हितैषी दार्शनिक प्रवृती का हो जाता है उसका व्यक्तित्व और कृतित्व व्यापक हो जाता है कि ये बंगला,सरकारी कारे उसके लिए कुछ भी नही न के बराबर हो जाता है और फिर नेता आदमी जनसेवा का हिसाब रखेगा क़ि नही क़ि इन सरकारी बंगले का हिसाब रखेगा क्या जनसेवा इसीलिए क़ी जाती है.

पत्रकार ने नेता जी क़ी सुनकर अपना सिर फोड़ लिया..और वहां से भाग खडा हुआ.

sabhaar- aanaam rachanakaar.

11.4.09

मुस्कुरा कर इस दिल पे वे जख्म देते है

वफ़ा की खुशबू हर रह गुजर से आती है
वफ़ा की खुशबू यारा कजां से भी आती है.

हम साथी संगदिल..मुझे बेवफा कहते है
वफ़ा की खुशबू उनके लबों से आती है.

उनके प्यार में रुसवा होता जा रहा हूँ
मै अश्को से वफ़ा के दाग मिटा रहा हूँ.

अफसाना उनके प्यार का दिल से देखो
उनका सटीक निशाना इस दिल पे देखो.

मुस्कुरा कर इस दिल पे वे जख्म देते है
दिल के करीब आने का ये बहाना देखो.

दिल टूटता है तो आहट भी नहीं होती है
रिश्ता जान का दिल से दूर हो जाता है.

अपना जो राहे वफ़ा में हमसफ़र होता है
अक्सर वही करीब होकर दूर हो जाता है.
*********

10.4.09

भक्तो अब सचित्र जूता पुराण


भक्तो अब सचित्र जूता पुराण


यदि ऐसा दिखा दिया तो सब धुल जायेगी जी

जूते का भूत


हमारा निशान जूता है महान अब रोज जलती रहे जूते की मशाल

अब तो राजकपूर की तरह कंधे पर प्रिय जूते रखकर चलने का ज़माना आ गया है न जाने कब चलाने पड़े जी .

देखो फोटो तो उतार लो मगर भाई जूता न चलाना जी

जूतों की बौछारों के बीच जूते जब पड़ते है तो लोग डिस्को भांगरा कत्थक और राई डांस करने लगते है .

जब से विदेश और देश में जूते चले तब से जूतों की दुकानों में भीड़ बढ़ गई है .

अब जमाना जूते का - जूता बिग्रेड और जूता पार्टी बनाओ और जूता सम्मेलन करो

जूते है अब बड़े काम की चीज जितना बड़ा जूता उतनी बड़ी इसकी मार

अब जमाना जूते का - जूता बिग्रेड और जूता पार्टी बनाओ और जूता सम्मेलन करो

मेरे पापा कहते है की बेटा जूते की हिफाजत अभी से करना शुरू कर दो बड़े होने पे बहुत काम आएंगे हा हा

जूते मेरे अनमोल रतन अब जूते जेवर भी पहिनने लगे है . इन्हें सजा कर रखना पसंद करते है लोग बाग़

खूब गए जूते पहिन पहिन कर मीटिंग में नंगे पैर जाओ मेरे यार . जूता प्रतिबंधित है .


देखिये मेरी लोकप्रयता बढ़ गई है अब जूते के खिलौने में बच्चे खूब रूचि दिखाते है . देखिये इन खिलौने की फोटो

8.4.09

एक ब्लॉगर मीट : प्रमेन्द्र प्रताप सिंह (महाशक्ति) से जबलपुर प्रवास के दौरान

दिनाक ४ अप्रेल को इलाहाबाद से भाई प्रमेन्द्र प्रताप सिंह (महाशक्ति) ने मोबाइल से जानकारी दी कि मै दिनाक 5 अप्रेल को जबलपुर पहुँच रहा हूँ . दिनाक ५ अप्रेल को प्रमेन्द्र जी का मुझे फोन मिला कि मै जबलपुर पहुँच गया हूँ . चूंकि ६ अप्रेल को समीर लाल जी की पुस्तक "बिखरे मोती" का जबलपुर में अंतरिम विमोचन किया जाना था तो वही मुलाकत करने का निश्चय किया . सुबह प्रमेन्द्र प्रताप सिंह का फोन मिला और उन्होंने मुझसे पुछा कि आप कहाँ पर है और मै क्या आपसे मुलाकात कर सकता हूँ तो मैंने उन्हें सहज भाव से घर पर आने का निमंत्रण दे दिया.



प्रमेन्द्र प्रताप सिंह अपने शहर के निवासी ताराचंद जी (जो बर्तमान में हरिभूमि समाचार पत्र जबलपुर में कार्यरत है) के साथ मेरे निवास स्थान पर ठीक १२ बजे पहुँच गए . ब्लागिंग के सन्दर्भ में और वरिष्ठ ब्लागरो के बारे में काफी समय तक हम दोनों एक दूसरे से बातचीत करते रहे . उन्होंने बताया कि इलाहाबाद में उनके घर के समीप ज्ञान जी (मानसिक हलचल) का निवास स्थान है . उनसे काफी देर तक महाशक्ति ब्लॉग और उससे जुड़े ब्लॉगर नीशूजी (बर्तमान में दिल्ली में} और ताराचंद और अन्य जुड़े सहयोगी ब्लागरो के सम्बन्ध में चर्चा होती रही और यह भी विचार किया कि सार्थक ब्लागिंग हो और हम इसमें क्या सहयोग कर सकते है आदि आदि बातो पर हमने विचार किया . करीब पॉँच घंटे कब गुजर गए पता ही नहीं चला .

उसी दिन समीर जी पुस्तक बिखरे मोती के अंतरिम विमोचन के अवसर पर प्रेमेन्द्र प्रताप जी से फिर रात्री में दूसरी मुलाकात हुई . प्रेमेन्द्र जी सात तारीख को दर्शनीय भेडाघाट प्रपात देखने गए और उन्होंने भेडाघाट प्रपात की जमकर तारीफ की और यहाँ के ब्लागरो की उन्होंने जमकर तारीफ भी की . उन्हें जबलपुर शहर और यहाँ के निवासियो का व्यवहार बहुत ही पसंद आया है और फिर से जबलपुर आने का वादा भी किया है . प्रेमेन्द्र जी निहायत व्यवहार कुशल संस्कारवान उत्साही ब्लॉगर है और ब्लागिंग के क्षेत्र में कुछ नया कर गुजरना चाहते है और बेहद उर्जावान नवयुवक है . उनसे पहली बार मुलाकात कर मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि मै किसी सुपरिचित से मुलाकात कर रहा हूँ . यह सच है कि ब्लागिंग के माध्यम से आपस में भाई चारा और सम्बन्ध स्थापित होते है.

3.4.09

जख्मो के फूल दिल की चादर पर बिछे है

जख्मो के फूल दिल की चादर पर बिछे है
ये तोहफे तुझसे मैंने मोहब्बत कर पाए है.

उनकी यादो का नशा दो चार दिन रहेगा
जब दिल से उतरेगा कोई दीवाना न होगा.

अब दुश्मनों से नहीं अब दोस्तों से गिला है
जो मिला था दोस्तों ने खंजर चला छीना है.

तेरी यादो के उजाले अब तेरे आलम में होंगे
तेरी बेवफाई के किस्से अब हर चर्चे में होंगे.

31.3.09

चलना सिखा दिया.... गलना सिखा दिया है

चलना सिखा दिया गलना सिखा दिया है
घनघोर आंधियो में जलना सिखा दिया है

हमें मिला है अपने श्रद्धेय गुरुदेव का बल
माँ ने हमें दिया है अपना पुनीत आंचल

सुख दुःख है यहाँ मैदान और दल दल
संसार एक पथ है जिसमे न फूल केवल

काँटों भरी डगर पे चलना सिखा दिया है
फूलो की सेज के इच्छुक है सभी यहाँ

लेकिन प्रकाश के कण दिखते नहीं कही पर
तम की महानिशा में चलना सिखा दिया है

यहाँ साधन भरे पड़े है पर साधना नहीं है
भगवान तो वही है पर यहाँ साधना नहीं है

चलना सिखा दिया गलना सिखा दिया है
अपनी उपासना को फलना सिखा दिया है

साभार-युग निर्माण योजना से रचना.
जय गुरुदेव

29.3.09

27.3.09 को प्रकाशित व्यंग्य - ब्लॉगर बंधु भाई भाई पर हकीकत क्या है यह भी जान ले.


ब्लागिंग जगत में अपने चिकना ब्लॉगर और वैशाखी नाम के दो ब्लॉगर थे जो सारी दुनिया में ब्लागर शिरोमणि बनना चाहते थे . दोनों को अपनी लेखनी पर भंयकर नाज था इसके लिए उन्होंने बड्डे ब्लॉगर और छोटा हाथी नामक ब्लागरो के भगवानो की जमकर पूजा की जिससे दोनों ब्लागरो के भगवान प्रसन्न हो गए और बोले तुम्हे क्या वर चाहिए तो तपाक से वैशाखी ब्लॉगर बोला भगवान आप तो मुझे ब्लॉगर शिरोमणि बनवा दे मै जो लिखू और कहूँ वह स्वयं सिद्ध हो जाये मै जो कहूं वही हो . मै जिसको ब्लॉगर कहूं वह ब्लॉगर माना जाये और जिसको न कहूं वह ब्लॉगर न माना जाये. ब्लॉगर भगवानो ने तथास्तु कहा और उन्होंने अपनी राह पकड़ ली.

यह पोस्ट व्यंग्य - ब्लॉगर बंधु भाई भाई दिनाक 27.3.09 को मेरे द्वारा लिखी गई . इस व्यंग्य पोस्ट में चिकना ब्लॉगर और वैशाखी" ब्लागर नाम काल्पनिक दिए गए गए . ब्लॉगर जगत में वैशाखी नाम का कोई ब्लॉगर नहीं है और न ही वैशाखी व्यक्तिगत नाम है . एक भाई वरिष्ठ ब्लॉगर जबलपुर के गिरीश बिल्लौरे जी द्वारा दिनाक २८.०३.09 को साथ मेरी इस पोस्ट की लिंक के साथ अपनी शारीरिक स्थिति बाबत एक फोटो लगाकर सभी ब्लॉगर भाइओ को एक मेल किया गया है जिसमे कहा गया है कि उन्हें लेकर मेरी पोस्ट लिखी गई है और उन्हें मैंने विकलाग बताया है .

यह मेल श्री गिरीश बिल्लौरे जी द्वारा कई ब्लॉगर भाइओ को प्रेषित किया गया है.

ज़रूरी है की सबको बता दूं कि.........सटायर के बहाने गन्दगी ....?इनबॉक्सX

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विवरण दिखाएँ मार्च २८ (1 दिन पहले) उत्तर दें

व्यंग्य - ब्लॉगर बंधु भाई भाई

का नारा देता यह आलेख कितना मानव अधिकारों का
हनन कर रहा है इसका निर्णय आप सुधिजन ज़रूर करेंगें मुझे यकीन
हैं. जिस ब्लॉग पर किसी की शारीरिक निर्योग्यता का उल्लेख होता है
उसे क्या कहा जाए . आप इस ब्लाग से कितने भी सहमत हों मुझे पीडा
है की इस तरह की पोस्ट आ रहीं हैं जो मानसिक पागलपन की नज़ीर है
कोई मेरे लेखन के बारे में सब कुछ कहे घोर असहमति व्यक्त करे कोई
आपत्ति नहीं क्योंकि "रचना-धर्म" इन्हीं कसौटियों पर कसा जाता है
किन्तु शारीरिक संरचना पर गलीच बातें करना ईश्वरीय सत्ता को
अपमानित करना है
उस पर बंद आँखों से सहमति भी गलत है
ब्लॉगर बंधुओ/बहनों
आप इस ब्लॉग को पढिये और मेरी फोटो देखिए
सब साफ़ हो जाएगा फिर यदि आप मुझे लानतें भेजना चाहतें है ज़रूर भेजिए
इस पत्र के लिए .
सादर शुभकामनाओं के साथ
मैंने गिरीश बिल्लौरे जी नाम भी नहीं लिखा है और उनका नाम भी वैशाखी नहीं है . उनका कहना सरासर गलत है कि उन्हें ही विकलाग बताया जा रहा है जबकि उनका इस पोस्ट में मैंने कही भी जिक्र नहीं किया है . बेहद अफसोसजनक है . दुनिया में और भी ब्लॉगर विकलांग हो सकते है . यदि उनका नाम मै पोस्ट में देता तो मै जबाबदार होता परन्तु यहाँ उनका नाम भी नहीं है जबरन हंगामा कर रहे है और मुझे उल्टा बदनाम करने की कोशिश कर रहे है . आप सभी उनका मेल और मेरी पोस्ट देखे उसमे उनका नाम तक नहीं है फिर क्यों अनावश्यक विवाद कर रहे है यह मेरी समझ से परे है . आप सभी मेरी उक्त पोस्ट का अवलोकन करें और देखे की मै सही हूँ या गलत .

चिठ्ठाचर्चा ने भी इसमें नमक डालकर इस मामले को उठाने में कोई कसर नहीं रखी है . जो चिठ्ठा चर्चा की गई है उसमे हम दोनों शहर के ब्लागरो को समझाईस दी गई है या शहर का मजाक उडाने की कोशिश की गई है जो एक वरिष्ठ ब्लॉगर को शोभा नहीं देता है कि किसी मामले को टूल देना शायद मजाक करना उनकी आदत है . मैंने यदि कुछ व्यंग्य लिखने की कोशिश की तो उक्त ब्लॉगर ने मेरे शहर के व्यंगकार हरिसंकर परसाई जी का नाम लिया और अपनी पोस्ट में लिखा कि वह व्यंग्यकार बन रहा है दुनिया को व्यंग्य सिखा रहा है जबकि मै कोई व्यंगकार नहीं हूँ .

इस प्रकार जो भद्दे आक्षेप लगाकर बदनाम किया गया उससे मै आहत हुआ हूँ . मेरी समझ में नहीं आता है कि मेल में यदि कोई फोटो और लिंक लगा दे और कहे यह मेरे लिए लिखी गई पोस्ट है जबकि उसका नाम तक नहीं दिया गया है यह वेबजह जबरन सींग लड़ाने वाली बात है . आप स्वयम मेरी पोस्ट का अवलोकन करे कि कौन गलत और कौन सही है . जबरन चरित्र हनन करना कहाँ तक उचित है.

नर्मदे हर हर हर महादेव

27.3.09

व्यंग्य - ब्लॉगर बंधु भाई भाई

ब्लागिंग जगत में अपने चिकना ब्लॉगर और वैशाखी नाम के दो ब्लॉगर थे जो सारी दुनिया में ब्लागर शिरोमणि बनना चाहते थे . दोनों को अपनी लेखनी पर भंयकर नाज था इसके लिए उन्होंने बड्डे ब्लॉगर और छोटा हाथी नामक ब्लागरो के भगवानो की जमकर पूजा की जिससे दोनों ब्लागरो के भगवान प्रसन्न हो गए और बोले तुम्हे क्या वर चाहिए तो तपाक से वैशाखी ब्लॉगर बोला भगवान आप तो मुझे ब्लॉगर शिरोमणि बनवा दे मै जो लिखू और कहूँ वह स्वयं सिद्ध हो जाये मै जो कहूं वही हो . मै जिसको ब्लॉगर कहूं वह ब्लॉगर माना जाये और जिसको न कहूं वह ब्लॉगर न माना जाये. ब्लॉगर भगवानो ने तथास्तु कहा और उन्होंने अपनी राह पकड़ ली.



वैशाखी ब्लॉगर

चिकना ब्लॉगर और वैशाखी ब्लॉगर के भावः बढ़ गए और उनका घमंड सांतवे आसमान पे चढ़ गया. अब दोनों ने एलान किया कि निम्नाकित ब्लॉगर सिर्फ मेरे कस्बे के है और जो अनजाने इस कस्बे में है वो ब्लॉगर नहीं है. आखिरकार बात ब्लागरो के भगवानो तक पहुँच गई और ब्लॉगर भगवान को भी लगने लगा कि दोनों की अक्ल को ठिकाने लगा देना चाहिए वरना ये अपने लिए भविष्य में खतरे की घटी बजवा देंगे.

भगवान ने दोनों ब्लागरो को सलाह दी भाई तुम दोनों कलम बहुत अच्छी चलाते हो तुम्हे अपनी कलम की ताकत का घमंड है. तुम दोनों में श्रेष्ट कौन है इसका फैसला होना जरुरी हो गया है. तुम दोनों अपनी अपनी कलमो में स्याही भरा लो और फैसला करने के लिए अखाडे चलो . दोनों ब्लागर कलम लेकर अखाडे पहुँच गए और लगे और लगे आपस में कलम भांजना शुरू कर दिया. कलम भांजते भांजते दोनों आपस में लड़ पड़े . चिकना ब्लॉगर और वैशाखी ब्लॉगर को इससे कोई फायदा नहीं पहुंचा और आखिरकार और दोनों शक्तिहीन हो गए और कही के न रह गए .. आजकल किसी की बखिया उखाड़ने में और उसको नीचा करने की कोशिश में लगे रहते है और अपने आपको अच्छा साबित करने की कोशिश में है पर वे नहीं जानते है जो दूसरो के लिए गड्डा खोदता है पहले वह ही उसी में गिर जाता है.

सीख- कि कभी ख्याली पुलाव मत पकाओ . किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए सतत खुद मेहनत करना चाहिए. कभी किसी की निंदा न करे अगर करे तो खुलकर करे.


व्यंग्य-
महेंद्र मिश्र
जबलपुर.

रिमार्क - यदि कोई व्यंग्य आलेख लिखा जाता है तो उसका अर्थ अनर्थ न निकाला जाये यही मेरी आप सभी से प्रार्थना है सिर्फ पढ़कर ही एन्जॉय करे जिससे मेरा भी लिखने का हौसला बना रहे . व्यंग्य तभी लिखे जा सकते है खुद को उस व्यंग्य पार्ट का पात्र बना लिया जाये तभी वह रोचक हो सकता है. व्यंग्य तो व्यंग्य होते है व्यंग्य को व्यंग्य समझकर महज कृप्या अपने ऊपर न लें ..

23.3.09

कागज़ के फूल भीनी खुशबू दे नहीं सकते है

कागज़ के फूल भीनी खुशबू दे नहीं सकते है
बनावटी चाहत सच्चा प्यार दे नहीं सकती है.

उनको कोशिशे कर हम.... भुलाए जा रहे है
भुलाने की चाह में वे अब और याद आ रहे है.

जिसको हीरा समझ.. दिल से तराशना चाहा
देखिये तकदीर उसकी वह पत्थर निकल गया.

20.3.09

व्यंग्य - हमारे गुरूजी ब्लॉगर चुनावों के अखाडे में

हमारे गुरूजी ब्लॉगर उर्फ़ बड्डे बड़े परेशान दिख रहे थे और परेशानी में अपनी चिकनी खोपडी बार बार खुजा रहे थे . मैंने उन्हें परेशान देखकर उनसे कहा काय बड्डे बड़े परेशान दिख रहे है आप ?

आखिर बार बार आप अपनी चिकनी खोपडी और भारी भरकम तौंद क्यों खुजा रहे है मुझे मालूम है कि जब बड्डे आप परेशान रहते है तो चिकनी खोपडी जरुर खुजाते है गुरुदेव .

गुरुदेव को बस बोलने का मौका मिल गया इसीलिए कि जैसे डूबते तिनके एक सहारा मिल गया हो . अपना गला खखार कर बोले - परेशान क्यों न हूँ . ब्लॉग लिखते लिखते सर के बाल सफ़ेद हो गए है पर कमाई का नाम ही नहीं है आज तक एक धिलिया और एक कौडी तक नसीब नहीं हुई है . कमाई न होते देख ताऊ की मिस रामप्यारी भी आयेदिन ताना देती रहती है कि जबरन अपनी उंगलियाँ तोडत रहत है . सुनकर भाई मुझे अपनी तौंद और चिकनी खोपडी खुजाना ही पड़ती है .

आगे गुरुदेव ब्लॉगर बोले - आज सुबह सुबह अखबार में पढ़ा कि अब देश के बड़े बड़े नेतालोग अपने प्रचार प्रसार के लिए अपने अपने ब्लॉग बनाने में जुट गए है सो मुझे इस काम में उम्मीद की नई रोशनी दिखाई दे रही है कि कमाई का एक खासा नुस्खा हाथ लग गया है सो मैंने अपने चमचो से कह दिया है कि भाई तुम लोग नेता लोगन को पकड़ के लाओ और उनसे कहो की हमारे गुरूजी ब्लॉगर को ब्लॉग बनाने में महारत हासिल है . हमारे गुरुदेव ब्लॉगर मिनटों में नेता जी का ब्लॉग बना देंगे .

फिर बड्डे गंभीर स्वरों में मुझसे बोले कि देखो छोटे कमाई करना है तो जल्दी जल्दी नेता लोगन को पकड़ कई लाओ तबही नोट बरसेंगे . आज ही अखबार में पढ़ा है वाणी जी लल्लू जी पटनायक जी ने अपने अपने ब्लॉग बना लिए है और ब्लॉग के माध्यम से अपने प्रचार प्रसार के लिए जुट गए है और वर्ल्ड लेबल पर प्रचार कर रहे है क्योकि उन्हें मालूम है कि ब्लॉग लोकप्रियता पाने का सबसे अच्छा तरीका है और उन्हें इसका फायदा चुनाव के बाद मिलेगा .

यह सुनते ही मेरी रगों में खून का प्रवाह तेज हो गया और मुझसे रहा नहीं गया मैंने गुरुदेव से तत्काल कह दिया साहब देश में सांसदों के चुनाव हो रहे है और नेता लोग ब्लॉग में विश्व स्तर पर अपने विचार सबके सामने रखेंगे . सरे देशो के लोग उनके विचार पढेंगे . पर नेता लोगन को वोट तो उनके क्षेत्र इलाके से ही मिलेंगे कि विश्व स्तर पर कई देशो से उन्हें इस चुनाव में वोट मिलेंगे यह सोचने की बात है .. ब्लॉग बनाकर नेतालोग बाहर ही प्रचार करते रह जायेंगे अपने क्षेत्र में प्रचार प्रसार क्या ख़ाक कर पाएंगे और घंटा वोट मिलेंगे ... और ब्लॉग के चक्कर में चुनावों में कही नेता लोगन की लुटिया न डूब जाए . ऐसे में गुरदेव नेता लोगन के ब्लॉग बनाने और कमाई करने का चक्कर छोडो क्योकि मुझे मालूम है कि नेता लोगन के ब्लागों का भविष्य अंधकारमय है .

यह सुनते ही गुरु ब्लॉगर आग बबूला हो गए और उन्होंने आज मुझे जर्मन मेड ताऊ का लट्ठ लेकर खदेड़ना चाहा कि मैंने फौरन ही दौड़कर अपनी गली पकड़ ली .

व्यंग्य-
महेंद्र मिश्र
जबलपुर.

रिमार्क - यदि कोई व्यंग्य आलेख लिखा जाता है तो उसका उल जुलूल अर्थ अनर्थ न निकाला जाये यही मेरी आप सभी से प्रार्थना है सिर्फ पढ़कर ही एन्जॉय करे जिससे मेरा भी लिखने का हौसला बना रहे . व्यंग्य तभी लिखे जा सकते है जब खुद को उस व्यंग्य पार्ट का पात्र बना लिया जाये तभी वह रोचक हो सकता है .

19.3.09

व्यंग्य - नामचीन ब्लॉगर के चमचे की डायरी (ब्लॉग)


भाई मै हूँ एक नामचीन ब्लागर्स का चमचा और उनकी प्रशंसा में अपनी डायरी लिखता हूँ जिसका मुझे बहुत ही फायदा होता है कि मेरी डायरी में टिप्पणियों का ढेर लग जाता है. मै उनको कभी वाह गुरु, तुम्हारा गुरु जबाब नहीं और तुमसे बढ़कर कौन आदि आदि लिखकर संबोधित करता हूँ . हमारे गुरु आज सुबह सुबह नेट पर दिखे तो थे पर उन्होंने बहुत जल्दी गुड नाईट कर ली उसका कारण था हमारे गुरु ने कल रात डिनर में काफी खा पी लिया था जिससे उनको बदहजमी हो गई है इसीलिए उन्होंने आज जल्दी से गुड नाईट कर ली.

गुरूजी के कारण मेरी ब्लॉग जगत में रेटिंग बढ़ गई है. हमारे नामचीन ब्लॉगर महोदय रात को घूमने निकलते है और मै उनके साथ एक थैले में खंम्बा (एक अद्धी) रखकर ले जाता हूँ फिर हम दोनों मस्ती कर शेरो शायरी करते है. रात की बात को मै अपनी डायरी में दिल से उकेर देता हूँ और अपने गुरु के सम्मान में खूब कसीदे पड़ता लिखता हूँ.

अपने गुरूजी ब्लॉगर बड़ी चालू चीज है दिन भर अपने घर में छोटे-मोटे ब्लागरो का जमघट लगाए रहते है और बड़े बड़े आश्वासन देते रहते है कि तुम मेरे सम्मान में कुछ करो कोई पार्टी वगैरा करो मुझे कोई प्रतीक चिन्ह शील्ड और दो और मेरी फोटुआ अपनी डायरी ब्लॉग में छाप दो जिससे मेरी बल्ले बल्ले हो . इन नामचीन ब्लागर को दारू और पार्टी बहुत पसंद है . डिनर में गुरूजी ने ब्लागिंग में खुद का आत्मकल्याण करने के मधुर मधुर तरीके बताये और उन तरीको को सुनकर मै निहाल हो गया .

गुरूजी ने मुझे ब्रम्हवाक्य दिया है कि लोककल्याण करने की बजाय ब्लागिंग में अपना आत्मकल्याण करने की सोचो मै भी आज उस ब्रम्ह वाक्य पर अमल कर रहा हूँ . आखिर मै भी अपने गुरु का चेला हूँ जो मुझे ब्लागिंग में नहीं आता था वह मैंने दूसरे ब्लागर साथी से सीखा बाद में मैंने उस ब्लॉगर को धता बता दिया और सीधे अपने गुरूजी से जुगत भिड़ा दी . आज मै अपने गुरूजी के बेहद करीब हूँ और ब्लागिंग जगत में अपना परचम फहरा रहा हूँ.

एक चीज और अपनी डायरी में लिख रहा हूँ कि हमारे गुरूजी ब्लॉगर बड़े झटकेबाज है कहते कुछ है करते कुछ और है . हमारे गुरूजी के ऊपर जहाँ बम वहां हम ..... वाली कहावत लागू होती है यानि कि जहाँ बम होगा वहां हमारे गुरूजी ब्लॉगर उपस्थित रहेंगे. हमारे गुरूजी के एक शिष्य ब्लॉगर है जो परमहंस से कम नहीं है. बड़े अज्ञानी ध्यानी है . सरकारी मद से अपनों के स्मृति आयोजन तक करा डालते है याने कि आड़ में झाड़ लगाने में उन्हें महारत हासिल है. किसी ब्लॉगर की बखिया उखाड़ना तो कोई उनसे सीखे और भी मेरे ब्लॉगर साथी है जो मेरे गुरु ब्लॉगर के पैदल पिद्दी सैनिक कहाते है जो हमेशा गुरूजी ब्लॉगर की हमेशा आरती उतारते रहते है.

बस आज का इतना ही मसाला मिला है जो मै अपनी ब्लॉग डायरी में लिख रहा हूँ बाकी बाते बाद में लिखूंगा गुरूजी के अगले करतब देखकर .....


व्यंग्य-आलेख
महेन्द्र मिश्र

रिमार्क- आगे देखिये अगला शीर्षक - हमारे गुरूजी ब्लॉगर चुनावों के अखाडे में

रिमार्क - यदि कोई व्यंग्य आलेख लिखा जाता है तो उसका उल जुलूल अर्थ अनर्थ न निकाला जाये यही मेरी आप सभी से प्रार्थना है सिर्फ पढ़कर ही एन्जॉय करे जिससे मेरा भी लिखने का हौसला बना रहे . व्यंग्य तभी लिखे जा सकते है जब खुद को उस व्यंग्य पार्ट का पात्र बना लिया जाये तभी वह रोचक हो सकता है .

17.3.09

जीवन सागर है डूबोगे मोती पाओगे

जीवन सागर है डूबोगे मोती पाओगे
बैठोगे तट पर बस सीट ही पाओगे

तैरोगे तेज धार में तीव्र गति पाओगे
लहर नाव बैठे मंजिल तक जाओगे

तुम हंस के माथे पर बिंदियाँ लगाओ
हरी चुनरिया से कविता को सजाओ.

जाओगे झोपडी में दर्द बाँट लाओगे
सूनी आँखों में ज्योति भर लाओगे.

शोषित को शोषण से दूर खींच लाओगे
पहुंचोगे सीमा पर जीवन फल पाओगे.

......

15.3.09

आरजू जिस नजर की थी मैंने वो नजर बदल गई है.

बदल गई है सारी दास्ताँ फर्क महज ये इतना ही है
बस दो कदम की दूरी है फिर भी मिलना कठिन है.

जब बदल गई शमां तो शमां फजल भी बदल गई है
आरजू जिस नजर की थी मैंने वो नजर बदल गई है.

जख्म अपनों से खाए जख्म खाना आदत हो गई है
आरजू जिस निगाह की थी वो निगाहें बदल गई है.

जो दाग मेरे माथे पर तूने जिस बेदर्दी से लगाया है
खुदा फिर भी उन्हें सलामत रखें यही मेरी दुआ है.

......

11.3.09

होली संध्या पर संकल्प ले : उठो समय आमंत्रण देता युग करता है आहवान

उठो समय आमंत्रण देता युग करता है........आहवान
नवल सृजन...का समय आ गया. लाओ नया बिहान
शांति मार्ग को रोके बैठा है.....अन्धकार और अज्ञान
बनकर ज्ञान सूर्य की किरणे छेडो.. तुम नव अभियान
छुआ-छूत का भूत भगाकर करो ...तुम देश का उद्धार.

भय कुरीतियों के जंगल में पनप नहीं पाते है....फूल
घ्यान बिना जीवन के सपने आज चाटते है.......धूल
ऊँच नीच की रची राखी हुई है.......छाती पर चट्टान
मानवता की फसलें चरता.. ...अंहकार और अभिमान
भेदभाव की जड़ काटो.......लेकर संकल्प शक्ति कुठार.

9.3.09

होली पर नजरो का जाम

जब पीने पिलाने की बात मयखाने में चली
दिल से याद आए बहुत तेरे होठो के जाम.

जिंदगी में यूं मैंने कभी भी पिया नहीं जाम
मयखाने में बैठकर शराब से नहीं हूँ बेखबर.

सुबह होते उसने शराब पीने से कर ली तौबा
उसने रात को अपने पीने की दास्तान सुनी.

आपस में जाम टकराकर जब पिया करते है
सबकी नजरो से छिपकर लोग पिया करते है

सब शराब में सोडा मिलाकर पिया करते है
मै बिना सोडा के तेरी नजरो से पी लेता हूँ

दोस्तों की महफ़िल में तू इतना न पिया कर
तुझे दोस्त उठाकर तेरे घर न छोड़ने न जाये

यारा जब से मैंने तेरी नजरो से जाम पिया है
तबसे मयखाने जाने का रास्ता भूल गया हूँ

उसने कुछ इस तरह से निगाहों से पिलाई है
खुद का चेहरा आईने में भी नहीं दिख रहा है

सुबह मैंने शराब न पीने की कसम खाई थी
जालिम कसम याद आई शाम को पीने के बाद

6.3.09

व्यंग्य - बरसाने की तर्ज पे द्वितीय लठ्ठमार प्रतियोगिता का आयोजन

प्रथम वर्ष की तरह इस वर्ष भी बरसाने की तर्ज पे द्वितीय लठ्ठमार प्रतियोगिता शहर में होलिका दहन की रात्रि १२ आयोजित की जा रही है. विगत वर्ष भी होली की रात्री १२ शास्त्री ब्रिज रेलवे लाइन पर आयोजित की गई थी. देश भर के विभिन्न क्षेत्रो के प्रतियोगियों ने इस लठ्ठमार प्रतियोगिता में उपस्थित होने हेतु अपनी सहमति लठ्ठमार प्रतियोगिता के आयोजक की दी थी. होली की रात्री में आयोजकगण एक ट्रक लट्ठ लिए सारी रात आयोजन स्थल पर ब्लॉगर प्रतियोगी मंडली का इंतजार करते रहे परन्तु खेद का विषय है कि कोई भी नहीं आया खैर "पिछली ताहि बिसारिये आगे की सुध लेय" की तर्ज पर फिरसे इस वर्ष बरसाने की तर्ज पे द्वितीय लठ्ठमार प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है.

आमंत्रण पत्र


प्रथम वर्ष की तरह इस वर्ष भी बरसाने की तर्ज पे द्वितीय लठ्ठमार प्रतियोगिता शहर में होलिका दहन की रात्रि १२ आयोजित की जा रही है जिसमे आपकी उपस्थिति दर्शक के रूप में नहीं लठ्ठमार प्रतियोगी के रूप में प्रार्थनीय है.

प्रतियोगिता के नियम और शर्ते


लठ्ठमार प्रतियोगिता में कुछ इस तरह के लट्ठ लेकर आना पडेगा.........

01. इस प्रतियोगिता में तेल पिला लट्ठ लेकर उपस्थित होना अनिवार्य है.

02. जो प्रतियोगी लट्ठ अपरिहार्य कारणों से लट्ठ लेकर नहीं आयेगा उसे कुछ शुल्क पर आयोजक मंडली पनागर के तेल पीले लट्ठ उपलब्ध कराएगी .

03. प्रतियोगी भगोरिया डांस करना पड़ेगा और आयोजक गण ढोल आदि की व्यवस्था प्रतियोगी के जेबखर्च पर करेंगे .

04. जिन प्रतियोगी को इस प्रतियोगिता में सर फूटने का डर हो तो वे हेलमेट पहिनकर या ढाल लेकर प्रतियोगिता में भाग ले सकते है .

05 प्रतियोगिता में सहभागी होने वाले प्रतियोगियों को आने जाने का रिक्शा रेल बस का भाडा आयोजक जानो द्वारा नहीं दिया जावेगा सिर्फ तमरहाई के भडुए उन्हें निशुल्क देने की व्यवस्था आयोजक द्वारा की जावेगा.

06. विजेता और उपविजेता घोषित करने का अधिकार सिर्फ महिला कंपनी को होगा और उनका अंतिम निर्णय सभी को मान्य करना होगा उनका निर्णय कोर्ट से बढ़कर होगा. कोई अपील दलील नहीं चलेगी.

07. हारे हुए प्रतियोगी को नियम के मुताबिक अपने जूते प्रतियोगिता स्थल पर छोड़ने होंगे जो विजेता को आयोजक गणों द्वारा उनकी माला बनाकर विजेता को पहनाई जायेगी और ब्लॉगर गणों द्वारा कोरी ताली बजाकर हर्ष व्यक्त किया जावेगा .

08. महिला दर्शक ब्लागर्स हा हा तू तू करने के लिए रंग गुलाल लेकर उपस्थित होंगी अन्यथा उन्हें प्रतियोगिता स्थल पर प्रवेश नहीं करने दिया जावेगा.

लठ्ठमार प्रतियोगिता कार्यक्रम स्थान- शास्त्री ब्रिज रेलवे लाइन के किनारे
तारिख- 10 मार्च 2009
समय- रात्री 12 से आपके आगमन तक.

आयोजकगण ( गुप्त है)

......

यह व्यंग्य मात्र हंसने हँसाने के ध्येय से लिखा गया है बुरा न मानो होली है . सभी ब्लॉगर भाई/बहिनों को होली पर्व की हार्दिक बधाई और ढेरो शुभकामना .. सात रंग आपके जीवन में सतरंग बिखेरे और खुशियो की बरसात करें.

महेन्द्र मिश्र

2.3.09

खुद की तकदीर अपने हाथो ही बनाना पड़ती है..

कोई लकीर न मिली कभी हमें खुशनसीबी की
खुद अपना हाथ हमने कई बार गौर से देखा है..

मै अक्सर तन्हाइओ में जाकर तुझे खोजता हूँ
कही मेरे हाथो की लकीरों में नाम तेरा होगा..

गर देखना है तेरा मुक़द्दर दहलीज के बाहर
तू खुद देख तकदीर खुले आसमाँ तले बसती है..

वो किस तरह कैसे मै क्या कहूं और क्या लिखूं
मेरी तकदीर न जाने कैसे कैसे खेल खेल गई है..

अजीज दोस्त भी नहीं रहते है तकदीर के भरोसे
खुद की तकदीर अपने हाथो ही बनाना पड़ती है..

गर आदमी की तकदीर आदमी के हाथो में होती
हर आदमी खुद को खुदा कहलवाना पसंद करता..

27.2.09

जबसे गई है वो तो यादो ने मेरा पीछा न छोडा

उनकी अब याद न दिलाओ ये मस्त बहारो
बस इस तड़फते दिल को न ज्यादा तडपाओ.

कभी तुम्हारी यादे आयेगी मेरे इस दिल में
इसी उम्मीद के सहारे मेरा दिल धड़क रहा है.

इस दिल को जब तेरी बहुत ही याद आती है
धड़कता है ये दिल अश्क आँखों से निकलते है.

मेरा पीछा जिंदगी भर उनकी छाया ने न छोडा
जबसे गई है वो तो यादो ने मेरा पीछा न छोडा.

जाते वक्त तुम मेरा संदेशा उन तक ले जाना
वो अभी तक नहीं भूले है और न मै भूला हूँ .

25.2.09

फिर इसमें मेरा दोष कहाँ है ?

ब्लॉग में दो तीन दिनों से कुछ लिखने का मन नहीं कर रहा था . विगत बीस दिनों के दौरान चड्डी बनियान और आरोप प्रत्यारोप से लबरेज खूब पोस्ट पढ़ी और कुछ नामचीन ब्लागरो के संस्मरण पढ़े . एक ब्लाक्स के कमेंट्स बाक्स में कुछ इस तरह की टीप पढ़ की दिल दुखित हो गया और यूं ही लगने लगा कि अमर्यादित हिंदी भाषा का प्रयोग अधिकाधिक बढ़ने लगेगा तो क्या हमारी मातृभाषा हिंदी विश्व स्तर पर सम्मानजनक स्थान अर्जित कर सकेगी ब्लागर्स भाई को बाध्य होकर अपने ब्लॉग में कमेंट्स बॉक्स में माडरेट कुंजी का प्रयोग करना पड़ा.

जब हिंदी में कुछ सार्थक लेखन नहीं किया जावेगा तबतक हमारी हिंदी भाषा स्तर पर सम्मानजनक स्थान प्राप्त नहीं कर सकेगी यह कटु सत्य है यह प्रश्नचिह्न हमारे सामने खडा हो गया है . हिंदी भाषा को नेट पर सारी दुनिया में पढ़ा जाता है यदि अमर्यादित पोस्टो और टीपो को बाहर के लोग पढेगें तो उसका अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा भाई समीर लाल जी ने अपने ब्लॉग उड़नतश्तरी में सार्थक शब्द का प्रयोग अपनी पोस्ट में कर कुछ संकेत तो दे दिए है . ब्लॉग जगत के कलमकारों को इस और गंभीरता से विचार करना चाहिए कि अच्छा लिखे और अच्छे विचार ब्लॉग के माध्यम से पाठको को उपलब्ध कराये .

* माननीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के द्वारा "अमर्यादित टीप पोस्ट देने वाले ब्लागर्स को न्यायालयीन कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है" संकेत दिए गए है सराहनीय है जोकि ब्लागजगत के लिए आगे शुभकारी होंगे और कम से लोग कमेंट्स पोस्ट देते समय मर्यादित भाषा का प्रयोग करेंगे. ....... ये तो हो गई मेरे दिल की बात.

उपरोक्त खरी खोटी लिखने के बाद यह कविता " फिर इसमें मेरा दोष कहाँ है " प्रस्तुत कर रहा हूँ .बचपन के दौरान मेरे पिता यह कविता मुझे हमेशा सुनाया करते थे.

फिर इसमें मेरा दोष कहाँ है ?


अधर तुम्हारे हाथ तुम्हारे
बंसुरिया भी साथ तुम्हारे
इस पर दर्द गीत गाओ तो
फिर इसमें मेरा दोष कहाँ है .

तुम चाहो तो अपने स्वर से
द्वार द्वार दिवाली कर दो
मरुस्थल की सूनी झोली में
उपवन की हरियाली भर दो

बिजली की हर छठा तुम्हारी
अम्बर की हर घटा तुम्हारी
इस पर यदि चातक दे गाली
फिर इसमें मेरा दोष कहाँ है

तुम चाहो धूमिल संध्या को
चाँदनी से बोर बोर कर दो
हर सागर की गहन उदासी
मधुचंदा बन तुम हिलोर दो

द्रश्य तुम्हारे नैन तुम्हारे
मधुवन में तुम पतझड़ ढूढो
फिर इसमें मेरा दोष कहाँ है

बगिया के फूलो को पतझड़
के घर गिरवी मत रख देना
काली रजनी में कम से कम
झिलमिल सा दीपक रख देना

जीवन की हर ज्योति तुम्हारी
मेहनत की हर सीक तुम्हारी
इस पर अंधियारों में तुम बैठे
फिर इसमें मेरा दोष कहाँ है

23.2.09

महाशिवरात्री पर्व की हार्दिक शुभकामना : जहाँ भोलेनाथ के दर्शन को जाते है वानर







रायसेन में ऐतिहासिक दुर्ग में एक गुफा मन्दिर है जहाँ बड़ी संख्या में शिवाजी के भक्तगण दर्शन करने पहुंचते है. खास बात यह जब भी भक्तगण शिवाजी के गुफा मदिर जाते है तो उन्हें मन्दिर में वानर बड़ी संख्या में देखने को मिलते है . पूजा के समय में वानरों की सेना भक्तगणों का साथ देते है . खास बात यह है की वानरों की नजर पूजा में चढाई जाने वाली सामग्री पर रहती है परन्तु जब भक्तगणों द्वारा वानरों को प्रसाद दिया जाता है तबही ये बन्दर प्रसाद स्वीकार करते है और यह बंदरो की सेना कभी भी भक्तगणों का परेशान नही करते है.



ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधी पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बंधनात मृत्योमुक्षीय मामतात



सभी ब्लॉगर भाई बहिनों को महाशिवरात्री पर्व की हार्दिक शुभकामना.

ॐ शिवजी सदा सहाय करे.
ॐ नमो शिवाय
बमबम भोलेनाथ

21.2.09

जरा देखें तेरे चेहरे पे क्या क़यामत बरस रही है

तेरी मौजूदगी का.. सदा मुझे एहसास रहता है
बंद आँखों के आईने में तेरी सूरत देख लेता हूँ.

जरा अपने इस चेहरे से जरा नकाब हटा दे यारा
जरा देखें तेरे चेहरे पे क्या क़यामत बरस रही है.

जब भी तू आइने में अपना चेहरा देखती होगी
आइना अक्सर तुझे मेरा चेहरा दिखलाता होगा.

जो चेहरा मैंने अपने ख्यालो में दिल से देखा था
जब रूबरू हुए तो वह चेहरा दिल से उतर गया.

इतना बेइंतिहा प्यार इस चेहरे से न तू न कर
सारी उम्र फ़िर जिया न जाए और न मरा जाए.

***
चिठ्ठा चर्चा "समयचक्र" में

15.2.09

आज १०० पोस्टो के पश्चात १०१ वी पोस्ट माँ नर्मदे को समर्पित

आज निरन्तर ब्लॉग में १०० पोस्ट पूर्ण करने के उपरांत यह मेरी १०१ वी पोस्ट है . आप सभी का स्नेह और प्यार मुझे हमेशा लगातार प्राप्त होता रहा है जिसके कारण मै अपने ब्लॉग समयचक्र (एक हैक हो गया है या उड़ गया है) "प्रहार" और "निरन्तर" ब्लॉग में करीब 1000 के लगभग पोस्ट लिख चुका हूँ. हालाकि ढाई वर्षो के ब्लॉग लेखन के दौरान मेरे अपने ने मुझे हरसंभव हांसिये की ओर धकलेने की कोशिश की है जिसे मैंने सहर्षता के साथ स्वीकार किया है बल्कि आलोचना प्रत्यालोचना से मेरे लिखने का हौसला और बढ़ा है.

परन्तु हमेशा आपके प्यार स्नेह आशीर्वाद और हौसला अफजाई करने की वजह से मै आज ब्लॉग जगत में ब्लॉग लेखन कर रहा हूँ . मै निस्वार्थ भावः से अपनी हिन्दी मातृभाषा के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से ब्लॉग लेखन कर रहा हूँ और मुझे बेहद खुशी होती है कि मै अपनी भाषा के लिए एक छोटा सा प्रयास कर रहा हूँ . आप सभी का स्नेह और प्यार निरंतर बना रहे . आज की १०१ वी पोस्ट मै जबलपुर का निवासी होने के नाते माँ नर्मदा को समर्पित कर रहा हूँ.

ॐ नर्मदे हर हर

पाठको की विशेष पसंद चिठ्ठा चर्चा "समयचक्र" में देखें

13.2.09

व्यंग्य (हास्य) - साफ्टवेअर इंजीनियर और फिल्मी नाम पर नेट का तड़का .

व्यंग्य (हास्य) - साफ्टवेअर इंजीनियर और फिल्मी नाम पर नेट का तड़का .
अगर आप साफ्टवेअर के क्षेत्र मे इंजीनियर है और फ़िल्म बनाना चाहते है तो भाई साहिब हिंदी मे फ़िल्म का नाम कुछ इस तरह से करना पड़ेगा तबाही लोग आपकी और आकर्षित होंगे जनाब आपकी फिल्मो की और वरना टाकीज हाल खाली रहेगा ...
1. हेंग तो होना ही..... था
2. मेरी डिस्क (जान) तुम्हारे पास है
3. आओ चाट करे फ़िर दिल से बात करे .
4. प्रोग्रामर नंबर - 1
5. मेरा नाम डेवलपर
6. जावा वाले जॉब लूट ले जाएँगे बाकि खड़े रह जायेंगे.
7. हम आपके दिल में नही पर आपकी मेमोरी में रहते है.
8. दो प्रोसेसर बारह टर्मिनल
9. तेरा कोड चल गया जा मौजा मौजा कर
10. हर दिन जो मेल करेगा वो गाना जायेगा दीवाना महफ़िल में पहचाना जाएगा .
11. नेटवर्क के उस पार कोई रहता है .
12. मिस्टर नेट वर्क लाल
13. डिबगिंग कोई खेल नही
14. जिस देश में बिल गेट्स रहता है वहां आर्थिक मंदी है .
15. राजू बन गया प्रशासक नं -1 .अब देखना उसका कमाल
16. क्लाइंट एक नंबरी तो प्रोग्रामर दस नंबरी
17. हाय लोगिंन करो सजना
18. नौकर पी.सी का
19. 1942 -- आ बग स्टोरी
20. कहो ना वाइरस है
21. क्रॅश से क्रॅश तक
22. मैने भी डेबुग किया है
23. अपना पासवर्ड दे के देखो
24. टर्मिनल अपना लोगिंन पराई

...........

10.2.09

माइक्रो पोस्ट- अनमोल वचन

किसी का अपमान करना किसी से नफ़रत करना शैतान का काम है और क्षमा करना इंसान का धर्म है . क्रोध करने से पहले उसके भविष्य के परिणामो पर विचार करो अन्यथा उसके भीषण परिणाम भुगतने पड़ते है .

समझने वाले समझ गए जो न समझे वो अनाडी है.

6.2.09

तेरी मौजूदगी का सदा मुझे अहसास सदा रहता है

तेरी मौजूदगी का सदा मुझे अहसास सदा रहता है
तेरी सूरत अक्सर अपनी बंद आँखों से देख लेता हूँ.

जिसे तेरा चेहरा समझ कर मै रात भर चूमता रहा
नींद से जागा जब मै सिरहाना अपनी बाहों में पाया.

तेरी सूरत देखकर रुकते नही मेरे ये बेहिसाब आंसू
तेरे ख्याल देते थे खुशी दर खुशी वो समय और था.

मेरी आँखों के सामने से अब तुम दूर नही होना जी
मेरी दिल ऐ दिलरुबा का श्रृंगार होना अभी बाकी है.

********

4.2.09

उदीयमान और अच्छे कलमकार ब्लागरो के बारे में आज चिठ्ठा चर्चा

1.2.09

महेन्द्र .....जिंदगी एक तपस्या है


जिंदगी एक तपस्या है

परीक्षा की घड़ी में सबको इसकी परीक्षा देना है
जिंदगी के मोड़ पर अनेको सुख दुःख तो आते है
सभी को इस परीक्षा में फ़िर भी सफल होना है

जिंदगी एक तपस्या है

इसमे कुछ सफल और कुछ असफल हो जाते है
डरकर अपनी जिंदगी से जो मुँह मोड़ लेते है
वे धरती धरा पे डरपोक महा कायर कहलाते है

जिंदगी एक तपस्या है

जिंदगी एक तपस्या है जिंदगी एक परीक्षा है
तमाम अपनी ये जिंदगी एक नाव के समान है
इस जिंदगी की नाव को वैतरणी पार लगाना है

जिंदगी एक तपस्या है

महेन्द्र ये जिंदगी एक कडुआ घूट के समान है
इस कडुआ घूट को नीलकंठ बन...पीना भी है
नीलकंठ बन जिंदगी हँस कर फ़िर भी जीना है
जिंदगी एक तपस्या है

महेन्द्र मिश्र
जबलपुर
रिमार्क- भूलवश कविता का शीर्षक ग़लत दल दिया था अब सुधार कर "जिंदगी एक तपस्या है" सही कर दिया है . त्रुटी के क्षमाप्राथी .

27.1.09

व्यंग्य - दुनिया में कैसे कैसे लोग होते है जिनका काम है फूट करो और राज करो ?

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय लोग यह कहा करते थे कि अंग्रेजो का काम था लोगो में आपस में फूट डालो और राज करो और अपना उल्लू सीधा कर अपना परचम फहराओ . अंग्रेज तो चले गए है पर वे अपनी नीति हम भारतीय लोगो को दिल से सिखा गए है और उस नीति का प्रयोग कुछ भारतीय जन बखूबी प्रयोग कर रहे है . कुछ लोग अपना उल्लू सीधा करने के इस नीति का भरपूर प्रयोग कर है . ऐसे जनों को आप क्या कह सकते है .

ऐसा ही एक वाकया गए गुजरे दिनों मेरे साथ हुआ है . आज भी वह बात मुझे रह रह कर कसोट रही है कि मैंने ऐसे व्यक्ति से उसकी उपरी सज्जनता को देखकर अचानक दोस्ती कैसे कर ली . वाकया इस प्रकार है . ब्लागिंग के क्षेत्र में मै करीब दो सालो से कलम उकेर रहा हूँ . ब्लागिंग के दौरान मित्रता का क्षेत्र बढ़ा . जब मित्रो के बारे में कुछ करने की सोची . न जाने कहाँ कैसे मुलाक़ात हो गई . मैंने बताया की भाई अब याहब भी कुछ कर लो तो भाई ने फोन नंबर लिया तड से संपर्क किया . एक कार्यक्रम में दूसरे के कार्यक्रम में उन महोदय से मुलाक़ात की और मौके भरपूर लाभ उठाने की द्रष्टि से एक कार्य शाला आयोजित करने की घोषणा कर डाली और जोरदार तालियाँ पिटवा ली . वे महोदय चले गए और वे भी घोषणा करके चले गए पर कार्य शाला डेढ़ वर्ष गुजर जाने के बाद भी आज तक आयोजित नही की गई .

जनाब की अगली कारगुजारी भी देखिये . मौके पे गए नही किसी के पर अपना नाम हो अपनी वाह वाही हो तो मौके का लाभ उठाते हुए अपनी मर्जी से एक काम कर डाला . पहले उस काम को करने के लिए किसी की सलाह चाहते थे और अवसर जानकर उस काम को दूसरे की सलाह लिए बिना कर लिया और सभी को ठेल दिया और कह दिया मुझे कार्यक्रम जल्दी करना था तो कर लिया .

कार्यक्रम के बाद कह दिया जो आए तो उनका आभार और जो न आए उनका आभार . जब मैंने यह पढ़ा तो असल मेरी जल्दी समझ में आ गया कि भैय्या ये तो मौका परस्त है . चार नए लोगो को खड़े कर वाहवाही तो लुटवा ली पर सामने वाले आपके पूर्व परिचितों के सामने उनकी कलई तो खुल गई . एक वाकया और एक रात फोन किया आप क्यो नही आए तो मैंने कहा व्यक्तिगत परेशानी थी . उदास होकर बोले किसी ने आपको भड़का दिया है यहाँ तो खेमाबाजी और गुटबाजी है .

यह सब सुनकर मेरा दिल उदास हो गया . मै ऐसा इंसान नही हूँ और न मेरे पास समय है कि मै यह सब कर सकूँ यह सब सोचकर परेशान रहा तो मित्र लोगो ने बताया कि ये तो उनकी पुरानी आदत है खलल डालना और वाह वाही लूटना . .....और वे महोदय हर क्षेत्र में खेमाबाजी में चर्चित रहते है और खेमेबाजी और गुटबाजी में विश्वास करते है और क्षेत्रो के पुराने खल है .

आज मैंने अंग्रेजो की फूट डालो नीति को दिल से अनुभव किया कि यह बुराई हम भारतीय जनों के रगों में अब भी दौड़ रही है . भाई अंग्रेज चले गए पर भारतीय लोग जो नीति का पालन कर रहे है यह नीति बुराई कब छोडेंगें ? . इस तरह की ऐसे लोगो की हरकतों से लोगो में कटुता का ही वातावरण निर्मित होता है और इसमे किसी कि भलाई नही है .. यह सब जानकर मैंने भी संकल्प कर लिया है कि ऐसे मौकापरस्त लोगो से मुझे दूर रहना चाहिए उसमे ही मेरी भलाई है .

व्यंग्य-महेंद्र मिश्र
जबलपुर

26.1.09

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ देश प्रेम भक्ति से जुड़े कुछ गीत



आज के दिन हमारे देश का संविधान बनाया गया था यह बात दुहराने की नही है सभी को विदित है . आज के समय में बदलते घटनाक्रमों के परिपेक्ष्य में हम सभी भारत वासियो को यह सोचना चाहिए कि क्या हमारा देश और हमारा गणतंत्र सुरक्षित है . सभी को देश की आन बान शान के लिए मातृभूमि को सर्वस्य निछावर और बलिदान करने का संकल्प लेना चाहिए . हम अपनी मातृभूमि के श्रणी है जिसने हमको जन्म दिया यह नही भूलना चाहिए .

मेरी खुशी इस पर्व पर दुगनी हो जाती है गणतंत्र दिवस के दिन मेरे छोटे भाई की बच्ची आयुषी "मिनी" का 7 वां जन्मदिन है . बहुत ही तेज नन्ही सी डांस से पढ़ाई लिखाई तक हमेशा शील्ड पुरस्कारों से नवाजी जाती है जो मुझे दादा संबोधित करती है . बचपन से ही उसे जन्मदिन के अवसर मै एक राष्ट्रीय तिरंगा झंडा उपहारों के साथ देता हूँ .इस पुनीत पर्व के पावन अवसर पर कुछ लोकप्रिय गीत जिन्हें सुनकर पढ़कर देशप्रेम का जज्बा पैदा होता है और नसों में खून दौड़ने लगता है . आप सभी को बाँट रहा हूँ .




जागेगा इंसान जमाना देखेगा
नवयुग का निर्माण जमाना देखेगा
देवता बनेगे मेरे धरती के प्यारे
हम सुधरे तो जग को सुधारे
चमकेगा देश हमारा मेरे साथी रे
आँखों में कल का नजारा मेरे साथी रे
धरती पे भगवान ज़माना देखेगा
जागेगा इंसान ज़माना देखेगा

मिल जुल के होंगे सारे खुशियों के मेले
कोई न रो पायेगा देख में अकेले
जागेगा देश हमारा मेरे साथी रे
आँखों में कल का नजारा मेरे साथी रे
कल का हिन्दुस्तान जमाना देखेगा
जागेगा इंसान ज़माना देखेगा
*


वह शक्ति दो हमें दयानिधि कर्तव्य मार्ग पर चढ़ जावे
पर सेवा का उपकार में हम निज जीवन सफल बना जाए

हम दीन दुखी निबलो विकलो के सेवक बन संताप हरे
जो हों भूले भटके बिछुडे उनको सारे ख़ुद तर जावें

चल द्वैष दंभ पाखंड झूठ अन्याय से निशदिन दूर रहे
जीवन हों शुद्ध सरल अपना शुची प्रेम सुधा रस बरसायें

निज आन मान मर्यादा का प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे
जिस देश जाति में जन्म लिया बलिदान उसी पर हों जायें
*

हम बदलेंगे युग बदलेगा यह संदेश सुनाता चल
आगे कदम बढाता चल बढ़ता चल बढाता चल

अन्धकार का वक्ष चीरकर फूटे नव प्रकाश निर्झर
प्राण प्राण में गूंजे शाश्वत सामगान का नूतन स्वर

तुम्हे शपथ है हृदय हृदय में स्वर्णिम दीप सजाता चल
स्नेह सुमन बिखराता चल तू आगे कदम बढाता चल

पूर्व दिशा में नूतन युग का हुआ प्रभामय सूर्य उदय
देवदूत आया धरती पर लेकर सुधा पात्र अक्षय

भर ले सुधापात्र तू अपना सबको सुधा पिलाता चल
शत शत कमल खिलाता चल तू आगे कदम बढाता चल

ओ नवयुग के सूत्रधार अविराम सतत बढ़ते जाओ
हिमगिरी के ऊँचे शिखरों पर स्वर्णिम केतन फहराओ

मंजिल तुझे अवश्य मिलेगी गीत विजय के गाता चल
नव चेतना जगाता चल तू आगे कदम बढाता चल
*
गणतंत्र दिवस के अवसर पर आप सभी ब्लॉगर भाई बहिनों को मेरी अनेकानेक शुभकामनाये और बधाई.

महेन्द्र मिश्र
जबलपुर.

22.1.09

तीसरी आँख से - * वन मैन शो *

यदि किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व और कृतित्व असाधारण होता है तो सभी उसका नेतृत्व स्वीकार कर लेते है और उस व्यक्ति के हर आदेश को स्वीकार कर लेते है ऐसे व्यक्ति के कार्य को * वन मैन शो * कहा जा सकता है.

परन्तु इसके विपरीत कुछ विशेष वर्ग में इस तरह के आदमी पाये जाते है जो उस वर्ग के सदस्यों से आपस में परामर्श किए वगैर अपनी मनमर्जी करता है और अपनी अहमियत साबित करने के लिए कुछ भी कार्य करता है जबकि वह समझता है कि उस वर्ग समुदाय के लोग उसकी बात मानेगे और उसके हर कार्य में सहमति देंगे और उसे वाहवाही मिल जावेगी परन्तु जो कार्य वह अपनी मनमर्जी से कर रहा होता है उससे वर्ग समुदाय के लोग खुश नही रहते है और उसे दिल से वाहवाही नही देते है .. .. ऐसे व्यक्ति का कार्य * वन मैन शो * नही कहा जा सकता है और भविष्य में आदर के पात्र नही होते है ...
इस बारे में हर आदमी के अलग अलग विचार हो सकते है ...

18.1.09

अपने गेसुओ के साए में गुलो की छाँव को दिल से बनाए रखना



महफ़िल सितारों की देखकर प्यार के महफ़िल की याद आती है
फलक में उस चाँद को देखकर महबूबा की दिल से याद आती है.

*

अपनी वफ़ा को सीने में लगाकर हम यह ठिकाना छोड़ चले है
न मंजिल की ख़बर और न राहो की ख़बर फ़िर भी मुसाफिर है.

*

अपने गेसुओ के साए में गुलो की छाँव को दिल से बनाए रखना
अमानत दी है मैंने तुझे तुम अपने दिल में दिल से संजोये रखना.

*

महेंद्र "निरंतर"

15.1.09

व्यंग्य मच्छर नामा : मेरी कर्णप्रिय भुनुर भुनुर आवाज सुनो.

मै हूँ मच्छर जैसा आप सभी को मालूम है कि मै गलियो कूंचों या सीधे ये कहे कि मै सभी जगह का बेताज बादशाह हूँ . अभी तक नेट पर अपने तरह तरह की मेरे बारे में कविताएं व्यंग्य पढ़े पर मै आज आपको अपनी आवाज की गति के बारे में जानकारी दे रहा हूँ . मेटिंग के पहले आपको आपके कान के पास में मै और मेरी मादा (पत्नी) भुनुर भुनुर मधुररम गीत जो आपके कानो को अप्रिय लगते है ...... सुनाया करते है .





आप क्या भुनुर भुनुर गीत के बारे में जानते है असल में यह मच्छरों का प्रेम गीत है . जब मै और मेरी मादा एक साथ इकठ्ठे होते है तब हम दोनों मिलकर प्रेम गीत गाते है इसी को भुनुर भुनुर गीत कहते है . जब हम दोनों कुछ ही सेंटीमीटर की दूरी पर होते है तो एक दूसरे को पटाने के लिए कर्णप्रिय संगीत भुनुर भुनुर कर पैदा करते है और एक दूसरे से बातचीत करते है . यदि मै भुनुर भुनुर न करूँ तो रानी पटेगी कैसे ?



मेरी मैडम मच्छर के पंख फडफडाने से जितनी ध्वनि होती है उससे भी तेज गति की आवाज अपने कंठ से प्रेम विरह में पीड़ित होकर निकलती है . मेरी मैडम मच्छर एक सेकेण्ड में ४०० हर्टज की गति से आवाज निकालती है और मै एक सेकेण्ड में ६०० हर्ट्स की गति से आवाज निकालता हूँ . अब मेरे सुनने वाले अंगो में विशेष प्रकार के भाई लोगो ने यंत्र फिट कर दिए है और मेरी भुनुर भुनुर आवाज विशेष माइक्रोफोन से सुनी गई है .

अंत में दो टूक

यदि आप जल्दी जल्दी खाते है और इंतजार करते करते जल्दी उदास हो जाते है . हर काम के लिए सदा हडबडी करते है तो सावधान आपको हाई ब्लड प्रेसर या दिल का दौरा पड़ सकता है . अपनी आदतों में सुधार लाये और अपनी जीवन की दिनचर्या में परिवर्तन करे जो आपको रोगों से दवाओं से निजाद दिला सकती है .

हरी ॐ

12.1.09

कुछ अंदाज़ आपके लिए



आज सोचा कि जबाब क्या भेजू
आप जैसे दोस्त को ख़िताब क्या भेजू
कोई फूल हो तो नही मालूम
जो ख़ुद गुलाब हो उसे गुलाब क्या भेजू
महक इश्क़ की कम नही होती
ज़िंदगी से उसकी ख़ुशबू कम नही होती
साथ अगर हो आप जैसा दोस्त
तो ज़िंदगी जन्नत से कम नही होती
कुछ लोग बहुत ख़ास होते है
हर पल दिल के पास होते है
ख़ुशी हो या ग़म वे सदा साथ रहते है
लोग उन्हे दोस्त हम उन्हे आप कहते है.
आपके ख़्यालो से फ़ुरसत नही मिलती
हमे एक पल राहत नही मिलती
मिल तो जाता सब कुछ
पर आपकी झलक नही मिलती
सुना है कि आपकी एक स्माईल
पर सभी फ़िदा हो जाते है
सो कीप स्माईलिंग
रिड्यूस दा पापुलेशन
रिश्ता एक ऐसा होना चाहिए
जो हमे अपना जान सके
हर दर्द को जान सके
चल रहे तेज़ बारिश मे साथ हम
फिर भी वो पानी मे हमारे
हर आँसू को पहचान सके.

लेखक-अनाम(मालूम नही)

9.1.09

एक हम है जो रास्ते भूल जाते है



हमें रास्ते चलने की सीख देते है
एक हम है जो रास्ते भूल जाते है.
रास्ते हमें मंजिल तक पहुंचाते है
रास्तो को पीछे हम छोड़ आते है.

******

वादा खिलाफी की कोई हद है
हिसाब दिल में लगा कर देखो.
अगर मेरा ही दिल तोड़ना था
मुझसे प्यार- इजहार न करते
**********

6.1.09

मेरे बाद जमाना क्या पूछेगा कभी उसको

दोनों की किस्मतो का आज फैसला होगा
एक तरफ़ जमाना है एक तरफ़ मोहब्बत.

तुम अक्सर उलझी जुल्फों को सुलझाती हो
कभी तुमसे उलझी हुई किस्मत सुलझेगी.

किस्मत कहाँ.. मै उड़कर पहुँचू बहारो तक
कभी दिल में कभी गुलिस्ता को झांकता हूँ.

अपनी धुन में आज दुआ को भी भूल गया
नामे खुदा भूल गया वो जब करीब मेरे आये.

मेरे बाद जमाना क्या पूछेगा कभी उसको
उसकी दुनिया मै अपने साथ ले जा रहा हूँ.

4.1.09

व्यंग्य : आओ ब्लॉगर भाइओ : पजामा गेम की तर्ज पर पेंट चड्डी बनियान गेम खेले

आज सुबह सुबह अखबार पढ़ रहा था तो नजरे ठिठक गई . लेडीज काँलम में लिखा था ऑनली फार लेडीज . यह पढ़कर मेरी तीसरी इन्द्री सक्रिय हो गई सोचा जरुर की फंडे वाली चीज होगी वैसे आदमियो का मन महिलाओं के बारे में क्या खास लिखा है पढ़ने को उत्सुक हो जाता है .
अपुन ने भाई कुनकुनी धुप का आनंद लेते हुए पढ़ना शुरू किया जो पढ़ा सो आपकी नजरे इनायत कर रहा हूँ और आप सभी को पढ़ा हुआ बाँट रहा हूँ.
पाजामा पार्टी

पाजामा पार्टी की थीम दूसरी पार्टियो से कुछ हटकर होती है . इसमे उपस्थित महिलाओं को यह लगे कि जिंदगी ख़ूबसूरत है और बहारो से लदी फदी है . पाजामा पार्टी के बारे में आप यह समझ रहे होंगे कि इस पार्टी में बेहूदी हरकत होती होगी . इस पार्टी में पाज्मे नही पहिने जाते . पाजामा कही का आदि आदी .... क्योकि हमारे देश भारत में पजामे को पजामे की संज्ञा दी जाती है .
इस पार्टी की शुरुआत अमेरिका में हुई . इस पार्टी का चलन अमेरिका में काफी पुराना है . ये पार्टियाँ होटल रिसोर्ट आदी में आयोजित की जाती है . इन पार्टियो का माहौल बिंदास होता है . इन पार्टियो में महिलाओं को न रोटी ठोकने की दिक्कत और न घर की झंझट एक प्रकार से कोई टेंशन नही होता है . इन पार्टियो में गेम्स नाच गाना किटी पार्टी सैर सपाटा और खाने पीने का भरपूर इंतजाम रहता है .
खाने पीने की बात पे मुंह में पानी आ गया वाह साब मै भी सम्मिलित होता .
आगे ......इन पार्टियो में महिलाए सिर्फ़ पर्सनल बातें आपस में बांटती है . खूब खाती पीती है खूब होहल्ला करती है फ़िल्म देखती है . मस्ती करती है यानि की कुल मिलकर हंगामा और मोजा मोजा करती है , अलग अलग आयु वर्ग की महिलाए अलग अलग ग्रुप में पार्टियाँ करती है यानि की कुल मिलाकर जिसकी पटरी जिस से सेट हो जाए ..इसमे सिर्फ़ महिलाये ही शामिल होती है
युवतियां रूटीन वर्क ऑफिस वर्क बोरियत और एकांकीपन दूर करने करने के लिए तनावमुक्त होने की इस तरह की पार्टियाँ करती है . इस प्रकार की पाटियो के बढ़ते हुए चलन अब युवको और बुजुर्गो के लिए कौतुहल साबित हो रहे है .
अब आये मुद्दे की बात पर
ऑनली फार जेंट्स
: आओ ब्लॉगर भाइओ :ऑनली फार जेंट्स : : आओ ब्लॉगर भाइओ : पजामा गेम की तर्ज पर पेंट चड्डी बनियान गेम खेले

ये पढ़कर मेरे मन में एक विचार आया है कि हम ब्लॉगर भाई भी अपने रूटीन वर्क ऑफिस वर्क और कई कामो से लगातार बोर हो जाते है . घर का भार साल भर ढोते ढोते तनावग्रस्त हो जाते है . एसा लगता है कि अब बड्डे भाग लो और कही दूर वनवास चले जाओ.
फ़िर लगता है कि हमें अपने दायित्वों का निर्वहन करना है ......फ़िर टट्टू की तरह जुट जाते है और अति बोरियत महसूस करते है तो अब भागने की जरुरत नही है अपुन ब्लॉगर भाई भी तनाव दूर करने के लिए एकजुट होकर पजामा गेम की तर्ज पर पेंट चड्डी बनियान गेम खेले .
इसमे सिर्फ़ पुरूष शामिल होंगे . नाचेंगे कूदेंगे खायेंगे पियेंगे और ऐश करेंगे क्या . खूब होहल्ला करेंगे . इस गेम में कोई अपनी व्याहता(wife) को साथ लेकर नही आवेगा जिससे ९० परसेंट तक तनाव निश्चित दूर होने की गारंटी रहेगी.रिमार्क - हे भगवान अब दुनिया में क्या देखना बदा है ... हा हा हा.

चलो २0०९ के कुछ रोचक फोटो ..अखबार से साभार



गुरुकुल के छात्र पढ़ाई छोड़कर अब टार्जन बनने का अभ्यास कर रहे है.
२१ वी सदी में भी पानी कुछ इस तरह से मिल रहा है.

समाचार के साथ कुछ अपने विचार जोड़कर व्यंग्य रूप देने का छोटा सा प्रयास किया है.
महेंद्र मिश्रा
जबलपुर.