15.10.09

चिराग रोशनी का ...


कोई हवा का झोंका...कहीं बुझा न जाए
हिफाजत करता हूँ मै अपने इन हाथो से.

***

हमने चिराग बहुत से जलाए इन हाथो से
पर उजाला न हो सका अधियारे दिल में.

***

घर में उजाला जिन चिरागों ने किया था
उन चिरागों ने ही अपना घर जला डाला.

***

जिन चिरागों को....अपने लहू से जलाया
अब बुझने लगे उनकी सूख गई है बाती

***

तुम्हारे वगैर हमें पसंद नहीं है अधियारे
मेरे लिए ये रोशनी तुम लौटकर आ जाओ
अधियारे दिल में तुम उजाला फैला जाओ.

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13.10.09

तेरी तस्वीर दिल में........

तस्वीर जब से इस दिल में मैंने बैठाई है
हर हाल में बस तू ही तू दिखाई देती है.

कलम चलाने के वास्ते जब खोली आंखे
देख दिल धड़क गया वो तस्वीर आपकी.

तस्वीर में पाई सूरत कुछ हटकर आपकी.
जब धूमिल होती है आँखों में सूरत तेरी
तब खूब देखता हूँ दिल से तस्वीर आपकी.

मै इन हाथो में तेरी तस्वीर लिए फिरता हूँ
अंधे प्यार में कहीं छू न दूं किसी गैर को.

तेरी तस्वीर न बोले उसे देख समझ लेते है
तन्हा बैठ जी लेते है तेरी तस्वीर के सहारे.

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9.10.09

सदगुरु वचनामृत : पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी की कलम से

घडी पास में होने पर भी जो समय के प्रति लापवाही करते है, समयवद्ध जीवनक्रम नहीं अपनाते उन्हें विकसित व्यक्तित्व का स्वामी नहीं कहा जा सकता है घड़ी कोई गहना नहीं है . उसे पहिनकर भी जीवन में उसका कोई प्रभाव परिलक्षित नहीं दिया जाता , तो यह गर्व की नहीं शर्म की बात है समय की अवज्ञा वैसे भी हेय है, फिर भी समय निष्ठा का प्रतीक चिन्ह (घडी) धारण करने के बाद यह अवज्ञा तो एक अपराध ही है
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उत्साह जीवन का धर्म , अनुत्साह मृत्यु का प्रतीक है उत्साहवान मनुष्य ही सजीव कहलाने योग्य है उत्साहवान मनुष्य आशावादी होता है और उसे सारा विश्व आगे बढ़ता हुआ दिखाई देता है विजय, सफलता और कल्याण सदैव उसकी आँख में नाचा करते है . जबकि उत्साहहीन ह्रदय को अशांति ही अशांति दिखाई देती है
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आज अनेको ऐसी पुराणी परम्पराये एवं विचारधाराये है जिनको त्याग देने से अतुलनीय हानि हो सकती है साथ ही अनेको ऐसी नवीनताये है जिनको अपनाए बिना मनुष्य का एक कदम भी आगे बढ़ पा सकना असंभव हो जायेगा नवीनता एवं प्राचीनता के संग्रह एवं त्याग में कोई दुराग्रह नहीं करना चाहिए बल्कि किसी बात को विवेक एवं अनुभव के आधार पर अपनाना अथवा छोड़ना चाहिए

साभार - पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी की कलम से
जय गुरुदेव

5.10.09

जबसे ये कलम उठाई है लफ्ज ही नहीं मिलते है

जबसे ये कलम उठाई है लफ्ज ही नहीं मिलते है
जिन्हें कागजो में ढूँढा.. वो शख्स नहीं मिलते है.

वो जमाने की तलाश तो....खूब करते फिरते है
पर इस जान के लिए..उन्हें वक्त नहीं मिलता है.

नजरे खूब मिलती है...पर नजारे नहीं मिलते है
कभी बेसहारों को.. तो कही सहारे नहीं मिलते है.

जिन्दगी एक नदी की तरह है..बस तैरते जाना है
डूबते को नदी में तिनके का सहारा नहीं मिलता है.

3.10.09

बिखर गए जब सारे सपने जब उन्हें आखरी सलाम लिखा

पत्थर रख कर जब सीने पर ख़त प्यार का आखिरी लिखा
बिखर गए जब सारे सपने जब उन्हें आखरी सलाम लिखा.

हर ख़ुशी तुझको देकर वे तेरी इस दुनिया को छोड़ देंगे
एक हम है जाते जाते तुझे आखिरी चिठ्ठी छोड़ जायेंगे.

वफ़ा या बेवफाई तूने की है इससे मुझे कोई शिकवा नहीं
मैंने तो बस तुझे चिठ्ठी लिखी थी और कुछ तो कहा नहीं.

अगर मोहब्बत सच्ची हो तो चाहत ही मोहब्बत होती है
ऊपर वाला साथ देगा दिल से अगर मोहब्बत सच्ची हो
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30.9.09

चाँद पे पानी मिल जाने की ख़ुशी में - नहले पे दहला

चाँद पे पानी मिल जाने की ख़ुशी में - नहले पे दहला
००००

आओ तुम्हे चाँद पर ले जाए वहां पर प्यार भरे सपने सजाये
नई दुनिया में सपनों का महल बनाये वहां भरपूर पानी पाए.

0000

मै नदी किनारे इंतजार में बैठा हूँ. .कभी लहरे तो आयेगी
लहरों के इंतजार में हूँ लहरों को कभी मेरी याद आयेगी.

दुनिया जब जवां हुई मेरी जेहन में बचपन की यादे आ गई
बचपन में जो रात दिन साथ रहती थी न जाने कहाँ खो गई.

दुनिया हमेशा आबाद रहेगी चाहे हम रहे या न रहे जहान में
वो मस्त बहारे वो मस्त फिजाये वो बसी रहेगी सदा जेहन में.

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29.9.09

कुछ मस्ती ब्लागवाणी के आने की ख़ुशी में

ब्लागवाणी का २४ घंटो के लिए न रहना ब्लागिंग में ऐसे क्षण थे जिनका वर्णन करना मेरे लिए तो मुश्किल हो रहा है . ब्लागवाणी द्वारा बिना पूर्व सूचना के फीड बंद कर दिए जाने से ब्लागरो में हड़कंप की स्थिति मच गई थी . सभी हलाकान परेशान थे . यदि कलम में स्याही न हो तो क्या वह कलम चलेगी और यदि शरीर में खून न हो तो क्या शरीर चलेगा उसी तरह कुछ इस तरह की स्थिति एग्रीकेटर और ब्लॉगर के बीच की है .. इस घटना से यह सिद्ध हो गया है की एग्रीकेटर और ब्लॉगर एक दूजे के वगैर रह नहीं सकते है . ब्लागवाणी की पुनः वापिसी से ब्लागरो को फिरसे एक नई उर्जा मिली है ऐसा लग रहा है की हमारी धमनियों में फिरसे तेजीसे रक्त दौड़ने लगा है . सभी ब्लागरो को बधाई जिनकी पुरजोर आवाज जल्दी ही रंग लाइ और ब्लागवाणी फिरसे वापिस आई . कुछ चुटकुले आपकी नजर

एक बार अपने ताउजी साईकिल पर कहीं जा रहे थे एक इम्पाला कार से भिड गए . अदालत में मुक़दमा चला . जज ने वहां चालक की गलती मानकर उस पर जुर्माना ठोक दिया . जज ने फिर ताऊ की और देखते हुए कहा - आप इस हादसे में कैसे बच गए ?
ताऊ ने उत्तर दिया - भगवान मेरे साथ था
जज ने कहा - फिर साइकिल पर डबल सवारी करना कानूनन अपराध है इसीलिए तुम्हे भी जुर्माना भरना पड़ेगा .
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एक पति पीड़ित पत्नी ने जज से कहा - सर मै हर हाल में इस आदमी से तलाक लेना चाहती हूँ इसे रात दिन घोडो की रेस के सिवा कुछ याद नहीं रहता है और तो और इसे अपनी शादी की तारिख तक याद नहीं है .
पति जज से - यह सब सफ़ेद झूठ है मुझे अच्छी तरह से याद है की शादी की रात को बारह नंबर का घोड़ा जीता था
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मरते मरते गब्बर ने बसंती से कहा - तुम वीरू से शादी कर लेना ?
बसंती आश्चर्य से - लेकिन वह तो तुम्हारा जानी दुश्मन है
गब्बर बसन्ती से - हाँ बसंती मुझे उससे बदला लेना है .
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आज एक दूध की दूकान पर मै घूमते घूमते गया तो वहां दूध के भावो की सूची कुछ तरह से लिखी थी .
दूध के भाव
बिलकुल असली दूध - २२ रुपये लीटर
असली दूध - २० रुपये लीटर
दूध - १८ रुपये लीटर
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एक आदमी बेहोश होकर सड़क पर गिर पड़ा था उसके चारो और भारी भीड़ जमा हो गई . भीड़ में से एक साहब बोले इसके मुंह में थोडी ब्रांडी डाल दो शायद होश आ जाए . उसके मुंह में ब्रांडी डाली गई तो वह आदमी थोडा हिला डुला फिर थोडा बुदबुदाया . उसकी आवाज भीड़ के शोर में गुम हो गई थी किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी . थोडी देर बाद वह आदमी हिलता डुलता हुआ खडा हुआ और यह कहते हुए फिर से बेहोश होकर गिर गया -अरे भाई कोई ब्रांडी की बात कहने वाले साहब की भी तो सुनो भाई .
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28.9.09

एकलव्य से साभार : व्यंग्य : अपने छोटे की दारू की टुन्नस में रामायण और रावण लीला

आठ दिनों से कलारी बंद थी दारू का मुंह तक देखने को नहीं मिला था बरिया के आज नौबे दिन शाम को कलारी खुल गई . अब छोटे के पाँव तो जमीन पर नहीं पड़ रहे थे . दूसरे से साईकिल उधार मांगकर झट से कलारी पहुँच गए खूब जी भरके पी. गिरते पड़ते घर लौट रहे थे की धडाम से दमोहनाका के पास एक गड्डे में गिर गए और कीचड में भिड गए . जैसे तैसे लोगो ने छोटे को गड्डे से बाहर निकाला और सड़क के किनारे बैठा दिया .

रामलीला के दिन तो चल रहे है न जाने कौन सी रामलीला की धुन छोटे को सवार हो गई और वह जोर जोर से लोगो रामायण सुनाने लगा. भारी मजमा सड़क पर इकठ्ठा हो गया था .छोटे ने अपनी रामायण कुछ इस तरह से सुनना शुरू किया ... मादर....चो..... तुम क्या जानो रामायण क्या होती है . राम और रावण में तुम लोग अंतर नहीं जानते हो . रावण बड़ा ज्ञानी ध्यानी था उसकी सोने की लंका थी . वह राक्षसों का नेता था . उस समय देवताओं का बड़ा आतंक था वे अपनी मनमर्जी से सारा काम करते थे जे बात से राक्षस लोग नाराज रहते थे .

उस समय सारी अच्छी अच्छी चीजे देवता लोग रखा करते थे और बदले में राक्षसों को दरी फट्टा पकडा देते थे . राम के भाई लक्ष्मण ने शूर्पनखा का अपहरण कर लिया था . बस इसी बात पर उन दोनों के बीच भारी युद्ध हुआ था . रावण ने लंका से एक पुल बनवाया था और उसी रास्ते से आकर उसने राम की सेना पर हमला कर दिया था और राम से शूर्पनखा को रावण छुडाकर पुष्पक विमान के द्वारा वापिस लंका ले गया था और उसने शूर्पनखा की अग्नि परीक्षा कराई थी .

तुम लोग क्या जानो .. इतने में मोहल्ले के किसी आदमी ने छोटू के ऊपर एक बाल्टी पानी लाकर डाल दिया . छोटू हडबडा कर उठ गया और आज की रामलीला यही समाप्त हो गई . आज जिसने भी दारू की टुन्नस में छोटू की यह रामायण लीला देखी सुनी होगी आज वह छोटू की उलटी रामायण देखकर सुनकर मुस्कुरा जरुर रहा होगा .
Aclavy...

एकलव्य से साभार :

26.9.09

व्यंग्य : चलो दिलदार चलो चाँद पर पानी के लिए चलो ....

ऐ चाँद तेरी सूरत में अगर भगवान की सूरत क्या होगी . रामायण महाभारत में चाँद को देवतुल्य माना गया है और उसकी पूजा आराधना की जाती है . करवा चौथ के दिन महिलाए चलनी में चाँद की सूरत देखती है . साहित्यकारों और कवियो ने चाँद की तुलना प्रेमिका प्रेमी से की है . चाँद तक पहुँचने के लिए लोगो में होड़ मची है . चाँद पर अपने यान से मानव भेजने की तैयारी कर रहा है तो कोई चाँद पर खुदाई करने की तैयारी कर रहा है .



हमारे देश के चंद्रयान ने चंद्रमा की धरती पर पानी के कणों की खोज क्या करली है और जबसे नासा ने इसरो की इस उपलब्धि पर पीठ क्या थपथपा दी है तो हमरे देश के लोग इसरो की इस उपलब्धि पर बेहद इतरा गए है . कोई कह रहा है अब चाँद पर अन्तरिक्ष यात्रियो को चंद्रमा पर पीने को पानी मिलने लगेगा तो मीडिया वाले अपनी टी. आर.पी. बढ़ाने के लिए चाँद पर कालोनी बसाने की लगातार बाते कर रहे है तीन दिन से टी.वी. वाले चाँद पर कालोनी बना रहे है..और लोगो का जोरशोर से दिमाग सडा रहे है .

यहाँ सारे देश के लोग बाग़ राष्ट्रिय गान जैसे गाना " पानी मिल गया पानी मिल गया " गा रहे है . चाँद पर पानी क्या मिल गया है जैसे पानी की समस्या का समाधान मिल गया हो और चाँद का पानी उन्हें पृथ्वी में पीने को मिल जावेगा . आगे जाकर चाँद पर खुदाई होगी तब जाकर चाँद की २० किलो मिटटी में से मात्र आधा लीटर से कम पानी निकलेगा और तब लोगो को पीने को पानी मिलेगा .

यदि सारे भारत की जनता को चाँद का पानी पिलाना पड़े तो ऐसे में पानी के चक्कर में सारे चाँद को खोदना पड़ेगा तब तो चाँद ही न बचेगा . प्रेमी प्रेमिकाओं के चाँद का अस्तित्व ही समाप्त हो जावेगा . अरे भैय्या जब अपने इस धरती के पानी को हम बचा नहीं पाते है और मौके पर जल संरक्षण नहीं कर पाते है तो अब काहे चाँद के पानी के पीछे पड़े हो . यदि चाँद न रहा तो प्रेमी प्रेमिका किस चाँद को अपने दिलो में जगह देंगे.



लोग वहां एरियन जैसे दिखेंगे

अपने ताऊ जी ने भी चाँद पर चाट का ठेला लगवाया था पर पानी की कमी के चलते चाट का ठेला बंद करना पड़ा . कोई कह रहा है की चलो यार चाँद पर हेलमेट का धंधा खूब चलेगा चलो चाँद पे हेलमेट की दूकान खोल लेते है . कोई कह रहा है की यहाँ के लोग वहां एरियन जैसे दिखेंगे उसकी बड़ी बड़ी पूंछ होगी और पूँछ के द्वारा सब कुछ डिस्चार्ज करेगा और हवा में उड़ता फिरेगा . आदमी चाँद पर जाकर खुद को आदिमानव फिरसे बनाने की तैयारी कर रहा है . . भैय्या ये सब दूर की गोटी है अपने लिए इस जनम तक... तब काहे आप पानी पानी चिल्लात हो जी .

24.9.09

पहली मुलाकात में आप हमारे अजीज हो गए

पहली मुलाकात में आप हमारे अजीज हो गए
क्या कहें हम आपको पाकर खुशनसीब हो गए.
हम कहना चाहते थे बहुत कुछ पर कह न पाए
आपको देखे वगैर हम आपसे कुछ कह न पाए .

21.9.09

मै आशिक न होता अगर तू बेहद हसीन न होती

मै आशिक न होता अगर तू बेहद हसीन न होती
तू सितम न होती अगर तो मै कलमकार न होता.
000000
करे और क्या शिकवा हम आपसे है हम सनम
ये चाहे जितना भी तडफाये प्रीत न होगी कम.
00000
आपको देखते दिल की बगिया में बहारे खिलती है
आपको खुश देखकर इस दिल को ख़ुशी मिलती है.
00000
तू हर ख्वाब मेरा है जुडी हर यादे तुझसे जुडी है
कम न हो तेरी खुशियाँ खुदा से दुआ कर रहा है
000000

15.9.09

जब तेरे सितमो पे मर मिटे आबाद कभी बर्बाद हुए

तेरी यादे तुमसे बेहतर है तन्हाई में आ जाती है
याद जरुर आते होंगे अक्सर तुझे तन्हाइयो में.

यादो के सहारे जिन्दा है गर मर जाते जुदाई में
तेरी यादो में मै हर पल उदास खोया रहता हूँ.

कब सुबहो हुई कब शाम मुझे पता ही न चला
तेरी यादो को मैंने इस दिल से भुलाना चाहा.

इस दिल को तुम उतना ही खूब याद आये
हमें जब तेरी मोहब्बत में खूब ईनाम मिले.

और प्यार के बदले में मेरी वफ़ा को इल्जाम मिले
जब तेरे सितमो पे मर मिटे आबाद कभी बर्बाद हुए
00000000

10.9.09

बारिश - पहले तरसे फिर हुए बेहाल

बरसात के सीजन में इन्द्र देवता ने तरह तरह के कारनामे दिखाए . जून और जुलाई माह में लग रहा था की इस साल बहुत कम अल्प बारिश होगी . और लोगबाग मानसूनी बरसात के लिए तरस गए . तरह तरह के कयास लगाए जाने लगे . सरकारी स्तर पर आगामी सूखे की स्थिति को भांपते हुए सूखे से निपटने के लिए कार्ययोजना फ़ाइले बनाई गई पर(मित्र के व्यंग्य चित्रों के अनुसार} अचानक इन्द्र देवता ने फाइल गीली कर दी है. अब बाढ़ राहतो की फ़ाइले बने जा रही है . अगस्त तक मात्र बीस इंच बारिश दर्ज की गई थी . अचानक इन्द्र देव ने जोरशोर से अपना पैतरा बदला और और दनादन हो गए शुरू. तीन दिनों के अन्दर बारिश ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए है . अभीतक शहर में बारिश का आंकडा ५० इंच को पार कर चुका है और अभी भी बारिश का सिलसिला जारी है .

लोगबाग अब इस भीषण बारिश से बेहाल और हलाकान हो चुके है . कुंआर के महीने में अचानक तेज बारिश के कारण लोगो की जीवन की दिनचर्या अस्त व्यस्त हो गई है . जगह जगह सड़को पर गड्डे हो गए है और बिजली की व्यवस्था चरमरा गई है . गरीब लोगो के घर मकान भी गिर गए है और खाने पीने के लाले पड़ गए है यह सब देखकर दुःख भी होता है पर ईश्वर के आगे अपनी क्या बिसात है . मौसम के कारण फ्लाईट बंद है . फेक्टरियों में पानी घुस गया है और उत्पादन कार्य प्रभावित हो गए है . खबर है की अधिक बारिश होने के कारण अभी अभी की होशंगाबाद में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है . नर्मदा उफान पर है . भगवान ने पेयजल की समस्या का निराकरण तो कर दिया है पर इस अधिक बारिश के कारण खेती तो सुधर गई है पर खेती में किसानो को लगभग ३० प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ सकता है सोयाबीन और दलहन की फसलो की नुकसान पहुँचने की अधिक संभावना आंकी गई है. चलिए अब बरसात पर एक रचना ....

रिमझिम बरसती बरसात देखकर
खेलने आ गए बच्चे सड़को पर
बता बरसते पानी तेरा क्या है इरादा
क्या घर मेरा तू गिराकर थमेगा
कड़कती हुई बिजली बरसता हुआ पानी
कम्बल से लिपटी तब तड़फती जवानी
बहता जो देखा हमने बारिश का पानी
याद आ गया बचपन और कागज की कश्ती
पड़ी जब चेहरे पर बारिश की बूंदे
सुकून दिया गजब का उस एहसास ने
बागो में खुश हो मोरनी जो नाची
तो समझ गए आज खुदा बरसायेगा पानी
हद हो चुकी अब तो थम जा ऐ बारिश
डूब गया सारा मै ही बचा हूँ.

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8.9.09

एक न एक शमा अँधेरे में जलाए रखना

न ख़ुशी है और न कोई दर्द रुकाने वाला
हमने अपना लिया है हर रंग जमने वाला.

उन्हें रुकसत क्या किया मुझे मालूम नहीं
सारा दर्द दे गया घर छोड़ के जाने वाला.

हम आपको भूल जाए इतने बेवफा नहीं
क्या गिला करे आपसे कोई गिला नहीं.

अपने गम देते मुझे कुछ सूकून तो मिले
कितने बदनसीब है जिन्हें गम नहीं मिले.

एक न एक शमा अँधेरे में जलाए रखना
सुबह होने को है...माहौल बनाए रखना.

आज खास बात है की आज रात रौशन है
हुश्न खूब रौशन है...उजाला साथ लाया है.

मेरी सांसो की खुशबू तेरे प्यार की प्यासी है
मेरी आंखे तेरे प्यार दीदार की प्यासी है।
ooooo

5.9.09

शिक्षक दिवस 5 सितंबर : मानवतावादी डाक्टर राधाकृष्णन

डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय सामाजिक संस्कृति से ओत प्रोत एक महान शिक्षाविद महान दार्शनिक महान वक्ता और एक अस्थावान हिंदू विचारक थे. स्वतंत्र भारत देश के दूसरे राष्ट्रपति थे. डाक्टर राधाकृष्णन ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण 40 वर्ष शिक्षक के रूप मे व्यतीत किए. उनमे एक आदर्श शिक्षक के सारे गुण मौजूद थे .उन्होने अपना जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप मे मनाने की इच्छा व्यक्त की थी और हमारे देश मे डाक्टर राधाकृष्णन का जन्म दिन 5 सितंबर को "शिक्षक दिवस" के रूप में राधाकृष्णन समस्त विश्व को एक शिक्षालय मानते थे. उनकी मान्यता थी कि शिक्षा के द्वारा ही मानव दिमाग़ का सदउपयोग किया जाना संभव है.इसीलिए समस्त विश्व को एक इकाई समझकर ही शिक्षा का प्रबंधन किया जाना चाहिए.

एक बार ब्रिटेन के एडिनबरा विश्वविद्यालय मे भाषण देते हुए डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि मानव को एक होना चाहिए .मानव इतिहास का संपूर्ण लक्ष्य मानव जाति की मुक्ति है .जब देशो की नीतियो का आधार विश्व शांति की स्थापना का प्रयत्न करना हो. शिक्षक दिवस का महत्त्व इस द्रष्टि से अत्यधिक बढ़ जाता है की हम इस दिन अपने गुरुजनों का सम्मान कर स्मरण कर लेते है की उन्ही के आशीर्वाद से हम जीवन में उन्नति और प्रगति कर सकते है. किसी ने कहा है " की गुरुजन बिन ज्ञान प्राप्त नहीं होता है चाहे वह गुरु किसी भी क्षेत्र में किसी भी विधा में पारंगत हो ".

अंत में इस अवसर पर सभी गुरुजनों के चरणों में नमन कर उनका हार्दिक स्मरण कर रहा हूँ की जो भी हूँ या जो भी है वह उनकी असीम कृपा से है.

ॐ तस्मै गुरुवे नमः

1.9.09

चुटकुले हंसी के खजाने से सराबोर

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महाताऊ श्री एक बार निमंत्रण में ताउजी के यहाँ खाना खाने गए . महाताउश्री ने जो खाना खाना शुरू किया तो खाते चले गए और देखते ही देखते २० रोटी खा गए . ताउजी यह सब देखकर हैरत में पड़ गए सोचने लगे यदि इसी तरह से मेहमान महोदय खाना खाते रहे तो मेरा भटरा बैठ जायेगा . यह सोचकर ताउजी खिसिया गए और बोले यार तुम तो खाते ही चले जा रहे हो खाने के दौरान क्या आप पानी वगैरा नहीं लेते ?
ताऊ महाश्री - पीता हूँ मगर आधा खाना खाने के बाद.
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एक साहब ने एक पेटू पंडित को खाना खाने का निमंत्रण दिया था . पंडितजी ने भरपेट खाना खाया और अपनी तौंद पर हाथ फेरते हुए - "बस भर गई है"
साहब ने मलाई की एक प्लेट और पंडित जी के सामने रख दी - पंडित जी ने मलाई की प्लेट भी साफ़ कर दी . वाही पास में खड़े होकर ताउजी यह सब देख रहे थे उनसे रहा न गया बोले - पंडितजी अभी तो आप कह रहे थे की "बस भर गई है" फिर मलाई की प्लेट आपने कैसे साफ़ कर दी .
पंडित जी बोले - जजमान बस तो भर गई थी पर कंडेक्टर की सीट खाली थी .
०००००

एक ब्लॉगर दूसरे ब्लॉगर से - दस साल से ब्लॉग लिखने के बाद मुझे बाद में पता चला की मुझमे सृजन शीलता की प्रतिभा बिलकुल भी नहीं है .
दूसरा मित्र ब्लॉगर - तो तुमने आखिर ब्लॉग लिखना क्यों बंद कर दिया ?
ब्लॉगर - नहीं ब्लॉग लिखना बंद करने से पहले मै काफी प्रसिद्द हो गया था .....है हे हेए .
०००००

27.8.09

जबसे लिखने बैठे चिठ्ठी हम कलम खुद बा खुद रुक जाती है

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जबसे लिखने बैठे चिठ्ठी हम कलम खुद बा खुद रुक जाती है
दिल की बात लिखते लिखते कलम शर्म से खुद रुक जाती है.

मै तुमको यह चिठ्ठी लिखू मेरी इस चिठ्ठी में मेरी धड़कन है
यह लिखते समय फ़िक्र नहीं है इस चिठ्ठी में तेरी कोरी यादे है.

छोड़ गए जबसे इस दुनिया को तुम चिठ्ठी लिखना भूल गए
तुम्हारे जबाब का इंतजार करते करते मेरी पलकें झपक गई .


प्राइवेट डायरी..से
महेंद्र मिश्र .

24.8.09

चुटकुले गुलगुलों के साथ : चलिए आज फिर हँसने हंसाने की बारी है ?

कल्लू - मम्मी आपने भैय्या को किस भाव खरीदा था ?
मम्मी - अरे भाई उसे खरीदा नहीं था वह तो पैदा हुआ था .
कल्लू - फिर पैदा होने पर आपने उसे क्यों तौला था .


काली औरत आपने पति - क्यों मै हरी साड़ी पहिनकर कैसी लगती हूँ ?
पति - मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे भैस घास चर रही हो .


ताउजी ताईजी से - अरी सुनती हो इस पुस्तक में लिखा है की जिन बच्चो के बाप विद्वान् होते है वे बच्चे मूर्ख होते है और जिन बापों के बच्चे विद्वान् होते है इन बच्चो के बाप मूर्ख होते है .
ताईजी ताउजी से - अगर यह सच है तो एक चिंता तो कम हुई अपना बेटा विद्वान् बनेगा .


एक मिल में हड़ताल हो गई . पत्रकारों ने हड़ताली नेता से पूछा - आपकी प्रमुख मांगे क्या क्या है ?
हड़ताली नेता - बस एक ही बड़ी मांग है की काम के घंटे छोटे होना चाहिए
पत्रकार - ये मांग तो जायज है .
हड़ताली नेता - जी हाँ हम हर हाल में चालीस मिनिट का घंटा करवा के छोडेंगे .


ताऊ महाश्री लेखक - मेरी आगामी रचना में वो सब कुछ समाहित होगा जोकि मैंने अपनी साठ सालो की जिंदगी में सीखा है .
श्रोता ताऊ - ओह तो आप अब लघुकथा लिखने की तैयारी में है .

mm

22.8.09

व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई : 22 अगस्त जन्मदिन पर एक मूल्यांकन



आज प्रसिद्द व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई जी का जन्मदिवस है .



श्री हरिशंकर जी का झुकाव अधिकतर सर्वहारा वर्ग की ओर अधिक था . 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था तत्समय सारे देश में आदर्शवादिता चरम सीमा पर थी ओर लोगो के दिलो में आदर्शवादिता का जज्बा कायम था . लोगो के नए नए अरमान थे वे देश ओर साहित्य के लिए समर्पित थे . प्रहरी में हरिशंकर जी परसाई की पहली रचना " पैसे का खेल " 23 नवम्बर 1947 को प्रकाशित हुई थी ओर इसके बाद धोखा, भीतर के घाव, भूख के स्वर ओर स्मारक ओर जिंदगी ओर मौत, दुःख का ताज आदि एक से बढ़कर एक उनकी रचनाये प्रकाशित हुई जोकि अत्यंत भावप्रधान थी जिनमे गरीबी की छाप स्पष्ट दिखलाई देती है.





नौकरी से त्यागपत्र देकर श्री परसाई जी ने अल्प साधन होते हुए भी लेखन के क्षेत्र में पदार्पण किया वे सर्वहारा वर्ग के शुभचिंतक थे बाद में उनका झुकाव बामपंथ की ओर हो गया था जिसके कारण उनके लेखो में इस प्रकार के वाक्यों का अधिकतर उल्लेख किया गया है जैसे -

पर जहाँ जीवन की परिभाषा मृत्यु को टालते जाना मात्र हो वहां जीवन को नापता हुआ वर्ष पास पास कदम रखता है . पर जो जीवन की कशमकश में उलझे है जो पसीने की एक एक बूँद से एक एक दाना कमाते है जिन्हें बीमार पड़ने की फुरसत नहीं है (पुस्तक-जिंदगी ओर मौत) से साभार.

जो साहित्यकार गरीबो ओर पिछडे वर्ग के लिए चिंतन करता है ओर उनके हितों को ध्यान में रखकर रचना धर्मिता कार्य लेखन करता है वह निश्चय ही दूरद्रष्टि का मालिक होता है इसमें कोई संदेह नहीं है ओर जो लेखक अन्तराष्ट्रीय राजनीति ओर समस्याओं पर इतना अधिक लिख सकता है वह अपने मोहल्ले गाँव ओर कस्बे से बंधा नहीं रह सकता है और निश्चित ही संकीर्ण चिन्तक हो ही नहीं सकता है . परसाई जी का स्वतंत्र चिंतन समग्र सर्वहारा वर्ग के लिए था जो इस देश की सीमाओं को पार करते हुए देश विदेश तक फ़ैल गया . पाई पाई जोड़कर अपने चिंतन द्वारा श्री परसाई जी द्वारा जो साहित्य रचित किया गया है आज हम उसे परसाई साहित्य के नाम से जानते है और पढ़ते है .

श्री परसाई जी की पहली रचना "स्वर्ग से नरक" जहाँ तक पहली रचना है जोकि मई १९४८ को प्रहरी में प्रकाशित हुई थी जिसमे उन्होंने धार्मिक पाखंड और अंधविश्वास के खिलाफ पहली बार जमकर लिखा था . धार्मिक खोखला पाखंड उनके लेखन का पहला प्रिय विषय था . वैसे श्री हरिशंकर जी परसाई कार्लमार्क्स से जादा प्रभावित थे . परसाई जी की प्रमुख रचनाओं में "सदाचार का ताबीज" प्रसिद्द रचनाओं में से एक थी जिसमे रिश्वत लेने देने के मनोविज्ञान को उन्होंने प्रमुखता के साथ उकेरा है .



जिस स्थान पर अमन चैन हो वहां पुलिस वाले कैसे अशांति फैला रहे है और कैसे भ्रष्टाचार फैला देता है को लेकर परसाई जी की रचना "इस्पेक्टर मातादीन" लोकप्रिय रचनाओं में से एक है . इस तरह यह कहा जा सकता है की श्री हरिशंकर जी परसाई जी की रचना पहले के समय में प्रासंगिक थी और आज भी है और भविष्य में भी रहेगी . चूंकि श्री हरिशंकर जी परसाई जी इस शहर मे रहे है और उनका संस्कारधानी से अट्ट नाता था और यहाँ के वाशिंदों साहित्यकारों से उनका आत्मिक लगाव- जुडाव था . जन्मदिन के अवसर पर उनके व्यक्तिव और कृतित्व का भावभीना स्मरण करते हुए संस्कारधानी के ब्लागर्स , साहित्यकारों और समस्त जनों की ओर से शत शत नमन करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ .

19.8.09

एक तुम्ही आधार सदगुरु......एक तुम्ही आधार

हे सदगुरु जब तक न तुम न मिलो इस जीवन में
शांति कहाँ मिल सकती है भटकते अतृप्त मन में.

खोजा फिरा संसार सदगुरु एक तुम्ही आधार सदगुरु
कैसा भी तारन हारा मिले न जब तक शरण सहारा.

प्रभु तुम ही विविध रूपों में हमें बचाते भाव कूपो से
ऐसे परम उदार सदगुरु एक तुम्ही हो आधार सदगुरु.

छा जाता जग में अँधियारा तब पाने प्रकाश की धारा
आते है तेरे द्वार सदगुरु एक तुम्ही आधार हो सदगुरु.

हम आये है द्वार तुम्हारे तुम्ही उद्धार करो दुःख हारे
सुनलो इस दास की पुकार सदगुरु एक तुम्ही आधार.

.....

13.8.09

गोविंदा आला रे ... कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना

गोविंदा आला रे ... कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना





सभी ब्लॉगर भाई बहिनों को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई .

11.8.09

हम गुजरा नहीं करते है अनजान राहो से दर्दे दिल लेते देते नहीं हैं

वो आंसुओ की कीमत क्या जाने जो हर बात पर आंसू बहाते है
उनसे कीमत पूछो आंसुओ की जो गमो में भी हंसते मुस्कुराते है.

हम गुजरा नहीं करते है अनजान राहो से दर्दे दिल लेते देते नहीं हैं
मोहब्बत का सिर्फ रिश्ता है आपसे दूसरो को हम दिल देते नहीं है.

अंत में एक जोग-
चित्रगुप्त यमराज से - इस बच्चे की जान अपने समय से पहले क्यों ले ली ?
यमराज - यार मार्च का कोटा जो पूरा करना था .

10.8.09

नौ घंटे सीढी पर चढ़कर मोटर साइकिल लगातार चलाकर रच दिया इतिहास

यदि इंसान में कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो वह क्या नहीं कर सकता है. हैरतअंग्रेज कारनामा को अंजाम देने के लिए साहस और आत्मविश्वास का होना अत्यंत आवश्यक है. विगत दिवस रविवार को जबलपुर के कोबरा ग्राउंड में सेना और प्रशासनिक अधिकारियो और शहर के गणमान्य नागरिको की उपस्थिति में डेयर डेविल्स के केप्टिन जितेन्द्र ने जमीन से १८ फुट ऊपर एवं मोटर साइकिल से १५.४ फुट ऊपर लगातार नौ घंटे सीढी पर चढ़कर बुलेट मोटर साइकिल चलाकर एक हैरतअंग्रेज साहसिक कारनामा कर दिखाया है और विश्व कीर्तिमान रच दिया है.



१५ फुट ऊँची सीढी पर चढ़कर मोटर साइकिल चलाने का पिछला कीर्तिमान चीन के एक जवान के नाम है . सुबह सीढी पर चढ़ कर सुबह ११ बजे केप्टिन जितेन्द्र ने जो मोटर साइकिल चलाने का क्रम शुरू किया जो लगातार नौ घंटे के बाद रुका. बीच बीच में रिमिझिम बारिश भी हुई पर जितेन्द्र ने अपना साहस नहीं खोया और लगातार बुलेट मोटर साइकिल चलाते रहे. जैसे ही उनका यह कारनामा बंद हुआ लोगो ने भारी आतिशबाजी की और हर्ष व्यक्त किया.



इस कारनामे की जाँच समिति द्वारा एक सीडी बनाई गई है जोकि गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड को रिकार्ड हेतु प्रेषित की जावेगी. केप्टिन जितेन्द्र के इस कारनामे के पीछे कठोर मेहनत और लगन छिपी हुई थी जिसने दर्शको का दिल जीत लिया. दर्शक साँस रोककर अतिम समय तक इस साहसिक अभियान को देखते और सराहते रहे और उन्होंने केप्टिन की खूब हौसलाफजाई की और उनका निरंतर उत्साह बढाते रहे.

6.8.09

भड़कीले चुटकीले जोक्स - हंसी ठिठोला

पति पत्नी से - यार अपुन पिछली बार दिल्ली गए थे याद नहीं है की अपुन कौन सी होटल में रुके थे . जरा सोचकर बताओ ?
पत्नी - जरा ठहरो अभी चम्मचों पर देखकर बताती हूँ.
०००००
एक लेडीज बड़ी तेज रफ़्तार से कार चला रही थी और उसका पति कार में बैठा था . उसके पति ने उस लेडीज से कहा जरा धीरे कार चलाओ वरना दुर्घटना हो जायेगी और खब़र अखबारों में छपेगी और अखबार वाले तुम्हारी सही सही उम्र भी छाप देंगे. यह सुनकर उस लेडीज ने प्रलयकारी नजरो से अपने पति की और देखते हुए कार की रफ़्तार धीमी कार दी.
०००००
मिस्टर एक्स तीस साल के हो चुके थे और अभी तक अविवाहित थे. एक दिन उनके मित्र ने उनसे कहा - क्यों भाई अब आपके विवाह में कितनी देर और है ?
मिस्टर एक्स बोले - क्या करे कोशिश तो कर रहा हूँ मैंने विवाह के लिए कई अखबारों में भी विज्ञापन दे दिया और कई बहिनों के उत्तर आ भी चुके है .
०००००
एक व्यक्ति ने अपने घर कुछ मित्रो को खाने के लिए बुलाया . जैसे ही मित्र उसके घर आने को हुए वह व्यक्ति जल्दी जल्दी अपने घर में लगी पेंटिंग सीनरी गुलदस्ते फोटो हटाने लगा . यह सब देखकर उसकी पत्नी ने उससे कहा - क्या तुम्हारे दोस्त ये सब चुरा ले जायेंगे जो तुम जल्दी जल्दी इस कमरे से हटा रहे हो . उस व्यक्ति ने कहा - चुरा तो नहीं ले जायेंगे परन्तु पहचान जरुर जायेंगे.
०००००

3.8.09

यह भूल गया इस जहाँ में कोई अपना है

तस्वीर जबसे तेरी इस दिल में बिठाई है
हर हाल में बस तेरी सूरत दिखाई देती है

तस्वीर में जिस अदा से.. तुम हँसती हो
दिल टूट जाने के बाद क्या ऐसे ही हँसोगी

तेरी तस्वीर हाथो में लिए जब घूमता हूँ
तुझे समझ कर कहीं मै गैर को छू न दूं

तस्वीर कैसे मिटाऊ मै इस अपने दिल से
काश कागज पे होती तो फाड़ ही देता मै

यह भूल गया इस जहाँ में कोई अपना है
तेरी अश्को से.. बनी तस्वीर याद आई है

न कोई निशानी है और न कोई तस्वीर है
बस अब तेरी यादो के सहारे.. रो लेते है .

31.7.09

उनकी याद तुम मुझे न दिलाओ ऐ मस्त बहारो

उनकी याद तुम मुझे न दिलाओ ऐ मस्त बहारो
इस मौसम में तड़फते दिल को और न तड़फाओ.

मेरा राजी-ख़ुशी का पैगाम उनके पास पहुंचा देना
कहना उसे भूला नही हूँ और मुझे भुला न देना.

मेरे इस दिल को ख़ूबसूरत याद जब आती है तेरी
चंद अश्क निकल पड़ते है तब इन आँखों से मेरी.

29.7.09

जोग - जरा मुस्कुरा दें

चार शराबी दिल्ली पहुंचे वहां पर उन्होंने खूब छककर शराब पी और फिर उसके बाद शहर घूमने निकले . वहां उनकी नजर एक मंदिर पर पड़ी. उनमे से एक शराबी बोला - देखो यहाँ के लोग कितने मूर्ख है जिन्होंने मंदिर को धूप में रखा है. भगवान के घर की भी यहाँ के लोगो को परवाह नहीं है.
बाकी शराबियो ने कहा - गोली मरो यहाँ के लोगो को चलो हम सब मिलकर मंदिर को धकेलकर छाँव में ले चलते है. सब के सब बजरंग बली का नारा लगाते हुए जोर जोर से मंदिर को धकेलकर ठेलने लगे.
जब शाम हो गई तो चारो शराबियो ने अपनी अपनी पीठ ठोक ली और कहने लगे देखो हमने मंदिर को धकेलकर मंदिर को छाँव में कर ही दिया है.
कुछ लोग शराबियो की हरकतों को देख रहे थे उनमे से एक ने पूछा - आप सब लोग यह सब क्या कर रहे है.
एक शराबी ने कहा - " शर्म नहीं आती पूछते हुए की भगवान के घर को कोई इस तरह से घूप में रखते है ".
उत्तर में उस आदमी ने कहा देखते है तुम लोग कितने दिनों तक मंदिर को धूप से कैसे बचाकर रखते हो.
एक शराबी बोला - " हम तुम्हारे बाप के नौकर है जो रोज रोज मंदिर को छाँव में ले जाते फिरे.
....

एक लड़का भागकर गश्त करने वाले पुलिस वाले के पास पहुँचा और बोला - जरा उस कोने में चलिए मेरे पिताजी दो घंटे से एक बदमाश से लड़ रहे है.
पुलिसवाला - तुमने पहले खब़र क्यों नहीं दी ?
लड़का - उस समय मेरे पिताजी उस बदमाश को पीट रहे थे.
....

रामप्यारी ने अपने अध्यापक से कहा - "यह कहना गलत है की दो और दो मिलकर चार होते है. मिसाल के तौर पर दो पानी की बूंदों में दो पानी की बूंदे मिलाकर देखिये की चार बूंदे होती है की नहीं.
....

ताऊ रामप्यारी से - मानलो तुम्हारे जेब में तीन पाई है और एक पाई जेब में और डाल दी जाए तो क्या होगा ?
रामप्यारी - मेरी जेब फट जायेगी
ताऊ - वह कैसे ?
रामप्यारी - गजब कर रहे हो मेरी जेब इतनी छोटी है की उसमे चारपाई कैसे आ सकती है.

27.7.09

फिर से अपने गाँवो को स्वर्ग बनायेंगे

फिर से अपने गाँवो को स्वर्ग बनायेंगे
अपने अन्दर सोये देवत्व को जगायेंगे.

गाँवो की गलियां क्यों गन्दी रहने देंगे
गंदगी नरक जैसी अब क्यों रहने देंगे.

सहयोग,श्रम से हम यह नरक हटायेंगे
रहने देंगे बाकी हम मन का मैल नहीं.

अब भेदभाव का हम खेलेंगे खेल नहीं
सब भाई भाई है सब मिलकर गायेंगे.

देवो जैसा होगा चिंतन व्यवहार चलन
फिर तो सबके सुख दुःख बाँट जायेंगे.

शोषण-उत्पीडन फिर नाम नहीं होगा
फिर पीड़ा -पतन का नाम नहीं होगा
सोने की चिडिया हम फिर कहलायेंगे.

साभार-युग निर्माण हरिद्वार से.

24.7.09

टंकी पे चढी : इस टंकी में है बड़े बड़े गुण ... दुनिया रंग रंगीली


कभी शोले फिल्म देखी थी जिसमे वीरू बसंती को पटाने मनाने के लिए टंकी पर चढ़ जाता है और उसे टंकी से उतरने के लिए बसंती हाँ कर देती है और इस फिल्म की तर्ज पर आज एक समाचार पत्र में पढ़ा की एक प्रेमिका अपने शादीशुदा प्रेमी को मनाने के लिए जाकर टंकी पर चढ़ गई और टंकी पे चढ़कर जोर जोर से अपने प्रेमी का नाम पुकारने लगी . मजमा जमा हो गया .

शादीशुदा प्रेमी मर्द अपनी पत्नी बच्चो के साथ टंकी के पास आया और उनकी उपस्थिति में वह अपनी प्रेमिका के पास खुद टंकी पर चढ़कर गया और सबकी उपस्थिति में टंकी पर ही उसने अपनी प्रेमिका की मांग भरी और उसे टंकी पर से उतार कर मरने से बचा दिया . चूंकि टंकी पर चढ़ने वाली बालिग हो गई थी इसीलिए पुलिस ने शादी के सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं की बल्कि उस शादीशुदा मर्द उर्फ़ आज का वीरू को १५१ की धारा के तहत हवालात की राह जरुर दिखा दी .

यह लगता है कि टंकी पर अपनी मांग को लेकर चढ़ जाओ भाई लोग मना कर टंकी से उतार ही लेंगे. आगे आने वाला समय बताएगा कि टंकी पर चढ़ने उतरने के धंधे से क्या क्या ..... है. अपनी बात मनमाने के लिए समय बदलने के साथ लोगो के विचार और तरीके बदल गए है .और आज के समय में ये सब तरीके हास्यापद लगते है और लोगो के मनोरंजन का कारण बन जाते है .

22.7.09

एक हितोपदेश कहानी " आपस में कभी बैर न करो ?

सुन्द और उपसुन्द नाम के दो महाबली राक्षस थे उन्हें अपनी शक्ति पर बड़ा घमंड था . वे तीनो लोको का राजा बनना चाहते थे इसीलिए उन्होंने भगवान शंकर की घोर तपस्या की . भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो गए और उन्होंने राक्षसों से वर मांगने को कहा . राक्षसों ने भगवान शंकर की पत्नी को वर में मांग लिया . भगवान यह सुनकर आगबबूला हो गए फिर भी वचनवद्ध थे . वचन के अनुसार उन्हें वर देना ही था तो उन्होंने अपनी सुन्दर पार्वती राक्षसों को दे दी .

सुन्दर पार्वती को पाकर उन राक्षसों की बुद्धि मारी गई और वे पार्वती को लेकर आपस में झगड़ पड़े. राक्षसों को ठिकाने लगाने के उद्देश्य से भगवान शंकर ने एक ब्रामण का रूप रख लिया और उनके पास पहुँच गए . राक्षसों ने भगवान शंकर को अपना बिचोलिया बना लिया. दोनों भाई अपने तप और बल की श्रेष्ठता को लेकर उतावले थे .

ब्रामण ने समझाया तुम लोग आपस में द्वंद युद्ध कर लो जो बलवान होगा पता लग जावेगा . दोनों राक्षसों ने गदा उठा ली और आपस में भिड गए और आपस में लड़ भिड़कर मारे गए . भगवान भोलेनाथ ने अपना रूप प्रगट किया तो पार्वती जी खुश हो गई . शंकर जी ने पार्वती जी की और देखा तो पार्वती जी ने मुंह फेर लिया . शंकर जी ने पार्वती जी से कहा की गलती मेरी थी जो मैंने उन्हें बिना सोचे समझे वर दे दिया .

शिक्षा इस कहानी से यह मिलती है की हमें आपस में कलह नहीं करना चाहिए.और उड़नतश्तरी जी की टीप के अनुसार यह शिक्षा मिलती है वगैर सोचे समझे हमें वर नहीं देना चाहिए.

19.7.09

चुटकुले जो आपको शायद हँसा दें

ताऊ - दुनिया का आकार कैसा है .....?
रामप्यारी चुप रही
ताऊ ने रामप्यारी की स्मृति को उभारने के विचार से खुद ही पूछा "गोल"
रामप्यारी बोल पड़ी ..... नहीं
ताऊ - तो क्या चपटी है ....?
रामप्यारी ने फिर से कहा - नहीं
ताऊ - " न गोल है और न चपटी है तो आखिर ये पृथ्वी कैसी है......?
रामप्यारी ने सरलतापूर्वक कहा - महाताऊ बाबा कहते है की दुनिया टेढ़ी है .

000000

रामप्यारी - मै भी तालाब में कूद कर तैरने लगूँ
रामप्यारी की मम्मी - नहीं तुम डूब जाओगी
रामप्यारी - लेकिन महाताऊ तो तैर रहे है
ताऊ - अरी तू जानती नहीं है इनका बीमा हो चुका है .

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18.7.09

तेरे प्यार ने हमें ये खुशनसीब जिंदगी दी है

तेरे प्यार ने हमें ये खुशनसीब जिंदगी दी है
फूलो ने चमन में बहारो की सी खुशबू दी है.
ooooooo
कई चमकते हुश्न चाँद की तरह हमने देखे है
कई दिल इश्क में तड़फते इस दिल ने देखे है.
oooooo
अपनी आँखों का नूर महबूब को बता देते है
आँखों ने आशिको को बेनूर तड़फते देखा है.
ooooooo

16.7.09

बरसाती जोग जरा मुस्कुरा लें जनाब

एक आदमी की अर्थी को कुछ लोग एम्बुलेंस में ले जा रहे थे . अर्थी को मोटर चलाकर नहीं ले जाया जा रहा था बल्कि मोटरगाडी को बंद कर धक्का लगाकर धकेल कर ले जा रहे थे . चलते राहगीरों को देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ . उन्होंने ने पूछा आखिर आप अर्थी को गाडी में धक्का लगाकर क्यों ले रहे हो ?
अर्थी में शामिल एक जन ने मरने वाले की अंतिम इच्छा के बारे में बताया की मरने वाले की अंतिम इच्छा थी की "हर हाल में पेट्रोल की बचत हो" .
......
ताऊ - यह छाता तुम्हे कहाँ से मिला ?
रामप्यारी - मेरी बहिन ने उपहार में दिया है .
ताऊ - लेकिन तुम कहती थी की तुम्हारी कोई बहिन नहीं है .
रामप्यारी - वह तो ठीक है पर छाते पर लिखा है " बहिन को प्रेम स्वरुप "
.......

एक फ़कीर भीख मांगना छोड़कर पुलिस में भरती हेतु पुलिस हेड क्वाटर गया . उसका सीना नापा गया और उससे दौड़ लगवाई गई वह पूरी तरह से परीक्षा में सफल रहा . मौखिक इंटर व्यू में एक पुलिस अधिकारी ने भिखारी से पूछा - अब यह बताओ की अगर कहीं लोग मंदिर में इकठ्ठे हो जाए तो उन्हें चितर - बितर करने के लिए तुम क्या करोगे ?
भिखारी - मै एकदम मंदिर के सामने चादर लेकर लोगो से चंदा मांगना शुरू कर दूंगा .
........

13.7.09

वादाखिलाफी की हद अगर ... दिल में है

वादाखिलाफी की हद अगर .... दिल में है
अपने दिल में.. हिसाब तुम लगा कर देखो.
oooooooo
रफ्ता रफ्ता....क़यामत के दिन आ गए है
बदलते बदलते...मुलाकात के दिन आये है

3.7.09

हमें जलते सूरज को देख कर उनका गुरुर याद आता है.



हमें गुलो के आलम को देखकर वो महबूब याद आता है
हमें जलते सूरज को देख कर उनका गुरुर याद आता है


मुझ से शिकवा न कर जुदा होने की हसरत तूने की थी
मुझ पर इल्जाम न लगा मेरी वफ़ा से शिकायत तुझे थी.


जब तेरे दिल में किसी के लिए कोई वफ़ा का नाम नहीं है
इस दिल को ठुकरा कर तू वफ़ा पाने की उम्मीद न कर


वो नशा जो इस जाम में नहीं है वो नशा तेरी सूरत में है
जो प्यार मेरे इस दिल में है वो प्यार सारे जहाँ में नहीं है

30.6.09

जहाँ भी बस मै देखता हूँ बसी है तुम्हारी यादें


तुम नजरे झुका कर देखती हो... जिस तरह
देखती हो इस तरह.. जैसे कुछ भी नहीं देखा.

oooooo

अपना हाले दिल लेकर कहाँ तुझे खोजने जाऊं
जहाँ भी बस मै देखता हूँ बसी है तुम्हारी यादें.

oooooo

तेरे इस हसीन चेहरे को देख खूब प्यार आता है
हँस कर जालिम ने कहा आप को क्या आता है.

26.6.09

तूने रंगों से सराबोर क्या मोहक अदा पाई है




तूने रंगों से सराबोर क्या मोहक अदा पाई है
मेरे इस दिल की मौजो ने खूब अंगडाई ली है.

ऐ नाजनीन खुदा ने तुझे क्या खूब तराशा है
तेरी अदाओं ने दीवानों को दीवाना बनाया है

000

24.6.09

जिन्होंने तुम्हे दिलदार बनाया है दुआएं उनको दो

आप बातो ही बातो में दिले दिलदार बन गए क्यों
अपना बनाकर पास रह कर तकरार कर रहे क्यों.

****

जिन्होंने तुम्हे दिलदार बनाया है दुआएं उनको दो
दुनिया की परवाह ना कर दिल में तुम्हे बसाया है.

*****

18.6.09

मोहब्बत में मरने वाले दिलवर नाम करके ही जाते है

मोहब्बत में मरने वाले दिलवर नाम करके ही जाते है
मोहब्बत की तमाम यादे अपने साथ सहेज कर ले जाते है.
ooo
यारो एक ठोकर खाने के बाद इन्सान सुधर जाते है
कितनी दिक्कते हो वो उनका बखूबी सामना करते है.
ooo
समय इजाजत दे नहीं सकता जितना प्यार करना है कर लो
जिंदगी एक मौत ही है इसमें तुम गमो का इजहार कर लो .
ooo

16.6.09

इश्क की दुनिया में में कई आशिक उलझते रहे है

इश्क की दुनिया में....कई आशिक उलझते रहे है
चले गए दुनिया से इश्क को खुदा सा पूजते रहे है.

000

प्यारी नजर से न देखो कही हम बेहोश न हो जाए
इश्क के सागर में न उतरो कही मदहोश न हो जाए.

000

10.6.09

निरंतर डेढ़ सौ वी पोस्ट एक रचना : तुम्हारे हर ख़त का लिफाफा संभाल कर रखा है

आप सभी से मिल रहे निरन्तर स्नेह और शुभाशीष के फलस्वरूप आज मुझे निरन्तर हिंदी ब्लॉग में डेढ़ सौ वी पोस्ट लिखने का अवसर मिला है . हिंदी ब्लॉग समयचक्र के बाद मुझे निरंतर ब्लॉग बहुत पसंद है . निरंतर में भी मैंने हरसम्भव कविता कहानी जोग सामयिक लेख आदि समय समय पर लिखने का प्रयास किया है . आप सभी ने समय समय पर मेरी हौसलाफजाई की है उससे मुझे निरंतर लिखने की प्रेरणा प्राप्त होती है इस हेतु मै आप सभी का दिल से शुक्रगुजार हूँ आभारी हूँ . विश्वास है कि आप इसी तरह भविष्य में भी स्नेहाशीष बरसाते रहेंगे.


तुम्हारे हर ख़त का लिफाफा संभाल कर रखा है


तेरे साथ गुजरे हुए लम्हों की याद आने लगी है
वो बीती यादे कहानी बन दिल में छाने लगी है.

ख़त पढ़ कर सारी रात मेरा दिल रोता रहा है
आप है जो हाले दिल देख कर मुस्कुरा रही है.

तेरे ख़ूबसूरत खतो को मैंने संभाल कर रखा है
जैसे कोई अपने दिल को हिफाजत से रखता है.

कभी तुम्हारे ये ख़त बड़े ही ख़ूबसूरत लगते थे
पढ़ कर अब अश्को के सिवाय कुछ नहीं देते है.

तुम्हारे हर ख़त का लिफाफा संभाल कर रखा है
हर खतो के मजनूनो को दिल में उकेर रखा है.

जब उनके खतो के मजनून उन्हें पढ़कर सुनाये
खुद के लिखे अल्फाजो को वो अब भूल गए है.


.....

8.6.09

जल सरक्षण हेतु वाटर हारवेस्टिंग से भी सस्ता घरो में सोकपिट जरुर बनवाये


दिनोदिन भूमि का जलस्तर निरंतर कम होता जा रहा है जिसके कारण दिनोदिन पानी का संकट गहराता जा रहा है. यदि आप भी पानी की समस्या से ग्रस्त है तो आप अपने घरो में मुहल्लों में सोकपिट अवश्य बनवाये. वाटर हारवेस्टिंग प्रणाली में थोडा खर्चा आता है इसमें आपको बोरबेल खुदवाना पड़ता है और पाइप्स वगैरा की जरुरत पड़ती है जो आम गरीबजन के लिए मंहगा पड़ता है. आज मै आपको सोकपिट के बारे में जानकारी दे रहा हूँ जिसमे कोई अधिक खर्च नहीं करना पड़ता है. भूमि का जलस्तर बढ़ाने के लिए वाटर हारवेस्टिंग और सोकपिट प्रणाली अपनाई जा रही है. आप समय रहते अपने घरो में और मुहल्लो में अपने जीवन में सोकपिट जरुर बनवाये. बरसात के पूर्व सोकपिट बनवाये.

आप अपने घर या आसपास उपयुक्त स्थान पर बनवाये जहाँ पर छतो से या अन्य जगह से पानी बहकर आता हो. उपयुक्त स्थान पर पॉँच फुट गहरा पांच फुट चौडा और पांच फुट लम्बा गड्डा खुदवाये.

गड्डे के अन्दर वगैर सीमेंट और मिट्टी की मदद से ईटो को जुडवाए.

फिर इस गड्डे में एक फुट की ऊंचाई तक रेत भरवाए और रेत के बाद एक फुट की ऊंचाई तक कोयला भरवाए फिर कोयले के ऊपर एक फुट तक मोटी बजरी भरवाए. गड्डे के शेष बचे स्थान पर टूटे फूटे अद्धा पौना ईटो के टुकड़े भरवाए और गड्डे को चीपो से ढांक दे. गड्डे को अच्छी तरह से ढांक दे जिससे गड्डे में मच्छर और अन्य कीडे मकौडे न रह सके. छत या जहाँ से बरसाती पानी बहकर आता है को एक पाइप के जरिये इस गड्डे में जाने दे.

लीजिये आपका सोकपिट तैयार हो गया इसके माध्यम से भूमि का कुंओ का जलस्तर बढेगा और काफी समय तक आपको पानी के संकट से निजाद दिला सकता है.


फोटो - सोकपिट सिस्टम

रिमार्क - जहाँ भी पानी बहता देखे उसे रोके और अन्य को भी बहते पानी को रोकने हेतु प्रेरित करें. जल ही जीवन है.

6.6.09

पहेलीमय दौर में पहेलियाँ बूझिये ? पहेली का सही जबाब और विजेता शिखा दीपक जी

इस मुहावरों की पहेली में मात्र सात ही उत्तर प्राप्त हुए . शिखा दीपक जी ने चार मुहावरों के सही उत्तर देकर इस पहेली का विजेता होने का सम्मान प्राप्त किया . उन्हें बहुत बहुत बधाई . भाई जयंत चौधरी और सिद्धार्थ जोशी जी इस पहेली के संयुक्त उपविजेता रहे है . उन्हें भी ढेर सारी बधाई . मुहावरों की पहेली में तस्लीम, राज भाटिय़ा, नीतिश राज, पी.एन. सुब्रमनियन जी ने पहेली में अपनी भागीदारी कर उत्साहवर्धन किया है इस हेतु मै आप सभी का आभार व्यक्त करता हूँ .

पहेली का सही जबाब

पहले का सही जबाब उत्तर - पोस्ट ऑफिस बॉक्स
दूसरे का उत्तर - ----------चाँद
तीसरे का उत्तर --- हुक्का
चौथे का उत्तर - जूते
पांचवां का उत्तर --- ताला
छटवे का उत्तर -- नाइ
सांतवे का उत्तर -- तवा और कढाई


तस्लीम ने कहा
पहेलियों को लोकप्रिय बनाने का काम "तस्लीम" ने किया है। यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि आज चारों ओर पहेलियों का दौर है
-जाकिर अली ‘रजनीश’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बधाई हो तस्लीम जी कि आपने पहेलियों को लोकप्रिय बनाने का काम किया पर पूछे गए मुहावरों का उत्तर न मिलने से निराश जरुर हूँ .

राज भाटिय़ा ने कहा…
अरे बाप रे आप ने तो पुरे साल की पहेलियां पूछ ली एक संग..
चलिये कुछ हम बताते है...
ना २... कुआं
ना ३ पंगडंडी
ना ४ रेलवे लाईन
ना५ दरवाजा
ना ६ उस्तरा
ना ७ ओर ना १ सोच कर बताऊगां
राज भाटिया जी ना हाँ ना कर दी पर बताने की पुरजोर कोशिश की ..सोच कर बताऊगां....जिससे विजेता होने के पहले से फिसल गए.

नीतिश राज ने कहा…
महेंद्र जी एक साथ मियां इतनी पूछेंगे तो कैसे काम चलेगा। राज जी महेंद्र जी को पहली पहेली का जवाब मैं दे देता हूं--महेंद्र जी बाकी राज जी वाली मानें--
1-पोस्टबॉक्स
नीतिश राज जी ने सिर्फ एक मुहावरे का ही सही जबाब दिया .

सिद्धार्थ जोशी ने कहा…
पहले का चिठ्ठी डालने का डिब्‍बा।
दूसरे का चांद।
तीसरे का पता नहीं
चौथे का रेलवे लाइन
पांचवे का ताला।
छठे का कैंची
सातवें का पता नहीं।
भाई सिद्धार्थ जोशी ने सात में से तीन मुहावरों के सही उत्तर दिए.

पी .एन. सुब्रमनियन ने कहा…
खेद है कि यह हमारे बस की बात नहीं है.

शिखा दीपक ने कहा…
१ लेटर बॉक्स
२ चाँद
३ हुक्का

५ ताला
६ उस्तरा
7
शिखा दीपक जी ने चार मुहावरों के उत्तर सही दिए.

जयंत चौधरी ने कहा…
१. पोस्ट बॉक्स
२. कुँआ या चाँद (दोनों हो सकते हैं)
३. हुक्का
४. चक्की, कैंची, या रेल लाइन
५. ताला
६. ब्लेड, उस्तरा
७,. चाची - कढ़ाई/तपेली, चाचा - झारा/चमचा?
जयंत चौधरी जी ने तीन मुहावरों के सही उत्तर दिए है . उन्होंने बाकी मुहावरों के उत्तर घालमेल कर दिए याने कि दो दो उत्तर.

4.6.09

पहेलीमय दौर में पहेलियाँ बूझिये ?

एक बार ज्ञानदत्त जी पाण्डेय जी ने अपनी टीप में कहा कि हिन्दी ब्लॉगजगत पहले नारदमय था, फिर जूतमपैजारमय, उसके बाद कवितामय और अब पहेलीमय हो गया है. विगत दो माहो से हिंदी ब्लागजगत में पहेलियों की खूब धूम है. अपने ताउजी लगातार अपने ब्लॉग में पहेली पे पहेली चेंप रहे है. अपने उड़नतश्तरी जी भी कहाँ पीछे रहने वाले थे तो उन्होंने अपनी पोस्ट में त्रिमूर्ति ब्लागरो की ज्वाइंट फोटो लगाकर एक पहेली ठोक दी और ज्ञानजी की टीप सही साबित हो रही है हर जगह बस पहेली दर पहेली चल रही है और इसमें पाठको ने काफी रूचि भी दिखाई है. इस मामले में अपने जबलपुरिया ब्लागर्स कहाँ पीछे रहने वाले थे उन्होंने भी पहेली चेपना शुरू कर दिया है पहेलीमय वातावरण में चलो अपुन भी कुछ पहेली चेंप रहे है जिसका उत्तर कल रात्रि में याने तारीख 5-6-09 को आठ बजे तक उसके बाद विजेता के नामो की घोषणा कर दी जायेगी.

पहेलीमय दौर में पहेलियाँ बूझिये ?

1. काला मुंह और लाल शरीर
कागज को वह खाता
रोज शाम को पेट फाड़कर
कोई उन्हें ले जाता.

2. आंगन में रखा रूपया,
चोर ले न चोर का भैय्या.

3. एक गाँव में आग लगी
दूसरे गाँव में धुँआ ,
चलो मित्र चलकर देखें
उठा भूमि का कुँआ.

4. दो सुन्दर लडके
एक ही रंग के दोनों
एक यदि बिछड़ जाए
तो दूजा काम न आये.

5. न खाता है और न पीता है
फिर भी वह सबके घर की
तन और मन से
ईमानदारी से रखवारी करता है.

6. मै अलबेला कारीगर
राजा रंक और सिपाही की
हरदम काटता काली सफ़ेद घास.

7. चाची के दो कान
चाचा के नहीं है कान
चाची अति सुजान
चाचा को नहीं है ज्ञान.

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1.6.09

ब्लागर्स भजन मंडली : राधे राधे श्याम है बिहारी

आज कुछ सूझ नहीं रहा था तो सोचा आज पोस्ट में ही भजन कीर्तन कर लिया जाए . चलिए अपनी अपनी दरी संभालिये और मुंह हाथ धोकर बैठ जाये . बोलो राजाराम की जय बोलो बाँके बिहारी नंदन की जय . भक्तो कीर्तन कर रहा हूँ और आप लोग अभी से भारी हल्ला गुल्ला कर रहे है . शांत शांत रहिये वरना वृन्दावन बिगड़ जायेंगे और गुस्सा हो जायेंगे तो भक्तो गुस्सा शांत करने का उपाय है कि जोर जोर से भजन कीर्तन करना शुरू कर दो किसी मनमोहिनी मूरत को याद कर राधे राधे करना शुरू कर दे आपको असीम सुख मिलेगा . अपने आपको कृष्ण समझना शुरू कर दे और शुरू कर दे ...ओ ...राधे राधे ......खड़े है श्याम है बिहारी .....ओ राधे राधे श्याम है बिहारी . श्याम है बिहारी राधे श्याम है बिहारी ओ राधे राधे गए श्याम है बिहारी ओ . गोविन्द बोलो हरी गोपाल बोलो . बोलो वृन्दावन बिहारी महाराज की जय ...........सीता राम ओ सीता सीता राम बोलो बजरंग बली की जय हर हर महादेव . अब चलने का समय हो गया है मैंने अनुभव किया है की मेरे कीर्तन करने के दौरान अनेको भक्तगणों को नींद आने लगी है इसीलिए भक्तो जाइए राधे राधे
.....तभी एक भक्त बोल पड़ा ब्लॉगर बाबा जीवन को सफल बनाने के लिए कुछ उपाय तो बताइये जी

ब्लॉगर बाबा ने क्या उत्तर दिया यह आप चित्र जानकर समझ सकते है .


(साले उपाय होता तो क्या मै बाबा बनता)

31.5.09

विश्व तम्बाखू निषेध दिवस पर माइक्रो पोस्ट : हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया


हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया
आज विश्व तम्बाखू निषेध दिवस है . आप इसे पी रहे है और अपने हर फ़िक्र को धुएं में उड़ा रहे है.

आप जान जाए कि आप अपनी फ़िक्र को धुएं में नहीं उड़ा रहे है वरन आप अपनी जिंदगी को धीरे धीरे अपने पास से खुद उड़ा रहे है.



सिगरेट आप पी रहे है पर आप नहीं जानते ये आपको पीकर जल्दी निपटाने का चक्कर चला रहे है.



कृपया तम्बाखू/सिगरेट का बहिष्कार करे और दीघार्यु हो .




जनहित में

29.5.09

स्वाईन फ्लू से निजात दिलाये तुलसी की पत्तियां

तुलसी का उपयोग कई बीमारियों को दूर करने के लिए सदियो से किया जा रहा है . तुलसी के बारे में कहा जाता है कि व्यक्ति यदि खाली पेट तुलसी की चार-पॉँच पत्तियों का नियमित सेवन करे तो उसे कई बीमारियो से छुटकारा मिल सकता है. वैज्ञानिको ने भी अपने अनुसंधानों में तुलसी के सेवन को लाभप्रद और उपयोगी बताया है. आयुवेदाचार्यो ने हाल में बताया है कि तुलसी स्वाईन फ्लू को दूर रखने के लिए उपयोगी और लाभप्रद है. स्वाईन फ्लू से पीड़ित आदमी तुलसी का सेवन कर शीघ्र स्वास्थ्य हो सकता है.





वैज्ञानिको ने अभी हाल में ही तुलसी में स्वाईन फ्लू विरोधी तत्व पाए है. तुलसी के उपयोग से मनुष्यों में रोग प्रतिरोधक तीव्र गति से बढ़ती है और यह रोग प्रतिरोधक क्षमता वाइरल फीवर से निजात दिलाने में सहायक सिद्ध होती है. यदि बीस-तीस तुलसी की पत्ती का खाली पेट सेवन किया जाये तो यह स्वाईन फ्लू से बचाव किया जा सकता है.

तुलसी हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है इसीलिए उनका पूजन कर उन्हें तुलसी माता के नाम से संबोधित किया जाता है .

तुलसी के तीन प्रकार होते है. रामा श्यामा और केतुकी . रामा तुलसी की पत्तियां हरे रंग की और श्यामा तुलसी की पत्तियां काले कथ्थई रंग की होती है. श्यामा तुलसी विभिन्न प्रकार की बीमारियो से निपटने के लिए रामवाण दवा मानी जाती है.

26.5.09

झील सी अपनी आँखों में डूब जाने दो मुझे

जिस्म जलता है बहुत दो पल नहाने दो मुझे
झील सी अपनी आँखों में डूब जाने दो मुझे.

हस्ती से बेजारी न थी मौत से यारी न थी
उन राहों पर चल दिए जिसकी तैयारी न थी.

फासला तो है मगर अब कोई फासला नहीं है
तुम मुझसे जुदा सही मगर दिल से जुदा नहीं.

आओ मै और तुम मिलकर चिरागेदिल जलाये
कल कैसी हवा चले यह कोई जानता ही नहीं
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22.5.09

याद कर गुजरे हुए पल चैन न मुझे तुझे न था


तेरे बिन ये जिंदगी गुजरती नहीं अब तेरे वगैर
जालिम जुल्मी रात भी कटती नहीं है तेरे वगैर.

अधूरे है तेरे बिन हम मत पूछ तू दिल का गम
पूर्णमासी की चांदनी देखने को नहीं करता मन .

याद कर गुजरे हुए पल चैन न मुझे तुझे न था
कोई शाम सजनी नहीं दिल में तेरे बिन तेरे वगैर.

खो गया है वो मौसम सुहाना गुजरा वो जमाना
उस पल की ख़ुशी ठहरती नहीं तेरे बिन तेरे वगैर।
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20.5.09

अक्सर ऐसा हो रहा है - नेता : महगाई :गरीब और गरीबी

नेता

चुनाव दर चुनावों के बाद अक्सर नेता कुर्सी की गंध लेकर दिनोदिन मालामाल होता जाता है अक्सर ऐसा हो रहा है .

महगाई
चुनावों से पहले और चुनावों के बाद महंगाई दिनोदिन बढ़ती जाती है पर बढ़ती मंहगाई को रोकने हेतु चुनाव लड़ रहे नेता या चुनावों के बाद कुर्सी की गंध प्राप्त करने वाले नेता मंहगाई घटाने की चर्चा ही नहीं करते है क्या किसी को उपकृत करते है ? ऐसा क्यों होता है यह समझ से परे है अक्सर ऐसा हो रहा है .

गरीब और गरीबी
चुनावों के बाद बड़ी बड़ी बाते की जाने के बाद गरीब और गरीब होता जा रहा है और नेताओं के आश्वासन और मंहगाई के तले और दिनोदिन दम तोड़ता जा रहा है और गरीब होता जा रहा है अक्सर ऐसा हो रहा है.

नेताओं के हारने और जीतने पर समीक्षा की जाती है और बढ़ती मंहगाई और मंहगाई के तले दम तोड़ती गरीबी और चुनावों पूर्व दिए गाये वादों की समीक्षा नहीं की जाती है इसे जनमानस का दुर्भाग्य कहा जाये तो कोई बड़ी बात नहीं है . अक्सर ऐसा हो रहा है .